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पंचांग - 01-02-2024

🔱 *_॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥_🔱     🚩 *_मोर मुकुट बंशीवाले की जय_*

🕉 *_नमो नित्यं केशवाय च  शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमो नमः।।_*

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♦️ *_यह  दैनिक पंचांग नागौर राजस्थान (भारत) के सूर्योदय समय के अनुसार*
♦️ *_शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन_*
♦️  *_संवत्सर नाम अनला_*
♦️  *_शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)_*
♦️ *_काली सम्वत् 5124_*
♦️  *_संवत्सर (उत्तर)    पिंगल_*
♦️  *_आयन -     उत्तरायण_*
♦️  *_ऋतु - सौर शिशर ऋतु_*
♦️   *_मास - माघ मास_*
♦️  *_पक्ष - कृष्ण पक्ष_*
♦️  *_शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन_*
♦️  *_संवत्सर नाम अनला_*
♦️  *_शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)_*
♦️  *_काली सम्वत् 5124_*
♦️  *_संवत्सर (उत्तर)    पिंगल_*
♦️  *_अयन -     उत्तरायण_*
♦️ *_ऋतु - सौर शिशिर ऋतु_*
♦️ *_मास - माघ मास_*
♦️  *_पक्ष - कृष्ण पक्ष_*
♦️  *_तिथि - गुरुवार माघ माह के कृष्ण पक्ष षष्ठी तिथि 02:03:04 PM तक उपरांत सप्तमी_*
♦️ *_तिथि स्वामी - षष्ठी तिथि के देता हैं कार्तिकेय। इस तिथि में कार्तिकेय की पूजा करने से मनुष्य श्रेष्ठ मेधावी, रूपवान, दीर्घायु और कीर्ति को बढ़ाने वाला हो जाता है।_*
♦️  *_नक्षत्र - नक्षत्र चित्रा 03:48:05 AM तक उपरांत स्वाति_*
♦️ *_नक्षत्र स्वामी - नक्षत्र के स्वामी मंगल ग्रह और अधिष्ठाता देव विश्वकर्मा हैं।नक्षत्र के देवता त्वष्टा हैं जो एक आदित्य हैं।_*
♦️ *_योग - धृति योग 12:26:31 PM तक, उसके बाद शूल योग_*
♦️  *_प्रथम करण : वणिज - 02:03:04 पी एम तक_*
♦️  *_द्वितीय करण : विष्टि - 03:06:59 ए एम, फरवरी 02 तक बव_*
♦️  *_गुलिक कालः- गुरुवार का (शुभ गुलिक) 10:06: से 11:27 तक_*
♦️  *_यम घंटा    07:23 - 08:44    अशुभ_*
♦️  *_अभिजित    12:27 - 13:10    शुभ_*
♦️  *_दिशाशूल – बृहस्पतिवार को दक्षिण दिशा एवं अग्निकोण का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से सरसो के दाने या जीरा खाकर जाएँ ।_*
♦️ *_राहुकाल – दिन – 14:10 से 3:32 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |_*
♦️  *_सूर्योदयः- प्रातः 07:22:41_*
♦️  *_सूर्यास्तः- सायं 06:14:49_*
♦️ *_ब्रह्म मुहूर्त : 05:30 amसे 06:29 am_*
♦️  *_प्रातः सन्ध्या : 06:03 ए एम से 07:21 ए एम_*
♦️  *_विजय मुहूर्त : 02:38 पी एम से 03:21 पी एम_*
♦️  *_गोधूलि मुहूर्त : 06:14 पी एम से 06:40 पी एम_*
♦️  *_सायाह्न सन्ध्या : 06:16 पी एम से 07:35 पी एम_*
♦️  *_अमृत काल : 08:42 पी एम से 10:29 पी एम_*
♦️  *_निशिता मुहूर्त : 12:22 ए एम, फरवरी 02 से 01:15 ए एम, फरवरी 02_*
♦️ *_रवि योग : 07:21 ए एम से 03:49 ए एम, फरवरी 02_*
♦️ *_यात्रा शकुन-बेसन से बनी मिठाई खाकर यात्रा पर निकलें।_*

    ♦️  *_चोघडिया, दिन_*
♦️ *_शुभ    07:23 - 08:44    शुभ_*
♦️ *_रोग    08:44 - 10:06    अशुभ_*
♦️ *_उद्वेग    10:06 - 11:27    अशुभ_*
♦️ *_चर    11:27 - 12:49    शुभ_*
♦️ *_लाभ    12:49 - 14:10    शुभ_*
♦️ *_अमृत    14:10 - 15:32    शुभ_*
♦️ *_काल    15:32 - 16:53    अशुभ_*
♦️ *_शुभ    16:53 - 18:15    शुभ_*
   
