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दीपावली का पंचदिवसीय पर्व पर धनतेरस,पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व समय

  दीपावली का पंचदिवसीय पर्व पर धनतेरस,पूजा का शुभ मुहूर्त, पूजन विधि व समय

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हर वर्ष की तरह इस साल धनतेरस 10 नवंबर 2023 कार्तिक बदी त्रयोदशी संवत 2080 शुक्रवार को शास्त्रों में धन त्रयोदशी के रूप में माना जाता है।
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      रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा से जानते हैं किस समय  शुभ मुहूर्त में, पूजा विधि, पूजा का समय, खरीदारी के लिए शुभ समय और धनत्रयोदशी मुहूर्त।

धनतेरस का शुभ त्योहार, जिसे धनत्रयोदशी के नाम से भी जाना जाता है, पांच दिवसीय दिवाली उत्सव की शुरुआत का प्रतीक है। इस वर्ष, यह 10 नवंबर 2023 को  यानी आज है।
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इस बार दीपावली उत्सव के पहले दिन को धनतेरस के रूप में जाना इस दिन आयुर्वेद के जनक धन्वंतरी भगवान का पूजन भी किया जाता है। यह उत्सव भाई दूज के साथ समाप्त होता है। जबकि  धनतेरस सोना, सोने के आभूषण, चांदी, नए बर्तन और अन्य घरेलू सामान खरीदने के लिए एक शुभ दिन है। इसलिए, लोग अपने घरों में सौभाग्य और समृद्धि लाने के लिए इन वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। सनातन धर्म में धनतेरस परभहवान धन्वंतरी, देवी लक्ष्मी और धन के देवता भगवान कुबेर की पूजा करते हैं।
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पंचांग के अनुसार, धनतेरस की शुभ पूजा का समय सोना, चांदी खरीदने एवं पूजा करने का शुभ समय के लिए शुभ समय।
धनत्रयोदशी
10नवम्बर 2023शुक्रवार
धनतेरस पर महालक्ष्मी कुबेर पूजा
प्रदोष काल मुहूर्त
धनतेरस पूजा शुक्रवार, 10नवम्बर 2023 को
धनतेरस पूजा मुहूर्त -06 :04 पी.एम से 08:पी.एम
अवधि - 01 घण्टा 56 मिनट्स
यम दीपम शुक्रवार, 10 नवम्बर 2023 को
प्रदोष काल - 05:46 पी.एम से 08:23 पी.एम. तक
वृषभ काल - 06:04 पी.एम से 08:00 पी.एम तक
त्रयोदशी तिथि प्रारम्भ - 10नवम्बर 2023  को 12:35 पी.एम बजे
त्रयोदशी तिथि समाप्त - 11नवम्बर2023  को 01:57 पी.एम बजे तक होगा।
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धनतेरस 2023 पूजा विधि:
धनतेरस उत्सव के दौरान हिंदू देवी लक्ष्मी और भगवान कुबेर की पूजा करते हैं । इस दिन वे प्रदोष व्रत भी रखते हैं। धनतेरस के दिन लोग सोने और चांदी के आभूषणों के धातु से बनी हुई वस्तुओं की खरीदारी करते हैं। जिस घर में सोहर्द प्रगति का वातावरण बना रहता है। कपड़े और अन्य घरेलू सामान भी खरीदते हैं। धनतेरस के दिन झाड़ू या खड़ा नमक खरीदने की भी परंपरा रही है।
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इस दिन धातु या मिट्टी की लक्ष्मी -गणेश की मूर्ति खरीदना शुभ माना जाता है। शाम के समय मिट्टी या  मुख्य दिशा में आटे के चार मुखी दीपक जलाकर घर के मुख्य द्वार के सामने रखें। दीपदान करना एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में पूर्ण अनुष्ठान माना जाता है।
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