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पंचांग - 29-10-2023

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*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*
*🚩ॐ श्री मंगलामात्र्यै नमोनमः*  
*🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸*

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*🌞आज प्रतिपदा का पंचांग🌞*
*⛅दिनांक -29 अक्टूबर 2023*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - हेमंत*
*⛅मास - कार्तिक*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - प्रतिपदा रात्रि 11:52.18 तक तत्पश्चात द्वितीया*
*⛅नक्षत्र - भरणी 30 अक्टूबर प्रातः 04:40.43 तक तत्पश्चात कृतिका*
*⛅योग - सिद्धि रात्रि 07:59.26तक तत्पश्चात  व्यतिपात*
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*⛅चन्द्र राशि       मेष*
*⛅सूर्य राशि       तुला*
*⛅रितु    हेमंत*
*⛅आयन    दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर    शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*विक्रम संवत    2080 विक्रम संवत*
*⛅राहु काल - शाम 04:39 से 06:04 तक*
*⛅यम घंटा    12:19 - 13:42    अशुभ*
*⛅गुली काल    15:06 - 16:29*
*⛅अभिजित    11:56 - 12:41    शुभ*
*⛅ दिन काल    11:09:03*    
*⛅रात्री काल    12:51:35*
*⛅सूर्योदय - 06:44:03*
*⛅सूर्यास्त - 05:53:07*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 05:02 से 05:52 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 11:58 से 12:49 तक*
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      *⛅चोघडिया, दिन⛅*
*उद्वेग    06:44 - 08:08    अशुभ*
*चर    08:08 - 09:31    शुभ*
*लाभ    09:31 - 10:55    शुभ*
*अमृत    10:55 - 12:19    शुभ*
*काल    12:19 - 13:42    अशुभ*
*शुभ    13:42 - 15:06    शुभ*
*रोग    15:06 - 16:29    अशुभ*
*उद्वेग    16:29 - 17:53    अशुभ*
      *⛅चोघडिया, रात⛅*
*शुभ    17:53 - 19:30    शुभ*
*अमृत    19:30 - 21:06    शुभ*
*चर    21:06 - 22:42    शुभ*
*रोग    22:42 - 24:19    अशुभ*
*काल    24:19 - 25:55    अशुभ*
*लाभ    25:55 - 27:32    शुभ*
*उद्वेग    27:32 - 29:08    अशुभ*
*शुभ    29:08 - 30:45    शुभ*
*⛅व्रत पर्व विवरण - व्यतिपात योग*
*⛅विशेष - प्रतिपदा को कूष्माण्ड (कुम्हड़ा, पेठा) न खाये, क्योंकि यह धन का नाश करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹व्यतिपात योग🔹*
*🔸समय अवधि : 29 अक्टूबर रात्रि 08:00 से 30 अक्टूबर शाम 05:31.38 तक*

*🔸व्यतिपात योग में किया हुआ जप, तप, मौन, दान व ध्यान का फल १ लाख गुना होता है । - वराह पुराण*

*🌹कार्तिक मास की महिमा एवं नियम पालन🌹*

*(कार्तिक मास व्रत : 28 अक्टूबर से 27 नवम्बर 2023)*
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*🌹 सूतजी ने महर्षियों से कहाः पापनाशक कार्तिक मास का बहुत ही दिव्य प्रभाव बतलाया गया है । यह मास भगवान विष्णु को सदा ही प्रिय तथा भोग और मोक्षरूपी फल प्रदान करने वाला है ।*

*🌹 ‘रात्रि में भगवान विष्णु के समीप जागरण, प्रातःकाल स्नान करना, तुलसी के सेवा में संलग्न रहना, उद्यापन करना और दीप दान देना – ये कार्तिक मास के पाँच नियम हैं।’ -(पद्म पुराण, उ.खंडः 117.3)*

