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पंचांग - 20-10-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸*

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*दिनांक -,20-10-2023*

*वार - शुक्रवार*

* नागौर, राजस्थान (भारत)*🌸*    षष्ठी, शुक्ल पक्ष, आश्विन*
🌸* तिथि    षष्ठी    23:24:16*
🌸* पक्ष    शुक्ल*
🌸* नक्षत्र    मूल    20:40:04*
🌸* योग    अतिगंड    27:00:58*
🌸* करण    कौलव    12:00:53*
🌸* करण    तैतुल    23:24:16*
🌸* वार    शुक्रवार*
🌸* माह (अमावस्यांत)    आश्विन*
🌸* माह (पूर्णिमांत)    आश्विन*
🌸* चन्द्र राशि       धनु*
🌸* सूर्य राशि       तुला*
🌸*रितु    शरद*
🌸* आयन    दक्षिणायण*
🌸* संवत्सर    शोभकृत*
🌸* संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
🌸* विक्रम संवत    2080*
🌸* गुजराती संवत    2079*
🌸* शक संवत    1945*
🌸* कलि संवत    5124*
🌸* सौर प्रविष्टे    3, कार्तिक
🌸* नागौर, राजस्थान (भारत)*
🌸*सूर्योदय    06:38:30*    
🌸* सूर्यास्त    18:00:53*
🌸* दिन काल    11:22:23*    
🌸* रात्री काल    12:38:12*
🌸* चंद्रोदय    11:57:07*    
🌸* चंद्रास्त    22:13:30*
  🚩 _*स्थानीय समयानुसार अभिजीत मुहूर्त, राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय चंद्रोदय, चंद्रास्त समय में अंतर सम्भव है.....*_ 🚩

        🌸* सूर्योदय*🌸
 🌸*लग्न      तुला 2°12' , 182°12'*
 🌸*सूर्य नक्षत्र    चित्रा*
🌸*    चन्द्र नक्षत्र    मूल*
    🌸*पद, चरण*🌸
  *2 यो    मूल    08:54:31*
  *3 भा    मूल    14:48:04*
  *4 भी    मूल    20:40:04*
  *1 भू    पूर्वाषाढा    26:30:31*
    *🌸*चोघडिया, दिन*🌸*
*चर    06:39 - 08:04    शुभ*
*लाभ    08:04 - 09:29    शुभ*
*अमृत    09:29 - 10:54    शुभ*
*काल    10:54 - 12:20    अशुभ*
*शुभ    12:20 - 13:45    शुभ*
*रोग    13:45 - 15:10    अशुभ*
*उद्वेग    15:10 - 16:36    अशुभ*
*चर    16:36 - 18:01    शुभ*
      *चोघडिया, रात*
*रोग    18:01 - 19:36    अशुभ*
*काल    19:36 - 21:10    अशुभ*
*लाभ    21:10 - 22:45    शुभ*
*उद्वेग    22:45 - 24:20अशुभ*
*शुभ    24:20* - 25:55    शुभ*
*अमृत    25:55* - 27:30    शुभ*
*चर    27:30 - 29:04    शुभ*
*रोग    29:04 - 30:39    अशुभ*

🌸*लग्न सूर्योदय*🌸
🌸*  तुला    1°12' , 181°12'*
              🌸*मुहूर्त*🌸
🌸*नागौर, राजस्थान (भारत)*
🌸*सूर्योदय    06:38:30    *
🌸*सूर्यास्त    18:00:53*
🌸*दिन काल    11:22:23    *
🌸*रात्री काल    12:38:12*
       🌸*लग्न सूर्योदय*🌸
🌸* तुला    2°12' , 182°12'*
            🌸*मुहूर्त*🌸
🌸*राहू काल    10:54 - 12:20    अशुभ*
🌸*यम घंटा    15:10 - 16:36    अशुभ*
🌸*गुली काल    08:04 - 09:29*
🌸*अभिजित    11:57 - 12:42    शुभ*
🌸*दूर मुहूर्त    08:55 - 09:40    अशुभ*
🌸*दूर मुहूर्त    12:42 - 13:28    अशुभ*
🌸*वर्ज्यम    19:06 - 20:40    अशुभ*
🌸*गंड मूल    06:39 - 20:40    अशुभ*

