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पंचांग - 22-10-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸*

jyotish


*🌞 आज का पंचांग 🌞*
*⛅तिथि - अष्टमी रात्रि
*⛅दिनांक -22अक्टूबर 2023*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - अष्टमी रात्रि 09:58.24तक तत्पश्चात नवमी*
*⛅नक्षत्र - उत्तराषाढ़ा शाम 06:42.58 तक तत्पश्चात श्रवण*
*⛅योग - धृति रात्रि 09:51.17 तक तत्पश्चात शूल*
*⛅करण    विष्टि भद्र    08:58:15*
*⛅करण    बव    19:58:24*
*⛅चन्द्र राशि       मकर*
*⛅सूर्य राशि       तुला*
*⛅रितु    शरद*
*⛅आयन    दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर    शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*⛅विक्रम संवत    2080*
*⛅शक संवत    1945*
*⛅कलि संवत    5124*
*⛅सौर प्रविष्टे    5, कार्तिक*    
*⛅नागौर, राजस्थान (भारत)*
*⛅सूर्योदय    06:39:40    *
*⛅सूर्यास्त    17:59:02*
*⛅दिन काल    11:19:21*
*⛅रात्री काल    12:41:14*
*⛅चंद्रोदय    13:47:38*    
*⛅चंद्रास्त    24:25:32*

      *⛅ सूर्योदय*
*⛅लग्न      तुला 4°11'184°11'*
*⛅सूर्य नक्षत्र    चित्रा    *
*⛅चन्द्र नक्षत्र    उत्तराषाढा*
        *⛅ पद, चरण*
*2 भो    उत्तराषाढा    07:20:37*
*3 जा    उत्तराषाढा    13:02:27*
*4 जी    उत्तराषाढा    18:42:58*
*1 खी    श्रवण    24:22:14*
*2 खू    श्रवण    30:00:18*
*⛅राहु काल - शाम 16:34 से 17:59 तक*
*⛅यम घंटा    13:45 - 15:10    अशुभ*
*⛅गुली काल    06:39 - 08:04
*⛅अभिजित    11:57 - 12:42    शुभ*
*⛅ दिन काल    11:19:21*    
*⛅रात्री काल    12:41:14*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:59 से 05:49 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:59 से 12:49 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - महाष्टमी, दुर्गाष्टमी, सरस्वती-विसर्जन, स्वामी रामतीर्थजी जयन्ती (दि. अ. )*
*⛅विशेष - अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹 नवरात्रि - दुर्गाष्टमी - 22 अक्टूबर 🌹*

*🌹 नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर माँ महागौरी की पूजा की जाती है । माँ महागौरी, माँ दुर्गा का आठवाँ स्वरूप है । इन्हें आठवीं शक्ति कहा जाता है ।  पुराणों के अनुसार, इनके तेज से संपूर्ण विश्व प्रकाशमान है । माँ के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता का विकास होने के साथ मानसिक शांति भी बढ़ती है ।*

*🌹 इस दिन माँ को नारियल चढ़ाया जाता है । इस दिन कन्या पूजन का विशेष महत्व है । अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्या पूजा करने से माँ दुर्गा का विशेष आशीर्वाद प्राप्त होता है ।*

*🔸ॐ कार का अर्थ एवं महत्त्व🔸*

*🔹ॐ = अ+उ+म+(ँ) अर्ध तन्मात्रा । ॐ का अ कार स्थूल जगत का आधार है। उ कार सूक्ष्म जगत का आधार है । म कार कारण जगत का आधार है । अर्ध तन्मात्रा (ँ) जो इन तीनों जगत से प्रभावित नहीं होता बल्कि तीनों जगत जिससे सत्ता-स्फूर्ति लेते हैं फिर भी जिसमें तिलभर भी फर्क नहीं पड़ता, उस परमात्मा का द्योतक है ।*

*🔸ॐ आत्मिक बल देता है । ॐ के उच्चारण से जीवनशक्ति उर्ध्वगामी होती है । इसके सात बार के उच्चारण से शरीर के रोग को कीटाणु दूर होने लगते हैं एवं चित्त से हताशा-निराशा भी दूर होतीहै । यही कारण है कि ऋषि-मुनियों ने सभी मंत्रों के आगे ॐ जोड़ा है । शास्त्रों में भी ॐ की बड़ी भारी महिमा गायी गयी है ।*

*🔸भगवान शंकर का मंत्र हो तो ॐ नमः शिवाय । भगवान गणपति का मंत्र हो तो ॐ गणेशाय नमः। भगवान राम का मंत्र हो तो ॐ रामाय नमः । श्री कृष्ण मंत्र हो तो ॐ नमो भगवते वासुदेवाय । माँ गायत्री का मंत्र हो तो ॐ भूर्भुवः स्वः। तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गोदेवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इस प्रकार सब मंत्रों के आगे ॐ तो जुड़ा ही है ।*

*पतंजलि महाराज ने कहा हैः तस्य वाचकः प्रणवः। ॐ (प्रणव) परमात्मा का वाचक है, उसकी स्वाभाविक ध्वनि है ।*

*🔸ॐ के रहस्य को जानने के लिए कुछ प्रयोग करने के बाद रूस के वैज्ञानिक भी आश्चर्यचकित हो उठे । उन्होंने प्रयोग करके देखा कि जब व्यक्ति बाहर एक शब्द बोले एवं अपने भीतर दूसरे शब्द का विचार करे तब उनकी सूक्ष्म मशीन में दोनों शब्द अंकित हो जाते थे । उदाहरणार्थ, बाहर के क कहा गया हो एवं भीतर से विचार ग का किया गया हो तो क और ग दोनों छप जाते थे। यदि बाहर कोई शब्द न बोले, केवल भीतर विचार करे तो विचारा गया शब्द भी अंकित हो जाता था ।*

*🔸किन्तु एकमात्र ॐ ही ऐसा शब्द था कि व्यक्ति केवल बाहर से ॐ बोले और अंदर दूसरा कोई भी शब्द विचारे फिर भी दोनों ओर का ॐ ही अंकित होता था। अथवा अंदर ॐ का विचार करे और बाहर कुछ भी बोले तब भी अंदर-बाहर का ॐ ही छपता था ।*

*🔸समस्त नामों में ॐ का प्रथम स्थान है। मुसलमान लोग भी अल्ला होssssss अकबर........ कहकर नमाज पढ़ते हैं जिसमें ॐ की ध्वनि का हिस्सा है ।*

*🔸सिख धर्म में भी एको ओंकार सतिनामु...... कहकर उसका लाभ उठाया जाता है । सिख धर्म का पहला ग्रन्थ है, जपुजी और जपुजी का पहला वचन हैः  एको ओंकार सतिनामु.........*

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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