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पंचांग - 25-01-2024

 *🚩राम✴️राम✴️राम✴️राम✴️*
*🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️राम🕉️*
 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च  शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्य सच्चियाय, नमो नमः।।*🕉🌸

jyotish




*🕉यह  दैनिक पंचांग नागौर राजस्थान (भारत) के सूर्योदय समय के अनुसार🕉*
 *☀️ *_आज पूर्णिमा का पंचाग 25 जनवरी 2024 गुरुवार_* ☀️
🌞  *_शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन_*
🌞  *_संवत्सर नाम अनला_*
🌞  *_शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)_*
 🌞 *_काली सम्वत् 5124_*
🌞  *_संवत्सर (उत्तर)    पिंगल_*
🌞  *_अयन -     उत्तरायण_*
☀️ *_ऋतु - सौर शिशिर ऋतु_*
⛈️ *_मास - पौष मास_*
🌕 *_पक्ष - शुक्ल पक्ष_*
📆 *_तिथि - गुरुवार पौष माह के शुक्ल पक्ष पूर्णिमा तिथि 11:22:58 PM तक उपरांत प्रतिपदा_*
📝 *_तिथि स्वामी - पूर्णिमा तिथि के देवता हैं चंद्रमा। इस तिथि में चंद्रदेव की पूजा करने से मनुष्‍य का सभी जगह आधिपत्य हो जाता है।_*
💫 *_नक्षत्र - नक्षत्र पुनर्वसु 08:15:27 AM तक उपरांत पुष्य_*
🪐 *_नक्षत्र स्वामी - पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु बृहस्पति होता है.और राशि स्वामी बुध हैं. नक्षत्र की देवी अदिति हैं._*
🔊 *_योग - विष्कुम्भ योग 07:30:46 AM तक, उसके बाद प्रीति योग_*
⚡ *_प्रथम करण : विष्टि - 10:33.21 ए एम तक_*
✨ *_द्वितीय करण : बव - 11:22:58 pm तक बालव_*
🔥 *_गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 10:06: से 11:27:00 तक_*
⚜️ *_दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।_*
🌞  *_राहुकाल – दिन – 02:08 से 3:28 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |_*
🌞 *_सूर्योदयः- प्रातः 07:25:31_*
 ☀️ *_सूर्यास्तः-* *सायं*
*06:09:16_*
☀️ *_माह (अमावस्यांत)    पौष_*
☀️ *_माह (पूर्णिमांत)    पौष_*
☀️ *_चन्द्र राशि       कर्क_*
☀️ *_सूर्य राशि       मकर_*
☀️ *_रितु    शिशिर_*
☀️ *_आयन    उत्तरायण_*
☀️ *_संवत्सर    शोभकृत_*
☀️ *_संवत्सर (उत्तर)    पिंगल_*
☀️ *_सौर प्रविष्टे    11, माघ    (# note below)_*
☀️ *_नागौर, राजस्थान (भारत)_*
☀️ *_दिन काल    10:43:44_*
☀️ *_रात्री काल    13:15:55_*
☀️ *_चंद्रोदय    17:47:30_*
☀️ *_    चंद्रास्त    31:57:49_*
☀️ *_यम घंटा     07:26 - 08:46    अशुभ_*
☀️ *_गुली काल    10:06 - 11:27_*
☀️ *_अभिजित    12:26 - 13:09    शुभ_*
       ☀️ *_ सूर्योदय_*
☀️ *_लग्न      मकर 10°23' , 280°23'_*
☀️ *_सूर्य नक्षत्र    श्रवण_*    
☀️ *_चन्द्र नक्षत्र    पुनर्वसु_*
       ☀️ *_ पद, चरण_*
  ☀️_*4 ही    पुनर्वसु    08:15:27_*
 ☀️_*1 हु    पुष्य    14:46:22_*
 ☀️_*2 हे    पुष्य    21:18:40_*
 ☀️_*3 हो    पुष्य    27:52:19_*

