*🚩 राम✴️राम✴️राम✴️राम✴️
🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*
*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*♦️🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय*
*♦️🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै, सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमो नमः।।*
*♦️सोमवार तृतीया12 फरवरी 2024 का पंचांग ♦️*
*♦️दिनांक - 12 फरवरी 2024*
*♦️दिन - सोमवार*
*♦️विक्रम संवत् - 2080*
*♦️अयन - उत्तरायण*
*♦️ऋतु - शिशिर*
*♦️मास - माघ*
*♦️पक्ष - शुक्ल*
*♦️तिथि - तृतीया शाम 05:43:40तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*♦️नक्षत्र - पूर्व भाद्रपद दोपहर 02:55:33 तक तत्पश्चात उत्तर भाद्रपद*
*♦️योग - शिव सुबह 06:29 तक तत्पश्चात सिद्ध*
*♦️राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 08:39 से 10:03 तक*
*♦️सूर्योदय - 07:15:56*
*♦️सूर्यास्त - 06:23:03*
*♦️दिशा शूल - पूर्व*
*♦️🚩चोघडिया,दिन🚩♦️*
*अमृत 07:16 - 08:39 शुभ*
*काल 08:39 - 10:03 अशुभ*
*शुभ 10:03 - 11:26 शुभ*
*रोग 11:26 - 12:49 अशुभ*
*उद्वेग 12:49 - 14:13 अशुभ*
*चर 14:13 - 15:36 शुभ*
*लाभ 15:36 - 16:59 शुभ*
*अमृत 16:59 - 18:23 शुभ*
*♦️🚩चोघडिया,रात🚩♦️*
*चर 18:23 - 19:59 शुभ*
*रोग 19:59 - 21:36 अशुभ*
*काल 21:36 - 23:13 अशुभ*
*लाभ 23:13 - 24:49 शुभ*
*उद्वेग 24:49 - 26:26 अशुभ*
*शुभ 26:26 - 28:02 शुभ*
*अमृत 28:02 - 29:39 शुभ*
*चर 29:39 - 31:15 शुभ*
*♦️ब्रह्म मुहूर्त 05:32 ए एम से 06:23 ए एम*
*♦️प्रातः सन्ध्या 05:58 ए एम से 07:15 ए एम*
*♦️अभिजित मुहूर्त 12:27 पी एम से 01:12पी एम*
*♦️विजय मुहूर्त 02:41 पी एम से 03:26 पी एम*
*♦️गोधूलि मुहूर्त 06:22 पी एम से 06:48पी एम*
*♦️सायाह्न सन्ध्या 06:24 पी एम से 07:41 पी एम*
*♦️अमृत काल 07:41ए एम से 09:16 ए एम*
*♦️निशिता मुहूर्त 12:23 ए एम, फरवरी 13 से 01:15 ए एम, फरवरी 13*
*♦️व्रत पर्व विवरण - तिलकुन्द चतुर्थी, पंचक*
*♦️विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*♦️रवि योग 02:56 पी एम से 07:14 ए एम, फरवरी 13*
*शारदीय नवरात्रि का आज तीसरा दिन है और इस दिन मां दुर्गा के तीसरे स्वरूप चंद्रघंटा की पूजा की जाएगी। देवी भागवत पुराण के अनुसार, मां दुर्गा का यह स्वरूप परम शांतिदायक और कल्याणकारी है।*
*♦️इनके मस्तक में घण्टे के आकार का अर्धचंद्र है, इसी कारण देवी का नाम चंद्रघण्टा पड़ा है। मां दुर्गा की यह शक्ति तृतीय चक्र पर विराज कर ब्रह्माण्ड से दसों प्राणों व दिशाओं को संतुलित करती है और महाआकर्षण प्रदान करती है। इनकी उपासना से भक्तगण समस्त सांसारिक कष्टों से छूटकर सहज ही परमपद के अधिकारी बन जाते हैं।*
*♦️ऐसा है माता का स्वरूप*
*नवरात्र के तीसरे दिन दुर्गाजी के तीसरे रूप चंद्रघंटा देवी के वंदन, पूजन और स्तवन करने का विधान है। इन देवी के मस्तक पर घंटे के आकार का अर्ध चंद्रमा विराजमान है* *इसलिए इनका नाम चंद्रघंटा पड़ा। इनके शरीर का रंग स्वर्ण के समान चमकीला और वाहन सिंह है।*
*♦️इस देवी के दस हाथ माने गए हैं और ये कमल, धनुष, बाण, खड्ग, कमंडल, तलवार, त्रिशूल और गदा आदि जैसे अस्त्र और शस्त्र से सुसज्जित हैं। इनके कंठ में श्वेत पुष्प की माला और शीर्ष पर रत्नजड़ित मुकुट विराजमान है। माता चंद्रघंटा युद्ध की मुद्रा में विराजमान रहती है और तंत्र साधना में मणिपुर चक्र को नियंत्रित करती हैं।*
*♦️माता की पूजा करने से मिलती है शांति माना जाता है कि देवी के इस रूप की पूजा करने से मन को अलौकिक शांति प्राप्त होती है और इससे न केवल इस लोक में अपितु परलोक में भी परम कल्याण की प्राप्ति होती है। इनके वंदन से मन को परम सूक्ष्म ध्वनि सुनाई देती है, जो मन को बहुत शांति प्रदान करती है। चूंकि इनका वर्ण स्वर्ण जैसा चमकीला है और ये हमेशा आसुरिक शक्तियों के विनाश के लिए सदैव तत्पर रहती हैं, इसलिए इनकी आराधना करने वाले को भी अपूर्व शक्ति का अनुभव होता है। मां चंद्रघंटा की पूजा में दूध का प्रयोग कल्याणकारी माना गया है।*
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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