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पंचांग - 10-09-2023

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 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸*

JYOTISH


*🌞~ रविवार का पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक -10 सितम्बर 2023*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - एकादशी रात्रि 09:27.47तक तत्पश्चात द्वादशी*
*⛅नक्षत्र - पुनर्वसु शाम 05:05.22 तक तत्पश्चात पुष्य*
*⛅योग - वरियान रात्रि* *11:18.00 तक तत्पश्चात परिघ*
*⛅ करण    बव    08:20:22*
*⛅करण    बालव    21:27:47*
*⛅वार     रविवार*
*⛅माह (अमावस्यांत)    श्रावण*
*⛅माह (पूर्णिमांत)    भाद्रपद*
*⛅चन्द्र राशि       मिथुन    से 10:23:39*
*⛅चन्द्र राशि    कर्क    से 10:23:39*
*⛅सूर्य राशि       सिंह*
*रितु    शरद*
*⛅आयन    दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर    शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*⛅विक्रम संवत    2080*
*⛅गुजराती संवत    2079*
*⛅शक संवत    1945 शक संवत*
*⛅सौर प्रविष्टे    25, भाद्रपद    (# note below)*
*⛅नागौर राजस्थान (भारत)*
*⛅सूर्योदय    06:19:11*    
*⛅सूर्यास्त    18:44:46*
*⛅दिन काल    12:25:34*
*⛅रात्री काल    11:34:51*
*⛅चंद्रास्त    16:16:53*
*⛅चंद्रोदय    26:45:24*

       *⛅ सूर्योदय⛅*
*⛅लग्न      सिंह 22°54' , 142°54'*
*⛅सूर्य नक्षत्र    पूर्व फाल्गुनी*
*⛅चन्द्र नक्षत्र    पुनर्वसु*
     *⛅पद, चरण⛅*
*3 हा    पुनर्वसु    10:23:39*
*4 ही    पुनर्वसु    17:05:22*
*1 हु    पुष्य    23:47:57*

*🌸दिन काल    12:25:34*
*🌸रात्री काल    11:34:51*
       *🌸लग्न सूर्योदय🌸*
*🌸सिंह    22°54' , 142°54'*
        *🌸विशेष मुहूर्त🌸*
*🌸राहू काल    17:12 - 18:45    अशुभ*
*🌸यम घंटा    12:32 - 14:05    अशुभ*
*🌸गुली काल    15:38 - 17:12*
*🌸अभिजित    12:07 - 12:57    शुभ*
*⛅सूर्योदय - 06:19.11*
*⛅सूर्यास्त - 06:44.46*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:52 से 05:38 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:14 से 01:00 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - अजा एकादशी, रविपुष्यामृत योग (शाम 05:06 से 11 सितम्बर सूर्योदय तक)*
*⛅विशेष - एकादशी को शिम्बी (सेम) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🌸रविपुष्यामृत योग - 10 सितम्बर 2023*

*🌸पुण्यकाल : शाम 05:06 से 11 सितम्बर सूर्योदय तक ।*

*🌸पुष्य नक्षत्र का रविवार के साथ का संयोग  "रविपुष्यामृत योग" कहलाता है । सर्वसिद्धिकरः पुष्यः । ' इस शास्त्रवचन के अनुसार पुष्य नक्षत्र सर्वसिद्धिकर है ।*

*🌸यह योग मंत्रसिद्धि और औषधि - प्रयोग के लिए विशेष फलदायी है ।*

*🌸 इस योग में किया गया जप-ध्यान, दान-पुण्य महाफलदायी होता है परंतु पुष्य में विवाह व उससे संबंधित सभी मांगलिक कार्य वर्जित हैं । (शिव पुराण)*

*🌸अजा एकादशी - 10 सितम्बर 2023*

*🔸एकादशी तिथि 09 सितम्बर रात्रि 07:17 बजे से प्रारम्भ 10 सितम्बर रात्रि 09:27.47 बजे तक ।*


🚩 *_10 सितम्बर 2023: अजा एकादशी पर बन रहे हैं 2 शुभ संयोग, जानें मुहूर्त, महत्व, पारण का समय और पूजा विधि_*


♦️ *_अजा एकादशी की तारीख_*
♦️ *_इस दिन रख सकते हैं व्रत_*
♦️ *_पूजा का शुभ मुहूर्त_*

