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*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱* *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै, सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमोनमः।।*🕉🌸*
*🕉नागौर राजस्थान (भारत) के सूर्योदय समय के अनुसार🕉*
*🌞सोमवार पंचमीका पंचांग🌞*
*⛅दिनांक - 15 जनवरी 2024*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - उत्तरायण*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - पंचमी मध्य रात्रि 02:15:56 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - शतभिषा सुबह 08:05:49 तक तत्पश्चात पूर्वभाद्रपद 06:09:09am*
*⛅योग - वरियान् रात्रि 11 :09:42 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅करण बव रात्रि 03:34:35*
*⛅करण बालव रात्रि 02:15:57*
*⛅वार सोमवार*
*⛅माह (अमावस्यांत) पौष*
*⛅माह (पूर्णिमांत) पौष*
*⛅चन्द्र राशि कुम्भ till 24:36:12*
*⛅चन्द्र राशि मीन from 24:36:12*
*⛅सूर्य राशि मकर*
*⛅रितु शिशिर*
*⛅आयन उत्तरायण*
*⛅संवत्सर शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर) पिंगल*
*⛅विक्रम संवत 2080*
*⛅गुजराती संवत 2080*
*⛅शक संवत 1945*
*⛅कलि संवत 5124*
*⛅सौर प्रविष्टे 1, माघ (# note below)*
*⛅नागौर राजस्थान (भारत)*
*⛅सूर्योदय 07:25:50 *
*⛅सूर्यास्त 18:01:24*
*⛅दिन काल 10:35:34 *
*⛅रात्री काल 13:24:21*
*⛅चंद्रोदय 10:25:54 *
*⛅चंद्रास्त 22:23:08*
*⛅ सूर्योदय⛅*
*⛅लग्न मकर 0°12' , 270°12*'
*⛅ सूर्य नक्षत्र उत्तराषाढा*
*⛅चन्द्र नक्षत्र शतभिष*
*⛅पद, चरण⛅*
*⛅4 सू शतभिष 08:05:49*
*⛅1 से पूर्वभाद्रपदा 13:34:37*
*⛅2 सो पूर्वभाद्रपदा 19:04:43*
*⛅3 दा पूर्वभाद्रपदा 24:36:12*
*⛅4 दी पूर्वभाद्रपदा 30:09:09*
*⛅यम घंटा 11:24 - 12:44 अशुभ*
*⛅गुली काल 14:03 - 15:23*
*⛅अभिजित 12:22 - 13:05 शुभ*
*⛅पंचक ² अहोरात्र अशुभ*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
*अमृत 07:26 - 08:45 शुभ*
*काल 08:45 - 10:05 अशुभ*
*शुभ 10:05 - 11:24 शुभ*
*रोग 11:24 - 12:44 अशुभ*
*उद्वेग 12:44 - 14:03 अशुभ*
*चर 14:03 - 15:23 शुभ*
*लाभ 15:23 - 16:42 शुभ*
*अमृत 16:42 - 18:01 शुभ*
*⛅चोघडिया, रात⛅*
*चर 18:01 - 19:42 शुभ*
*रोग 19:42 - 21:23 अशुभ*
*काल 21:23 - 23:03 अशुभ*
*लाभ 23:03 - 24:44 शुभ*
*उद्वेग 24:44 - 26:24 अशुभ*
*शुभ 26:24 - 28:05 शुभ*
*अमृत 28:05 - 29:45 शुभ*
*चर 29:45 - 31:26 शुभ*
*सूर्यदेव एक राशि से दूसरी राशि पर जाते हैं तो उस काल को संक्रांति कहते हैं*. *इस प्रकार वर्ष में 12 संक्रांतियां होती हैं. इनमें से कुछ संक्रांतियों को पर्व के रूप में मनाया जाता है. जब सूर्यदेव धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करते हैं तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है.* *इस दिन सूर्य देव उत्तरायण होते हैं. वर्ष 2024 में यह पर्व 15 जनवरी को मनाया जाएगा. मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य, स्नान के साथ भगवान सूर्य की पूजा, उपासना का भी विशेष महत्व है. मकर संक्रांति के दिन केवल सूर्य ही नहीं उनके वाहन का भी बहुत महत्व है. हर साल भगवान भास्कर* *अलग-अलग वाहनों पर सवार होकर मकर संक्रांति का योग लेकर आते हैं. इस साल मकर संक्रांति पर सूर्य देव अश्व यानी की घोड़े पर सवार होकर आ रहे हैं*.
