Type Here to Get Search Results !

पंचांग 08-09-2023

 🚩✴️✴️✴️🕉️✴️✴️✴️ 🔱
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️
 *🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱*     *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸*

JYOTISH


*🌸*आज का पंचाग*🌸*
 *_शुक्रवार 08 सितम्बर 2023_*
     *_08 सितम्बर 2023 दिन शुक्रवार को भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की नवमी तिथि है। आज की नवमी को गोगा नवमी के नाम से जाना जाता है। पुराणों के अनुसार आज अगस्त्य ऋषि के नाम से प्रसिद्ध तारे का उदय रात्री 10:30 बजे हो जाएगा। आप सभी सनातनियों को गोगा नवमी व्रत की हार्दिक शुभकामनायें।।_*

*_ॐ श्री महालक्ष्म्यै च विद्महे विष्णु पत्न्यै च धीमहि तन्नो लक्ष्मी प्रचोदयात् ॐ॥_*

🌌 *_दिन (वार) – शुक्रवार के दिन दक्षिणावर्ती शंख से भगवान विष्णु पर जल चढ़ाकर उन्हें पीले चन्दन अथवा केसर का तिलक करें। इस उपाय में मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं।_*
*_शुक्रवार के दिन नियम पूर्वक धन लाभ के लिए लक्ष्मी माँ को अत्यंत प्रिय “श्री सूक्त”, “महालक्ष्मी अष्टकम” एवं समस्त संकटो को दूर करने के लिए “माँ दुर्गा के 32 चमत्कारी नमो का पाठ” अवश्य ही करें ।_*
*_शुक्रवार के दिन माँ लक्ष्मी को हलवे या खीर का भोग लगाना चाहिए ।_*
*_शुक्रवार के दिन शुक्र ग्रह की आराधना करने से जीवन में समस्त सुख, ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है, दाम्पत्य जीवन सुखमय होता है बड़ा भवन, विदेश यात्रा के योग बनते है।_*
🔮 *_शुभ हिन्दू नववर्ष 2023 विक्रम संवत : 2080 नल, शक संवत : 1945 शोभन_*
🌐 *_संवत्सर नाम अनला_*
🔯 *_शक सम्वत : 1945 (शोभकृत् संवत्सर)_*
☸️ *_काली सम्वत् 5124_*
🕉️ *_संवत्सर (उत्तर)    पिंगल_*
☣️ *_आयन -     दक्षिणायन_*
☀️ *_ऋतु - सौर शरद ऋतु_*
⛈️ *_मास - भाद्रपद मास_*
🌒 *_पक्ष - कृष्ण पक्ष_*
📆 *_तिथि - भाद्रपद कृष्ण पक्ष नवमी तिथि 17:29:42 तक उपरांत दशमी_*
🖍️ *_तिथि स्वामी - नवमी तिथि की स्वामी देवी दुर्गा हैं ऎसे में जातक को दुर्गा की उपासना अवश्य करनी चाहिए._*
💫 *_नक्षत्र - नक्षत्र म्रृगशीर्षा 12:08.23 PM तक उपरांत आद्रा_*
🪐 *_नक्षत्र स्वामी - मृगशिरा नक्षत्र का स्वामी मंगल ग्रह है। तथा नक्षत्र के देव ग्रह सूर्य है।_*
📣 *_योग - सिद्धि योग 22:05.30 PM तक, उसके बाद व्यातीपात योग_*
⚡ *_प्रथम करण : गर - 17:29.42pm तक_*
✨ *_द्वितीय करण : वणिज - पूर्ण रात्रि तक_*
🔥 *_गुलिक काल : – शुक्रवार को शुभ गुलिक प्रात: 07:52 से 9:26 तक ।_*
⚜️ *_दिशाशूल - शुक्रवार को पश्चिम दिशा का दिकशूल होता है।यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से दही में चीनी या मिश्री डालकर उसे खाकर जाएँ ।_*
