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पंचांग - 14-10-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸

jyotish


*🌞शनिवार का पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 14 अक्टूबर 2023*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - अमावस्या रात्रि 11:24.11 तक तत्पश्चात प्रतिपदा*
*⛅नक्षत्र - हस्त शाम 04:22.53 तक तत्पश्चात चित्रा*
*⛅योग - इन्द्र सुबह 10:22.59 तक तत्पश्चात वैधृति*
*⛅चन्द्र राशि     कन्या    till 29:20:25*
*⛅चन्द्र राशि    तुला    from 29:20:25*
*⛅सूर्य राशि       कन्या*
*⛅रितु    शरद*
*⛅आयन    दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर    शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*⛅विक्रम संवत    2080*
*⛅शक संवत    1945*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 09:05 से 10:32 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:09.40*
*⛅सूर्यास्त - 05:49.20*
*⛅ चंद्रास्त    17:40:17*    
*⛅चंद्रोदय    30:23:16*
*⛅ यम घंटा    13:27 - 14:54    अशुभ*
*⛅गुली काल    06:10 - 07:37*
*अभिजित    11:36 - 12:23    शुभ*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:01 से 12:50 तक*
        *🌸 चोघडिया, दिन🌸*
*काल    06:10 - 07:37    अशुभ*
*शुभ    07:37 - 09:05    शुभ*
*रोग    09:05 - 10:32    अशुभ*
*उद्वेग    10:32 - 11:59    अशुभ*
*चर    11:59 - 13:27    शुभ*
*लाभ    13:27 - 14:54    शुभ*
*अमृत    14:54 - 16:22    शुभ*
*काल    16:22 - 17:49    अशुभ*
       *🌸चोघडिया, रात🌸*
*लाभ    17:49 - 19:22    शुभ*
*उद्वेग    19:22 - 20:55    अशुभ*
*शुभ    20:55 - 22:27    शुभ*
*अमृत    22:27 - 23:59    शुभ*
*चर    23:59 - 25:32    शुभ*
*रोग    25:32 - 27:05    अशुभ*
*काल    27:05 - 28:37    अशुभ*
*लाभ    28:37 - 30:10    शुभ*

*⛅व्रत पर्व विवरण - आश्विन अमावस्या, सर्वपित्री अमावस्या का श्राद्ध, महालय समाप्त, अज्ञात तिथिवालों का श्राद्ध*
*⛅विशेष - अमावस्या के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹सर्वपित्री अमावस्या : 14 अक्टूबर 2023🔹*

*🔸जो जाने-अनजाने रह गये हों, जिनके मरण की तिथि का पता न हो उन सभीका श्राद्ध सर्वपित्री अमावस्या को होता है ।*

*🔸अमावस्या के दिन पितृगण वायुरूप में घर के दरवाजे पर उपस्थित रहते हैं और अपने स्वजनों से श्राद्ध की अभिलाषा करते हैं । जब तक सूर्यास्त नहीं हो जाता, तब तक वे भूख-प्यास से व्याकुल होकर वहीं खड़े रहते हैं । सूर्यास्त हो जाने के पश्चात वे निराश होकर दुःखित मन से अपने-अपने लोकों को चले जाते हैं । अतः अमावस्या के दिन प्रयत्नपूर्वक श्राद्ध अवश्य करना चाहिए । - गरुड़ पुराण*

*🔹आश्विन अमावस्या🔹*

*🔸13 अक्टूबर रात्रि 09:51 से 14 अक्टूबर रात्रि 11:24.11 तक अमावस्या ।*

*🔹नकारात्मक ऊर्जा मिटाने के लिए🔹*

*🔹घर में हर अमावस्या अथवा हर १५ दिन में पानी में खड़ा नमक (१ लीटर पानी में ५० ग्राम खड़ा नमक) डालकर पोछा लगायें । इससे नेगेटिव एनर्जी चली जाएगी । अथवा खड़ा नमक के स्थान पर गौझरण अर्क भी डाल सकते हैं ।*

*🔹अमावस्या विशेष🔹*

*🌹1. जो व्यक्ति अमावस्या को दूसरे का अन्न खाता है उसका महीने भर का किया हुआ पुण्य दूसरे को (अन्नदाता को) मिल जाता है ।*
*(स्कंद पुराण, प्रभास खं. 207.11.13)*