*सूर्य देव के हर एक वाहन पर आने का विशेष महत्व होता है. जो अच्छे और बुरे दोनों ही तरह के संकेत देते हैं. इस बार की मकर संक्रांति में सूर्य देव अश्व वाहन पर आ रहे है, जिनका उप वाहन सिंह है. पंचांगों के अनुसार मकर संक्रांति का स्वरूप इस वर्ष काले वस्त्र धारण किए हुए हैं जो सामान्यतः शनिदेव का प्रतिनिधित्व करते हैं. मकर राशि के स्वामी भी शनि है.*
*मकर राशि वाले रखें ख्याल*
*पौष मास की शुक्ल पक्ष की संक्रांति से मकर राशि के लोगों को अश्व की तरह मेहनत करते रहना होगा, तभी नतीजे मिलेंगे. साथ ही उन्हें सिंह के समान ऊर्जावान भी रहना होगा. मकर संक्रांति को एक देवी के रूप में भी पूजा जाता है जो माथे पर हल्दी का तिलक लगाए हैं और स्वर्ण आभूषण धारण किए हुए है. इस वर्ष गुरु की प्रधानता रहेगी इसलिए जिस भी कन्या का विवाह नहीं हो रहा है उन्हें हल्दी का तिलक लगाना है, इससे गुरु की कृपा प्राप्त होगी और विवाह जल्दी तय होगा. इसके साथ ही गुरू की प्रधानता होने से आपको ज्ञान रूपी आभूषण से सुसज्जित होने का प्रयास करना है. 15 जनवरी को विशेष दान पुण्य करने पर सूर्य के साथ ही शनि और गुरु की कृपा भी प्राप्त होगी, जिससे आपकी उन्नति के साथ आरोग्यता प्राप्त होगी।*
*इस बार पुण्यकाल 15 जनवरी को सुबह 7 बजे से शुरू हो जाएगा,जो सूर्यास्त शाम को 5 बजकर 36 मिनट तक रहेगा। इसमें स्नान, दान,जाप कर सकते हैं। मकर संक्रांति का महापुण्य काल प्रातः काल 7 बजे से प्रातः काल 8 बजकर 46 तक रहेगा।*
*मकर संक्रांति पर दान का समय
मकर संक्रांति के दिन स्नान के उपरांत सूर्य सहित नवग्रहों की पूजा और भगवान विष्णु की पूजा के बाद दान आरंभ करना चाहिए। आपकी जो भी श्रद्धा हो उसके अनुसार आप वस्त्र,अन्न और धन का दान कर सकते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल और खिचड़ी का दान बहुत ही शुभ माना गया है। दान का समय सुबह 7 बजे से सूर्यास्त पूर्व तक रहेगा। यह मुहूर्त दान आदि करने के लिए बेहद शुभ है। इसमें आप ब्राह्मणों और ज़रुरतमंदों को खिचड़ी, गुड़, काले तिल,ऊनी कपड़े आदि दान करें। सूर्य भगवान का आशीर्वाद आपके साथ रहेगा। मान्यता है कि मकर संक्रान्ति से सूर्य के उत्तरायण होने पर देवताओं का सूर्योदय होता है और दैत्यों का सूर्यास्त होने पर उनकी रात्रि प्रारंभ हो जाती है। उत्तरायण में दिन बडे़ और रातें छोटी होती हैं। दरअसल, सूर्य नारायण बारह राशियों में एक -एक माह विराजते हैं, जब भास्कर देव कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक,और धनु राशि में रहते हैं तो इस काल को दक्षिणायन कहते हैं। इसके बाद सूर्य नारायण मकर, कुंभ, मीन, मेष, वृष और मिथुन राशि में क्रमशः एक-एक माह रहते हैं।* *इसे ही उत्तरायण कहते हैं और जिस दिन भगवान सूर्य उत्तरायण होते हैं तो उस तिथि को मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है। इस दिन सूर्य नारायण मकर राशि में प्रवेश करते है।*
*मकर संक्रांति का आध्यात्मिक रहस्य*
*मकर संक्रांति पर प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालुओं का मेला विभिन्न नदियों के घाटों पर लगता है... इस शुभ दिन तिल खिचड़ी का दान करते हैं ... वास्तव में स्थूल परम्पराओं में आध्यात्मिक रहस्य छुपे हुए हैं* ...
*अभी कलियुग का अंतिम समय चल रहा है ... सारी मानवता दुखी-अशांत हैं ... हर कोई परिवर्तन के इंतजार मेँ हैं ... सारी व्यवस्थाएं व मनुष्य की मनोदशा जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं ... ऐसे समय में विश्व सृष्टिकर्ता परमात्मा शिव कलियुग ... सतयुग के संधिकाल अर्थात संगमयुग पर ब्रह्मा के तन में आ चुके हैं ... जिस प्रकार भक्ति मार्ग में पुरुषोत्तम मास में दान-पुण्य आदि का महत्व होता है ... उसी प्रकार पुरुषोत्तम संगमयुग ... जिसमें ज्ञान स्नान करके बुराइयों का दान करने से ... पुण्य का खाता जमा करने वाली हर आत्मा उत्तम पुरुष बन सकती है* ..
