🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै, सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमो नमः।।
♦️ *_आज अष्टमी शनिवार 03 फरवरी 2024 का पंचाग_*
♦️ *_03 फरवरी 2024 दिन शनिवार को माघ मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि है। आज अन्वष्टका श्राद्ध व्रत है, आज श्राद्ध किया जाता है। आज शनिवार की नवमी लगने से रिक्ता का समायोग हो जाता है। अत: शनि और रिक्ता के समायोग से सिद्धयोग निर्मित हो रहा है। आज यायि (मुद्दई) जयद् योग भी है, जो अत्यंत शुभ है। आप सभी सनातनियों को “अन्वष्टका श्राद्ध व्रत” की हार्दिक मंगलकामनाएँ।।_*
♦️ *_शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन_*
♦️ *_संवत्सर नाम अनला_*
♦️ *_शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)_*
♦️ *_काली सम्वत् 5124_*
♦️ *_संवत्सर (उत्तर) पिंगल_*
♦️ *_आयन - उत्तरायण_*
♦️ *_ऋतु - सौर शिशर ऋतु_*
♦️ *_मास - माघ मास_*
♦️ *_पक्ष - कृष्ण पक्ष_*
♦️ *_तिथि - शनिवार माघ माह के कृष्ण पक्ष अष्टमी तिथि 05:20:24 PM तक उपरांत नवमी_*
♦️ *_तिथि स्वामी - अष्टमी तिथि के देवता हैं रुद्र। इस तिथि को भगवान सदाशिव या रुद्रदेव की पूजा करने से प्रचुर ज्ञान तथा अत्यधिक कांति की प्राप्ति होती है।_*
♦️ *_नक्षत्र : विशाखा - पूर्ण रात्रि तक_*
♦️ *_नक्षत्र स्वामी - विशाखा नक्षत्र का स्वामी गुरू है। विशाखा नक्षत्र के देवता इंद्र और अग्नि हैं।_*
♦️ *_योग - गण्ड योग 12:50:23 PM तक, उसके बाद वृद्धि योग_*
♦️ *_प्रथम करण : कौलव - 05:20:24 पी एम तक_*
♦️ *_द्वितीय करण : तैतिल - 05:20:24 ए एम, फरवरी 04 तक गर_*
♦️ *_गुलिक काल : – शनिवार को शुभ गुलिक प्रातः7:22 से 8:43 बजे तक ।_*
♦️ *_दिशाशूल - शनिवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है ।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से अदरक खाकर, घी खाकर जाएँ ।_*
♦️ *_राहुकाल -सुबह – 10:05 से 11:27 तक।राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |_*
♦️ *_सूर्योदय – प्रातः 07:21:39_*
♦️ *_सूर्यास्त – सायं 06:16:22_*
♦️ *_ब्रह्म मुहूर्त : 05:36 ए एम से 06:28 ए एम_*
♦️ *_प्रातः सन्ध्या : 06:02 ए एम से 07:20 ए एम_*
♦️ *_अभिजित मुहूर्त : 12:27 पी एम से 01:11 पी एम_*
♦️ *_विजय मुहूर्त : 02:39 पी एम से 03:22 पी एम_*
♦️ *_गोधूलि मुहूर्त : 06:15 पी एम से 06:41 पी एम_*
♦️ *_सायाह्न सन्ध्या : 06:18 पी एम से 07:36 पी एम_*
♦️ *_अमृत काल : 10:02 पी एम से 11:43 पी एम_*
♦️ *_निशिता मुहूर्त : 12:23 ए एम, फरवरी 04 से 01:15 ए एम, फरवरी 04_*
♦️ *_ चोघडिया, दिन*
*काल 07:22 - 08:43 अशुभ*
*शुभ 08:43 - 10:05 शुभ*
*रोग 10:05 - 11:27 अशुभ*
*उद्वेग 11:27 - 12:49 अशुभ*
*चर 12:49 - 14:11 शुभ*
*लाभ 14:11 - 15:33 शुभ*
*अमृत 15:33 - 16:55 शुभ*
*काल 16:55 - 18:16 अशुभ*
♦️ *_ चोघडिया, रात*
*लाभ 18:16 - 19:54 शुभ*
*उद्वेग 19:54 - 21:33 अशुभ*
*शुभ 21:33 - 23:11 शुभ*
*अमृत 23:11 - 24:49 शुभ*
*चर 24:49* - *26:27 शुभ*
*रोग 26:27* - *28:05अशुभ*
*काल 28:05* *29:43 अशुभ*
*लाभ 29:43* - *31:21शुभ*
♦️ *_दिन (वार) -शनिवार के दिन क्षौरकर्म अर्थात बाल, दाढ़ी काटने या कटाने से आयु का नाश होता है । अत: शनिवार को बाल और दाढ़ी दोनों को ही नहीं कटवाना चाहिए।_*
