गुप्त नवरात्रि पर्व माघ शुक्ल पक्ष में भक्तिमय मंत्र साधना काल प्रारंभ होगा
सनातन धर्म में चैत्र और शारदीय नवरात्रि का काफी ज्यादा महत्व होता है कि माघ और आषाढ़ के महीने में गुप्त नवरात्रि भी आती है, गुप्त नवरात्रि में भी माँ भगवती की साधना की जाती है, गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त तरीके से पूजा-उपासना की जाती है।
गुप्त नवरात्रि खासकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना और महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए महत्वपूर्ण होती है. इसमें साधक को कठोर नियमों का पालन भी करना पड़ता है और व्रत के साथ साधना करनी होती है.
गुप्त नवरात्रि को लेकर ऐसी मान्यता है कि, इस दौरान भगवान विष्णु शयनकाल की अवधि में होते हैं और ऐसे में देव शक्तियां कमजोर होने लगती है. इस समय पृथ्वी पर रुद्र, यम, वरुण आदि का प्रभाव बढ़ने लगता है. इन्हीं विपत्तियों के बचाव के लिए गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की उपासना की जाती है.
माघ मास में गुप्त नवरात्रि पर्व 10 फरवरी 2024 शनिवार से प्रारंभ, जानें घटस्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि
गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं की साधना की जाती है बताया कि सनातन धर्म में नवरात्रि का खास महत्व होता है, ज्योतिष शास्त्र के अनुसार वर्ष में चार नवरात्रि आती हैं, जिसमें दो सामान्य और दो गुप्त नवरात्रि होती हैं, गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्याओं में माँ काली देवी, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां ध्रुमावती, मां बंगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है, ज्योतिष पंचांग के अनुसार माघ माह की गुप्त नवरात्रि 10 फरवरी 2024 शनिवार से प्रारंभ हो रही है और 18 फरवरी 2024 तक यह पर्व काल चलेगा।
इसी नवरात्रि पर्व के दौरान बसंत पंचमी एवं सूर्य सप्तमी समारोह से इसकी शोभा में चार चांद लगाती है।
घटस्थापना शुभ मुहूर्त
घटस्थापना शनिवार 10 फरवरी 2024 को सुबह 6 बजे से 11 बजे तक शुभ रहेगा।
चौघड़िया मुहूर्त के अनुसार शुभ 08:40 - 10:03 शुभ पूजन स्थापना का समय या घट स्थापना का सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है बाकी समय भी मध्यम शुभ रहेगा।
इन मंत्रों का करें जाप करने से मां प्रश्न होगी।
दस महाविद्याओं की साधना करे साथ मे दस देवियों के मंत्र का जाप करे या ब्राह्मणों से कराये, पौराणिक काल से ही लोगों की आस्था गुप्त नवरात्रि में रही है, गुप्त नवरात्रि में शक्ति की उपासना की जाती है ताकि जीवन तनाव मुक्त रहे, माना जाता है कि इस दौरान माँ शक्ति के खास मंत्रों के जाप से किसी भी समस्या से मुक्ति पाई जा सकती है या किसी सिद्धि को हासिल किया जा सकता है, सिद्धि के लिए ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै .... आदि विशेष मंत्रों का जप किया जा सकता है।
*गुप्त नवरात्रि पूजा विधि*
गुप्त नवरात्रि के दौरान घट स्थापना उसी तरह की जाती है जिस तरह से चैत्र और शारदीय नवरात्रि में होती है, इन नौ दिनों में सुबह-शाम मां दुर्गा देवी जी की पूजा की जाती है साथ ही लौंग और बताशे का भोग जरूर लगाना चाहिए, साथ ही मां भगवती के लिए श्रृंगार का सामान भी अर्पित करना चाहिए, इस दौरान दुर्गा सप्तशती का पाठ भी करा सकते है।
इन तिथियां में मां को ऐसे भोग अर्पित करें।
प्रतिपदा(एकम)- रोगमुक्त रहने के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं.
द्वितीया(दूज)- लंबी उम्र के लिए द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं.
तृतीया(तीज)- दुख से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि पर मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं.
चतुर्थी (चौथ)- तेज बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए चतुर्थी तिथि पर मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं.
पंचमी - स्वस्थ शरीर के लिए मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं.
षष्ठी(छठ)- आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं।
सप्तमी(सातम)- संकटों से बचने के लिए सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें.
अष्टमी(आठ्म)- संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अष्टमी तिथि पर मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं.
नवमी(नम)- सुख-समृद्धि के लिए नवमी पर मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं.
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)