🤖 *_राहुकाल -दिन – 10:59 से 12:33 तक राहु काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए |_*
🌞 *_सूर्योदयः- प्रातः 06:18:19 नागौर, राजस्थान (भारत) के अनुसार*
🌅 *_सूर्यास्तः- सायं 18:47:02*
🌉 *_ब्रह्म मुहूर्त : 04:31 ए एम से 05:17 ए एम_*
🌇 *_प्रातः सन्ध्या : 04:54 ए एम से 06:02 ए एम_*
🌟 *_अभिजित मुहूर्त : 12:08 ए एम से 12:58 पी एम_*
✡️ *_विजय मुहूर्त : 02:24 पी एम से 03:14 पी एम_*
🐃 *_गोधूलि मुहूर्त : 06:35 पी एम से 06:58 पी एम_*
🏙️ *_सायाह्न सन्ध्या : 06:35 पी एम से 07:44 पी एम_*
💧 *_अमृत काल : 03:29 ए एम, सितम्बर 09 से 05:14 ए एम, सितम्बर 09_*
🗣️ *_निशिता मुहूर्त : 11:56 पी एम से 12:42 ए एम, सितम्बर 09_*
🚓 *_यात्रा शकुन-शुक्रवार को मीठा दही खाकर यात्रा पर निकलें।_*
👉🏽 *_आज का मंत्र-ॐ द्रां द्रीं द्रौं स: शुक्राय नम:।_*
🤷🏻‍♀️ *_आज का उपाय-लक्ष्मी मंदिर में चांदी की श्रंगार सामग्री चढ़ाएं।_*
🌳 *_वनस्पति तंत्र उपाय-गूलर के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
⚛️ *_पर्व एवं त्यौहार - भद्रा/गोगा नवमी (नन्दोत्सव), प्रसिद्ध पार्श्व गायिका आशा भोंसले जन्मोत्सव,अंतर्राष्ट्रीय साक्षरता दिवस_*
✍🏼 *_विशेष – नवमी तिथि को काशीफल (कोहड़ा एवं कद्दू) एवं दशमी को परवल खाना अथवा दान देना भी वर्जित अथवा त्याज्य होता है। नवमी तिथि एक उग्र एवं कष्टकारी तिथि मानी जाती है। इस नवमी तिथि की अधिष्ठात्री देवी माता दुर्गा जी हैं। यह नवमी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह नवमी तिथि कृष्ण पक्ष में मध्यम फलदायिनी मानी जाती है। नवमी तिथि के दिन लौकी खाना निषेध बताया गया है। क्योंकि नवमी तिथि को लौकी का सेवन गौ-मांस के समान बताया गया है।_*
🗼 *_वास्तु शास्त्र के टिप्स_* 🗽
*_वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे हरे रंग की चीजों के बारे में। हरे रंग की चीजों में बहुत कुछ शामिल हो सकता है, हरी सब्जियां, फ्रूट्स, दालें, कपड़े, बिस्तर आदि। इसके अलावा अगर आप अपने घर में छोटा-सा बाग-बगीचा या पार्क बनाना चाहते हैं तो किस दिशा में बनाएं और इसका क्या प्रभाव होगा, जानिए वास्तु शास्त्र के अनुसार हरे रंग से संबंधित चीजों को पूर्व या फिर दक्षिण-पूर्व दिशा, यानि कि आग्नेय कोण में रखना अच्छा होता है। साथ ही घर में हरी घास के छोटे-से बगीचे को भी इऩ्हीं दिशाओं में बनाना चाहिए। हरे रंग और इन दोनों दिशाओं का संबंध काष्ठ तत्व, यानि कि लकड़ी से है, इसलिए पूर्व या दक्षिण-पूर्व दिशा में हरे रंग की चीजें रखना शुभ फलदायी है। पूर्व दिशा में हरे रंग की चीज़ें रखने से घर के बड़े बेटे के जीवन की गति हमेशा बढ़ती रहती है। उसके पैर मजबूत होते हैं । वहीं आग्नेय कोण में हरे रंग की चीजें रखने से बड़ी बेटी को फायदा होता है। उसका लगातार विकास होता है और स्वास्थ्य से जुड़ी समस्याएं दूर होती हैं।_*

