♦️ *_🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै, सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमो नमः।।_*
♦️ *_ॐ नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा। _*
♦️*_आज मंगलवार एकादशी 06 फरवरी 2024 का पंचाग_*
♦️ *_शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन_*
♦️*_संवत्सर नाम अनला_*
♦️ *_शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)_*
♦️ *_काली सम्वत् 5124_*
♦️ *_संवत्सर (उत्तर) पिंगल_*
♦️ *_आयन - उत्तरायण_*
♦️ *_ऋतु - सौर शिशर ऋतु_*
♦️ *_मास - माघ मास_*
♦️*_पक्ष - कृष्ण पक्ष_*
♦️ *_तिथि - मंगलवार माघ माह के कृष्ण पक्ष एकादशी तिथि 04:06:52 PM तक उपरांत द्वादशी_*
♦️ *_तिथि स्वामी - एकादशी तिथि के देवता हैं विश्वेदेवगणों और विष्णु। इस तिथि को विश्वेदेवों पूजा करने से संतान, धन-धान्य और भूमि आदि की प्राप्ति होती है।_*
♦️ *_नक्षत्र : नक्षत्र ज्येष्ठा 07:34:15 AM तक उपरांत मूल 06:26:24 AM तक उपरांत पूर्वाषाढ़ा_*
♦️ *_नक्षत्र स्वामी : ज्येष्ठा नक्षत्र का स्वामी ग्रह बुध है। तथा ज्येष्ठा नक्षत्र के देवता देवराज इंद्र हैं।_*
♦️ *_योग : व्याघात योग 08:48:50 AM तक, उसके बाद हर्षण योग 06:07:28 AM तक, उसके बाद वज्र योग_*
♦️ *_प्रथम करण : बालव - 04:06:52 पी एम तक_*
♦️ *_द्वितीय करण : कौलव - 03:09:46 ए एम, फरवरी 07 तक तैतिल_*
♦️ *_गुलिक काल : मंगलवार का गुलिक दोपहर 12:06 से 01:26 बजे तक।_*
♦️*_राहुकाल (अशुभ) – दोपहर 15:34 बजे से 16:56 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।_*
♦️ *_दिशाशूल – मंगलवार को उत्तर दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो कोई गुड़ खाकर यात्रा कर सकते है।_*
♦️ *_सूर्योदयः- प्रातः 07:19:56_*
♦️ *_सूर्यास्तः- सायं 06:18:39_*
♦️ *_ब्रह्म मुहूर्त : 07:35 ए एम से 06:27 ए एम_*
♦️ *_प्रातः सन्ध्या : 06:01 ए एम से 07:19 ए एम_*
♦️ *_अभिजित मुहूर्त : 12:27 पी एम से 12:11 पी एम_*
♦️ *_विजय मुहूर्त : 02:39 पी एम से 03:24 पी एम_*
♦️ *_गोधूलि मुहूर्त : 06:17 पी एम से 06:43 पी एम_*
♦️ *_सायाह्न सन्ध्या : 06:20 पी एम से 07:38 पी एम_*
♦️ *_अमृत काल : 12:21 ए एम, फरवरी 07 से 01:53 ए एम, फरवरी 07_*
♦️ *_निशिता मुहूर्त : 12:23 ए एम, फरवरी 07 से 01:15 ए एम, फरवरी 07_*
♦️ *_06 फरवरी 2024 : दिन मंगलवार को माघ मास के कृष्ण पक्ष कि षट्तिला नाम का एकादशी व्रत है। आज की इस एकादशी व्रत के विषय में लिखा है:- तिलस्नायी तिलोद्वती तिल होमी तिलोदकी। तिलदाता च भोक्ता च षट्तिला पापनाशिनी:। अर्थात तिल से स्नान करनेवाला, तिल का दान करनेवाला, तिल से हवन करनेवाला और तिल को ही भोजन के रूप में ग्रहण करनेवाला अपने सभी पापों का नाश कर लेता है। आज भगवान सूर्य नक्षत्र श्रवण - 01:53 ए एम, फरवरी 07 तक श्रवण नक्षत्र में रहेंगे तत्पश्चात धनिष्ठा नक्षत्र में जाएंगे। आप सभी षट्तिला एकादशी व्रतियों को षट्तिला एकादशी व्रत की हार्दिक शुभकामनायें। शास्त्रानुसार एकादशी सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक पुण्यदायी व्रत होता है। इसे हर एक व्यक्ति को अवश्य करना चाहिये।।_*
♦️ *_दिन (वार) – मंगलवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से उम्र कम होती है। अत: इस दिन बाल और दाढ़ी नहीं कटवाना चाहिए ।_*
♦️ *_मंगलवार को हनुमान जी की पूजा और व्रत करने से हनुमान जी प्रसन्न होते है। मंगलवार के दिन हनुमान चालीसा एवं सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए।_*
♦️ *_मंगलवार को यथासंभव मंदिर में हनुमान जी के दर्शन करके उन्हें लाल गुलाब, इत्र अर्पित करके बूंदी / लाल पेड़े या गुड़ चने का प्रशाद चढ़ाएं । हनुमान जी की पूजा से भूत-प्रेत, नज़र की बाधा से बचाव होता है, शत्रु परास्त होते है।_*
♦️ *_हनुमान जी का मंत्र : हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट् ।_*
♦️ *_यात्रा शकुन-दलिया का सेवन कर यात्रा पर निकलें।_*
♦️ *_आज का मंत्र-ॐ अं अंगारकाय नम:।_*
♦️ *_आज का उपाय-किसी विप्र को लाल वस्त्र एवं लाल फल भेंट करें।_*
