28 को शरद पूर्णिमा पर रहेगा साल का आखिरी चंद्र ग्रहण, एवं शरद पूर्णिमा महोत्सव
वहीं, मंगलवार यानी 24 अक्तूबर को चंद्रमा शनि ग्रह के निकट रहेगा। ज्योतिषियों ने बताया कि चंद्र ग्रहण को सामान्य तरीके से देखा जा सकता है। इसका आंखों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। बताया कि चंद्र ग्रहण की स्थिति तब बनती है, जब सूर्य और चंद्रमा के बीच पृथ्वी आ जाती है और इसकी छाया चंद्रमा पर पड़ती है।इस दौरान पृथ्वी सूर्य की रोशनी को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकती है, जिससे चंद्रमा लाल-भूरा या नारंगी रंग में दिखाई देता है। इस बारे में ज्योतिषियों व वैज्ञानिकों ने बताया कि भारत के अलावा यह चंद्र ग्रहण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया सहित विश्व के कई हिस्सों में दिखाई देगा।
ज्योतिर्विद दिनेश प्रेम शर्मा के अनुसार ग्रहण के दौरान भगवान की मूर्ति स्पर्श नहीं करना चाहिए। कुछ खाने-पीने से भी बचना चाहिए। साथ ही ग्रहण के बाद घर की सफाई करने के बाद ही पूजा-पाठ और दान-दक्षिणा करना चाहिए।
ज्योतिर्विद दिनेश प्रेम शर्मा बताते हैं कि चंद्र ग्रहण में गर्भवती महिलाओं को नहीं सोना चाहिए। साथ ही चंद्र ग्रहण से पहले ही तुलसी की पत्ती को तोड़ लें और भोजन में डाल दें। इस दौरान कोई भी शुभ कार्य न करें।
पानी के कुंड होद पीने के पानी में कुश (डाब)का प्रयोग अवश्य करें।
शरद पूर्णिमा महोत्सव 2023
शरद पूर्णिमा महोत्सव प्रतिवर्ष अश्विन शुक्ला पूर्णिमा को मनाया जाता है इस पूर्णिमा के दिन सभी वैष्णव भगवत मंदिरों में को दूध की खीर बनाकर16 कला पूर्ण चंद्रमा के मध्य आकाश में स्थित होने पर उनकी किरणों का खीर में प्रवेश होने के बाद अर्धरात्रि के समय भगवान को अर्पण किया जाता है भगवत प्रेमी जनों में भी प्रसाद वितरित किया जाता है। पूर्वजों के कथन अनुसार इस पूर्णिमा (आश्विन पूर्णिमा) से अगली कार्तिक पूर्णिमा तक चंद्र किरणे अमृत सहित 16 कलाएं युक्त ओत प्रोत रहती है।
इस कारण इस दिन खीर का प्रसाद लेने से रोग एवं व्याधि दूर होती है इस वर्ष पूर्णिमा के दिन चंद्र ग्रहण है। जिस कारण भोजन का सूतक 4:00 बजे सायं लग जाएगा। अत:सायं बजे से पहले पहले भोजन कर लेना उचित होगा। तथा देशाचारानुसार सायं ७ बजे से पहले पहले जल ग्रहण करे।
खंडग्रास चंद्र ग्रहण भारतीय समय से विरल छाया प्रवेश रात्रि, 11:32 बजे ग्रहण का स्पर्श रात्रि, 1:05 बजे ग्रहण का मध्यकाल रात्रि,1:44 पर और मोक्ष जो रात्रि 2:23 पर विरल छाया निगम रात्रि 3:56 पर होगा।
सूतक भारतीय समय से दिन में 4:05 पर प्रारंभ होगा।
अत: इस दिन अमृतमय किरणों का अपनों को प्राप्त नही हो सकेगी। विद्ववतजनों से विचार विमर्श के बाद एवम गहन विचार विमर्श के फल अनुसार प्रतिपदा को सायंकाल से अर्ध रात्रि में सभी मंदिर में ये उत्सव का निर्णय लिया गया है। क्युकी अमृतमय किरणे प्रतिपदा को भी प्राप्त हो सकेगी। स्वामी मोहन महाराज एवम रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर(राज.)