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पंचांग - 16-02-2024

 *🚩  राम✴️राम✴️राम✴️राम✴️*
*🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*

*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     
*⛅🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय*
*⛅🕉नमो नित्यं केशवाय च  शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमो नमः।।*

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*🚩एकवेणी जपाकर्णपूरा नग्ना खरास्थिता। लम्बोष्ठी कर्णिकाकर्णी तैलाभ्यक्तशरीरिणी॥ वामपादोल्लसल्लोहलताकण्टकभूषणा*
*♦️शुक्रवार सप्तमी 16 फरवरी 2024 का पंचांग*♦️
*♦️दिनांक - 16 फरवरी 2024*
*♦️दिन - शुक्रवार*
*♦️विक्रम संवत् - 2080*
*♦️अयन - उत्तरायण*
*♦️ऋतु - शिशिर*
*♦️मास - माघ*
*♦️पक्ष - शुक्ल*
*♦️तिथि - सप्तमी सुबह 08:54:06 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*♦️नक्षत्र - भरणी सुबह 08:45:41 तक तत्पश्चात कृतिका*
*♦️योग - ब्रह्म दोपहर 03:16:13तक तत्पश्चात इन्द्र*
*♦️राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 11:25 से दोपहर 12:49 तक*
*♦️सूर्योदय - 07:12:52*
*♦️सूर्यास्त - 06:25:51*
*♦️दिशा शूल - पश्चिम दिशा*
     *♦️चोघडिया, दिन♦️*
*चर    07:13 - 08:37    शुभ*
*लाभ    08:37 - 10:01    शुभ*
*अमृत    10:01 - 11:25    शुभ*
*काल    11:25 - 12:49    अशुभ*
*शुभ    12:49 - 14:13    शुभ*
*रोग    14:13 - 15:38    अशुभ*
*उद्वेग    15:38 - 17:02    अशुभ*
*चर    17:02 - 18:26    शुभ*
      *♦️चोघडिया, रात♦️*
*रोग    18:26 - 20:02    अशुभ*
*काल    20:02 - 21:37    अशुभ*
*लाभ    21:37 - 23:13    शुभ*
*उद्वेग    23:13 - 24:49    अशुभ*
*शुभ    24:49 - 26:25    शुभ*
*अमृत    26:25 - 28:01    शुभ*
*चर    28:01 - 29:36    शुभ*
*रोग    29:36 - 31:12    अशुभ*
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*♦️ब्रह्म मुहूर्त    05:30 ए एम से 06:21 ए एम*
*♦️प्रातः सन्ध्या    05:55ए एम से 07:12 ए एम*
*♦️अभिजित मुहूर्त    12:27पी एम से 01:12पी एम*
*♦️विजय मुहूर्त    02:42 पी एम से 03:27 पी एम*
*♦️गोधूलि मुहूर्त    06:25 पी एम से 06:50पी एम*
*♦️सायाह्न सन्ध्या    06:27 पी एम से 07:43 पी एम*
*♦️अमृत काल    06:22 ए एम, फरवरी 17 से 07:58 ए एम, फरवरी 17*
*♦️निशिता मुहूर्त     12:23 ए एम, फरवरी 17 से 01:14 ए एम, फरवरी 17*
*♦️व्रत पर्व विवरण - माघ शुक्ल सप्तमी-अचला सप्तमी-रथ सप्तमी, नर्मदा जयंती, भीष्म अष्टमी*
*♦️विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*♦️नवरात्रि के सातवें दिन को महासप्तमी के नाम से जाना जाता है. इस दिन मां दुर्गा की सातवीं स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है. मां कालरात्रि को ही महायोगीश्वरी, महायोगिनी और शुभंकरी कहा गया है.*
*♦️माना जाता है कि मां कालरात्रि की पूजा करने से काल का भय खत्म होता है. इस दिन मां कालरात्रि की पूजा करने से आरोग्य की प्राप्ति होती है और नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है. इस मां की आराधना करने से भक्तों को विशेष कृपा प्राप्त होती है.*
*♦️जानकारों के मुताबिक, इस दिन भक्त देवी को प्रसन्न करने के लिए गुड़ या गुड़ से बनी मिठाइयां चढ़ाते हैं.*
*♦️मां कालरात्रि की उपासना से भय, दुर्घटना तथा रोगों का नाश होता है. शत्रु और विरोधियों को नियंत्रित करने के लिए मां कालरात्रि की उपासना अत्यंत शुभ होती है.*