*🌹2. अमावस्या के दिन पेड़-पौधों से फूल-पत्ते, तिनके आदि नहीं तोड़ने चाहिए, इससे ब्रह्महत्या का पाप लगता है ! (विष्णु पुराण)*

*🌹4. अमावस्या के दिन श्रीमद्भगवद्गीता का सातवाँ अध्याय पढ़ें और उस पाठ का पुण्य अपने पितरों को अर्पण करें । सूर्य को अर्घ्य दें और प्रार्थना करें । आज जो मैंने पाठ किया मेरे घर में जो गुजर गए हैं, उनको उसका पुण्य मिल जाए । इससे उनका आर्शीवाद हमें मिलेगा और घर में सुख-सम्पत्ति बढ़ेगी ।*

*🔹गरीबी भगाने का शास्त्रीय उपाय🔹*

*🌹गरीबी है, बरकत नहीं है, बेरोजगारी ने गला घोंटा है तो फिक्र न करो । हर अमावस्या को घर में एक छोटा सा आहुति प्रयोग करें ।*

*🔹सामग्री : १. काले तिल २. जौ ३. चावल ४. गाय का घी ५. चंदन पाउडर ६. गूगल ७. गुड़ ८. देशी कपूर एवं गौ चंदन या कण्डा ।*

*🌹विधि: गौ चंदन या कण्डे को किसी बर्तन में डालकर हवन कुण्ड बना लें, फिर उपरोक्त ८ वस्तुओं के मिश्रण से तैयार सामग्री से, घर के सभी सदस्य एकत्रित होकर नीचे दिये गये मंत्रों से ५ आहुति दें ।*
*आहुति मंत्र*
*🌹 १. ॐ कुल देवताभ्यो नमः*
*🌹 २. ॐ ग्राम देवताभ्यो नमः*
*🌹 ३. ॐ ग्रह देवताभ्यो नमः*
*🌹 ४. ॐ लक्ष्मीपति देवताभ्यो नमः*
*🌹 ५. ॐ विघ्नविनाशक देवताभ्यो नमः*

*🌹इस प्रयोग से थोड़े ही दिनों में स्वास्थ्य, समृद्धि और मन की प्रसन्नता दिखायी देगी ।*     
       *🌹- 🌹*

*🔹सूर्यग्रहण : 14 अक्टूबर 2023🔹*

*🔸भारतीय समय अनुसार, सूर्य ग्रहण रात में 8:34 मिनट से आरंभ होगा और मध्य रात्रि 2:25 मिनट तक रहेगा ।*

*🔸यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा ।*

*🔸सूर्यग्रहण दक्षिण अमेरिका के क्षेत्रों को छोड़कर उत्तर अमेरिका, कनाडा, ब्रिटिश, वर्जिन, आइलैंड, ग्वाटेमाला, मैक्सिको, अर्जेटीना, कोलंबिया, क्यूबा, बारबाडोस, पेरु, उरुग्वे, एंटीगुआ, वेनेजुएला, जमैका, हैती, पराग्वे, ब्राजील, डोमिनिका, बहामास, आदि जगहों पर दिखाई देगा ।*

*🔹जहाँ पर सूर्यग्रहण दिखेगा वहाँ सूतक माना जायेगा ।*
               *।।श्राद्ध।।*
*क्यों दोपहर में होता है पितरों का भोजन, दक्षिण दिशा की और पिंडदान और तर्पण!*
 
*पितृ पक्ष, पितरों का याद करने का समय माना गया है। भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को ऋषि तर्पण से आरंभ होकर यह आश्विन कृष्ण अमावस्या तक जिसे महालया कहते हैं उस दिन तक पितृ पक्ष चलता है। इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है और उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। पितृ पूजा में कई बातें ऐसी हैं जो रहस्यमयी हैं और लोगों के मन में सवाल उत्पन्न करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है*...