    📚 *_गुरु भक्ति योग_* 🕯️

     *_ ज्योतिष के अनुसार अर्जुन ने कर्ण को छल से क्यों मारा था?_*
       *_शास्त्रो मे जो लिखा हुआ है और कर्णभक्तो ने जो फैलाया है उसमें काफी बड़ा अंतर है और इस अंतर को जानने के लिए सबसे पहले गीता प्रेस में क्या लिखा हुआ है यह जानना आवश्यक है।_*
     *_इसे पढ़कर कर्णभक्त कहते हैं कि कर्ण ने अर्जुन को एक महाताकतवर बाण से अधमरा कर दिया था जिसके बाद में उसे जीवनदान देकर (ना मारकर) रथ का पहिया उठाने लग गया जिसे देखकर भगवान श्रीकृष्ण ने समझ लिया कि महाबलशाली योद्धा कर्ण को मारना नामुमकिन है इसलिए कर्ण को निहत्थे और असावधान हालत में मारने के लिए कहा और अर्जुन ने कर्ण को क्षलपूर्वक मार दिया। अब कर्णभक्तो के बारे में हम क्या कह सकते हैं भाई राई का पहाड़ बनाने में उन्हें ज्यादा समय थोड़े लगता है इसलिए सबसे पहले कर्णभक्तो ने जो कहा है और गीता प्रेस गोरखपुर में क्या लिखा हुआ है उसके बीच में ही तुलना करके देख लेते हैं।_*
      *_कर्णभक्त कहते हैं कि कर्ण ने अर्जुन को अधमरा कर दिया था लेकिन गीता प्रेस का कहना कुछ और है गीता प्रेस के अनुसार अर्जुन को केवल चक्कर ही आया था वो तो वहां पर मूर्क्षित भी नहीं हुआ था और कुछ समय बाद में वह होश संभाल भी चुका था लेकिन अगर वह कर्ण के द्वारा अधमरा कर दिया गया होता तो कम से कम उसका मूर्क्षित होना ही यहां पर लिखा हुआ होता क्योंकि महाभारत में जैसी जिसकी स्थिति हो जाती है वैसा ही लिखा हुआ मिलता है।_*
     *_वैसे भी अगर कर्ण ने अर्जुन को अधमरा कर दिया होता तो अर्जुन तुरंत उठ खड़ा नहीं हुआ होता यह भी अर्जुन की कंडीशन को साफ तौर पर बता देता है।_*
       *_कर्ण ने अर्जुन को जीवनदान देकर रथ का पहिया उठाने लग गया था लेकिन गीता प्रेस महाभारत के अनुसार कर्ण ने मौका पाकर यह काम किया था और मौका पाकर किसी को जीवनदान नहीं दिया जाता हां अपने आप को बचाने की कोशिश जरूर की जाती है साथ में जितने समय के लिए अर्जुन को चक्कर आया था उतने समय में कर्ण उसका कुछ भी नहीं बिगाड़ सकता था।_*
      *_भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण को असावधान और शस्त्रहीन हालत में मारने के लिए कहा था लेकिन श्रीकृष्ण ने केवल इतना ही कहा था कि जब तक कर्ण रथ पर नहीं चढ़ जाता तब तक ही तुम उसका मस्तक काट डालो और इसका मतलब शस्त्रहीन या असावधान अवस्था नहीं होता वैसे भी कर्ण को जब पता चल गया कि यह उसका अंतिम समय था तो उसने अर्जुन को थोड़े देर रुकने के लिए बोला (जबकि बुरी से बुरी स्थिति में भी किसी भी योद्धा ने ऐसा कभी नहीं किया), फिर मौका पाकर रथ के पहिए को उठाने लग गया (जबकि शल्य ने इस मामले में उसे मना नहीं किया था और यह काम एक सारथी का था ना कि रथी का था रथी का काम युद्ध करना होता था लेकिन कर्ण युद्ध को बीच में छोड़कर पहिए पर बल लगा रहा था। ) साफ पता चलता है कि रथ पर चढ़ने से भगवान ने मना क्यों किया होगा (भई रथ में चढ़कर भाग जायेगा तो सूर्यास्त से पहले कैसे मारा जायेगा?) वैसे भी अगर भगवान के कहने का मतलब वह था जो कि कर्णभक्त फैलाते हैं तो फिर क्यों अर्जुन ने उसकी ध्वजा को काटकर उसे सावधान किया था भई फिर तो अर्जुन को बिना कुछ ऐसा किये हुए सीधे ही कर्ण को मार डालना चाहिए था। अर्जुन कर्ण युद्ध में एक बात और ध्यान देने योग्य है कि इस रथ वाले प्रकरण के समय उन दोनों में से कर्ण बुरी हालत में था कर्ण एक वात पित्त कफ के रोगी की भांति हो गया था जिसका केवल मरना ही शेष था और वह बिना श्राप पुरे हुए नहीं हो सकता था जैसे ही श्राप की कन्डीशन पूरी हुई वैसे ही वो मारा भी गया था।_*