    ♦️  *_ चोघडिया, रात_*
♦️ *_अमृत    18:15 - 19:53    शुभ_*
♦️ *_चर    19:53 - 21:32    शुभ_*
♦️ *_रोग    21:32 - 23:10    अशुभ_*
♦️ *_काल    23:10 - 24:49    अशुभ_*
♦️ *_लाभ    24:49 - 26:27    शुभ_*
♦️ *_उद्वेग    26:27 - 28:05    अशुभ_*
♦️ *_शुभ    28:05 - 29:44    शुभ_*
♦️ *_अमृत    29:44 - 31:22    शुभ_*
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♦️ *_षष्ठी तिथि यदि आपके उपर यदि मंगल कि दशा चल रही हो और आप किसी प्रकार के मुकदमे में फंस गये हों तो षष्ठी तिथि को भगवान कार्तिकेय स्वामी का पूजन करें। मुकदमे में अथवा राजकार्य से सम्बन्धित किसी भी कार्य में सफलता प्राप्ति के लिये षष्ठी तिथि को सायंकाल के समय में किसी भी शिवमन्दिर में षण्मुख के नाम से छः दीप दान करें। कहा जाता है, कि स्वामी कार्तिकेय को एक नीला रेशमी धागा चढ़ाकर उसे अपने भुजा पर बाँधने से शत्रु परास्त हो जाते हैं। साथ ही सर्वत्र विजय कि प्राप्ति होती है।_*
♦️ *_जिस व्यक्ति का जन्म षष्ठी तिथि को होता है, वह व्यक्ति सैर-सपाटा पसंद करने वाला होता है। इन्हें देश-विदेश घुमने का कुछ ज्यादा ही शौक होता है अत: ये काफी यात्राएं करते रहते हैं। इनकी यात्रायें मनोरंजन और व्यवसाय दोनों से ही प्रेरित होती हैं। इनका स्वभाव कुछ रूखा जैसा होता है। परन्तु ऐसे जातक छोटी छोटी बातों पर भी लड़ने को तैयार हो जाता हैं।_*
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♦️ *_01 फरवरी को दोपहर 2 बजकर 28 मिनट पर बुध मकर राशि में प्रवेश करेंगे।_*
*_ज्योतिष एवं आध्यात्म में षष्ठी तिथि का महत्त्व_*
♦️ *_चन्द्र मास के दोनों पक्षों की छठी तिथि, षष्टी तिथि कहलाती है. शुक्ल पक्ष में आने वाली तिथि शुक्ल पक्ष की षष्टी तथा कृष्ण पक्ष में आने वाली कृष्ण पक्ष की षष्ठी तिथि कहलाती है. षष्ठी तिथि के स्वामी भगवान शिव और देवी पार्वती के पुत्र स्कन्द कुमार है. जिन्हें कार्तिकेय के नाम से भी जाना जाता है।_*
♦️ *_षष्टी तिथि जिस पक्ष में रविवार व मंगलवार के दिन होती है. उस दिन यह मृत्युदा योग बनता है. इसके विपरीत षष्ठी तिथि शुक्रवार के दिन हो तो सिद्धिदा योग बनता है._*
♦️ *_यह तिथि नन्दा तिथि है. तथा इस तिथि के शुक्ल पक्ष में शिव का पूजन करना अनुकुल होता है, पर कृष्ण पक्ष की षष्ठी को शिव का पूजन नहीं करना चाहिए।_*
♦️ *_षष्ठी तिथि को काम में सफलता दिलाने वाला कहा जाता है. इस तिथि में कठोर कर्म करने की बात भी कही जाती है. जो कठिन कार्य जैसे घर बनवाना, शिल्प के काम या युद्ध में उपयोग में लाए जाने वाले शस्त्र बनाना इत्यादि को इस तिथि में करना अच्छा माना गया है. कोई ऎसा कठोर कार्य करने वाले हैं जिसमें सफलता की इच्छा रखते है तो उसे इस तिथि के दौरान किया जा सकता है._*
♦️ *_मेहनत के कामों को भी इसी दौरान करना अच्छा होता है. वास्तुकर्म, गृहारम्भ, नवीन वस्त्र पहनने जैसे काम भी इस तिथि में किए जा सकते हैं।_*
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*आप अपने शहर के लिए सुर्योदय के अनुसार घटत बढ़त करे*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।*राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।*ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*

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