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पंचांग - 17-11-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै,  सरस्वत्यै, सच्चियाय, नमोनमः।।*🕉🌸*

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*🌞शुक्रवार चतुर्थी कापंचांग🌞*
*⛅दिनांक - 17 नवम्बर 2023*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी सुबह 11:02तक तत्पश्चात पंचमी*
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*⛅नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा रात्रि 01:16.21 तक तत्पश्चात ऊत्तराषाढ़ा*
*⛅योग - धृति सुबह 07:34.53 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅योग    धृति    07:34:53*
*⛅योग    शूल    28:59:54*
*⛅करण    विष्टि भद्र    11:02:56*
*⛅करण    बव    22:11:49*
*⛅वार    शुक्रवार*
*⛅माह (अमावस्यांत)    कार्तिक*
*⛅माह (पूर्णिमांत)    कार्तिक*
*⛅चन्द्र राशि       धनु*
*⛅सूर्य राशि       वृश्चिक*
*⛅रितु    हेमंत*
*⛅आयन    दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर    शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*⛅विक्रम संवत    2080*
*⛅गुजराती संवत    2080*
*⛅शक संवत    1945*
*⛅कलि संवत    5124*
*⛅सौर प्रविष्टे    1, मार्गशीर्ष*
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*⛅नागौर, राजस्थान (भारत)*
*⛅सूर्योदय    06:57:38    *
*⛅सूर्यास्त    17:41:59*
*⛅दिन काल    10:44:20*
*⛅ रात्री काल    13:16:25*
*⛅चंद्रोदय    10:50:35    *
*⛅चंद्रास्त    21:11:00*
*⛅सूर्योदय*
*⛅लग्न      वृश्चिक 0°14' , 210°14'*
*⛅सूर्य नक्षत्र    विशाखा*    
*⛅चन्द्र नक्षत्र    पूर्वाषाढा*
        *⛅पद, चरण*
*⛅1 भू    पूर्वाषाढा    08:02:14*
*⛅2 धा    पूर्वाषाढा    13:47:44*
*⛅3 फा    पूर्वाषाढा    19:32:25*
*⛅4 ढा    पूर्वाषाढा    25:16:21*
*⛅राहु कालहर जगह का अलग है - सुबह 10:59 से 12:20 तक*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:10 से 06:02 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:59 से 12:51 तक*
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     *✴️चोघडिया, दिन✴️*
*चर    06:58 - 08:18    शुभ*
*लाभ    08:18 - 09:39    शुभ*
*अमृत    09:39 - 10:59    शुभ*
*काल    10:59 - 12:20    अशुभ*
*शुभ    12:20 - 13:40    शुभ*
*रोग    13:40 - 15:01    अशुभ*
*उद्वेग    15:01 - 16:21    अशुभ*
*चर    16:21 - 17:42    शुभ*
      *✴️चोघडिया, रात✴️*
*रोग    17:42 - 19:22    अशुभ*
*काल    19:22 - 21:01    अशुभ*
*लाभ    21:01 - 22:41    शुभ*
*उद्वेग    22:41 - 24:20    अशुभ*
*शुभ    24:20 - 25:59    शुभ*
*अमृत    25:59 - 27:39    शुभ*
*चर    27:39 - 29:19    शुभ*
*रोग    29:19 - 30:58    अशुभ*
*⛅व्रत पर्व विवरण - विष्णुपदी-बृश्चिक संक्रांति*
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*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । पंचमी को बेल खाने से कलंक लगता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹विष्णुपदी संक्रांति : 17 नवम्बर 2023🌹*

*🔸(पुण्यकाल : सूर्योदय से दोपहर १२-२४ तक) (इसमें किये गये ध्यान, जप व पुण्यकर्म का फल लाख गुना होता है । - पद्म पुराण)*

*🔹नवयौवन देनेवाली
पुनर्नवा🔹*

*🔸यह शरीर को, विशेषकर दृष्टि को नया करती की है इसलिए इसको 'पुनर्नवा' कहते हैं । इसे हिन्दी में गदहपूरना या पुनर्नवा, मराठी में घेटुली, गुजराती में लाल साटोड़ी कहते हैं ।*