⚜️ *_नवमी तिथि में माँ दुर्गा कि पूजा गुडहल अथवा लाल गुलाब के फुल करें। साथ ही माता को पूजन के क्रम में लाल चुनरी चढ़ायें। पूजन के उपरान्त दुर्गा सप्तशती के किसी भी एक सिद्ध मन्त्र का जप करें। इस जप से आपके परिवार के ऊपर आई हुई हर प्रकार कि उपरी बाधा कि निवृत्ति हो जाती है। साथ ही आज के इस उपाय से आपको यश एवं प्रतिष्ठा कि भी प्राप्ति सहजता से हो जाती है।_*
*_आज नवमी तिथि को इस उपाय को पूरी श्रद्धा एवं निष्ठा से करने पर सभी मनोरथों कि पूर्ति हो जाती है। नवमी तिथि में वाद-विवाद करना, जुआ खेलना, शस्त्र निर्माण एवं मद्यपान आदि क्रूर कर्म किये जाते हैं। जिन्हें लक्ष्मी प्राप्त करने की लालसा हो उन्हें रात में दही और सत्तू नहीं खाना चाहिए, यह नरक की प्राप्ति कराता है।_*
*_नवमी तिथि को जन्म लेने वाला व्यक्ति भाग्यशाली एवं धर्मात्मा होता है। इस तिथि का जातक धर्मशास्त्रों का अध्ययन कर शास्त्रों में विद्वता हासिल करता है। ये ईश्वर में पूर्ण भक्ति एवं श्रद्धा रखते हैं। धनी स्त्रियों से इनकी संगत रहती है तथा इसके पुत्र गुणवान होते हैं।_*
*गोगा नवमी क्यों और कैसे मनाते है?*
*पंचांग के भादों मास की कृष्णपक्ष की नवमी तिथि को गोगा नवमी  मनाई जाती है। इसे गुग्गा नौमि  भी कहा जाता है। इस दिन राजस्थान के लोक देवता जाहरवीर गोगा जी की पूजा की जाती है। विधि-विधान से गोगा नवमी की पूजा करने से साधक को सुख-समृद्धि, सौभाग्य और संतान की प्राप्ति होती है। जानियें गोगा नवमी कब है? इसके साथ ही पढ़ियें गोगा नवमी की पूजा कैसे करें?*,
*गोगा नवमी की कथा*
*भाद्रपद (भादों‌) मास की कृष्णपक्ष की नवमी को गोगा नवमी का पर्व मनाया जाता हैं। इसको गुग्गा नवमी (गुग्गा नौमि) भी कहा जाता है। गोगा नवमी पर जाहरवीर गोगा जी की पूजा-अर्चना की जाती हैं।* *लोक मान्यता के अनुसार गोगा जी की पूजा करने से सांपों का भय नही रहता, गोगा जी सर्पदंश से आपके जीवन की रक्षा करते हैं।* *जाहरवीर गोगा जी राजस्थान के लोक देवता माने जाते है, साथ ही सांपों का देवता मानकर उनकी पूजा की जाती हैं। श्रावणी पूर्णिमा से गोगा नवमी तक, पूरे नौ दिनों तक गोगा जी पूजा-अर्चना की जाती हैं।*

*जाहरवीर गोगा जी के भक्त गोगा नवमी का त्यौहार पूर्ण श्रद्धा और प्रेम से मनाते हैं। गोगा नवमी पर घरों में गोगा जी की पूजा की जाती हैं, यज्ञ वेदी बनाकर हवन किया जाता हैं और भोग में गोगा जी को खीर-मालपुआ चढ़ाया जाता हैं। उनकी कथायें कही एवं सुनी जाती हैं। गोगामेड़ी पर मेला भरता हैं।*

*गोगा नवमी (गुग्गा नवमी) कब हैं?*
*इस वर्ष गोगा नवमी 8 सितम्बर, 2023 शुक्रवार के दिन मनायी जायेगी।*

*गोगा नवमी का पूजन कैसे करें?*
*अलग- अलग स्थानों पर गोगा जी की पूजा अलग-अलग विधि से की जाती हैं। उनकी पूजा की दो विधियाँ बहुत प्रचलित हैं।*

