Type Here to Get Search Results !

पंचांग -19-10-2023

 🚩✴️✴️✴️🕉️✴️✴️✴️ 🔱
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸

jyotish


*🚩।।ॐ* *देवानाम च ऋषिणाम च गुरुं कांचन सन्निभम।*
*बुद्धिभूतं त्रिलोकेशं तं नमामि बृहस्पतिम्।।।।*🕉🌸 4⃣  *ॐ स्कंदमाताय नमः:-*इनके ध्यान का मंत्र है*:- *देवी स्कंदमाता ध्यान*
*वन्दे वाञ्छित कामार्थे चन्द्रार्धकृतशेखराम्।*
*सिंहरूढ़ा चतुर्भुजा स्कन्दमाता यशस्विनीम्॥*
*धवलवर्णा विशुध्द चक्रस्थितों पञ्चम दुर्गा त्रिनेत्राम्।*
*अभय पद्म युग्म करां दक्षिण उरू पुत्रधराम् भजेम्॥*
*पटाम्बर परिधानां मृदुहास्या नानालङ्कार भूषिताम्।*
*मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल धारिणीम्॥*
*प्रफुल्ल वन्दना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् पीन पयोधराम्।*
*कमनीयां लावण्यां चारू त्रिवली नितम्बनीम्॥*
🌞 ~ *गुरुवार का पंचांग* ~ 🌞
🌤️ *दिनांक 19 अक्टूबर 2023*
🌤️ *दिन - गुरुवार*
🌤️ *विक्रम संवत - 2080    (गुजरात - 2079)*
🌤️ *शक संवत - 1945*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
🌤️ *मास - आश्विन*
🌤️ *पक्ष - शुक्ल*
🌤️ *तिथि - पंचमी 19 अक्टूबर रात्रि 24:31:06 तक तत्पश्चात पंचमी*
🌤️ *नक्षत्र - ज्येष्ठा    21:02:41 रात्रि तक तत्पश्चात मूल*
🌤️ *योग - सौभाग्य    06:52:42 तक  तत्पश्चात शोभन*
🌤️ *चन्द्र राशि       वृश्चिक    till 21:02:41*
🌤️ *चन्द्र राशि       धनु    from 21:02:41*
🌤️ *सूर्य राशि       तुला*
*रितु    शरद*
🌤️ *आयन    दक्षिणायण*
🌤️ *संवत्सर    शोभकृत*
🌤️ *संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
🌤️ *विक्रम संवत    2080*
🌤️ *गुजराती संवत    2079*
🌤️ *शक संवत    1945*
🌤️ *दिन काल    11:23:54*
🌤️ *रात्री काल    12:36:40*
🌤️ *चंद्रोदय    10:55:05*
🌤️ *चंद्रास्त    21:14:50*
🌤️ *लग्न      तुला 1°12' , 181°12'*
🌤️ *सूर्य नक्षत्र    चित्रा*
🌤️ *चन्द्र नक्षत्र    ज्येष्ठा*
🌤️ *राहुकाल - दोपहर 13:45 से 🌤️ *दोपहर 15:11 तक*
🌤️ *यम घंटा    06:38 - 08:03    अशुभ*
🌤️ *गुली काल    09:29 - 10:54*
🌤️ *अभिजित    11:57 - 12:43    शुभ*
🌤️ *दिन काल    11:23:54*    
🌤️ *रात्री काल    12:36:40*
🌞 *सूर्योदय- 06:37:55*
🌤️ *सूर्यास्त- 18:01:49*
🌤️ *करण    बव    12:54:50*
🌤️ *करण    बालव    24:31:06*

🚩 _*स्थानीय समयानुसार अभिजीत मुहूर्त, राहुकाल सूर्यास्त सूर्योदय चंद्रोदय, चंद्रास्त समय में अंतर सम्भव है.....*_ 🚩
   *🌸चोघडिया, दिन🌸*
*शुभ    06:38 - 08:03    शुभ*
*रोग    08:03 - 09:29    अशुभ*
*उद्वेग    09:29 - 10:54    अशुभ*
*चर    10:54 - 12:20    शुभ*
*लाभ    12:20 - 13:45    शुभ*
*अमृत    13:45 - 15:11    शुभ*
*काल    15:11 - 16:36    अशुभ*
*शुभ    16:36 - 18:02    शुभ*
  *🌸चोघडिया, रात🌸*
*अमृत    18:02 - 19:36    शुभ*
*चर    19:36 - 21:11    शुभ*
*रोग    21:11 - 22:46    अशुभ*
*काल    22:46 - 24:20    अशुभ*
*लाभ    24:20 - 25:55    शुभ*
*उद्वेग    25:55 - 27:29    अशुभ*
*शुभ    27:29 - 29:04    शुभ*
*अमृत    29:04 - 30:39    शुभ*
👉 *गंड मूल    अहोरात्र    अशुभ*
👉 *दिशाशूल- उत्तर दिशा में*
🚩 *व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी, तुला संक्रान्ति (पुण्यकाल:सूर्योदय से दोपहर 12:25 तक)*
💥 *विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
    

