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पंचांग - 12-10-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸

jyotish


*🌞 12अक्टूबर का पंचांग 🌞*
*⛅दिनांक 12 अक्टूबर 2023*
*⛅दिन - गुरुवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - त्रयोदशी रात्रि 07:52.56 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - मघा सुबह 08:43.51 तक तत्पश्चात पूर्वाफाल्गुनी11:34:58तक*
*⛅योग - शुक्ल सुबह 09:28.31 तक तत्पश्चात ब्रह्म*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - दोपहर 13:48 से 03:15 तक*
*⛅यम घंटा    06:34 - 08:01    अशुभ*
*⛅गुली काल    09:28 - 10:55*
*⛅अभिजित    11:58 - 12:45    शुभ*
*⛅सूर्योदय - 06:34.03*
*⛅सूर्यास्त - 18:08:47*
*⛅दिन काल    11:34:44*    
*⛅रात्री काल    12:25:47*
*⛅चंद्रास्त    17:03:10*
*⛅    चंद्रोदय    29:07:37*
*⛅दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:57 से 05:46 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:51 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - त्रयोदशी का श्राद्ध, मासिक शिवरात्रि*
      *🌸चोघडिया, दिन🌸*
*शुभ    06:34 - 08:01    शुभ*
*रोग    08:01 - 09:28    अशुभ*
*उद्वेग    09:28 - 10:55    अशुभ*
*चर    10:55 - 12:21    शुभ*
*लाभ    12:21 - 13:48    शुभ*
*अमृत    13:48 - 15:15    शुभ*
*काल    15:15 - 16:42    अशुभ*
*शुभ    16:42 - 18:09    शुभ*
        *🌸चोघडिया, रात🌸*
*अमृत    18:09 - 19:42    शुभ*
*चर    19:42 - 21:15    शुभ*
*रोग    21:15 - 22:48    अशुभ*
*काल    22:48 - 24:22    अशुभ*
*लाभ    24:22 - 25:55    शुभ*
*उद्वेग    25:55 - 27:28    अशुभ*
*शुभ    27:28 - 29:01    शुभ*
*अमृत    29:01 - 30:35    शुभ*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैंगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌹मासिक शिवरात्रि : 12 अक्टूबर 2023*

*🌹जिस तिथि का जो स्वामी हो उस तिथि में उसकी आराधना-उपासना करना अतिशय उत्तम होता है । चतुर्दशी के स्वामी भगवान शिव है । अतः उनकी रात्रि में किया जानेवाला यह व्रत ‘शिवरात्रि' कहलाता है । प्रत्येक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को रात्रि में गुरु से प्राप्त हुए मंत्र का जप करें । गुरुप्रदत्त मंत्र न हो तो पंचाक्षर (नमः शिवाय) मंत्र के जप से भगवान शिव को संतुष्ट करें ।*

*🌹कर्ज मुक्ति हेतु -*

*🌹हर मासिक शिवरात्रि को सूर्यास्त के समय घर में बैठकर अपने गुरुदेव का स्मरण करके शिवजी का स्मरण करते-करते ये 17 मंत्र बोलें ! जिनके सिर पर कर्जा ज्यादा हो वो शिवजी के मंदिर में जाकर दिया जलाकर ये 17 मंत्र बोलें ! इससे कर्जे से मुक्ति मिलेगी...*

🌹1)  *ॐ शिवाय नमः*
🌹2) *ॐ सर्वात्मने नमः*
🌹3) *ॐ त्रिनेत्राय नमः*    
🌹4) *ॐ हराय नमः*
🌹5) *ॐ इन्द्रमुखाय नमः*  
🌹6) *ॐ श्रीकंठाय नमः*
🌹7) *ॐ सद्योजाताय नमः*
🌹8) *ॐ वामदेवाय नमः*
🌹9) *ॐ अघोरहृदयाय नम:*
🌹10) *ॐ तत्पुरुषाय नमः*
🌹11) *ॐ ईशानाय नमः*     
🌹12) *ॐ अनंतधर्माय नमः*
🌹13) *ॐ ज्ञानभूताय नमः*
🌹14) *ॐ अनंतवैराग्यसिंघाय नमः*
🌹15) *ॐ प्रधानाय नमः*   
🌹16) *ॐ व्योमात्मने नमः*
🌹17) *ॐ व्यूक्तकेशात्मरूपाय नम:*

*🔹श्राद्ध में प्रशस्त ब्राह्मण🔹*

*🔸श्राद्ध में जिस किसीको भोजन कराने की विधि नहीं है । शील, शौच एवं प्रज्ञा से युक्त सदाचारी तथा सन्ध्या- वन्दन एवं गायत्री मन्त्र का जप करनेवाले श्रोत्रिय ब्राह्मण को श्राद्ध में निमन्त्रण देना चाहिये । तप, धर्म, दया, दान, सत्य, ज्ञान, वेदज्ञान, कारुण्य, विद्या, विनय तथा अस्तेय (अचौर्य) आदि गुणों से युक्त ब्राह्मण इसका अधिकारी है ।*

*🔹प्रशस्त आसन🔹*

*🔸रेशमी, नेपाली कम्बल, ऊन, काष्ठ, तृण, पर्ण, कुश आदि के आसन श्रेष्ठ हैं । काष्ठासनों में भी शमी काश्मरी, शल्ल, कदम्ब, जामुन, आम, मौलसिरी एवं वरुणके आसन श्रेष्ठ हैं । इनमें भी लोहे की कील नहीं होनी चाहिये ।*

*🔸श्राद्ध में भोजन के समय मौन आवश्यक🔸*

*🔹श्राद्ध में भोजन के समय मौन रहना चाहिये । माँगने या प्रतिषेध करने का संकेत हाथ से ही करना चाहिये । भोजन करते समय ब्राह्मण से अन्न कैसा है, यह नहीं पूछना चाहिये तथा भोजन कर्ता को भी श्राद्धान्न की प्रशंसा या निन्दा नहीं करनी चाहिये ।*

*🔸पिण्ड की अष्टांगता🔸*

*🔹अन्न, तिल, जल, दूध, घी, मधु, धूप और दीप-ये पिण्डके आठ अंग हैं ।*

*🔹श्राद्ध में पात्र🔹*

*🔸सोने, चाँदी, काँसे और ताँबेके पात्र पूर्व पूर्व उत्तमोत्तम हैं । इनके अभाव में पलाश आदि अन्य वृक्ष के पत्तल से काम लेना चाहिये, पर केले के पत्ते में श्राद्ध भोजन सर्वथा निषिद्ध है । साथ ही श्राद्ध में पितरों के भोजन के लिये मिट्टी-के पात्रका भी निषेध है ।*

*🔸श्राद्ध में पाद-प्रक्षालन-विधि🔸*

*🔹श्राद्ध में ब्राह्मणों को बैठाकर पैर धोना चाहिये । खड़े होकर पैर धोने पर पितर निराश होकर चले जाते हैं । पत्नी को दाहिनी ओर खड़ा करना चाहिये । उसे बाँयें रहकर जल नहीं गिराना चाहिये । अन्यथा वह श्राद्ध आसुरी हो जाता है और पितरों को प्राप्त नहीं होता ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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