*प्रथम विधि*
*1. गोगा नवमी के दिन प्रात:काल शीघ्र उठकर दैनिक नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर गोगा जी के भोग के लिये खीर, मालपुये या गुलगुले, चूरमा, इत्यादि बनायें।*

*2. घर की स्त्रियाँ मिट्टी से घोड़े पर बैठे जाहरवीर गोगा जी मूर्ति बनाये, यदि यह सम्भव नही हो तो पूजा के लिये बनी-बनाई मूर्ति लायें।*

*3. मूर्ति को पूजास्थान पर रखें। वहाँ दीपक जलाकर, मूर्ति पर जल और कच्चे दूध के छींटे मारे। रोली- चावल से मूर्ति पर तिलक करें।*

*4. हवन की वेदी बनाकर उसमें हवन करें।*

*5. फिर उसके बाद खीर और मालपुयें का भोग अर्पित करें।*

*6. भीगी हुई दाल गोगा जी के घोड़े के आगे रखें।*

*7. पूजन के बाद गोगा जी की कहानी कहें या सुने। कहानी सुनने के बाद गोगा जी के भजन गायें।*

*8. गोगा जी का एक प्रिय भजन इस प्रकार हैं –*

*भादवे में गोगा नवमी आगी रे, भगता में मस्ती सी छागी रे,*
*गोगा पीर दिल* *के अंदर,* *थारी मैडी पे मैं आया,*
*मुझ दुखिया को तू अपना ले,* *ओ नीला घोड़े आळे।*
*मेरे दिल में बस गया है गोगाजी घोड़ेवाला,*
*वो बाछला मां का लाला वो है,* *नीला घोड़े वाला,*
*दुखियों का सहारा गोगा पीर।*

*9. कुछ स्थानों पर ऐसा प्रचलन है, कि बहनें अपने भाई को रक्षाबंधन पर जो राखी (रक्षासूत्र) बाँधती है, वो इस दिन गोगा जी को चढ़ायी जाती हैं।*

*द्वितीय विधि*
*गोगा नवमी के दिन प्रात:काल जल्दी उठकर स्नानादि नित्यक्रियाओं से निवृत्त होकर गोगा जी के भोग के लिये मीठी रोटी बनायें। रोटी थोड़ी मोटी बनायें।* *रोटी के अलावा खीर बनायें। यही वस्तुएँ अपने परिवार के खाने के लिये भी बनायें।*
*रोटी पर घी, बूरा रखें और साथ ही एक कटोरी में खीर रखें।*
*फिर रसोई की दीवार पर गोगा जी का चित्र बनायें।*
*उसके सामने घी का दीपक जलायें।*
*एक लोटे में जल रखें।*
*गोगा जी के चित्र पर जल से छींटे लगाये, फिर उनका रोली-चावल से तिलक करें।*
*उसके बाद अपने माथे पर भी तिलक करें।*
*थाली में रोटी, घी, बूरा और खीर की कटोरी रखकर भोग लगायें।*
*तत्पश्चात गेँहू के दाने हाथ मेंं लेकर कहानी सुने और उसके बाद गोगा जी के सामने धोक लगाकर उनसे प्रार्थना करें। “हे गोगाजी महाराज, मुझ पर और मेरे परिवार पर अपनी कृपा बनायें रखना।* *हमारी गलतियों को क्षमा करना। हमारे परिवार में सुख-समृद्धि आये ऐसी कृपा करना।”*
*फिर भोग की थाली का सामान किसी साधू या कुम्हार को दे दें और लौटे के जल को पौधों में चढ़ा दें।*
*उसके बाद घर के लोग भी मीठी रोटी और खीर का भोजन करें।*

*गोगा नवमी का महत्व*
*ऐसी मान्यता है की जाहरवीर गोगा जी की पूजा करने से जातक का जीवन सर्पदंश से सुरक्षित हो जाता हैं।* *गोगा जी कि कृपा से जातक की सभी मनोकामनायें पूर्ण होती हैं।*

*1. संतानहीन को संतान की प्राप्ति होती हैं।*

*2. बच्चों वाली महिलाओं के बच्चे दीर्धायु होते है,*
*किसी लेखक की कलम से...*
 🌞🙏🍀🌻🌹🌸💐🍁🙏

Tags

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.

Below Post Ad