गोवर्धन पूजा की जानें सही तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व
गोवर्धन पूजा के दिन लोग घर की आंगन में या घर के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं और पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
गोवर्धन पूजा तिथि, पूजा विधि, मुहूर्त और महत्व नागौर शहर के प्रसिद्ध ज्योतिषी मोहन महाराज एवं रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा ने बता या की गोवर्धन पूजा का पर्व कार्तिक अमावस्या के दिन इंद्र का मान भंग हुआ भगवान कृष्ण ने प्रथम तिथि से सप्तमी तिथि तक अपनी कनिष्टिका (लास्ट अंगूठी )पर गोवर्धन पर्वत को उठाकर रखा अष्टमी के दिन इंद्र ने भगवान की पूजा की तथा कामधेनु गायों द्वारा भगवान का अभिषेक किया गायों ने भगवान को अपना (स्वामी) इंद्र नाम बताकर भगवान का नाम गोविंद रखा गया इसलिए यह है आठवें दिन गोपाष्टमी का पूजन होता है।
यह पर्व दिवाली के अगले दिन आता है। गोवर्धन पूजा को अन्नकूट के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन गोवर्धन पर्वत, भगवान श्री कृष्ण और गौ माता की पूजा की जाती है। इस दिन लोग घर की आंगन में या घर के बाहर गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाते हैं और पूजा करते हैं। साथ ही इस दिन भगवान श्रीकृष्ण को विभिन्न प्रकार के व्यंजनों का भोग लगाया जाता है। ऐसे में चलिए जानते हैं गोवर्धन पूजा की तिथि, शुभ मुहूर्त और महत्व के बारे में…
इस साल कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष में गोवर्धन पूजा 13नवंबर सोमवार को मनाई जाएगी।
गोवर्धन पूजा 2023 का शुभ मुहूर्त
13 नवंबर 2023, दिन सोमवार को गोवर्धन पूजा के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06 बजकर 55 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 16 मिनट तक है।
गोवर्धन पूजा पर बन रहे ये योग
इस बार गोवर्धन पूजा के दिन शुभ योग बन रहे हैं। गोवर्धन पूजा पर सौभाग्य योग प्रात:काल से लेकर दोपहर 03 बजकर 21.44 मिनट तक है। उसके बाद से अतिगंड योग शुरू हो जाएगा। शोभन योग है। हालांकि शोभन योग को एक शुभ योग माना जाता है। इसके अलावा गोवर्धन पूजा के दिन सुबह से ही विशाखा नक्षत्र होगी।
गोवर्धन पूजा विधि
गोवर्धन पूजा के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नानादि करें।
फिर शुभ मुहूर्त में गाय के गोबर से गिरिराज गोवर्धन पर्वत की आकृति बनाएं और साथ ही पशुधन यानी गाय, बछड़े आदि की आकृति भी बनाएं।
इसके बाद धूप-दीप आदि से विधिवत पूजा करें।
भगवान कृष्ण को दुग्ध से स्नान कराने के बाद उनका पूजन करें।
इसके बाद अन्नकूट का भोग लगाएं।
गोवर्धन पूजा का महत्व
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान कृष्ण द्वारा ही सर्वप्रथम गोवर्धन पूजा आरंभ करवाई गई थी। श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत तो अपनी उंगली पर उठाकर इंद्रदेव के क्रोध से ब्रज वासियों और पशु-पक्षियों की रक्षा की थी। यही कारण है कि गोवर्धन पूजा में गिरिराज के साथ कृष्ण जी के पूजन का भी विधान है। इस दिन अन्नकूट का विशेष महत्व माना जाता है।
सायं को अन्न कूट भोग और आरती होती है।