📚 *_हिंदू शास्त्रों के अनुसार हर व्रत का अपना महत्व और लाभ होता है। ऐसा माना जाता है कि व्रत रखने से भगवान का दिव्य आशीर्वाद मिलता है और भक्तों पर सुख और समृद्धि की वर्षा होती है। सभी व्रतों में एकादशी व्रत का बहुत ही महत्वपूर्ण स्थान है। हर वर्ष 24 एकादशियां  होती हैं। भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी या 11वें दिन को अजा एकादशी मनाई जाती है। इस बार 10 सितंबर, रविवार को अजा एकादशी पड़ रही है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उन्हें समर्पित व्रत रखा जाता है। इस व्रत को करने से सभी पापों से मुक्ति मिलती है और सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। दृक पंचांग के अनुसार, इस साल अजा एकादशी के दिन 2 खास संयोग बनने जा रहा है। आइए जानते हैं रमल ज्योतिर्विद आचार्य श्री दिनेश प्रेम शर्मा  से कि अजा एकादशी का व्रत कब रखा जाएगा? व्रत के नियम क्या हैं और इसके लिए शुभ मुहूर्त क्या है।_*

🤷🏻‍♀️ *_एकादशी तिथि कब है?_*

👉🏽 *_भाद्रपद कृष्ण एकादशी तिथि की शुरुआत 9 सितंबर को शाम 07 बजकर 18 मिनट से होगी_*
👉🏽 *_एकादशी तिथि का समापन 10 सितंबर को रात 09 बजकर 27.47 मिनट पर होगा._*

➡️ *_उदयातिथि के आधार पर अजा एकादशी का व्रत 10 सितंबर दिन रविवार को रखा जाएगा._*
➡️ *_पारण का समय- 11 सितंबर 2023 सुबह 6 बजकर 04 मिनट से 8 बजकर 33 मिनट तक कर सकते हैं._*

🍱 *_अजा एकादशी व्रत की पूजन सामग्री_*

*_श्री विष्णु जी का चित्र अथवा मूर्ति, पुष्प, नारियल, सुपारी, फल, लौंग, धूप, दीप, घी, पंचामृत, तेल का दीपक, अक्षत, तुलसी दल, चंदन, मिष्ठान जरूर रखें._*

⚛️ *_अजा एकादशी 2023 पर बन रहे ये 2 शुभ संयोग_*

*_इस साल अजा एकादशी के दिन दो शुभ संयोग बन रहे हैं। पहला रवि पुष्य योग और दूसरा सर्वार्थसिद्धि योग है।_*

🌸 *_रवि पुष्य योग: सितम्बर 10, 2023, रविवार*
*05:06Pm से 06:18 Am, सितम्बर 11 तक_*

🌟 *_सर्वार्थ सिद्धि योग:* *सितम्बर 3,* *2023, रविवार*
*10:38 am से 06:15 am, सितम्बर 04 तक_*


🫵🏼 *_अजा एकादशी व्रत की पूजा विधि_*

🔹 *_एकादशी के दिन सुबह ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करें।_*
🔹 *_कोशिश करें कि इस दिन नए कपड़े पहनें।_*
🔹 *_इसके बाद भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए व्रत का संकल्प लें।_*
🔹 *_फिर मंदिर की साफ सफाई करें।_*
🔹 *_इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर और उसपर भगवान विष्णु की प्रतीमा या तस्वीर स्थापित करें।_*
🔹 *_इसके बाद एक लोटे में गंगाजल लेकर उसमें तिल, रोली और अक्षत मिलाएं।_*
🔹 *_फिर अगरबत्ती और दीपक जलाकर भगवान विष्णु की पूजा करें।_*
🔹 *_भगवान विष्णु को पुष्प अर्पित करें।_*
🔹 *_इसके बाद एकादशी की कथा का पाठ करें।_*
🔹 *_अब भगवान विष्णु को तुलसी जल और तिल का भोग लगाएं।_*

