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पंचांग - 04-02-2024

_*॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥_*  

🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय
🕉नमो नित्यं केशवाय च  शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमो नमः।।  

jyotish


*🌞~ रविवार नवमी का पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 04 फरवरी 2024*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - माघ*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - नवमी शाम 05:49:10 तक तत्पश्चात दशमी*
*⛅नक्षत्र - विशाखा सुबह 07:53:01 तत्पश्चात अनुराधा*
*⛅योग - गण्ड वृद्धि दोपहर 12:10:59 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - शाम 04:55 से 06:17 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:21:06*
*⛅सूर्यास्त - 06:17:08*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:36 से 06:28 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:15 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - नवमी को लौकी खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*षट्तिला एकादशी : 06 फरवरी 24*
 
*एकादशी 05 फरवरी शाम 05: से 06 फरवरी शाम 04:07 तक*
         *चोघडिया, दिन*
*उद्वेग    07:21 - 08:43    अशुभ*
*चर    08:43 - 10:05    शुभ*
*लाभ    10:05 - 11:27    शुभ*
*अमृत    11:27 - 12:49    शुभ*
*काल    12:49 - 14:11    अशुभ*
*शुभ    14:11 - 15:33    शुभ*
*रोग    15:33 - 16:55    अशुभ*
*उद्वेग    16:55 - 18:17    अशुभ*
      * चोघडिया, रात*
*शुभ    18:17 - 19:55    शुभ*
*अमृत    19:55 - 21:33    शुभ*
*चर    21:33 - 23:11    शुभ*
*रोग    23:11 - 24:49    अशुभ*
*काल    24:49 - 26:27    अशुभ*
*लाभ    26:27 - 28:05 शुभ*
*उद्वेग    28:05 - 29:43    अशुभ*
*शुभ    29:43 - 31:21    शुभ*
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*गृहस्थों के लिए उपयोगी*
१---जिस कुल में स्त्री से पति और पति से स्त्री संतुष्ट रहती है;उस कुल में अवश्य ही सर्वदा मंगल होता है(मनुस्मृति)

२---राजा प्रजा के ;गुरू शिष्य के ;पति पत्नी के तथा पिता पुत्र के पाप-पुण्य का छठा अंश प्राप्त कर लेता है(पद्मपुराण)

३---जिस घर में सब बर्तन इधर-उधर बिखरे पड़े हों;बर्तन फूटे हों;आसन फटे हों;स्त्रियां मारी-पीटी जाती हों;वह घर पाप के कारण दूषित हो जाता है! उस घर की पूजा देव और पितर स्वीकार नहीं करते(महाभारत)

पिता की मृत्यु हो जाने पर बड़े भाई को पिता के समान समझना चाहिए(गरूड़पुराण)

गृहस्थ व्यक्ति को माता-पिता;अतिथि और धनी पुरूष के साथ विवाद नहीं करना चाहिए(गरूड़पुराण)

जिस गृहस्थ के पुत्र हो; वह अपने घर में पुत्रवती कन्या ; और अपनी पतियुक्ता बहन को लाकर न बसाए! हां यदि कन्या या बहन पति या पुत्र विहीन हों तो अवश्य लाकर उनका पालन करना चाहिए(शुक्रनीति)

पर्वदिनों में(अष्टमी;चतुर्दशी;अमावस्या;पूर्णिमा;संक्रान्ति में) स्त्रीसंग करने से धन की हानि होती है!दिन में स्त्रीसंग करने से पाप होता है! पृथ्वी(मिट्टी;रेत आदि)पर स्त्रीसंग करने से रोग होते हैं!जलाशय में स्त्रीसंग करने से अमंगल होता है(विष्णुपुराण)
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विवाह मिलान मे अनेक बातो का विचार गंभीरता से करना चाहिए जिसपर मैने लोगो को विचार करते नहीं देखा मै किसी पर आच्छेप नहीं लगा रहा हूं केवल इस ओर इशारा कर रहा हूं कि यह बहुत जिम्मेदारी का काम है और हमारा स्वभाव रहता है प्रश्न के आधार पर उत्तर इस लिऐ कुछ छूट जाता है क्यो कि वह प्रश्न मे सामने नहीं आया।
विवाह मे दैहिक सम्बन्ध बहुत महत्वपूर्ण रोल निभाता हैआपस मे जुड़ाव के लिऐ यदि मेलापक के समय इस पर विचार न करें तो यह बहुत बड़ी गलती होती है आगे जाकर।
seema


आजकल जो विवाहोत्तर सम्बन्ध पनप रहे है और तलाक बढ़ रहे है उसमें यह भी ऐक मजबूत कारण होता है कारण और भी है पर मुख्य यह बनता है।
विवाह विचार मे दोनो के दैहिक सम्बन्ध की लालसा कितनी है उसपर भी विचार करें यह निभाव की पहली शर्त है इसको ऐक उदाहरण से समझें ऐक की लग्न मे शुक्र और मंगल है और दूसरे के लग्न मे शनि बुध है तो ऐक मे दैहिक सम्बन्धों की लालसा अधिक रहेगी और ऐक मे कम रहेगी यह दोनो मे तनाव पैदा करेगा और अन्य सम्बंध बनाने की सम्भावना पैदा करेगा आप खुद निर्णय करें यदि एसा है तो निभाव होगा और क्या विवाह विचार के समय आपने इस पर ध्यान देने की आवश्यकता महसूस करी है।
यह श्रापित विद्या नहीं है पर जब हम इससे जुड़ जाते है और अपना काम पूरी जिम्मेदारी से नहीं करते है तब दोषी बनते है और यह विद्या श्रापित विद्या बन जाती है।
मैने अपने जीवन मे तीन शादियां अमावस्या के दिन होते देखी है जिनमें दो शादियां बीस बिस्वा ब्राह्मणो के यहां थी
क्या कोई सही सोच का ब्राह्मण अमावस्या के दिन विवाह करवाएगा। गलती आप करते है और दोष इस ब्रह्म विद्या को देते है।यह केवल जनकल्याण के लिऐ ऋषियों ने बनाई है और श्रापित कतई नहीं है।
मैने अपना मत लिखा आप मुझसे सहमत हो आवश्यक नहीं है सबका धन्यवाद।
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*ज्योतिष परामर्श हेतु संपर्क करें।*
*कालसर्पएवंपित्रदोषनिवारणकुंडली परामर्श पैड सर्विस।*
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