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*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱* *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै, सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमोनमः।।*🕉🌸*
*🕉नागौर राजस्थान (भारत) के सूर्योदय समय के अनुसार🕉*
*🕉मंगलवारत्रयोदशीकापंचांग*🕉*
*🕉 दिनांक - 09 जनवरी 2024*
*🕉 दिन - मंगलवार*
*🕉 विक्रम संवत् - 2080*
*🕉 अयन - उत्तरायण*
*🕉 ऋतु - शिशिर*
*🕉 मास - पौष*
*🕉 पक्ष - कृष्ण*
*🕉 तिथि - त्रयोदशी रात्रि 10:24:12 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*🕉 नक्षत्र - ज्येष्ठा रात्रि 09:10.18 तक तत्पश्चात मूल*
*🕉योग - गर रात्रि11:16:49 तक तत्पश्चात ध्रुव*
*🕉 करण गर 11:16:49*
*🕉 करण वणिज 22:24:12*
*🕉 वार मंगलवार*
*🕉 माह (अमावस्यांत) मार्गशीर्ष*
*🕉 माह (पूर्णिमांत) पौष*
*🕉चन्द्र राशि वृश्चिक till 21:10:18*
*🕉चन्द्र राशि धनु from21:10:18*
*🕉सूर्य राशि धनु*
*🕉रितु शिशिर*
*🕉आयन उत्तरायण*
*🕉 संवत्सर शोभकृत*
*🕉संवत्सर (उत्तर) पिंगल*
*🕉विक्रम संवत 2080*
*🕉 गुजराती संवत 2080*
*🕉शक संवत 1945*
*🕉 कलि संवत 5124*
*🕉सौर प्रविष्टे 25, पौष (# note below)*
*🕉सूर्योदय 07:27:26*
*🕉सूर्यास्त 17:56:33*
*🕉दिन काल 10:29:07*
*🕉रात्री काल 13:30:56*
*🕉चंद्रास्त 15:38:32 🕉*
*🕉चंद्रोदय 30:20:41*
*🕉सूर्योदय*🕉
*🕉लग्न धनु 24°5' , 264°5'*
*🕉सूर्य नक्षत्र पूर्वाषाढा *🕉*
*🕉चन्द्र नक्षत्र ज्येष्ठा*
*🕉पद, चरण, *🕉*
*2 या ज्येष्ठा 09:41:38*
*3 यी ज्येष्ठा 15:27:16*
*4 यू ज्येष्ठा 21:10:18*
*1 ये मूल 26:50:52*
*🕉चोघडिया, दिन *🕉*
*रोग 07:27 - 08:46 अशुभ*
*उद्वेग 08:46 - 10:05 अशुभ*
*चर 10:05 - 11:23 शुभ*
*लाभ 11:23 - 12:42 शुभ*
*अमृत 12:42 - 14:01 शुभ*
*काल 14:01 - 15:19 अशुभ*
*शुभ 15:19 - 16:38 शुभ*
*रोग 16:38 - 17:57 अशुभ*
*🕉चोघडिया, रात 🕉*
*काल 17:57 - 19:38 अशुभ*
*लाभ 19:38 - 21:19 शुभ*
*उद्वेग 21:19 - 23:01 अशुभ*
*शुभ 23:01 - 24:42 शुभ*
*अमृत 24:42 - 26:23 शुभ*
*चर 26:23 - 28:05 शुभ*
*रोग 28:05 - 29:46 अशुभ*
*काल 29:46 - 31:28अशुभ*
*त्रयोदशी तिथि कैसे बनती है*
*सूर्य से जब चन्द्र 145 अंश से 156 अंश के मध्य होता है. उस समय शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि रहती है. इसके अलावा जब सूर्य से चन्द्र 313 से 336 के मध्य होता है.* *उस समय कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी होती है*
*त्रयोदशी तिथि वार योग*
*त्रयोदशी तिथि जब बुधवार के दिन हो, तो मृत्यु योग बनता है. मृत्यु योग अपने नाम के अनुसार फल देता है. जब मंगलवार के दिन त्रयोदशी तिथि आती है, तो सिद्धिदा योग बनता है. शुक्ल पक्ष में त्रयोदशी तिथि को समस्त कार्यो के लिए शुभ माना जाता है. इसके विपरीत कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी में शुभ कार्य करने वर्जित होते है.*
*त्रयोदशी तिथि हिन्दु माह के कृष्ण पक्ष और शुक्ल पक्ष दोनों समय पर आती है. अन्य तिथियों की भांति ही इस तिथि का भी अपना एक अलग महत्व रहा है. इस तिथि का मुहूर्त पंचाग और पर्व इत्यादि सभी में एक स्थान निश्चित किया गया है. इस तिथि में क्या करना है या क्या नहीं करना ये सभी बातें ज्योतिष शास्त्र में बताई गई हैं.*
*त्रयोदशी तिथि के देव कामदेव बताए गए हैं. इस तिथि में जन्म लेने वाले व्यक्तियों को कामदेव की पूजा करना कल्याणकारी रहता है. जीवन में दांपत्य संबंधों की उत्तम आधारशिला रखना एवं प्रेम संबंधों में सफलता पाना इन सभी बातों के लिए कामदेव का पूजन बहुत ही शुभदायक होता है*.