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   🌷 *शारदीय नवरात्रि* 🌷

*नवरात्रि के षष्ठी तिथि पर आदिशक्ति दुर्गा के कात्यायनी स्वरूप की पूजा करने का विधान है। महर्षि कात्यायनी की तपस्या से प्रसन्न होकर आदिशक्ति ने उनके यहां पुत्री के रूप में जन्म लिया था। इसलिए वे कात्यायनी कहलाती हैं। नवरात्रि के छठे दिन इनकी पूजा और आराधना होती है। माता कात्यायनी की उपासना से आज्ञा चक्र जाग्रृति की सिद्धियां साधक को स्वयंमेव प्राप्त हो जाती हैं। वह इस लोक में स्थित रहकर भी अलौलिक तेज और प्रभाव से युक्त हो जाता है तथा उसके रोग, शोक, संताप, भय आदि सर्वथा विनष्ट हो जाते हैं।*

🌷 *शारदीय नवरात्रि* 🌷
🙏🏻 *नवरात्र की षष्ठी तिथि यानी छठे दिन माता दुर्गा को शहद का भोग लगाएं ।इससे धन लाभ होने के योग बनने हैं ।*

   *🌷*कात्यायनी मंत्र*🌷
*अर्थ, महत्व और लाभ*
*विवाह योग्य युवतियां मां कात्यायनी का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए कात्यायनी मंत्र का पाठ करती हैं।* *इसके पीछे शीर्घ विवाह योग्य वर की प्राप्ति की मंशा समाहित होती है।* *मां कात्यायनी की पूजा करने से प्रेम के रास्ते में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और भक्तों को सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद मिलता है।* *माता कात्यायनी देवी दुर्गा के नौ रूपों में से एक हैं। मां कात्यायनी की पूजा की नवरात्रि के नौ दिनों में की जाती है। दिव्य देवी कात्यायनी, माँ दुर्गा शक्ति की अभिव्यक्ति हैं*। *भगवान शिव के दूसरे भाग और माँ कात्यायनी, दुर्गा के कई रूपों में से एक हैं। मां कात्यायनी स्त्री ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करती हैं* *और स्त्री ऊर्जा का स्वरूप भी हैं। मां कात्यायनी को दुर्गा का छठा रूप माना जाता है और इसी के अनुसार नवरात्रि के छठे दिन उनकी पूजा की जाती है।*

*राक्षस महिषासुर ने सर्वशक्तिमान बनने का वरदान प्राप्त किया था। इसके बाद उसने सबके जीवन पर कहर बरपाया। जिससे नर, देव सभी दुखी थे। राक्षस महिषासुर किसी भी स्थिति में नियंत्रण में नहीं आ रहा था। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार तीन सबसे शक्तिशाली देवता ब्रह्मा, विष्णु और शिव राक्षस महिषासुर का संहार करने के लिए एकजुट हुए थे। तीनों देवताओं की शक्ति और पराक्रम के संयोजन से एक अग्नि उत्पन्न हुई, जिससे देवी कात्यायनी का जन्म हुआ। वह नारी शक्ति की दिव्य इकाई के रूप में अवतरित हुईं, जिसमें अनगिनत सूर्यों की चमक थी। उनका एक रूप योद्धा का था, जिनकी तीन आंखें और लंबे काले बाल थे*।

*मां कात्यायनी की 18 भुजाएँ थीं और प्रत्येक भुजा में, उन्हें विभिन्न युद्ध हथियार और वस्तुएँ सौंपी गईं जो युद्ध और जीत का प्रतिनिधित्व करती थीं। उनकी प्रत्येक भुजाओं में क्रमश: त्रिशूल, चक्र, शंख, गदा, तलवार और ढाल, धनुष और बाण, वज्र, गदा और युद्ध-कुल्हाड़ी, माला और गुलाब जल जैसे कई शक्तिशाली शस्त्र थे। माता ने अपने वाहन सिंह पर चढ़कर महिषासुर का संहार करने के लिए उसकी ओर बढ़ी। मां कात्यायनी के डर से महिषासुर भाग खड़ा हुआ और एक मरी हुई भैंस के अंदर छिप गया। लेकिन उसके सभी प्रयास व्यर्थ रहे, क्योंकि वह देवी कात्यायनी के क्रोध से बच नहीं सका और देवी द्वारा उसका संहार किया गया।*

