अभिभावक सम्मेलन में किया गया मातृ पूजन व पितृ पूजन
नागौर // शारदा बाल निकेतन में अभिभावक सम्मेलन के साथ-साथ भगिनी निवेदिता व स्वामी विवेकानंद छात्रावास के भैया बहनों द्वारा मातृ पितृ पूजन वंदन कार्यक्रम संपन्न हुआ। सर्वप्रथम नागौर अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के अध्यक्ष नरेंद्र कच्छावा की अध्यक्षता में आयोजित अभिभावक सम्मेलन में जिला रसद अधिकारी अंकित पचार मुख्य अतिथि रहे जिसमें असिस्टेंट प्रोफेसर एमडीएम हॉस्पिटल, जोधपुर के डॉ सुरेंद्र भाकल विशिष्ट अतिथि के रूप में मौजूद थे। कार्यक्रम में शाला प्रबंध समिति के राम प्रसाद कासनिया द्वारा प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया जबकि विद्यालय समिति के अध्यक्ष केवल चंद बछावत द्वारा धन्यवाद ज्ञापित किया गया। संचालन मोना व्यास ने किया।
इस अवसर पर अपने संबोधन में विशिष्ट अतिथि व शाला के पूर्व विद्यार्थी डॉ सुरेंद्र भाकल ने अपने संबोधन में कहा कि अपनी जन्मस्थली से कर्मस्थली के बीच में जोड़ने वाला सदैव विद्यालय होता है जिसमें प्राप्त की गई शिक्षा के साथ-साथ शाला के संस्कार हमें जीवन के संघर्षों में नया रास्ता दिखाते हैं। उन्होंने शारदा बाल निकेतन में अपने अध्ययन के दौरान तथा दिल्ली एम्स में कार्यरत रहते हुए जम्मू कश्मीर में बाढ़ की विपदा में कार्य करने के प्रेरणादायी प्रसंग का विवेचन करते हुए कहा कि शाला में सीखे गए संस्कार हमें समाज के साथ-साथ देश से भी जोड़ते हैं
मुख्य वक्ता के रूप में विद्या भारती जोधपुर प्रांत मंत्री महेंद्र दवे ने अपना संबोधन प्रदान किया। उन्होंने कहा कि भारत अपनी स्वावलंबिता व आत्म गौरव से खड़ा हो इसकी आवश्यकता है। भारत की पहचान यहां की संस्कृति व संस्कारों से है। जिन्हें लेकर विद्या भारती का राष्ट्रव्यापी कार्य खड़ा है। वनवासी, सीमावर्ती स्थान में विद्या भारती के एकल विद्यालय व संस्कार केंद्र संचालित है। संपूर्ण देश में 25000 शैक्षिक इकाइयों के माध्यम से विद्या भारती विश्व का सबसे बड़ा गैर सरकारी शिक्षक संगठन है। विद्या भारती के विद्यालय सामाजिक विद्यालय हैं जहां सर्वांगीण विकास से विकसित विद्यार्थी देश व समाज के लिए सक्रिय हैं व स्वतंत्रता से कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि भारत में प्राचीन काल से ही यह धारणा रही है कि शिक्षा सरकार पर आधारित नहीं हो बल्कि समाज की आवश्यकता के अनुसार शिक्षा हो। विद्या भारती का संपूर्ण शैक्षिक कार्य पांच आधारभूत विषय पर केंद्रित है जहां शारीरिक शिक्षा, योग, संस्कृत शिक्षा, संगीत शिक्षा व आध्यात्मिक शिक्षा आदि के माध्यम से सर्वांगीण विकास का प्रयास किया जाता है। स्वतंत्रता के पश्चात हमने पाश्चात्य शिक्षा पर आधारित होकर अपने गौरवशाली अतीत व अपनी समृद्ध परंपरा पर गर्व करना छोड़ दिया। आज की शिक्षा पद्धति के माध्यम से बच्चों को केवल पैसा कमाने की मशीन बनाना युक्ति संगत नहीं है न ही अपनी इच्छा बच्चों पर थोपनी चाहिए। उन्होंने कहा कि विद्या भारती के विद्यालयों में मकर संक्रांति से लेकर सुभाष चंद्र बोस जयंती तक समाज के सहयोग से सेवानिधि एकत्र की जाती है। इस वर्ष शारदा बाल निकेतन के विद्यार्थियों द्वारा 206000 की राशि एकत्र की गई। पूरे प्रांत से एकत्र राशि के माध्यम से वनवासी क्षेत्र में 121 विद्यालय के साथ-साथ सीमावर्ती क्षेत्र में विद्यालय व छात्रावास, चांपा मध्य प्रदेश में कुष्ठ रोगियों के लिए सहायता कार्य तथा मणिपुर दंगों में अनाथ हुए 600 बच्चों के सहयोग का कार्य किया गया है। इसी प्रकार विद्या भारती विद्यालय विद्यार्थियों में सामाजिक संवेदना के साथ-साथ राष्ट्रीय भाव जागरण का कार्य कर रहा है।
बाद में स्वामी विवेकानंद छात्रावास की भैया बहिनों द्वारा मातृ पितृ पूजन वंदन संपन्न हुआ। कार्यक्रम में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किये गये। इस अवसर पर शिंभुराम चोटिया, बाल किशन भाटी, कमल राम गुर्जर, हेमंत जोशी, रुद्र कुमार शर्मा, गेनाराम गुरू, संजय सोनी, घासीराम, कमला चारण, अरविन्द बोङा व सरिता जोशी सहित अनेक गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। कार्यक्रम में सर्वाधिक सेवा निधि एकत्र करने वाले विद्यार्थियों के साथ-साथ खेल, सांस्कृतिक व अनुशासन रखते हुए शैक्षणिक रूप से विद्यालय में अपनी पहचान रखने वाले अनेक विद्यार्थियों को सम्मानित किया गया।