*🚩राम✴️राम✴️राम✴️राम✴️*
*🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*⛅🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय*
*⛅🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै, सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमो नमः।।*
*⛅या देवी सर्वभूतेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥*
*⛅गुरुवार षष्ठी 15 फरवरी 2024 का पंचांग ⛅*
*⛅दिनांक - 15 फरवरी 2024*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - षष्ठी सुबह 10:12:14 तक तत्पश्चात सप्तमी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी सुबह 09:24:52 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - शुक्ल शाम 05:21:11 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - दोपहर 02:13 से 03:37 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:13:40*
*⛅सूर्यास्त - 06:25:10*
*⛅यम घंटा 07:14 - 08:38 अशुभ*
*⛅गुली काल 10:02 - 11:25*
*⛅अभिजित 12:27 - 13:12 शुभ*
*⛅करण बालव 12:09:02*
*⛅करण कौलव 23:05:56*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:30 से 06:21 तक*
*⛅ प्रातः सन्ध्या 05:56 ए एम से 07:12 ए एम*
*⛅ अभिजित मुहूर्त 12:27 पी एम से 01:12 पी एम*
*⛅ विजय मुहूर्त 02:42 पी एम से 03:27 पी एम*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:14 तक*
*⛅चन्द्र राशि मीन till 10:42:04*
*⛅चन्द्र राशि मेष from 10:42:04*
*⛅सूर्य राशि कुम्भ*
*रितु शिशिर*
*⛅आयन उत्तरायण*
*⛅संवत्सर शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर) पिंगल*
*⛅विक्रम संवत 2080*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
*शुभ 07:14 - 08:38 शुभ*
*रोग 08:38 - 10:02 अशुभ*
*उद्वेग 10:02 - 11:25 अशुभ*
*चर 11:25 - 12:49 शुभ*
*लाभ 12:49 - 14:13 शुभ*
*अमृत 14:13 - 15:37 शुभ*
*काल 15:37 - 17:01 अशुभ*
*शुभ 17:01 - 18:25 शुभ*
*⛅चोघडिया, रात⛅*
*अमृत 18:25 - 20:01 शुभ*
*चर 20:01 - 21:37 शुभ*
*रोग 21:37 - 23:13 अशुभ*
*काल 23:13 - 24:49 अशुभ*
*लाभ 24:49 - 26:25 शुभ*
*उद्वेग 26:25 - 28:01 अशुभ*
*शुभ 28:01 - 29:37 शुभ*
*अमृत 29:37 - 31:13 शुभ*
*⛅व्रत पर्व विवरण - शीतल षष्ठी (प. बंगाल)*
*⛅विशेष - षष्ठी को नीम की पत्ती, फल या दातुन मुँह में डालने से नीच योनियों की प्राप्ति होती है।*
*⛅सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*⛅नवदुर्गा के छठवें स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है. इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है, इनका वाहन सिंह है।*
*⛅ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाना चाहिए* *मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं।*
*ऋषि कात्यायन की पुत्री होने के कारण इनका नाम कात्यायनी रखा गया। मां कात्यायनी की पूजा से विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। धार्मिक मान्यता है कि इनकी कृपा से योग्य वर और विवाह की सभी अड़चनें दूर हो जाती है। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। मां कात्यायनी सफलता और यश का प्रतीक हैं। भगवान कृष्ण को पाने के लिए ब्रज की गोपियों ने इन्ही की पूजा कालिंदी नदी के तट पर की थी। ये ब्रज मंडल की अधिष्ठात्री देवी के रूप में प्रतिष्ठित हैं।*
*⛅ दिव्य है मां का स्वरूप इनका स्वरूप अत्यंत ही भव्य और दिव्य है। इनका वर्ण स्वर्ण के समान चमकीला और भास्वर है। शेर पर सवार मां की चार भुजाएं हैं, इनके बायें हाथ में कमल, तलवार व दाहिनें हाथों में स्वास्तिक और आशीर्वाद की मुद्रा अंकित है।*
*⛅मां कात्यायनी की पूजा अमोघ फलदायिनी हैं, मान्यता है कि देवी कात्यायनी जिस पर प्रसन्न हो जाएं उसे अर्थ, धर्म, काम और मोक्ष की प्राप्ति होती है। देवी भागवत पुराण के अनुसार देवी के इस स्वरूप की पूजा करने से शरीर कांतिमान हो जाता है। इनकी आराधना से गृहस्थ जीवन सुखमय रहता है और साधक के रोग, शोक, संताप और भय आदि सर्वथा नष्ट हो जाते हैं। शत्रुओं पर विजय प्राप्ति के लिए भी मां कात्यायनी की पूजा की जाती है यह स्वयं नकारात्मक शक्तियों का अंत करने वाली देवी हैं।*
*⛅ नवरात्रि पर्व के छठे दिन सबसे पहले स्नान-ध्यान के बाद शुभ रंगों के वस्त्र पहनकर कलश पूजा करें और इसके बाद मां दुर्गा के स्वरूप माता कात्यायनी की पूजा करें। पूजा प्रारंभ करने से पहले मां को स्मरण करें और हाथ में फूल लेकर संकल्प जरूर लें। इसके बाद वह फूल मां को अर्पित करें। फिर कुमकुम, अक्षत, फूल आदि और सोलह श्रृंगार माता को अर्पित करें। उसके बाद भोग अर्पित करें। फिर जल अर्पित करें और घी के दीपक जलाकर माता की आरती करें। देवी की पूजा के साथ भगवान शिव की भी पूजा करनी चाहिए।*
*⛅ मां कात्यायनी का प्रिय भोग मां कात्यायनी को शहद बहुत ही प्रिय है, इसलिए पूजा के समय मां कात्यायनी को शहद का भोग अवश्य लगाएं ऐसा करने से स्वयं के व्यक्तित्व में निखार आता है।*
*⛅ मां कात्यायनी का प्रिय फूल और रंग इन देवी को पीला और लाल रंग अतिप्रिय है। इस वजह से पूजा में आप मां कात्यायनी को लाल और पीला रंग के गुलाब का फूल अर्पित करें इससे मां कात्यायनी आप पर प्रसन्न होंगी।*
*⛅ मां कात्यायनी की पूजा करने के लिए, घी का दीपक जलाकर पूजा शुरू करें. इसके साथ ही, रोली, अक्षत, लाल चुनरी, धूप, दीप आदि चीज़ें अर्पित करें*
*माना जाता है कि देवी का आशीर्वाद पाने के लिए, कात्यायनी मंत्रों का जाप 21 दिनों तक नियमित रूप से करना चाहिए. इसके बाद, करीब 108 बार मंत्र जाप करने पर इसका फ़ायदा दिखने लगता है.*
*⛅माँ कात्यायनी पूजा मंत्र*
*1या देवी* *सर्वभूतेषु माँ* *कात्यायनी रूपेण संस्थिता*
*नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।*
*2.चंद्र हासोज्जवलकरा शार्दूलवर वाहना| कात्यायनी शुभंदद्या देवी दानवघातिनि||*
*3.कात्यायनी महामाये, महायोगिन्यधीश्वरी। नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः॥*
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*♦️यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*♦️आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
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