*भागवत पुराण में लिखा है कि माता कात्यायनी की पूजा करने से उन्हें भाग्य की प्राप्ति होती है जो युवतियां विवाह करना चाहती हैं और मनचाहा वर की मनोकामना करती हैं। कात्यायनी व्रत से जुड़ी मान्यता यह है कि इसे सबसे पहले कृष्ण की भूमि, भीर भूमि की गोपियों द्वारा कृष्ण को पति स्वरूप प्राप्त करने के लिए किया गया था। आमतौर पर मार्गशीर्ष के सर्दियों के महीनों के दौरान, युवतियां देवी कात्यायनी की प्रार्थना करती हैं। उन्हें प्रसन्न करने के लिए आंशिक उपवास के सख्त नियमों का पालन करती हैं।*

*कात्यायनी मंत्र
*कात्यायनी मंत्र: वे कैसे मदद करते हैं?*
*शुद्ध और साफ मन से नियमित रूप से मंत्रों का जाप करने से जातक को शांति और सकारात्मक ऊर्जा मिलती है क्योंकि मंत्रों में अत्यधिक आध्यात्मिक ऊर्जा होती है। मंत्रों का जाप करते समय उचित दिशा-निर्देशों का पालन करने से जातक के चारों ओर एक प्रकार का कंपन उत्पन्न होता है, जो जातक को प्रसन्न करता है और शांतिपूर्ण माहौल पैदा करता है। कात्यायनी मंत्रों का उपयोग मांगलिक दोषों का सामना कर रहे लोग कर सकते हैं। साथ ही जिनके विवाह में विघ्न आ रहा है, वे भी इन मंत्रों का उपयोग कर सकते हैं। आपको बताते चलें कि मांगलिक दोष, वह दोष होता है जब किसी को मंगल ग्रह से संबंधित समस्या होती है।*

*इस मंत्र का निरंतर जाप करने से रिश्तों में आई बाधाओं को दूर किया जा सकता है। मांगलिक दोष वैवाहिक जीवन में विकृति पैदा कर सकते हैं और सद्भाव को भी बाधित कर सकते हैं।* *कभी-कभी यह जीवनसाथी की असमय मृत्यु का कारण बन जाता है। माँ कात्यायनी की भक्ति मंगल दोष के बुरे प्रभावों को दूर करती है और सुखद वैवाहिक जीवन का आश्वासन देती है।*

*कात्यायनी मंत्र* *का जाप कैसे करें*
*कात्यायनी मंत्र के जाप की प्रक्रिया शुरू करने के लिए लाल रंग की चंदन जप माला तैयार करें।*
*प्रक्रिया शुरू करते समय माता कात्यायनी की तस्वीर या मूर्ति अपने सामने रखना अच्छा माना जाता है,* *क्योंकि उन्हें लाल फूल अर्पित करना फायदेमंद होता है।* *लेकिन अगर कोई चित्र उपलब्ध नहीं है, तो अपनी आंखें बंद करके मां कात्यायनी का स्मर्ण करें।*
*मंत्र जाप करने से पहले लाल रंग के वस्त्र धारण करना अच्छा होता है, क्योंकि इससे देवी प्रसन्न होती हैं।*
*सर्वोत्तम परिणाम प्राप्त करने के लिए जप माला के उपयोग से कुल 1,25,000 बार मंत्रों का जाप करने का प्रयास करें। चूँकि किसी भी मंत्र को एक बार में इतनी बार जपना बहुत कठिन होता है, इसलिए व्यक्ति को 12 दिनों में इस संख्या को तोड़ देना चाहिए, जिससे मंत्र जाप करना आसान हो जाता है।*
*कल्पना करें कि मंत्रों के जाप के अंतिम दिन के दौरान आप अपने सपनों के राजकुमार से शादी कर रही हैं। इससे विवाह और जीवनसाथी प्राप्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी।*
*महत्वपूर्ण कात्यायनी मंत्र*🌷
1. *कात्यायनी मंत्र*
*कात्यायनी मंत्र की देवी, कात्यायनी हैं।* *वह नव दुर्गा का छठा रूप हैं। कात्यायनी का अर्थ है अहंकार और कठोरता का नाश।* *बृहस्पति ग्रह पर देवी कात्यायनी का शासन है। विभिन्न कथाओं में देवी की 18 भुजाएँ या 4 भुजाएँ बताई गई हैं।* *जो लोग माता-पिता या समाज के दबाव के चलते अपने प्रेमी से विवाह नहीं कर पाते, उन्हें इस मंत्र का जाप बताए गए नियमों के अनुसार करना चाहिए।* *ऐसा करने से भक्त को सौभाग्य प्राप्त होता है, विवाह में आई अड़चनें दूर होती हैं।*