♦️ *_शनिवार के दिन प्रात: पीपल के पेड़ में दूध मिश्रित मीठे जल का अर्ध्य देने और सांय पीपल के नीचे तेल का दीपक जलाने से कुंडली की समस्त ग्रह बाधाओं का निवारण होता है ।_*
♦️ *_शनिवार के दिन पीपल के नीचे हनुमान चालीसा पड़ने और गायत्री मन्त्र की एक माला का जाप करने से किसी भी तरह का भय नहीं रहता है, समस्त बिग़डे कार्य भी बनने लगते है ।_*
♦️ *_शिवपुराण के अनुसार शनि देव पिप्लाद ऋषि का स्मरण करने वाले, उनके भक्तो को कभी भी पीड़ा नहीं देते है इसलिए जिन के ऊपर शनि की दशा चल रही हो उन्हें अवश्य ही ना केवल शनिवार को वरन नित्य पिप्लाद ऋषि का स्मरण करना चाहिए।_*
♦️ *_शनिवार के दिन पिप्पलाद श्लोक का या पिप्पलाद ऋषि जी के केवल इन तीन नामों (पिप्पलाद, गाधि, कौशिक) को जपने से शनि देव की कृपा मिलती है, शनि की पीड़ा निश्चय ही शान्त हो जाती है ।_*
♦️ *_यात्रा शकुन-शर्करा मिश्रित दही खाकर घर से निकलें।_*
♦️ *_शनि देव जी का तांत्रिक मंत्र - ऊँ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।_*
♦️ *_आज का मंत्र-ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनयै नम:।_*
♦️ *_आज का उपाय-शनि मंदिर में सरसों का तेल दान करें।_*
♦️ *_वनस्पति तंत्र उपाय-शमी के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
♦️ *_पर्व एवं त्यौहार - देवदर्शन मुहूर्त, अन्वष्टका श्राद्ध व्रत” विश्वकर्मा जयंती, ऋतु विभाजक दिवस, राष्ट्रीय गोल्डन रिट्रीवर दिवस, राष्ट्रीय गुमशुदा व्यक्ति दिवस, ऋतु विभाजक दिवस, भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन जन्म दिवस, वन अग्नि सुरक्षा दिवस (सप्ताह)।_*
*_विशेष:- अष्टमी तिथि को नारियल त्याज्य बताया गया है। अष्टमी तिथि बलवती अर्थात स्ट्रांग तिथि मानी जाती है। इसका मतलब कोई भी विकट कार्य आज आप कर-करवा सकते हैं। इतना ही नहीं अपितु अष्टमी तिथि व्याधि नाशक तिथि भी मानी जाती है। इसका मतलब आज आप कोई भी भयंकर रोगों के इलाज का प्रयत्न भगवान के नाम के साथ करेंगे-करवाएंगे तो निश्चित लाभ होगा। यह अष्टमी तिथि जया नाम से विख्यात मानी जाती है। यह अष्टमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है।_*
♦️ *_अष्टमी तिथि के देवता भगवान शिव भोलेनाथ जी माने जाते हैं। इसलिये इस अष्टमी तिथि को भगवान शिव का दर्शन एवं पूजन अवश्य करना चाहिए। आज अष्टमी तिथि में कच्चा दूध, शहद, काला तिल, बिल्वपत्र एवं पञ्चामृत शिवलिंग पर चढ़ाने से भगवान शिव की कृपा सदैव बनी रहती है। घर में कोई रोगी नहीं होता एवं सभी मनोकामनाओं की सिद्धि तत्काल होती है।_*
♦️ *_मंगलवार को छोड़कर बाकि अन्य किसी भी दिन की अष्टमी तिथि शुभ मानी गयी है। परन्तु मंगलवार की अष्टमी शुभ नहीं होती। इसलिये इस अष्टमी तिथि में भगवान शिव के पूजन से हर प्रकार की सिद्धियाँ प्राप्त होती है। इस अष्टमी तिथि को अधिकांशतः विष्णु और वैष्णवों का प्राकट्य हुआ है। इसलिये आज अष्टमी तिथि में भगवान शिव और भगवान नारायण दोनों का पूजन एक साथ करके आप अपनी सम्पूर्ण मनोकामनायें पूर्ण कर सकते हैं।_*
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल* *8387869068*
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