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पंचांग - 22-09-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸*

jyotish

*🌞~22 सितंबर का पंचांग🌞*
*⛅दिनांक -22 सितम्बर 2023*
*⛅दिन - शुक्रवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - सप्तमी दोपहर 01:34.44 तक तत्पश्चात अष्टमी*
*⛅नक्षत्र - ज्येष्ठा दोपहर 03:33.26 तक तत्पश्चात मूल*
*⛅योग - आयुष्मान रात्रि 11:51.13 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
*⛅ करण    वणिज    13:34:44*
*⛅करण    विष्टि भद्र    25:00:42*
*⛅चन्द्र राशि    वृश्चिक    till 15:33:26*
*⛅चन्द्र राशि    धनु    from 15:33:26*
*⛅सूर्य राशि       कन्या*
*⛅रितु    शरद*
*⛅दिन काल    12:06:30    *
*⛅रात्री काल    11:53:56*
*⛅चंद्रोदय    13:01:18    *
*⛅चंद्रास्त    23:19:33*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - सुबह 11:57 से 12:28 तक*
*⛅ यम घंटा    15:29 -17:00    अशुभ*
*⛅गुली काल    07:55 - 09:26*
*⛅ अभिजित    12:03 - 12:52    शुभ*
*⛅सूर्योदय - 06:24:26*
*⛅सूर्यास्त - 18:30.57*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:53 से 05:41 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:09 से 12:56 तक*
        *चोघडिया, दिन*
*चर    06:24 - 07:55    शुभ*
*लाभ    07:55 - 09:26    शुभ*
*अमृत    09:26 - 10:57    शुभ*
*काल    10:57 - 12:28    अशुभ*
*शुभ    12:28 - 13:59    शुभ*
*रोग    13:59 - 15:29    अशुभ*
*उद्वेग    15:29 - 17:00    अशुभ*
*चर    17:00 - 18:31    शुभ*
        *चोघडिया, रात*
*रोग    18:31 - 20:00    अशुभ*
*काल    20:00 - 21:29    अशुभ*
*लाभ    21:29 - 22:59    शुभ*
*उद्वेग    22:59 - 24:28    अशुभ*
*शुभ    24:28 - 25:57    शुभ*
*अमृत    25:57 - 27:26    शुभ*
*चर    27:26 - 28:56    शुभ*
*रोग    28:56 - 30:25    अशुभ*




*⛅व्रत पर्व विवरण - गौरी पूजन, महालक्ष्मी व्रतारम्भ*
*⛅विशेष - सप्तमी को ताड़ का फल खाया जाय तो वह रोग बढ़ानेवाला तथा शरीर का नाशक होता है । अष्टमी को नारियल का फल खाने से बुद्धि का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹तेलों में सर्वश्रेष्ठ बहुगुणसम्पन्न तिल का तेल🔹*

*🔸तेलों में तिल का तेल सर्वश्रेष्ठ है। यह विशेषरूप से वातनाशक होने के साथ ही बलकारक, त्वचा, केश व नेत्रों के लिए हितकारी, वर्ण (त्वचा का रंग) को निखारनेवाला, बुद्धि एवं स्मृतिवर्धक, गर्भाशय को शुद्ध करनेवाला और जठराग्निवर्धक है। वात और कफ को शांत करने में तिल का तेल श्रेष्ठ है ।*

*🔸अपनी स्निग्धता, तरलता और उष्णता के कारण शरीर के सूक्ष्म स्रोतों में प्रवेश कर यह दोषों को जड़ से उखाड़ने तथा शरीर के सभी अवयवों को दृढ व मुलायम रखने का कार्य करता है । टूटी हुई हड्डियों व स्नायुओं को जोड़ने में मदद करता है ।*

*🔸तिल के तेल की मालिश करने व उसका पान करने से अति स्थूल (मोटे) व्यक्तियों का वजन घटने लगता है व कृश (पतले) व्यक्तियों का वजन बढ़ने लगता है। तेल खाने की अपेक्षा मालिश करने से ८ गुना अधिक लाभ करता है । मालिश से थकावट दूर होती है, शरीर हलका होता है । मजबूती व स्फूर्ति आती है। त्वचा का रूखापन दूर होता है, त्वचा में झुर्रियाँ तथा अकाल वार्धक्य नहीं आता । रक्तविकार, कमरदर्द, अंगमर्द (शरीर का टूटना) व वात-व्याधियाँ दूर रहती हैं । शिशिर ऋतु में मालिश विशेष लाभदायी है ।*

*🔹औषधीय प्रयोग🔹*

*🔸तिल का तेल १०-१५ मिनट तक मुँह में रखकर कुल्ला करने से शरीर पुष्ट होता है, होंठ नहीं फटते, कंठ नहीं सूखता, आवाज सुरीली होती है, जबड़ा व हिलते दाँत मजबूत बनते हैं और पायरिया दूर होता है  ।*

*🔸 ५० ग्राम तिल के तेल में १ चम्मच पीसी हुई सोंठ और मटर के दाने बराबर हींग डालकर गर्म किये हुए तेल की मालिश करने से कमर का दर्द, जोड़ों का दर्द, अंगों की जकड़न, लकवा आदि वायु के रोगों में फायदा होता है ।*

*🔸२०-२५ लहसुन की कलियाँ २५० ग्राम तिल के तेल में डालकर उबालें । इस तेल की बूँदें कान में डालने से कान का दर्द दूर होता है ।*

*🔸प्रतिदिन सिर में काले तिलों के शुद्ध तेल से मालिश करने से बाल सदैव मुलायम, काले और घने रहते हैं, बाल असमय सफेद नहीं होते ।*

*🔸५० मि.ली. तिल के तेल में ५० मि.ली. अदरक का रस मिला के इतना उबालें कि सिर्फ तेल रह जाय । इस तेल से मालिश करने से वायुजन्य जोड़ों के दर्द में आराम मिलता है ।*

*🔸तिल के तेल में सेंधा नमक मिलाकर कुल्ले करने से दाँतों के हिलने में लाभ होता है ।*

*🔸घाव आदि पर तिल का तेल लगाने से वे जल्दी भर जाते हैं ।*

*🔹भारतीय संस्कृति का अनमोल खजाना : त्रिकाल संध्या🔹*

*🔸भारतीय संस्कृति प्राणिमात्र के कल्याण का अटूट खजाना सँजोये हुए है । संध्या-उपासना भारतीय संस्कृति का एक महत्त्वपूर्ण अंग है । हमारे ऋषियों ने मानवमात्र के कल्याण के लिए ५ यज्ञ बताये हैं, जिनमें संध्या प्रथम है ।*

*🔸दक्षस्मृति (२.१९) में आता है कि 'संध्या से हीन (संध्या न करनेवाला) मनुष्य नित्य अपवित्र तथा सब शुभ कर्मों के अयोग्य होता है ।'*

*🔸विष्णु पुराण (३.११.१०४) में आता है: 'जो पुरुष प्रातः अथवा सायंकालीन संध्या उपासना नहीं करते वे दुरात्मा अंधतामिस्र नरक में पड़ते हैं ।'*

*🔸ब्रह्मज्ञानी संतो द्वारा शास्त्रों में दिये इस गूढ़ रहस्य की महत्ता व आवश्यकता पिछले ५० वर्षों से सत्संगों में बताते आये हैं व संध्या-वंदन करवाते भी रहे हैं ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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