🌞  *_ब्रह्म मुहूर्त : 05:38 Amसे 06:31 Am_*
🌞 *_प्रातः सन्ध्या : 06:05AMसे 07:24 AM_*
🌟 *_अभिजित मुहूर्त : 12:26 PM से 01:09PM_*
🌞  *_विजय मुहूर्त : 02:35PM से 03:18 PM_*
🌞  *_गोधूलि मुहूर्त : 06:08PM  से 06:35PM_*
🌞  *_सायाह्न सन्ध्या : 06:11 PM से 07:30 PM_*
 🌞 *_अमृत काल : 03:29 AM , जनवरी 26 से 05:14 AM, जनवरी 26तक_*
🌞 *_निशिता मुहूर्त : 12:21AM, जनवरी 26 से 01:14AM, जनवरी 26_*
🌞  *_गुरु पुष्य योग : 08:16Am से 07:24Am, जनवरी 26_*
🌞  *_सर्वार्थ सिद्धि योग : पूरे दिन_*
🌞  *_अमृत सिद्धि योग : 08:16 Amसे 07:24Am, जनवरी 26_*
🌞   *_रवि योग : 07:24 Am से 08:16Am_*
🌞  *_यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।_*
🌞  *_आज का मंत्र-ॐ ग्रां ग्रीं ग्रौं स: गुरुवै नम:।_*
🌞  *_आज का उपाय-किसी विप्र को पीले वस्त्र भेंट करें।_*
🌞 *_वनस्पति तंत्र उपाय-पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
🌞  *_विशेष – पूर्णिमा को घी एवं प्रतिपदा को कुष्मांड खाना एवं दान करना दोनों वर्जित बताया गया है। पूर्णिमा तिथि एक सौम्य और पुष्टिदा तिथि मानी जाती है। इसके देवता चन्द्रमा हैं तथा यह पूर्णा नाम से विख्यात है। यह शुक्ल पक्ष में ही होती है और पूर्ण शुभ फलदायी मानी गयी है।_*

    ☀️_*चोघडिया, दिन_*
*शुभ    07:26 - 08:46    शुभ*
*रोग    08:46 - 10:06    अशुभ*
*उद्वेग    10:06 - 11:27    अशुभ*
*चर    11:27 - 12:47    शुभ*
*लाभ    12:47 - 14:08    शुभ*
*अमृत    14:08 - 15:28    शुभ*
*काल    15:28 - 16:49    अशुभ*
*शुभ    16:49 - 18:09    शुभ*
     ☀️_*चोघडिया, रात_*
*अमृत    18:09 - 19:49    शुभ*
*चर    19:49 - 21:28    शुभ*
*रोग    21:28 - 23:08    अशुभ*
*काल    23:08 - 24:47    अशुभ*
*लाभ    24:47 - 26:27    शुभ*
*उद्वेग    26:27 - 28:06    अशुभ*
*शुभ    28:06 - 29:46    शुभ*
*अमृत    29:46 - 31:25    शुभ*
*_25 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को पौष मास के शुक्ल पक्ष कि पुर्णिमा तिथि है। आज स्नान-दान एवं व्रत आदि की पुण्यतमा पुर्णिमा है। इसे पौषी पुर्णिमा भी कहा जाता है।  आज अभिजीत नक्षत्र की निवृत्ति हो जाती है एवं प्रयागराज में आज से ही माघी मेला अर्थात कल्पवास जिसमें यम-नियम एवं संयम सहित पूरे मास प्रयाग संगम तट पर रहना होता है। आज सर्वार्थसिद्धियोग एवं गुरु-पुष्य योग के साथ ही सर्वार्थSमृतसिद्धियोग एवं रवियोग भी है। । _*
☄️  *_दिन (वार) – गुरुवार के दिन तेल का मर्दन करने से धनहानि होती है । (मुहूर्तगणपति)_*
*_गुरुवार के दिन धोबी को वस्त्र धुलने या प्रेस करने नहीं देना चाहिए।_*
*_गुरुवार को ना तो सर धोना चाहिए, ना शरीर में साबुन लगा कर नहाना चाहिए और ना ही कपडे धोने चाहिए ऐसा करने से घर से लक्ष्मी रुष्ट होकर चली जाती है ।_*
*_गुरुवार को पीतल के बर्तन में चने की दाल, हल्दी, गुड़ डालकर केले के पेड़ पर चढ़ाकर दीपक अथवा धूप जलाएं ।_*
*_इससे बृहस्पति देव प्रसन्न होते है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है ।_*
*पौष पूर्णिमा के दिन व्रत, गंगा स्नान एवं दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है।*
*पौष माह में शुक्ल पक्ष की अंतिम तिथि पौष पूर्णिमा के नाम से जानी जाती है। इस साल यह तिथि 25 जनवरी 2024 दिन गुरुवार को है। धार्मिक मान्यता के अनुसार पौष पूर्णिमा के दिन व्रत, गंगा स्नान एवं दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। मान्यता है कि इस दिन किसी पवित्र नदी में स्नान के बाद दान करने से पुण्य की प्राप्ति होती है और मोक्ष मिलता है। पौष पूर्णिमा के दिन पवित्र नदियों में स्नान-दान और व्रत के अलावा रात्रि के समय में चंद्र देव और माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। ऐसा करने से मां लक्ष्मी की विशेष कृपा प्राप्त होती है।*