🗣️ *_अजा एकादशी व्रत कथा_*

*_एक दिन राजा लकड़ियां काटने के लिए जंगल में गए थे. वहां लकड़ियां लेकर घूम रहे थे, अचानक देखा कि सामने से ऋषि गौतम आ रहे हैं. राजा ने उन्हें देखते ही हाथ जोड़े और बोले हे ऋषिवर प्रणाम, आप तो जानते ही हैं कि मैं इस समय जीवन के कितने बुरे दिन व्यतीत कर रहा हूं. आपसे विनती है कि हे संत भगवान मुझ पर अपनी कृपा बरसाएं. मुझ पर दया कर बताइये कि मैं ऐसा क्या करूं जो नरक जैसे इस जीवन को पार लगाने में सक्षम हो पाऊं. ऋषि गौतम ने कहा हे राजन तुम परेशान न हो. यह सब तुम्हारे पिछले जन्म के कर्मों की वजह से ही तुम्हें झेलना पड़ रहा है. कुछ समय बाद भाद्रपद माह आएगा. उस महीने के कृष्ण पक्ष की एकादशी यानी अजा एकादशी का तुम व्रत करो उसके प्रभाव से तुम्हारा उद्धार होगा तुम्हारे जीवन में सुख लौट आएगा._*
*_राजा ने ऋषि के कहे अनुसार उसी प्रकार व्रत किया. व्रत के प्रभाव से राजा को अपना राज्य वापस मिल गया, इसके बाद उस समय स्वर्ग में नगाड़े बजने लगे तथा पुष्पों की वर्षा होने लगी. उसने अपने सामने ब्रह्मा, विष्णु, महेश तथा देवेन्द्र आदि देवताओं को खड़ा पाया. उसने अपने मृतक पुत्र को जीवित तथा अपनी पत्नी को राजसी वस्त्र तथा आभूषणों से परिपूर्ण देखा. व्रत के प्रभाव से राजा को पुनः अपने राज्य की प्राप्ति हुई. वास्तव में एक ऋषि ने राजा की परीक्षा लेने के लिए यह सब कौतुक किया था, परन्तु अजा एकादशी के व्रत के प्रभाव से ऋषि द्वारा रची गई सारी माया समाप्त हो गई और अन्त समय में हरिश्चन्द्र अपने परिवार सहित स्वर्ग लोक को पधार गये._*

*🔹एकादशी में क्या करें, क्या न करें ?🔹*

*🌹1. एकादशी को लकड़ी का दातुन तथा पेस्ट का उपयोग न करें । नींबू, जामुन या आम के पत्ते लेकर चबा लें और उँगली से कंठ शुद्ध कर लें । वृक्ष से पत्ता तोड़ना भी वर्जित है, अत: स्वयं गिरे हुए पत्ते का सेवन करें ।*

*🌹2. स्नानादि कर के गीता पाठ करें, श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करें ।*

*🌹हर एकादशी को श्री विष्णुसहस्रनाम का पाठ करने से घर में सुख-शांति बनी रहती है ।*
*राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे ।*
*सहस्रनाम तत्तुल्यं रामनाम वरानने ।।*

*एकादशी के दिन इस मंत्र के पाठ से श्री विष्णुसहस्रनाम के जप के समान पुण्य प्राप्त होता है l*

*🌹3. `ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ इस द्वादश अक्षर मंत्र अथवा गुरुमंत्र का जप करना चाहिए ।*


*🌹5. एकादशी के दिन भूल कर भी चावल नहीं खाना चाहिए न ही किसी को खिलाना चाहिए । इस दिन फलाहार अथवा घर में निकाला हुआ फल का रस अथवा दूध या जल पर रहना लाभदायक है ।*

*🌹6. व्रत के (दशमी, एकादशी और द्वादशी) - इन तीन दिनों में काँसे के बर्तन, मांस, प्याज, लहसुन, मसूर, उड़द, चने, कोदो (एक प्रकार का धान), शाक, शहद, तेल और अत्यम्बुपान (अधिक जल का सेवन) - इनका सेवन न करें ।*

*🌹7. फलाहारी को गोभी, गाजर, शलजम, पालक, कुलफा का साग इत्यादि सेवन नहीं करना चाहिए । आम, अंगूर, केला, बादाम, पिस्ता इत्यादि अमृत फलों का सेवन करना चाहिए ।*

*🌹8. जुआ, निद्रा, पान, परायी निन्दा, चुगली, चोरी, हिंसा, मैथुन, क्रोध तथा झूठ, कपटादि अन्य कुकर्मों से नितान्त दूर रहना चाहिए ।*

*🌹9. भूलवश किसी निन्दक से बात हो जाय तो इस दोष को दूर करने के लिए भगवान सूर्य के दर्शन तथा धूप-दीप से श्रीहरि की पूजा कर क्षमा माँग लेनी चाहिए ।*

*🌹10. एकादशी के दिन घर में झाडू नहीं लगायें । इससे चींटी आदि सूक्ष्म जीवों की मृत्यु का भय रहता है ।*

*🌹11. इस दिन बाल नहीं कटायें ।*

*🌹12. इस दिन यथाशक्ति अन्नदान करें किन्तु स्वयं किसीका दिया हुआ अन्न कदापि ग्रहण न करें ।*

*🌹13. एकादशी की रात में भगवान विष्णु के आगे जागरण करना चाहिए (जागरण रात्र 1 बजे तक) ।*

*🌹14. जो श्रीहरि के समीप जागरण करते समय रात में दीपक जलाता है, उसका पुण्य सौ कल्पों में भी नष्ट नहीं होता है ।*

*🔹 इस विधि से व्रत करनेवाला उत्तम फल को प्राप्त करता है ।*

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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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