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पंचांग - 29-12_2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमोनमः।।*🕉🌸*

jyotish


*🌞शुक्रवारद्वितीयाकापंचांग🌞*
*⛅दिनांक - 29दिसम्बर 2023*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शिशिर*
*⛅मास - पौष*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया सुबह 07:59:08 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - पुष्य 30 दिसम्बर प्रातः 03:08:37 तक*
*⛅योग - वैधृति रात्रि 02:27:20 तक तत्पश्चात विष्कम्भ*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 11:19 से 12:37 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:25:00*
*⛅सूर्यास्त - 05:48:53*
*⛅चंद्रोदय    19:56:51    
*⛅चंद्रास्त    32:00:01*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:35 से 06:29 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:10 से 01:04 तक*
*⛅अभिजित मुहूर्त    12:16 पी एम से 12:58 पी एम    विजय मुहूर्त    2:21 पी एम से 03:03 पी एम*
*⛅गोधूलि मुहूर्त    05:48 पी एम से 06:15 पी एम    सायाह्न सन्ध्या    05:50 पी एम से 07:12 पी एम*
*⛅अमृत काल    08:12 पी एम से 09:57 पी एम*
     *⛅चोघडिया, दिन⛅*
*चर    07:25 - 08:43    शुभ*
*लाभ    08:43 - 10:01    शुभ*
*अमृत    10:01 - 11:19    शुभ*
*काल    11:19 - 12:37    अशुभ*
*शुभ    12:37 - 13:55    शुभ*
*रोग    13:55 - 15:13    अशुभ*
*उद्वेग    15:13 - 16:31    अशुभ*
*चर    16:31 - 17:49    शुभ*
     *⛅चोघडिया, रात⛅*
*रोग    17:49 - 19:31    अशुभ*
"काल    19:31 - 21:13    अशुभ*
*लाभ    21:13 - 22:55    शुभ*
*उद्वेग    22:55 - 24:37    अशुभ*
*शुभ    24:37 - 26:19    शुभ*
*अमृत    26:19 - 28:01    शुभ*
*चर    28:01 - 29:43    शुभ*
*रोग    29:43 - 31:25    अशुभ*

*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹वास्तुशास्त्र के अनुसार ईशान-स्थल की महत्ता🔹*

*🔸कमरे में पूर्व व उत्तर दिशा के बीचवाले कोने से कमरे की पूर्वी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग व उत्तरी दीवाल की लम्बाई का एक तिहाई भाग लेकर जो आयताकार स्थल बनता है, वह ‘ईशान-स्थल’ कहलाता है । १२ X १८ के कमरे का ईशान-स्थल ४ X ६ का होगा । खुले भूमिखंड के विषय में भी ऐसे ही समझना चाहिए ।*

*🔹सुख-शांतिप्रदायक ईशान-स्थल🔹*

*🔸सुख-शांति और कल्याण चाहनेवाले बुद्धिमानों को अपने घर, दुकान या कार्यालय में ईशान-स्थल पर अपने इष्टदेव, सदगुरु का श्रीचित्र लगा के वहाँ धूप-दीप, मंत्रोच्चार तथा साधना-ध्यान पूर्व अथवा उत्तर की ओर मुख करके करना चाहिए । यह विशेष सुख-शांतिदायक है ।*

*🔹सुख-समृद्धि में वृद्धि हेतु🔹*

*🔸भूमिखंड के ईशान कोण तथा पूर्व एवं उत्तर दिशा में खाली भाग अधिक होना चाहिए और इन भागों में अपेक्षाकृत वजन में हलके व कम ऊँचाईवाले पेड़-पौधे लगाने चाहिए । भूमिखंड के ईशान-स्थल में तुलसी, बिल्व व आँवला लगाना सुख-समृद्धिकारक है ।*

*🔹ज्ञानार्जन में सहायता व सत्प्रेरणा हेतु🔹*

*🔸विद्यार्थियों के लिए भी ईशान कोण बड़े महत्त्व का है । पूर्व एवं उत्तर दिशाएँ ज्ञानवर्धक दिशाएँ तथा ईशान-स्थल ज्ञानवर्धक स्थल है । जो विद्यार्थी ईशान-स्थल पर बैठ के पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके पढ़ता है, उसे ज्ञानार्जन में विशेष सहायता मिलती है । पूर्व की ओर मुख करने से विशेष लाभ होता है । अध्ययन-कक्ष में सदगुरु या ब्रह्मज्ञानी महापुरुषों के श्रीचित्र लगाने चाहिए, इससे सत्प्रेरणा मिलती है ।*
*🔸सायटिका का इलाज🔸*
*🔹 लहसुन की 10 कलियों को 100 ग्राम पानी एवं 100 ग्राम दूध में मिलाकर पकायें । पानी जल जाने पर लहसुन खाकर दूध पीने से सायटिका में लाभ होता है ।*

*🔹निर्गुण्डी के 40 ग्राम हरे पत्ते अथवा 15 ग्राम सूखे पत्ते एवं 5 ग्राम सोंठ को थोड़ा कूटकर 350 ग्राम पानी में उबालें । 60-70 ग्राम पानी शेष रहने पर छानकर सुबह-शाम पीने से सायटिका में लाभ होता है ।*

*🌹अनमोल युक्तियाँ 🌹*
 *🔸उत्तम संतान के लिए : घर में देशी गाय की सेवा अच्छा उपाय है ।*
*🔸यम के भय से मुक्ति : शिव पुराण व स्कंद पुराण में कहा गया है कि गौ-सेवा करने और सत्पात्र को गौ-दान करने से यम का भय नहीं रहता ।*

*🔸पाप – ताप से मुक्ति : जब गायें जंगल से चरकर वापस घर को आती है, उस समय को गोधूलि-वेला कहा जाता है । गाय के खुरों से उठनेवाली धूलराशि समस्त पाप–तापों को दूर करनेवाली है ।*
*🔸ग्रहबाधा – निवारण : गायों को नित्य गोग्रास देने तथा सत्पात्र को गौ-दान करने से ग्रहों के अनिष्ट – निवारण में मदद मिलती है ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल* *8387869068*
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