*पुनर्वसु नक्षत्र में जन्म लेने वाले लोग मेधावी और सदाचारी होते हैं.*
*ये आस्तिक होते हैं, यानी भगवान पर इनकी जबरदस्त आस्था होती है. ये परंपराओं के मानने वाले होते हैं.*
*पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे पुरुष कभी भी साझेदारी का काम नहीं कर सकते. यही कारण है कि किसी भी व्यवसाय में इस नक्षत्र के पुरुषों को सफलता प्राप्त नहीं होती.*
*इन्हें अपना करियर अध्यापन, स्टेज परफॉर्मर के करियर क्षेत्रों में आजमाना चाहिए.*
 *पुनर्वसु नक्षत्र के पहले तीन चरण मिथुन राशि में स्थित होते हैं. चौथा चरण कर्क राशि में होता है. इस नक्षत्र पर मिथुन राशि और इसके स्वामी ग्रह बुध और कर्क राशि और इसके स्वामी चंद्रमा का भी प्रभाव पड़ता है.*
*पुनर्वसु नक्षत्र के चौथे चरण का स्वामी चंद्रमा होता है. यह शक्ति और उपकार का प्रतीक है. इस चरण में ग्रह वर्गोत्तम और पुष्कर हैं*.
*इस नक्षत्र में जन्म लेने वाले*
*अपनी योग्यता के बल पर सरकारी क्षेत्र में उच्च पद प्राप्त करते है।* *पुनर्वसु नक्षत्र के प्रथम तीन चरण मिथुन राशि में स्थित होते हैं तथा चौथा चरण कर्क राशि में होता जिसके कारण* *इस नक्षत्र पर मिथुन राशि तथा इसके स्वामी ग्रह बुध और कर्क राशि तथा इसके स्वामी चन्द्रमा का भी प्रभाव पड़ता है।*
*पुनर्वसु नक्षत्र के स्वामी ग्रह बृहस्पति और राशि स्वामी बुध हैं. नक्षत्र की देवी अदिति हैं. इस नक्षत्र पर गुरु का प्रभाव होने के कारण इसे शुभ माना जाता है.*
*पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे पुरुष कभी भी साझेदारी का काम नहीं कर सकते। यही कारण है कि किसी भी व्यवसाय में इस नक्षत्र के पुरुषों को सफलता प्राप्त नहीं होती है।* *इन्हें अपना करियर अध्यापन, स्टेज परफॉर्मर के करियर क्षेत्रों में आजमाना चाहिए। इन क्षेत्रों में इनकी सफल होने की संभावना काफी ज्यादा होती है।*
*पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था भगवान राम का जन्म,*
*भगवान राम का जन्म भी पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था. 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु 7वें नंबर का नक्षत्र है. इस नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति है.*
 *ज्योतिष शास्त्र में व्यक्ति के जीवन में राशि और नक्षत्रों का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. जैसे व्यक्ति को 12 राशियों में बांटा गया है, वैसे ही व्यक्ति के जीवन में नक्षत्रों का भी अपना ही विशेष महत्व होता है.*
*ज्योतिष शास्त्र के अनुसार 12 राशियों के साथ 27 नक्षत्र भी व्यक्ति के जीवन की प्रक्रिया को तय करते हैं. 27 नक्षत्र व्यक्ति के जीवन को सरल या कठिन बनाते हैं, या फिर यूं कहें कि व्यक्ति के जीवन में घटने वाली बातें नक्षत्रों पर आधारित होती हैं.*
*पुनर्वसु नक्षत्र का स्वामी गुरु बृहस्पति होता है. ज्योतिष शास्त्र में पुनर्वसु नक्षत्र को बहुत ही शुभ माना गया है. इस नक्षत्र में जिसका जन्म होता है, वे लोग दूसरों की सेवा करने, भलाई करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं.*