*🌹 इन पाँचों नियमों का पालन करने से कार्तिक मास का व्रत करने वाला पुरुष व्रत के पूर्ण फल का भागी होता है। वह फल भोग और मोक्ष प्रदान करने वाला बताया गया है ।*

*🌹 कार्तिक मास में प्रातः स्नान पापनाशक है । इस मास में जो मनुष्य दूसरे के अन्न का त्याग कर देता है, वह प्रतिदिन कृच्छ्रव्रत का फल प्राप्त करता है ।*
*कृच्छ्रव्रत (इसमें पहले दिन निराहार रहकर दूसरे दिन पंचगव्य पीकर उपवास किया जाता है ।)*

*🌹 कार्तिक में शहद के सेवन, काँसे के बर्तन में भोजन और मैथुन का विशेषरूप से परित्याग करना चाहिए ।*

*🌹 चन्द्रमा और सूर्य के ग्रहणकाल में ब्राह्मणों को पृथ्वीदान करने से जिस फल की प्राप्ति होती है, वह फल कार्तिक में भूमि पर शयन करने वाले पुरुष को स्वतः प्राप्त हो जाता है ।*



*🌹 कार्तिक मास में ब्राह्मण दम्पत्ति को भोजन कराकर उनका पूजन करें । अपनी क्षमता के अनुसार कम्बल, ओढ़ना-बिछौना एवं नाना प्रकार के रत्न व वस्त्रों का दान करें । जूते और छाते का भी दान करने का विधान है ।*

*🌹 कार्तिक मास में जो मनुष्य प्रतिदिन पत्तल में भोजन करता है, वह 14 इन्द्रों की आयुपर्यन्त कभी दुर्गति में नहीं पड़ता । उसे समस्त तीर्थों का फल प्राप्त हो जाता है तथा उसकी सम्पूर्ण कामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं । (-पद्म पुराण, उ.खंडः अध्याय 120)*

*🌹 कार्तिक में तिल दान, नदी स्नान, सदा साधु पुरुषों का सेवन और पलाश-पत्र से बनी पत्तल में भोजन मोक्ष देने वाला है । कार्तिक मास में मौनव्रत का पालन, पलाश के पत्तों में भोजन, तिलमिश्रित जल से स्नान, निरंतर क्षमा का आश्रय और पृथ्वी पर शयन – इन नियमों का पालन करने वाला पुरुष युग युग के संचित पापों का नाश कर डालता है ।*

*🌹 जो मुख में, मस्तक पर तथा शरीर पर भगवान की प्रसादभूता तुलसी को प्रसन्नतापूर्वक धारण करता है, उसे कलियुग नहीं छूता ।*

*🌹 कार्तिक मास में तुलसी का पूजन महान पुण्यदायी है । प्रयाग में स्नान करने से, काशी में मृत्यु होने से और वेदों का स्वाध्याय करने से जो फल प्राप्त होता है, वह सब तुलसी के पूजन से मिल जाता है ।*

*🌹 जो द्वादशी को तुलसी दल व कार्तिक में आँवले का पत्ता तोड़ता है, वह अत्यन्त निंदित नरकों में पड़ता है । जो कार्तिक में आँवले की छाया में बैठकर भोजन करता है, उसका वर्ष भर का अन्न-संसर्गजनित दोष (जूठा या अशुद्ध भोजन करने से लगने वाला दोष) नष्ट हो जाता है ।*

*🌹 कार्तिक मास में दीपदान का विशेष महत्त्व है । ‘पुष्कर पुराण’ में आता हैः*
*'जो मनुष्य कार्तिक मास में संध्या के समय भगवान श्रीहरि के नाम से तिल के तेल का दीप जलाता है, वह अतुल लक्ष्मी, रूप, सौभाग्य एवं सम्पत्ति को प्राप्त करता है ।’*
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*🌹 यदि चतुर्मास के चार महीनों तक चतुर्मास के शास्त्रोचित नियमों का पालन करना सम्भव न हो तो एक कार्तिक मास में ही सब नियमों का पालन करना चाहिए।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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