*श्राद्ध का नियम है कि दोपहर के समय पितरों के नाम से श्राद्ध और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। शास्त्रों में सुबह और शाम का समय देव कार्य के लिए बताया गया है। लेकिन दोपहर का समय पितरों के लिए माना गया है। इसलिए कहते हैं कि दोपहर में भगवान की पूजा नहीं करनी चाहिए। दिन का मध्य पितरों का समय होता है। दरअसल पितर मृत्युलोक और देवलोक के मध्य लोक में निवास करते हैं जो चंद्रमा के ऊपर बताया जाता है।*

*दूसरी वजह यह है कि दोपहर से पहले तक सूर्य की रोशन पूर्व दिशा से आती है जो देवलोक की दिशा मानी गई है। दोपहर में सूर्य मध्य में होता है जिससे पितरों को सूर्य के माध्यम से उनका अंश प्राप्त हो जाता है। तीसरी मान्यता यह है कि, दोपहर से सूर्य अस्त की ओर बढ़ना आरंभ कर देता है और इसकी किरणें निस्तेज होकर पश्चिम की ओर हो जाती है। जिससे पितृगण अपने निमित्त दिए गए पिंड, पूजन और भोजन को ग्रहण कर लेते हैं।*

*पितृपक्ष में पितरों का आगमन दक्षिण दिशा से होता है। शास्त्रों के अनुसार, दक्षिण दिशा में चंद्रमा के ऊपर की कक्षा में पितृलोक की स्थिति है। इस दिशा को यम की भी दिशा माना गया है। इसलिए दक्षिण दिशा में पितरों का अनुष्ठान किया जाता है।* *रामायण में उल्लेख मिलता है कि जब दशरथ की मृत्यु हुई थी तो भगवान राम ने स्वपन में उनको दक्षिण दिशा की तरफ जाते हुए देखा था। रावण की मृत्य से पहले त्रिजटा ने स्वप्न में रावण को गधे पर बैठकर दक्षिण दिशा की ओर जाते हुए देखा था।*

*सनातन धर्म के अनुसार, किसी वस्तु के गोलाकर रूप को पिंड कहा जाता है। शरीर को भी पिंड माना जा सकता है। धरती को भी एक पिंड रूप है। हिंदू धर्म में निराकार की पूजा की बजाय साकार स्वरूप की पूजा को महत्व दिया गया है क्योंकि इससे साधना करना आसान होता है। इसलिए पितरों को भी पिंड रूप मानकर यानी पंच तत्वों में व्यप्त मानकर उन्हें पिडदान दिया जाता है।*

*पिंडदान के समय मृतक की आत्मा को अर्पित करने के लिए चावल को पकाकर उसके ऊपर तिल, शहद, घी, दूध को मिलाकर एक गोला बनाया जाता है जिसे पाक पिंडदान कहते हैं। दूसरा जौ के आटे का पिंड बनाकर दान किया जाता है। पिंड का संबंध चंद्रमा से माना जाता है। पिंड चंद्रमा के माध्यम से पितरों को प्राप्त होता है। ज्योतिषीय मत यह भी है कि पिंड को तैयार करने में जिन चीजों का प्रयोग होता है उससे नवग्रहों का संबंध है। इसके दान से ग्रहों का अशुभ प्रभाव दूर होता है। इसलिए पिंडदान से दान करने वाले को लाभ मिलता है।*

*पितरों की पूजा में सफेद रंग का इस्तेमाल इसलिए किया जाता है क्योंकि सफेद रंग सात्विकता का प्रतीक है। आत्मा का कोई रंग नहीं है। जीवन के उस पार की दुनियां रंग विहीन पारदर्शी है इसलिए पितरों की पूजा में सफेद रंग का प्रयोग होता है। दूसरी वजह यह है कि सफेद रंग चंद्रमा से संबंध रखता है जो पितरों को उनका अंश पहुंचाते हैं।*

*पुराणों के अनुसार, व्यक्ति की मृत्यु जिस तिथि को हुई होती है, उसी तिथि में उसका श्राद्ध करना चाहिए। यदि जिनकी मृत्यु के दिन की सही जानकारी न हो, उनका श्राद्ध अमावस्या तिथि को करना चाहिए। श्राद्ध मृत्यु वाली तिथि को किया जाता है। मृत्यु तिथि के दिन पितरों को अपने परिवार द्वारा दिए अन्न जल को ग्रहण करने की आज्ञा है। इसलिए इस दिन पितर कहीं भी किसी लोक में होते हैं वह अपने निमित्त दिए गए अंश को वह जहां जिस लोक में जिस रूप में होते हैं उसी अनुरूप आहार रूप में ग्रहण कर लेते हैं।* 🚩
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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