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पंचांग - 21-01-2024

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमोनमः।।*🕉🌸*

jyotish



*🕉नागौर राजस्थान (भारत) के सूर्योदय समय के अनुसार🕉*
 🔔  *_आज का पंचांग_* 🔔
🌸 *_रविवार 21जनवरी 2024_*
🌸 *_शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन_*
🌐 *_संवत्सर नाम अनला_*
🔯 *_शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)_*
☸️ *_काली सम्वत् 5124_*
🕉️ *_संवत्सर (उत्तर)    पिंगल_*
☣️ *_आयन -    उत्तरायण_*
☀️ *_ऋतु - सौर शिशर ऋतु_*
⛈️ *_मास - पौष मास_*
🌖 *_पक्ष - शुक्ल पक्ष_*
📆 *_तिथी - रविवार पौष माह के शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि 07:2:26:27 PM तक उपरांत द्वादशी_*
✏️ *_तिथि स्वामी -
💫 *_नक्षत्र - नक्षत्र रोहिणी 03:51:12 AM तक उपरांत म्रृगशीर्षा_*
🪐 *_नक्षत्र स्वामी - नक्षत्र का स्वामी शुक्र है।नक्षत्र का स्वामी चंद्रमा होता है। रोहिणी नक्षत्र के देवता ब्रह्मा हैं।_*
🌸 *_योग - शुक्ल योग 09:45:14 AM तक, उसके बाद ब्रह्म योग_*
⚡ *_प्रथम करण : वणिज - 07:23 ए एम तक_*
✨ *_द्वितीय करण : विष्टि - 07:26:27pm तक बव_*
🔥 *_गुलिक काल : रविवार को शुभ गुलिक काल 03:26pm से 04:46pm_*
🌸 *_राहुकाल (अशुभ) – सायं 04:46 बजे से 06:06 बजे तक। राहु काल में शुभ कार्य करना वर्जित माना गया है।_*
🌞 *_सूर्योदयः- प्रातः 07:26:40_*
🌸  *_सूर्यास्तः- सायं 06:06:04_*
🌸 *- चोघडिया, दिन*🌸
▪️ *_उद्वेग    07:27 - 08:47    अशुभ*
 ▪️ *_चर    08:47 - 10:07    शुभ*
▪️ *_लाभ    10:07 - 11:26    शुभ*
▪️ *_अमृत    11:26 - 12:46    शुभ*
▪️ *_काल    12:46 - 14:06    अशुभ*
▪️ *_शुभ    14:06 - 15:26    शुभ*
▪️ *_रोग    15:26 - 16:46    अशुभ*
▪️ *_उद्वेग    16:46 - 18:06    🌸*चोघडिया, रात*🌸
▪️ *_शुभ    18:06 - 19:46    शुभ*
▪️ *_अमृत    19:46 - 21:26    शुभ*
▪️ *_चर    21:26 - 23:06    शुभ*
▪️ *_रोग    23:06 - 24:46    अशुभ*
▪️ *_काल    24:46 - 26:26    अशुभ*
▪️ *_लाभ    26:26 - 28:06    शुभ*
▪️ *_उद्वेग    28:06 - 29:46    अशुभ*
▪️ *_शुभ    29:46 - 31:26    शुभ*
               