*कात्यायनी मंत्र हैं:*
*कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।*

*नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥*

*ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ॥*

*कात्यायनी मंत्र के जाप के लाभ*
*पूरे भक्ति भाव के साथ कात्यायनी मंत्र का जप करने से कुंडली पर मांगलिक दोष का प्रभाव समाप्त हो जाता और विवाह के अच्छे अवसर प्राप्त होते हैं।*
*माता कात्यायनी, नारी शक्ति की प्रतिमूर्ति और नारी शक्ति की प्रतीक हैं।* *मां कात्यायनी की आराधना करने से प्रेम जीवन बेहतर होता है और स्त्रीत्व में भी वृद्धि होती है।*
*नवविवाहित जीवन में समस्याएं आने पर कात्यायनी मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे पति-पत्नी का मन शांत होता है और आपस में बेहतर सामंजस्य स्थापित कर पाते हैं।*
*कात्यायनी मंत्र* *का जाप करने का सर्वोत्तम* *समय    शुक्ल पक्ष*, *चंद्रमावली*, *शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि*
*इस मंत्र का जाप करने की संख्या    1,25,000 बार*
*कात्यायनी मंत्र का जाप कौन कर सकता है*    *जिन्हें उपयुक्त वर नहीं मिल रहा है*
*किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें    माता कात्यायनी की मूर्ति या देवी पार्वती के सामने*
*2. *पार्वती मंत्र*
*किसी व्यक्ति की जन्म कुंडली पर मंगल ग्रह के प्रभाव की वजह से मंगल दोष होता है।* *जब कोई व्यक्ति मांगलिक होता है*, *तो माना जाता है कि उसे उपयुक्त साथी खोजने में कई तरह की कठिनाइयों से गुजरना पड़ता है। दरअसल, जिन लोगों की कुंडली में मांगलिक दोष होता है*, *अप्रत्याशित वजहों से उनके विवाह में देरी हो सकती है और जिनका विवाह तय हो जाता है,* *उन्हें विवाह करने में मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। यही नहीं, कुंडली मंगल दोष के कारण सच्चा प्यार पाना बेहद कठिन हो जाता है।*
*कात्यानी माता भोग* :=
*कात्यानी माता के भोग के रूप में शहद का प्रयोग सबसे ज्यादा किया जाता है अगर आप  शुक्रवार के दिन मंदिर में शहद का दान करते हैं तो निश्चित आपके जीवन में खुशहाली और सौहार्द आएगा।*

     *पार्वती मंत्र का जाप करने से जातक को अपने लिए उपयुक्त जीवनसाथी खोजने में मदद मिलती है। पार्वती शक्ति का एक अन्य रूप है, भगवान शिव की प्यारी पत्नी हैं। कई त्योहारों या महोत्सवों में विवाहित जोड़े के रूप में भगवान शिव और पार्वती की पूजा की जाती है। करवा चौथ के दौरान, पति की लंबी उम्र का आशीर्वाद पाने के लिए भगवान शिव और देवी पार्वती की एक-साथ पूजा की जाती है*।