*त्रयोदशी तिथि में जन्मा जातक*
*त्रयोदशी तिथि में जन्म लेन वाला व्यक्ति महासिद्ध होता है*. *वह कई विद्याओं का ज्ञाता होता है*. *उसे अधिक से अधिक विद्या अर्जन में रुचि होती है. उसे धार्मिक शास्त्रों में निपुणता प्राप्त होती है. इसके साथ ही वह इन्द्रियों को जीतने वाला होता है. इसके अतिरिक्त उसे परोपकार के कार्य करने विशेष रुप से पसन्द होते है।*
*जातक में सहनशिलता का भाव कुछ कम होता है. व्यक्ति अपने आत्मविश्वास के बल पर आगे बढ़ने की कोशिश तो करता है, लेकिन उसमें सफल नहीं हो पाता है. वाद विवाद करने में तेज होता है और अपने तर्कों के आगे दूसरों को टिकने भी नहीं देता है. जातक जीवन में संघर्ष अधिक झेलता है. प्रयास से ही सफलता को पा सकता है.*
*त्रयोदशी तिथि में किए जाने वाले काम*
*मुहूर्त एवं पंचांग में तिथि के अनुरुप काम करने का विचार बताया गया है. कार्य में सफलता के लिए एक शुभ तिथि का होना भी बहुत अनुकूल है. जिस कार्य की जैसी प्रकृति है उसी के अनुरुप तिथि होने से काम में सफलता का प्रतिशत भी बढ़ जाता है. ऎसे में त्रयोदशी तिथि के लिए भी कुछ कार्यों को रखा गया है*.
*इस तिथि के दौरान कठिन और उग्र कार्य किए जा सकते हैं. संग्राम से जुड़े कार्य, सेना के उपयोगी अस्त्र-शस्त्र, ध्वज, पताका के निर्माण संबंधी कार्य, राज-संबंधी कार्य, वास्तु कार्य, संगीत विद्या से जुड़े काम इस दिन किए जा सकते हैं। इस दिन यात्रा, गृह प्रवेश, नए कपड़ों, नए गहनों को नही खरीदना चाहिए.(परंतु मारवाड़ में तेरस और तीज को बहुत ज्यादा महत्व बता दी गई है.)*
*त्रयोदशी तिथि पर्व*
*त्रयोदशी तिथि में भी कुछ महत्व पूर्ण पर्व और व्रतों का आयोजन होता है इस तिथि को भगवान शिव को प्रिय कहा गय है और इसी लिए जिस जातक का जन्म इस तिथि में हो उसे भगवान शिव का विशेष रुप से पूजन करना चाहिए. त्रयोदशी तिथि में प्रदोष व्रत की बहुत महिमा बताई गई है.*
*प्रदोष व्रत* –
*प्रदोष व्रत पुत्र की कामना, ऋण से मुक्ति के लिए,* *सुख-सौभाग्य,आरोग्य आदि के लिए किया जाता है. इस व्रत के दिन प्रात:काल स्नान-ध्यान के पश्चात इस व्रत का संकल्प करें और सायंकाल सूर्यास्त के पश्चात भगवान शिव का विधि-विधान से पूजा एवं साधना करें.*
*अनंग त्रयोदशी* –
*अनंग त्रयोदशी के दिन कामदेव और रति की पूजा करने का विधान है. कामदेव का एक अन्य नाम अनंग है जिसका अर्थ बिना अंग वाले. इस दिन दांपत्य जीवन की सुख प्राप्ति के लिए कामदेव और देवी रति की पूजा की जाती है. साथ ही भगवान शिव का पूजन भी होता है.*
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल* *8387869068*
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