🌷 *उपांग ललिता व्रत* 🌷
🙏🏻 *आदि शक्ति मां ललिता दस महाविद्याओं में से एक हैं। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को इनके निमित्त उपांग ललिता व्रत किया जाता है। यह व्रत भक्तजनों के लिए शुभ फलदायक होता है। इस वर्ष उपांग ललिता व्रत 19 अक्टूबर, गुरुवार को है। इस दिन माता उपांग ललिता की पूजा करने से देवी मां की कृपा व आशीर्वाद प्राप्त होता है। जीवन में सदैव सुख व समृद्धि बनी रहती है।*
🙏🏻 *उपांग ललिता शक्ति का वर्णन पुराणों में प्राप्त होता है, जिसके अनुसार पिता दक्ष द्वारा अपमान से आहत होकर जब माता सती ने अपना देह त्याग दिया था और भगवान शिव उनका पार्थिव शव अपने कंधों में उठाए घूम रहें थे। उस समय भगवान विष्णु ने अपने चक्र से सती की देह को विभाजित कर दिया था। इसके बाद भगवान शंकर को हृदय में धारण करने पर इन्हें ललिता के नाम से पुकारा जाने लगा।*
🙏🏻 *उपांग ललिता पंचमी के दिन भक्तगण व्रत एवं उपवास करते हैं। कालिका पुराण के अनुसार, देवी की चार भुजाएं हैं, यह गौर वर्ण की, रक्तिम कमल पर विराजित हैं। ललिता देवी की पूजा से समृद्धि की प्राप्त होती है। दक्षिणमार्गी शास्त्रों  के मतानुसार देवी ललिता को चण्डी का स्थान प्राप्त है। इनकी पूजा पद्धति देवी चण्डी के समान ही है। इस दिन ललितासहस्रनाम व ललितात्रिशती का पाठ किया जाए तो हर मनोकामना पूरी हो सकती है।*
hero


     

🌷 *शारदीय नवरात्रि* 🌷
🙏🏻  *नवरात्र की पंचमी तिथि यानी पांचवे दिन माता दुर्गा को केले का भोग लगाएं। इससे परिवार में सुख-शांति रहती है।*
        
*नवरात्रि के पांचवें दिन स्कंदमाता की पूजा की जाती है। स्कंदमाता भक्तों को सुख-शांति प्रदान करने वाली हैं। देवासुर संग्राम के सेनापति भगवान स्कंद की माता होने के कारण मां दुर्गा के पांचवे स्वरूप को स्कंदमाता के नाम से जानते हैं। स्कंदमाता हमें सिखाती हैं कि जीवन स्वयं ही अच्छे-बुरे के बीच एक देवासुर संग्राम है व हम स्वयं अपने सेनापति हैं। हमें सैन्य संचालन की शक्ति मिलती रहे। इसलिए स्कंदमाता की पूजा करनी चाहिए। इस दिन साधक का मन विशुद्ध चक्र में अवस्थित होना चाहिए, जिससे कि ध्यान वृत्ति एकाग्र हो सके। यह शक्ति परम शांति व सुख का अनुभव कराती हैं।*
*मंत्र, प्रार्थना, स्तुति, ध्यान, स्तोत्र, कवच और आरती*
*भगवान शिव और मां पार्वती के पहले पुत्र, भगवान कार्तिकेय को "स्कंद" के नाम से भी जाना जाता था। इसलिए, माँ पार्वती को अक्सर स्कंदमाता के रूप में जाना जाता है, जिसका शाब्दिक अर्थ कार्तिकेय या स्कंद की माँ है।*

*मां दुर्गा का दूसरा रूप हैं और माना जाता है कि वे अपने भक्तों की रक्षा करती हैं*, *जैसे एक मां अपने बच्चे को नुकसान से बचाती है।* *वह एक शक्तिशाली देवी हैं जिनके प्यार और देखभाल ने भगवान कार्तिकेय को राक्षस तारकासुर को हराने में मदद की।*

*भगवान शिव और मां पार्वती के पहले पुत्र, भगवान कार्तिकेय को “स्कंद” के नाम से भी जाना जाता था।* *इसलिए, माँ पार्वती को अक्सर स्कंदमाता के रूप में जाना जाता है*, *जिसका शाब्दिक अर्थ कार्तिकेय या स्कंद की माँ है।* *नवरात्रि के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की पूजा की जाती है।* *ऐसा माना जाता है कि बुद्ध ग्रह देवी स्कंदमाता द्वारा शासित हैं।*
*देवी स्कंदमाता क्रूर सिंह पर विराजमान हैं।* *वह बच्चे मुरुगन को गोद में उठाती हैं।* *भगवान मुरुगन को कार्तिकेय और भगवान गणेश के भाई के रूप में भी जाना जाता है।* *देवी स्कंदमाता को चार हाथों से चित्रित किया गया है। वह अपने ऊपर के दोनों हाथों में कमल के फूल लिए हुए हैं।* *वह अपने एक दाहिने हाथ में मुरुगन को रखती है और दूसरे को अभय मुद्रा में रखती है।* *वह कमल के फूल पर विराजमान हैं और इसी वजह से स्कंदमाता को देवी पद्मासन के नाम से भी जाना जाता है।*

*देवी स्कंदमाता का रंग शुभ्रा (शुभ्र) है जो उनके सफेद रंग का वर्णन करता है।* *देवी पार्वती के इस रूप की पूजा करने वाले भक्तों को भगवान कार्तिकेय की पूजा का लाभ मिलता है।* *यह गुण केवल देवी पार्वती के स्कंदमाता रूप में है।*
*देवी स्कंदमाता प्रार्थना*
*सिंहासनगता नित्यं पद्माञ्चित करद्वया।*
*शुभदास्तु सदा देवी स्कन्दमाता यशस्विनी॥*
*स्कंदमाता को केले और केले से बनी चीजों का ही भोग लगाए. क्योंकि माता रानी का यह प्रिय भोजन है*
🙏🏻🌷💐🌸🌼🌹🍀🌺💐
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
○▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮
*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
 🌞🙏🍀🌻🌹🌸💐🍁🙏

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad