पति की लंबी आयु के लिए महिलाएं करवा चौथ पर्व कि रात को चंद्र दर्शन कर व्रत खोलेंगी
करवा चौथ (कर्क चतुर्थी)
सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना के लिये व्रत रखती हैं।
करवा चौथ व्रत उदयातिथि से मान्य होता है इसलिए इस साल करवा चौथ 1 नवंबर 2023, बुधवार को शुभ अमृत काल,*
*सर्वाथसिद्धयोग , मृगशिरा नक्षत्र के शुभ संयोग में यह व्रत होगा।
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि की 31 अक्टूबर 2023 को रात 9.29.36 मिनट पर शुरू होगी. चतुर्थी तिथि की समाप्ति 1 नवंबर 2023 को रात 9.18.41 मिनट पर होगी.
करवा चौथ पूजा मुहूर्त - सायं काल से चंद्रोदय तक तक होगी। तो वहीं, करवा चौथ व्रत का समय - सुबह सूर्योदय से 06:46:02 बजे से रात 20:33:23 बजे तक रहेगा। इसके अलावा चंद्रोदय का समय - रात्रि 20:33:23 बजे होगा।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी अर्थात उस चतुर्थी की रात्रि को जिसमें चंद्रमा दिखाई देने वाला है, उस दिन प्रातः स्नान करके अपने सुहाग (पति) की आयु, आरोग्य, सौभाग्य का संकल्प लेकर दिनभर निराहार रहें।
कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को करकचतुर्थी (करवा-चौथ) व्रत करने का विधान है। इस व्रत की विशेषता यह है कि केवल सौभाग्यवती स्त्रियों को ही यह व्रत करने का अधिकार है। स्त्री किसी भी आयु, जाति, वर्ण, संप्रदाय की हो, सबको इस व्रत को करने का अधिकार है। जो सौभाग्यवती (सुहागिन) स्त्रियाँ अपने पति की आयु, स्वास्थ्य व सौभाग्य की कामना करती हैं वे यह व्रत रखती हैं। हिंदू मान्यताओं में महावर यानी आलता को सोलह श्रृंगार में से एक कहा गया है करवा चौथ के दिन स्त्रियां इसे विशेष तौर पर पैरों में लगाती हैं।
उस दिन भगवान शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चन्द्रमा का पूजन करें। पूजन करने के लिए बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी बनाकर उपरोक्त वर्णित सभी देवों को स्थापित करें।
काली मिट्टी में शक्कर की चासनी मिलाकर उस मिट्टी से बनाये गए मिट्टी के करवे अथवा तांबे के बने हुए करवे।
शुद्ध घी में आटे को सेंककर उसमें शक्कर अथवा खांड मिलाकर मोदक (लड्डू) नैवेद्य हेतु बनाएँ।
करवों में लड्डू का नैवेद्य रखकर नैवेद्य अर्पित करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित कर पूजन समापन करें। करवा चौथ व्रत की कथा पढ़ें अथवा सुनें।
सायंकाल चंद्रमा के उदित हो जाने पर चंद्रमा का पूजन कर अर्घ्य प्रदान करें। इसके पश्चात ब्राह्मण, सुहागिन स्त्रियों व पति के माता-पिता को भोजन कराएँ। पति की माता (अर्थात अपनी सासूजी) को उपरोक्त रूप से अर्पित एक लोटा, वस्त्र व विशेष करवा भेंट कर आशीर्वाद लें। यदि वे जीवित न हों तो उनके तुल्य किसी अन्य स्त्री को भेंट करें। इसके पश्चात स्वयं व परिवार के अन्य सदस्य भोजन करें।
आधुनिक काल में करवा चौथ को पति दिवस का भी नाम दिया गया है तथा उस रूप में भी उसे मनाया जाता है
करवा चौथ के दिन स्त्रियां शाम को चौथ माता, करवा माता और गणपति की पूजा करती है और चंद्रोदय के बाद चंद्रदेव को अर्घ्य दिया जाता है।
करवा चौथ स्पैशल प्रयोग
१ नवंबर २०२३ करवा चौथ नक्षत्र मृगशीर्ष मंगल का नक्षत्र रहेगा करवा चौथ का व्रत रहेगा बुधवार का दिन रहेगा और चंद्र देव वृषभ
राशि में होंगे शाम 4.11 तक फिर मिथुन राशि में होंगे। उच्च के चंद्रदेव आगे बढ़ता हुआ प्रवेश करेंगे। क्या खास ऐसा हो इसको जाने अपने करवा में डाले की पति की रक्षा और पत्नी की सुरक्षा हो ऐसा अर्घ्य को आपको खास बनाने के लिए तीन हरी इलायची, कुशा, थोड़े से काले देशी तिल का प्रयोग चंद्रदेव कोअर्घ्य दे सदैव अपने पति के आशीर्वाद में रहेंगे।
रमल ज्योतिर्विद आचार्य दिनेश प्रेम शर्मा नागौर।