. *इस दिन खिचड़ी और तिल का दान करते हैं ... इसका भाव यह है कि मनुष्य के संस्कारों में आसुरियता की मिलावट हो चुकी है ... अर्थात उसके संस्कार खिचड़ी हो चुके हैं ... जिन्हें परिवर्तन करके अब दिव्य संस्कार धारण करने हैं ... इसका अर्थ यह है कि प्रत्येक मनुष्य को ईर्ष्या-द्वेष आदि संस्कारों को छोडकर संस्कारों का मिलन इस प्रकार करना है ... जिस प्रकार खिचड़ी मिलकर एक हो जाती है* ...
*परमात्मा की अभी आज्ञा है कि तिल समान अपनी सूक्ष्म से सूक्ष्म बुराइयों को भी हमें तिलांजलि देना है ... जैसे उस गंगा में भाव-कुभाव से ज़ोर जबरदस्ती से एक दो को नहलाकर खुश होते हैं और शुभ मानते हैं; इसी प्रकार अब हमें ज्ञान गंगा में नहलाकर* *मुक्ति-जीवनमुक्ति का मार्ग दिखाना है ... जैसे जब नयी फसल आती है तो सभी खुशियाँ मनाते हैं ... इसी प्रकार वास्तविक और अविनाशी खुशी प्राप्त होती है ... बुराइयों का त्याग करने से* ...
*फसल कटाई का समय देशी मास के हिसाब से पौष महीने के अंतिम दिन तथा अंग्रेजी महीने के 12 ...13 ... 14 जनवरी को आता है ... इस समय एक सूर्य राशि से दूसरी राशि में जाता है ... इसलिए इसे संक्रमण काल कहा जाता है ... अर्थात एक दशा से दूसरी दशा में जाने का समय ... यह संक्रमण काल उस महान संक्रमण काल का यादगार है जो कलियुग के अंत सतयुग के आरंभ में घटता है ... इस संक्रमण काल में ज्ञान सूर्य परमात्मा भी राशि बदलते हैं ... वे परमधाम छोड़ कर साकार वतन में अवतरित होते हैं* ...
*संसार में अनेक क्रांतियाँ हुई ... हर क्रांति के पीछे उद्देश्य-परिवर्तन रहा है ... हथियारों के बल पर जो क्रांतियाँ हुई उनसे आंशिक परिवर्तन तो हुआ ... किन्तु सम्पूर्ण परिवर्तन को आज मनुष्य तरस रहा है ... सतयुग में खुशी का आधार अभी का संस्कार परिवर्तन है ... इस क्रांति के बाद सृष्टि पर कोई क्रांति नहीं हुई ... संक्रांति का त्योहार संगमयुग पर हुई उस महान क्रांति की यादगार में मनाया जाता है ..._ लेख किसी लेखक के विचारो से अवगत है।*
1) *स्नान :ब्रह्म मुहूर्त में उठ स्नान ... ज्ञान स्नान का यादगार है* ..._
2) *तिल खाना : _तिल खाना ... खिलाना ... दान करने का भी रहस्य है ... वास्तव में छोटी चीज़ की तुलना तिल से की गयी है ... आत्मा भी अति सूक्ष्म है ... अर्थात तिल आत्म स्वरूप में टिकने का यादगार है* ..._
3) *पतंग उड़ाना :_आत्मा हल्की हो तो उड़ने लगती है; देहभान वाला उड़ नहीं सकता है ... जबकि आत्माभिमानी अपनी डोर भगवान को देकर तीनों लोकों की सैर कर सकता है* ..._
4) *तिल के लड्डू खाना : _तिल को अलग खाओ तो कड़वा महसूस होता है ... अर्थात अकेले में भारीपन का अनुभव होता है ... लड्डू एकता एवं मिठास का भी प्रतीक है* ..._
5) *तिल का दान :_दान देने से भाग्य बनता है ... अतः वर्तमान संगमयुग में हमें परमात्मा को अपनी छोटी कमज़ोरी का भी दान देना है* ..._
6) *आग जलाना : _अग्नि में डालने से चीज़ें पूरी तरह बदल जाती ... सामूहिक आग - योगीजन संगठित होकर एक ही स्मृति से ईश्वर की स्मृति मे टिकते हैं ... जिसके द्वारा न केवल उनके जन्म-जन्म के विकर्म भस्म होते हैं ... बल्कि उनकी याद की किरणें समस्त विश्व में फाइल कर शांति ... पवित्रता ... आनंद ... प्रेम ... शक्ति की तरंगे फैलाती हैं* ..._
*यदि इस पर्व को निम्नलिखित विधि द्वारा मनाए तो न केवल हमें सच्चे सुख की प्राप्ति होगी बल्कि हम परमात्म दुआओं के भी अधिकारी बनेंगे* ...
*आप सबको इस महान पर्व मकर सक्रांति की बहुत-बहुत शुभ कामनाएँ* ...
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल* *8387869068*
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