*पुनर्वसु नक्षत्र के व्यक्तियों को दूसरों की सेवा करना बहुत अच्छा लगता है. इन नक्षत्र के व्यक्तियों को बचपन में बहुत सी कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है, जिससे छोटी उम्र में कई परेशानियों से गुजरने के कारण बड़े होने तक वह परिपक्व हो जाते हैं.*
*पुनर्वसु नक्षत्र के व्यक्ति अध्यात्म और ईश्वर को मानने वाले होते हैं. ये अपने साथ वाले सभी व्यक्तियों के प्रति काफी लगाव और प्रेम रखते हैं. मेहनत करके ही जीवन में धीरे-धीरे आगे बढ़ते हैं. ये मिलनसार स्वभाव के व्यक्ति होते हैं, इसीलिए सभी के साथ प्रेमभाव से रहना इन्हे काफी अच्छा लगता है. ये अपने जीवन में न्याय और सत्य को सबसे पहले स्थान देते हैं.*
*पुनर्वसु नक्षत्र में जन्मे व्यक्तियों पर ईश्वर की असीम कृपा होती है.*

*नक्षत्रों के महत्व को  ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुल 27 नक्षत्र होते हैं. जैसे एक परिवार में सभी व्यक्तियों का अपना अपना अलग महत्व होता है, वैसे ही नक्षत्रों का भी अपना अलग-अलग महत्व होता है.*
*ज्योतिष  में ये कथन हैं कि सबसे बड़ा और उत्तम पुनर्वसु नक्षत्र होता है. ज्यादातर सभी शुभ कार्य पुनर्वसु नक्षत्र में ही किए जाते हैं.*

 *भगवान राम का जन्म भी पुनर्वसु नक्षत्र में हुआ था. 27 नक्षत्रों में पुनर्वसु 7वें नंबर का नक्षत्र है. इस नक्षत्र के स्वामी गुरु बृहस्पति है. साथ ही व्यक्ति के पैदा होने पर ग्रहों की चाल और समय देखकर ही मालूम होता है कि व्यक्ति किस नक्षत्र में पैदा हुआ है. जिस नक्षत्र में व्यक्ति पैदा होता है, वही नक्षत्र जीवन भर उस व्यक्ति के साथ रहता है.*

*27 नक्षत्र में सबसे उत्तम भगवान राम का पुनर्वसु नक्षत्र है. जिस नक्षत्र में भगवान राम ने जन्म लिया था, वह सबसे उत्तम नक्षत्र है. इस नक्षत्र में व्यक्ति के सामने कई कठिनाइयां आती हैं लेकिन व्यक्ति सभी से लड़कर आगे निकल जाता है और महायोद्धा कहलाता है.*
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल* *8387869068*

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