🌸 *_ब्रह्म मुहूर्त : 05:39 ए एम से 06:00 ए एम_*
🌇 *_प्रातः सन्ध्या : 06:05 ए एम से 04:25 ए एम_*
🌟 *_अभिजित मुहूर्त : 12:25pm से 01:08 पी एम_*
🔯 *_विजय मुहूर्त : 02:33 pm से 03:16 पी एम_*
🐃 *_गोधूलि मुहूर्त : 06:05पी एम से 06:25 पी एम_*
🌃 *_सायाह्न सन्ध्या : 06:07 पी एम से 07:27 पी एम_*
💧 *_अमृत काल : 12:34 ए एम, जनवरी 22 से 02:13 ए एम, जनवरी 22_*
🗣️ *_निशिता मुहूर्त : 12:20 ए एम, जनवरी 22 से 01:13 ए एम, जनवरी 22_*
🌸 *_द्विपुष्कर योग : 03:52 ए एम, जनवरी 22 से 07:25 ए एम, जनवरी 22_*
🚓 *_यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।_*
👉🏽 *_आज का मंत्र-ॐ ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते, अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:।।_*
🤷🏻‍♀️ *_आज का उपाय-किसी विप्र को स्वर्ण दान करें।_*
🪵 *_वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
⚛️ *_पर्व एवं त्यौहार - अयोध्या में राम मंदिर में राम लला के प्राण प्रतिष्ठा उत्सव/ द्विपुष्कर योग/ भद्रा/पुत्रदा एकादशी व्रत (सर्वे)/ वैकुंठ एकादशी (द.भा)/  क्रांतिकारी हेमू कलानी शहीद दिवस, क्रांतिकारी रासबिहारी बोस शहीददिवस,वैज्ञानिकअनुसंधानकर्ता ज्ञान चंद्र घोष पुण्य तिथि, अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत जन्म दिवस, मेघालय स्थापना दिवस, मणिपुर स्थापना दिवस, त्रिपुरा स्थापना दिवस_*
⚜️ *_दिशाशूल – रविवार को पश्चिम दिशा की यात्रा नहीं करनी चाहिये, यदि अत्यावश्यक हो तो पान एवं घी खाकर यात्रा कर सकते है।_*
▪️ *_एकादशी तिथि के देवता विश्वदेव होते हैं। नन्दा नाम से विख्यात यह तिथि शुक्ल पक्ष में शुभ तथा कृष्ण पक्ष में अशुभ फलदायिनी मानी जाती है। एकादशी तिथि एक आनंद प्रदायिनी और शुभ फलदायी तिथि मानी जाती है। इसलिये आज दक्षिणावर्ती शंख के जल से भगवान नारायण का पुरुषसूक्त से अभिषेक करने से माँ लक्ष्मी प्रशन्न होती है एवं नारायण कि भी पूर्ण कृपा प्राप्त होती है। आप सभी सनातनियों को पुत्रदा अथवा वैकुण्ठ एकादशी व्रत हार्दिक मंगलकामनाएँ। _*

*_पौष मास के शुक्ल पक्ष कि पुत्रदा नाम का एकादशी व्रत है। आज की इस एकादशी व्रत को दक्षिण भारत में वैकुण्ठ एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन दक्षिण भारतीय मंदिरों में भगवान वैकुंठनाथ का भव्य श्रृंगार एवं दर्शन होता है। आज सभी सनातनियों को भगवान राम-कृष्ण या फिर भगवान विष्णु के मंदिरों में अवश्य जाकर भगवान का दर्शन करना चाहिये।  शास्त्रानुसार एकादशी सर्वश्रेष्ठ एवं सर्वाधिक पुण्यदायी व्रत होता है। इसे हर एक व्यक्ति को अवश्य करना चाहिये। _*

▪️ *_पौष शुक्ल एकादशी यानी पुत्रदा एकादशी व्रत 21 जनवरी को  पंचांग के अनुसार रखा जाएगा।_*
▪️ *_पुत्रदा एकादशी पुत्र और ऐश्वर्य और मोक्ष देने वाली मानी गई है।_*
▪️ *_संतान सुख देती है पुत्रदा एकादशी।_*
*_जनवरी के महीने में पड़ने वाली दूसरी एकादशी को पौष पुत्रदा एकादशी कहते हैं। पौष पुत्रदा एकादशी पौष मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाई जाती है। रविवार को पूरे विधि-विधान से विष्णु भगवान की उपासना की जाएगी। श्री विष्णु भगवान को प्रसन्न करने के लिए यह दिन बहुत ही खास और महत्वपूर्ण माना जाता है। मान्यताओं के अनुसार, पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने से संतान सुख का वरदान मिलता है। इसलिए आइए जानते है। पौष पुत्रदा एकादशी की सही तिथि, शुभ मुहूर्त, पूजा विधि और व्रत पारण का समय-_*
*_इस साल पौष पुत्रदा एकादशी जनवरी 21, 2024 को मनाई जाएगी। 20 जनवरी के दिन 07:27PM से एकादशी तिथि की शुरुआत होगी, जो 21 जनवरी के दिन 07:27:27PM मिनट तक रहेगी।_*
             *_मुहूर्त-_*
*_एकादशी तिथि प्रारम्भ - जनवरी 20, 2024 को 07:27pm बजे_*
 *_एकादशी तिथि समाप्त - जनवरी 21, 2024 को 07:26:27pm बजे तक_*
 *_पारण (व्रत तोड़ने का) समय - 06:56 ए एम से 09:05 ए एम, 22 जनवरी_*
 *_पारण तिथि के दिन द्वादशी समाप्त होने का समय - 07:51:04 पी एम, 22 जनवरी_*