♦️ *_वनस्पति तंत्र उपाय- खैर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
♦️*_पर्व एवं त्यौहार - षट्तिला एकादशी व्रत (सर्वे.), 'भारत रत्न' से सम्मानित पार्श्वगायिका लता मंगेशकर स्मृति दिवस, अंतर्राष्ट्रीय विकास सप्ताह (6 से 12 फरवरी), वन अग्नि सुरक्षा दिवस (सप्ताह)।_*
♦️ *_विशेष – एकादशी तिथि को चावल एवं दाल नहीं खाना चाहिये तथा द्वादशी को मसूर नहीं खाना चाहिये। यह इस तिथि में त्याज्य बताया गया है। एकादशी को चावल न खाने अथवा रोटी खाने से व्रत का आधा फल सहज ही प्राप्त हो जाता है। एकादशी तिथि एक आनन्द प्रदायिनी और शुभफलदायिनी तिथि मानी जाती है। एकादशी को सूर्योदय से पहले स्नान के जल में आँवला या आँवले का रस डालकर स्नान करना चाहिये। इससे पुण्यों कि वृद्धि, पापों का क्षय एवं भगवान नारायण के कृपा कि प्राप्ति होती है।_*
♦️ *_एकादशी तिथि के देवता विश्वदेव होते हैं। नन्दा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। एकादशी तिथि एक आनंद प्रदायिनी और शुभ फलदायी तिथि मानी जाती है। इसलिये आज दक्षिणावर्ती शंख के जल से भगवान नारायण का पुरुषसूक्त से अभिषेक करने से माँ लक्ष्मी प्रशन्न होती है एवं नारायण कि भी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है।_*
♦️ *_एकादशी तिथि को जिस व्यक्ति का जन्म होता है वो धार्मिक तथा सौभाग्यशाली होता है। मन, बुद्धि और हृदय से ऐसे लोग पवित्र होते हैं। इनकी बुद्धि तीक्ष्ण होती और लोगों में बुद्धिमानी के लिए जाने जाते है। इनकी संतान गुणवान और अच्छे संस्कारों वाली होती है, इन्हें अपने बच्चों से सुख एवं सहयोग भी प्राप्त होता है। समाज के प्रतिष्ठित लोगों से इन्हें मान सम्मान मिलता है।_*
♦️ *_शास्त्रों एकादशी का व्रत महत्वपूर्ण स्थान रखता है। प्रत्येक वर्ष चौबीस एकादशियाँ होती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। पद्मपुराण में एकादशी का बहुत ही महात्मय बताया गया है एवं उसकी विधि विधान का भी उल्लेख किया गया है। पद्मपुराण के ही एक अंश को लेकर हम षट्तिला एकादशी का श्रवण और ध्यान करते हैं।_*
♦️ *_व्रत विधान के विषय में जो पुलस्य ऋषि ने दलभ्य ऋषि को बताया वह यहां प्रस्तुत है। ऋषि कहते हैं माघ का महीना पवित्र और पावन होता है इस मास में व्रत और तप का बड़ा ही महत्व है। इस माह में कृष्ण पक्ष में आने वाली एकादशी को षट्तिला कहते हैं। षट्तिला एकादशी के दिन मनुष्य को भगवान विष्णु के निमित्त व्रत रखना चाहिए। व्रत करने वालों को गंध, पुष्प, धूप दीप, ताम्बूल सहित विष्णु भगवान की षोड्षोपचार से पूजन करना चाहिए। उड़द और तिल मिश्रित खिचड़ी बनाकर भगवान को भोग लगाना चाहिए। रात्रि के समय तिल से 108 बार ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय स्वाहा इस मंत्र से हवन करना चाहिए।_*
♦️*_फल
इस व्रत में तिल का छ: रूप में दान करना उत्तम फलदायी होता है।*_*[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?] जो व्यक्ति जितने रूपों में तिल का दान करता है उसे उतने हज़ार वर्ष स्वर्ग में स्थान प्राप्त होता है।[क्या ये तथ्य है या केवल एक राय है?] ऋषिवर ने जिन 6 प्रकार के तिल दान की बात कही है वह इस प्रकार हैं 1. तिल मिश्रित जल से स्नान 2. तिल का उबटन 3. तिल का तिलक 4. तिल मिश्रित जल का सेवन 5. तिल का भोजन 6. तिल से हवन। इन चीजों का स्वयं भी प्रयोग करें और किसी श्रेष्ठ ब्राह्मण को बुलाकर उन्हें भी इन चीज़ों का दान दें। _*
♦️ *_इस प्रकार जो षट्तिला एकादशी का व्रत रखते हैं भगवान उनको अज्ञानता पूर्वक किये गये सभी अपराधों से मुक्त कर देते हैं और पुण्य दान देकर स्वर्ग में स्थान प्रदान करते हैं। इस कथन को सत्य मानकर जो भग्वत् भक्त यह व्रत करता हैं उनका निश्चित ही प्रभु उद्धार करते हैं।_*
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
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*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर, (राजस्थ
*संपर्क:८३८७८६९०६८.*
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