*🔸यह कोशिकाओं में संचित सूक्ष्म मल तथा दोषों को मूत्र के द्वारा बाहर निकालकर सम्पूर्ण शरीर की शुद्धि करती है, जिससे गुर्दे (kidneys), यकृत, हृदय आदि सभी अंग-प्रत्यंगों की कार्यशीलता व मजबूती बढ़ती है तथा युवावस्था दीर्घकाल तक बनी रहती है । यह बड़ी उम्र में कष्टदायी अनेक रोगों, जैसे मधुमेह (diabetes), हृदयरोग, श्वासरोग (दमा), खाँसी आदि से रक्षा करती है ।*
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*🔸आचार्य वाग्भटजी ने भी कहा है: 'जीर्णोऽपि भूयः सः पुनर्नवः स्यात् ।' अर्थात् चाहे कैसा भी वृद्ध मनुष्य हो, इसके विधिवत् सेवन से वह पुनः नवयुवक सदृश बनता है ।*

*🔸आधुनिक शोधों के अनुसार पुनर्नवा पोषक तत्त्वों का एक अच्छा स्रोत है। इसमें अमीनो एसिड, कैल्शियम, विटामिन 'सी', 'बी २', 'बी ३' पाये जाते हैं । यह कैंसर, मधुमेह, तनाव आदि में लाभदायक है ।*

*🔸पुनर्नवा उत्तम विषनाशक भी है । यह विरुद्ध आहार व अंग्रेजी दवाओं के अतिशय सेवन से शरीर में संचित हुए विषैले द्रव्यों का निष्कासन रोगों से रक्षा करती है । पाचकाग्नि को बढ़ाती है । इसके पेशाब खुलकर लानेवाले एवं सूजन पुणे कम करनेवाले गुणों के कारण यह सूजन, पेट में फेफड़ों में पानी भरना, पेशाब कम आना, गुर्दों पथरी आदि में बहुत ही लाभदायी औषधि है । रक्ताल्पता, संधिवात, आमवात और अजीर्ण में यह लाभकारी है ।*
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*🔸पत्तों की सब्जी : मूँग की दाल मिला के इसकी रसदार सब्जी बनती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदयरोगों, दमा, शरीरदर्द, मंदाग्नि, खून की कमी, यकृत के रोग तथा इन रोगों से रक्षा करने में फायदेमंद है ।*

*🔸नेत्रज्योति बढ़ाने हेतु विशेष प्रयोग पुनर्नवा की जड़ व पत्तों के ५-१० मि.ली. छने हुए रस में १ चम्मच मिश्री मिलाकर सुबह खाली पेट १ मास तक सेवन करें । इससे नेत्रज्योति खूब बढ़ती है एवं शरीर में स्फूर्ति आती है ।*

*🔸रसायन-प्रयोग: आयुर्वेद के आचार्यों ने पुनर्नवा को रसायन (tonic) कहा है । इसके सेवन से दीर्घायुष्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है । इससे जठराग्नि की वृद्धि होती है और शरीर का पोषण होता है । यह बल व शक्ति प्रदान करनेवाला है ।*

*🔸(१) पुनर्नवा के ताजे पत्तों के ५-१० मि.ली. रस में एक चुटकी काली मिर्च व थोड़ा-सा शहद मिलाकर लें ।*

*🔸(२) २-२ ग्राम पुनर्नवा चूर्ण या २-२ पुनर्नवा मूल (टेबलेट) सुबह-शाम दूध के साथ एक वर्ष तक लेने से शरीर में नयी कोशिकाओं का निर्माण होता है ।*
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इसकी सावधानी है जरूरी🔸*

*🔸स्नान के बाद गीले वस्त्रों को झटकते हैं तो उनमें से जो जल उड़ता है वह शरीर में लगने से पुण्य नाश होता है । इसलिए गीले वस्त्रों का जल शरीर को न लगे इसकी सावधानी रखनी चाहिए ।*

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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश "प्रेम" शर्मा
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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