*_ एकादशी व्रत का महत्व व्रत को करने से श्रीहरि विष्णु के अलावा मां लक्ष्मी की भी कृपा प्राप्त होती है। धार्मिक मान्यता है कि यदि कोई जातक इस व्रत को विधि पूर्वक करता है, तो जल्द ही उसे संतान सुख की प्राप्ति होती है। इसके अलावा लंबे समय से रुके हुए कार्य भी पूरे हो सकते हैं।_*
*_पौष पुत्रदा एकादशी शुभ योग_*
*_इस बार की पौष पुत्रदा एकादशी बेहद खास मानी जा रही है क्योंकि इस दिन द्विपुष्कर योग, शुक्ल योग और रोहिणी नक्षत्र का संयोग बनने जा रहा है._*
*_पौष पुत्रदा एकादशी पूजन विधि_*
*_पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत रखने वाले लोगों को व्रत से पहले दशमी के दिन एक समय सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. व्रती को संयमित और ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए. प्रातःकाल स्नान के बाद व्रत का संकल्प लें और भगवान विष्णु का ध्यान करें. इसके बाद गंगा जल, तुलसी दल, तिल, फूल पंचामृत से भगवान नारायण की पूजा करनी चाहिए. इस व्रत में व्रत रखने वाले बिना जल के रहना चाहिए. यदि व्रती चाहें तो संध्या काल में दीपदान के पश्चात फलाहार कर सकती हैं. व्रत के अगले दिन द्वादशी पर किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को भोजन कराकर, दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए._*
 *_पौष पुत्रदा एकादशी के दिन भूलकर न करें ये गलतियां_*
🔹 *_एकादशी के दिन तुलसी के पत्ते न तोड़ें. तुलसी के पत्तों को एकादशी से एक दिन पहले तोड़ सकते हैं और इसे ताजा रखने के लिए रात भर पानी में रख सकते हैं._*
🔹 *_एकादशी के दिन चावल का सेवन नहीं करना चाहिए क्योंकि चावल का सेवन करना अशुभ माना जाता है._*
*_भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।_*

🌠 *_रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।_*
*_इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।_*
*_रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।_*
*_रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।_*
*_पौष पुत्रदा एकादशी व्रत कथा_*
      *_प्राचीन समय में भद्रावती नगरी में सुकेतुमान नाम का एक राजा राज्य करता था.उसकी पत्नी का नाम शैव्या था. सारी सुख-सुविधाएं होने के बाद भी राजा संतुष्ट नहीं था क्योंकि उसके कोई संतान नहीं थी. पुत्रहीन राजा के मन में इस बात की बड़ी चिंता थी कि उसके बाद उसे और उसके पूर्वजों को कौन पिंडदान देगा. उसे चिंता थी कि बिना पुत्र के पितरों और देवताओं से ऋण चुकता नहीं हो सकता._*
       *_एक दिन इन्हीं विचारों में डूबा हुआ वह घोड़े पर सवार होकर वन को चल दिया. वह पानी की तलाश में एक सरोवर के पास पहुंच जहां ऋषिगण भी मौजूद थे. राजा सरोवर के किनारे बैठे हुए ऋषियों को प्रणाम करके उनके सामने बैठ गया. राजा ने मुनियों को अपनी व्यथा बातई और कहा ऋषिगण मेरा भी कोई पुत्र नहीं है, यदि आप मुझ पर प्रसन्न हैं तो कृपा कर मुझे एक पुत्र का वरदान वीजिए. ऋषि बोले हे राजन, आज पुत्रदा एकादशी है. आप इसका उपवास करें. भगवान श्रीहरि की अनुकम्पा से आपके घर अवश्य ही पुत्र होगा._*
       *_राजा ने मुनि के वचनों के अनुसार उस दिन उपवास किया और द्वादशी को व्रत का पारण किया. भगवान श्रीहरि की कृपा से कुछ दिनों बाद ही रानी ने गर्भ धारण किया और नौ माह के पश्चात उसके अत्यंत वीर, धनवान, यशस्वी पुत्र को जन्म दिया. तभी से पौष पुत्रदा एकादशी का व्रत संतान प्राप्ति के लिए किया जाता है._*

        

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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल* *8387869068*

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