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पंचांग - 22-11-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमोनमः।।*🕉🌸*

jyotish


*🌞बुधवार दशमी का पंचांग🌞*
*⛅दिनांक - 22 नवम्बर 2023*
*⛅दिन - बुधवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - दशमी  रात्रि 11:03.28 तक तत्पश्चात एकादशी*
*⛅नक्षत्र - पूर्वभाद्रपद रात्रि 18:36:10 तक तत्पश्चात* *उत्तरभाद्रपद*
*⛅योग - हर्षण शाम 02:44. 35 तक तत्पश्चात वज्र*
*⛅राहु कालहर जगह का अलग है - दोपहर 12:21 से 01:41 तक*
*⛅सूर्योदय - 07:01:29*
*⛅सूर्यास्त - 17:40:29*
*⛅  *चन्द्रोदय    -2.26पीएम*
*⛅चन्द्रास्त    02:38 ए एम,*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:13 से 06:07 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:55 से 12:48 तक*
     *⛅चोघडिया, दिन⛅*
*लाभ    07:01 - 08:21    शुभ*
*अमृत    08:21 - 09:41    शुभ*
*काल    09:41 - 11:01    अशुभ*
*शुभ    11:01 - 12:21    शुभ*
*रोग    12:21 - 13:41    अशुभ*
*उद्वेग    13:41 - 15:01    अशुभ*
*चर    15:01 - 16:21    शुभ*
*लाभ    16:21 - 17:40    शुभ*
     *⛅चोघडिया, रात⛅*
*उद्वेग    17:40 - 19:21    अशुभ*
*शुभ    19:21 - 21:01    शुभ*
*अमृत    21:01 - 22:41    शुभ*
*चर    22:41 - 24:21    शुभ*
*रोग    24:21 - 26:02    अशुभ*
*काल    26:02 - 27:42    अशुभ*
*लाभ    27:42 - 29:22    शुभ*
*उद्वेग    29:22 - 31:02    अशुभ*

*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - दशमी को कलंबी शाक त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹देवउठी-प्रबोधिनी एकादशी - 23 नवम्बर 2023*

*🔸एकादशी 22 नवम्बर रात्रि 11:04 से 23 नवम्बर रात्रि 09:01 तक*
*व्रत उपवास 23 नवम्बर को रखा जायेगा ।*

*🌹 देवउठी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को इस मंत्र से उठाना चाहिए*
 *उतिष्ठ-उतिष्ठ गोविन्द, उतिष्ठ गरुड़ध्वज l*
*उतिष्ठ कमलकांत, त्रैलोक्यं मंगलम कुरु l l*

*🌹 इस एकादशी के दिन संध्या के समय कपूर से भगवान की आरती करने से आजीवन अकाल-मृत्यु से रक्षा होती है,  एक्सीडेंट, आदि उत्पातों से रक्षा होती है l*
*🌹 महापातकों का नाशक भीष्मपंचक व्रत : 23 नवम्बर से 27 नवम्बर 2023 तक*

*🌹 कार्तिक शुक्ल एकादशी से पूनम तक का व्रत ‘भीष्मपंचक व्रत’ कहलाता है । जो इस व्रत का पालन करता है, उसके द्वारा सब प्रकार के शुभ कृत्यों का पालन हो जाता है । यह महापुण्यमय व्रत महापातकों का नाश करनेवाला है । निःसंतान व्यक्ति पत्नीसहित इस प्रकार का व्रत करे तो उसे संतान की प्राप्ति होती है ।*

*🌹 इन पाँच दिनों में निम्न मंत्र से भीष्मजी के लिए तर्पण करना चाहिए :*

*सत्यव्रताय शुचये गांगेयाय महात्मने ।*
*भीष्मायैतद् ददाम्यर्घ्यमाजन्मब्रह्मचारिणे ।।*

*🌹 ‘आजन्म ब्रह्मचर्य का पालन करनेवाले परम पवित्र, सत्य-व्रतपरायण गंगानंदन महात्मा भीष्म को मैं यह अर्घ्य देता हूँ ।’*
*(स्कंद पुराण, वैष्णव खंड, कार्तिक माहात्म्य)*

*🌹 अर्घ्य के जल में थोड़ा-सा कुमकुम, पुष्प और पंचामृत (गाय का दूध, दही, घी, शहद और शक्कर) मिला हो तो अच्छा है, नहीं तो जैसे भी दे सकें । ‘मेरा ब्रह्मचर्य दृढ़ रहे, संयम दृढ़ रहे, मैं कामविकार से बचूँ...’ - ऐसी प्रार्थना करें ।*
*🔸एकादशी व्रत के लाभ🔸*
*👉 एकादशी व्रत के पुण्य के समान और कोई पुण्य नहीं है ।*
*👉 जो पुण्य सूर्यग्रहण में दान से होता है, उससे कई गुना अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*
*👉 जो पुण्य गौ-दान, सुवर्ण-दान, अश्वमेघ यज्ञ से होता है, उससे अधिक पुण्य एकादशी के व्रत से होता है ।*

*👉 एकादशी करनेवालों के पितर नीच योनि से मुक्त होते हैं और अपने परिवारवालों पर प्रसन्नता बरसाते हैं । इसलिए यह व्रत करने वालों के घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*

*👉 धन-धान्य, पुत्रादि की वृद्धि होती है ।*

*👉 कीर्ति बढ़ती है, श्रद्धा-भक्ति बढ़ती है, जिससे जीवन रसमय बनता है ।*

*👉 परमात्मा की प्रसन्नता प्राप्त होती है । पूर्वकाल में राजा नहुष, अंबरीष, राजा गाधी आदि जिन्होंने भी एकादशी का व्रत किया, उन्हें इस पृथ्वी का समस्त ऐश्वर्य प्राप्त हुआ । भगवान शिवजी ने नारद से कहा है : एकादशी का व्रत करने से मनुष्य के सात जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं, इसमे कोई संदेह नहीं है । एकादशी के दिन किये हुए व्रत, गौ-दान आदि का अनंत गुना पुण्य होता है ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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