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पंचांग - 10-10-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸

jyotish


*🌞~मंगलवार कापंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक - 10 अक्टूबर2023*
*⛅दिन - मंगलवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*🌸नागौर, राजस्थान (भारत)*
*🌸एकादशी, कृष्ण पक्ष, आश्विन*
*🌸तिथि - एकादशी दोपहर 15:07:54 तक तत्पश्चात द्वादशी*
*🌸नक्षत्र - मघा पूर्ण रात्रि तक*
*🌸योग    साध्य    07:45:00 तक तत्पश्चात शुभ*
*🌸करण    बालव    15:07:54*
*🌸करण    कौलव    28:23:14*
*🌸वार    मंगलवार*
*🌸माह (अमावस्यांत)    भाद्रपद*
*🌸माह (पूर्णिमांत)    आश्विन*
*🌸चन्द्र राशि       सिंह*
*🌸 सूर्य राशि       कन्या*
*🌸रितु    शरद*
*🌸आयन    दक्षिणायण*
*🌸संवत्सर    शोभकृत*
*🌸संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*🌸विक्रम संवत    2080*
*🌸गुजराती संवत    2079*
*🌸शक संवत    1945*
*🌸कलि संवत    5124*
*🌸सौर प्रविष्टे    24, आश्विन    (# note below)*
*🌸नागौर, राजस्थान (भारत)*
*🌸सूर्योदय    06:33:00*    
*🌸सूर्यास्त    18:10:52*
*🌸दिन काल    11:37:52*    
*🌸रात्री काल    12:22:39*
*🌸चंद्रास्त    16:05:23    *
*🌸चंद्रोदय    27:22:43*
          *🌸सूर्योदय*🌸
*🌸लग्न      कन्या 22°17' , 172°17'*
*🌸सूर्य नक्षत्र    हस्त*    
*🌸चन्द्र नक्षत्र    मघा*
     *🌸 पद, चरण🌸*
*🌸1 मा    मघा    12:29:04*
*🌸2 मी    मघा    19:14:20*
*🌸3 मू    मघा    25:59:19*

*🌸दिन काल    11:37:52    *
*🌸रात्री काल    12:22:39*
       *🌸लग्न सूर्योदय🌸*
*🌸 कन्या    22°17' , 172°17'*
               *🌸मुहूर्त🌸*
*🌸राहू काल    15:16 - 16:44    अशुभ*
*🌸यम घंटा    09:27 - 10:55    अशुभ*
*🌸गुली काल    12:22 - 13:49*
*🌸अभिजित    11:59 - 12:45    शुभ*
*🌸दूर मुहूर्त    08:53 - 09:39    अशुभ*
*🌸दूर मुहूर्त    23:08 - 23:54    अशुभ*
*🌸वर्ज्यम    19:14 - 21:02    अशुभ*
*🌸गंड मूल    06:33 - 32:44*    अशुभ*
      *🌸चोघडिया, दिन🌸*
*रोग    06:33 - 08:00    अशुभ*
*उद्वेग    08:00 - 09:27    अशुभ*
*चर    09:27 - 10:55    शुभ*
*लाभ    10:55 - 12:22    शुभ*
*अमृत    12:22 - 13:49    शुभ*
*काल    13:49 - 15:16    अशुभ*
*शुभ    15:16 - 16:44    शुभ*
*रोग    16:44 - 18:11    अशुभ*
     *🌸चोघडिया, रात🌸*
*काल    18:11 - 19:44    अशुभ*
*लाभ    19:44 - 21:17    शुभ*
*उद्वेग    21:17 - 22:49    अशुभ*
*शुभ    22:49 - 24:22शुभ*
*अमृत    24:22 - 25:55    शुभ*
*चर    25:55 - 27:28    शुभ*
*रोग    27:28 - 29:01    अशुभ*
*काल    29:01 - 30:34    अशुभ*
*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:56 से 05:45 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:02 से 12:51 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - मघा श्राद्ध, इंदिरा एकादशी*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
 *⛅एकादशी व्रत के दिन चावल खाना निषेध ।*
*🌹इंदिरा एकादशी - 10 अक्टूबर 2023🌹*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*

*🌹4. चोर, पाखण्डी और दुराचारी मनुष्य से बात नहीं करना चाहिए, यथा संभव मौन रहें ।*

*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

*🔹एकादशी को चावल खाना वर्जित क्यों ?🔹*

*🌹  एकादशी के बारे में एक वैज्ञानिक रहस्य बताते हुए कहते हैं : संत डोंगरेजी महाराज बोलते थे कि एकादशी के दिन चावल नहीं खाना चाहिए । जो खाता है, समझो वह एक-एक चावल का दाना खाते समय एक-एक कीड़ा खाने का पाप करता है । संत की वाणी में हमारी मति-गति नहीं हो तब भी कुछ सच्चाई तो होगी । मेरे मन में हुआ कि ‘इस प्रकार कैसे हानि होती होगी ? क्या होता होगा ?’*

*🌹 तो शास्त्रों से इस संशय का समाधान मेरे को मिला कि प्रतिपदा से लेकर अष्टमी तक वातावरण में से, हमारे शरीर में से जलीय अंश का शोषण होता है, भूख ज्यादा लगती है और अष्टमी से लेकर पूनम या अमावस्या तक जलीय अंश शरीर में बढ़ता है, भूख कम होने लगती है । चावल पैदा होने और चावल बनाने में खूब पानी लगता है । चावल खाने के बाद भी जलीय अंश ज्यादा उपयोग में आता है । जल के मध्यम भाग से रक्त एवं सूक्ष्म भाग से प्राण बनता है । सभी जल तथा जलीय पदार्थों पर चन्द्रमा का अधिक प्रभाव पड़ने से रक्त व प्राण की गति पर भी चन्द्रमा की गति का बहुत प्रभाव पड़ता है । अतः यदि एकादशी को जलीय अंश की अधिकतावाले पदार्थ जैसे चावल आदि खायेंगे तो चन्द्रमा के कुप्रभाव से हमारे स्वास्थ्य और सुव्यवस्था पर कुप्रभाव पड़ता है । जैसे कीड़े मरे या कुछ अशुद्ध खाया तो मन विक्षिप्त होता है, ऐसे ही एकादशी के दिन चावल खाने से भी मन का विक्षेप बढ़ता है । तो अब यह वैज्ञानिक समाधान मिला कि अष्टमी के बाद जलीय अंश आंदोलित होता है और इतना आंदोलित होता है कि आप समुद्र के नजदीक डेढ़-दो सौ किलोमीटर तक के क्षेत्र के पेड़-पौधों को अगर उन दिनों में काटते हो तो उनको रोग लग जाता है ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, डीएस वएल ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यवीहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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