*♦️ जैसा कि साथियों आपको पता ही है माघ शुक्ल पक्ष सप्तमी को सूर्य सप्तमी के रूप में मनाया जाता है सूर्य सप्तमी का त्यौहार भगवान भास्कर के जन्मदिन के रूप में माना गया है इस दिन सुबह जल्दी उठकर आगे पूजन आदि यज्ञ वगैरा किया जाए तो बहुत ज्यादा सफलता मिलती है वैसे देखा जाए तो*
*♦️ शाक् द्विपिय ब्राह्मण समाज द्वारा उनके कुल देवता के रूप में मनाया जाता है सूर्य सप्तमी समारोह।*
*♦️ सूर्य सप्तमी  (अचला सप्तमी) पर कैसे दें सूर्य को अर्घ्य, ताकि बुलंद हो किस्मत के सितारे, ज्योतिष में बताई सही विधि, मंत्र, सामग्री*
*♦️ अचला सप्तमी यानी सूर्य जयंती 16 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. अचला सप्तमी पर सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति का भाग्य चमक सकता है. कुंडली में सूर्य के मजबूत होने से आपकी किस्मत भी बुलंद होगी. जानते हैं कि अचला सप्तमी पर सूर्य को अर्घ्य कैसे दें? सूर्य पूजा की सही विधि क्या है? पूजन साम्रगी और सूर्य मंत्र क्या हैं?*
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*♦️अचला सप्तमी पर सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है.*

*♦️अचला सप्तमी को रथ सप्तमी के नाम से भी जानते हैं.अचला सप्तमी पर सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति का भाग्य चमक सकता है.*
*♦️अचला सप्तमी के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें. मुहूर्त 05:30 एएम से 06:21 एएम तक है.*
*♦️अचला सप्तमी यानी सूर्य जयंती 16 फरवरी दिन शुक्रवार को मनाई जाएगी. अचला सप्तमी के दिन सूर्य देव का जन्म हुआ था, इस वजह से अचला सप्तमी पर सूर्य की पूजा करने का विशेष महत्व है. अचला सप्तमी को रथ सप्तमी के नाम से भी जानते हैं.*
 *♦️ इस दिन सूर्योदय से पूर्व स्नान कर लेना चाहिए ताकि आप सूर्योदय के समय सूर्य को अर्घ्य दे पाएं. अचला सप्तमी पर सूर्य की पूजा करने से व्यक्ति का भाग्य चमक सकता है.*
*♦️कुंडली में सूर्य के मजबूत होने से आपकी किस्मत भी बुलंद होगी, करियर में तरक्की मिलेगी और ​हर कदम पर पिता का सहयोग प्राप्त होगा.*
*♦️आइए जानते हैं कि अचला सप्तमी पर सूर्य को अर्घ्य कैसे दें? सूर्य पूजा की सही विधि क्या है? पूजन साम्रगी और सूर्य मंत्र क्या हैं?*

*♦️अचला सप्तमी 2024 सूर्य अर्घ्य देने की सही विधि*
*1. अचला सप्तमी के दिन आप ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान कर लें. 16 फरवरी को ब्रह्म मुहूर्त 05:30एएम से सुबह 06:21 एएम तक है.*

*♦️2. स्नान करने के बाद लाल, पीले या नारंगी रंग के वस्त्र पहनें. फिर सूर्योदय होने पर सूर्य देव को जल से अर्घ्य दें. अचला सप्तमी पर सूर्योदय का समय 07:12:52 एएम पर है. यह नागौर राजस्थान का समय है. स्थान के अनुसार सूर्योदय समय में अंतर संभव है.*

*♦️3. सूर्य देव को अर्घ्य देने के लिए तांब के लोटे में साफ जल भर लें. फिर उसमें लाल चंदन, लाल फूल, गुड़, गेहूं आदि डाल लें. उसके बाद उससे सूर्य को अर्घ्य दें.*

*♦️4. अर्घ्य देते समय सूर्य देव के मंत्र ओम घृणि: सूर्याय नम: का उच्चारण करते हुए जल अर्पित करें. सूर्य देव को जल चढ़ाने के बाद गायत्री मंत्र या सूर्य देव के गायत्री मंत्र ॐ आदित्याय विदमहे प्रभाकराय धीमहितन्न: सूर्य प्रचोदयात् का जाप कर सकते हैं.*

*♦️ 5. सूर्य अर्घ्य के बाद आपको सूर्य चालीसा या फिर आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ करना चाहिए. इससे सूर्य देव प्रसन्न होते हैं.*

*♦️अचला सप्तमी 2024 मुहूर्त*
*अचला सप्तमी माघ माह के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को होती है.*
*माघ शुक्ल सप्तमी तिथि का प्रारंभ: 15 फरवरी, सुबह 10:13 बजे से* *माघ शुक्ल सप्तमी तिथि का समापन: 16 फरवरी, सुबह 08:54:06 बजे पर*
*♦️ब्रह्म योग: प्रात:काल से लेकर दोपहर 03:16:13 पीएम तक*
*इंद्र योग: 03:16:13 पीएम से रात तक*
*♦️भरणी नक्षत्र: प्रात:काल से लेकर सुबह 08:45.42 एएम तक, फिर कृत्तिका नक्षत्र होगा।*
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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