*पार्वती मंत्र है*:
*हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्वं शंकरप्रिया ।*
*तथा मां कुरु कल्याणि कान्तकातां सुदुर्लभाम* ॥

पार्वती मंत्र के जाप के लाभ
किसी की कुंडली पर मंगल दोष के प्रभाव को समाप्त करने के लिए पार्वती मंत्र का जाप अत्यंत लाभकारी होता है।
यदि किसी दंपति को माता-पिता का आशीर्वाद प्राप्त नहीं हो रहा है, तो उन्हें इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे दंपति को अपने माता-पिता का आशीर्वाद आसानी से प्राप्त हो जाता है।
करवा चौथ का व्रत रखने वाली विवाहित महिलाओं को पार्वती मंत्र का पाठ करना चाहिए क्योंकि इस दिन देवी पार्वती की भगवान शिव के साथ पूजा की जाती है।
इस मंत्र का पूरी श्रद्धाभाव से जाप करने से वैवाहिक जीवन में आई कठिनाइयां दूर होती हैं। साथ पति-पत्नी के बीच अच्छी समझ विकसित होती है।
पार्वती मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय    शुक्ल पक्ष, चंद्रमावली, शुभ नक्षत्र, शुभ तिथि
इस मंत्र का जाप करने की संख्या    1,25,000 बार
पार्वती मंत्र का जाप कौन कर सकता है?    जिनकी कुंडली में मांगलिक दोष होता है
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें    माता पार्वती और भगवान शिव की मूर्ति के सामने
3. सूर्य मंत्र
जब दुर्भाग्यवश विवाह में देरी हो, तो सभी कात्यायनी मंत्र अत्यंत शक्तिशाली होते हैं। हर कोई सुखी वैवाहिक जीवन की कामना करता है। लेकिन उसके लिए एक ऐसे साथी की जरूरत होती है जो आपके जीवन के हर पहलू को समझे, आपके साथ अपने सुख-दुख साझा करे, आपकी खुशी में खुश हो और परेशानियों में साथ निभाए। ऐसे साथी के साथ अपना जीवन सार्थक बन जाता है। ऐसा जीवनसाथी पाने के लिए सूर्य मंत्र का जाप किया जाता है। सूर्य सभी ऊर्जा का स्रोत है। उपासक सूर्य की उपासना कर अपने जीवन में सकारात्मकता को बढ़ावा दे सकते हैं। सूर्य की आराधना करने का सबसे उपयुक्त समय सूर्योदय होता है। इससे जातक को अच्छे परिणाम मिलते हैं और सकारात्मक समाचारों से दिन भर जाता है।
सूर्य मंत्र का जाप करने का सर्वोत्तम समय    शुक्ल पक्ष, चंद्रमावली, शुभ नक्षत्र या शुभ तिथि
इस मंत्र का जाप करने की संख्या    सूर्यदेव को जल चढ़ाते समय 12 बार
सूर्य मंत्र का जाप कौन कर सकता है?    जिन्हें विवाह में विलंब हो रहा है
किस ओर मुख करके इस मंत्र का जाप करें    पूर्व दिशा की ओर
4. विवाह हेतु मंत्र
माता कात्यायनी आदि शक्ति का शक्तिशाली रूप है। वह शिव का आधा हिस्सा हैं। उनकी उपासना करने से शिव जैसे वर प्राप्ति का आशीर्वाद मिलता है। विवाह में आई सामाजिक, आर्थिक बाधाओं को इस मंत्र की मदद से दूर किया जा सकता है। इस मंत्र की मदद से विवाह में आईं अन्य अडचनें जैसे जाति या धर्म के मतभेद, माता-पिता या परिवार के अन्य सदस्यों का विरोध को दूर किया जा सकता है। जिन युवतियों के विवाह में विलंब हो रहा है, उन्हें इस मंत्र का उच्चारण करने के साथ-साथ मां पार्वती की पूजा करनी चाहिए। इससे सुखद वैवाहिक जीवन का फल मिलता है।

विवाह हेतु मंत्र है:
ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।
नन्दगोपसुतं देवि पतिं मे कुरु ते नमः ।।

🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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