*✴️🚩🔱🕉️🔯📿🌞🔯🕉️🔱🚩💫 💫 💫 💫 💫 💫 💫 ✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️✴️
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*🌞श्री गणेशाय नमः🌞*
*🌞श्री मोर मुकुट बंशीवाले सेठ की जय 🌞*
*✴️उबछठ विशेष पंचांग✴️*
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*सोमवार के देवता भगवान शिव और चंद्रदेव हैं। इस दिन प्रात:काल 7:51 से 9:25 बजे तक राहु काल रहता है। सोमवार का महत्व : इस दिन चंद्र दोष को ठीक किया जा सकता है। चंद्र ग्रह हमारे मन और माता का प्रतीक है अत: इसके उपाय से शांति, सेहत और समृद्धि की प्राप्त होती है। सोमवार की प्रकृति सम है। सोमवार का दिन शिवजी और चंद्रदेव का दिन है। सोमवार के दिन उन लोगों को उपवास रखना चाहिए जिनका स्वभाव ज्यादा उग्र है। इससे उनकी उग्रता में कमी होगी।*
*⛅दिनांक - 04 सितम्बर2023*
*⛅दिन - सोमवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅ नागौर राजस्थान (भारत)*
*⛅पंचमी, कृष्ण पक्ष, भाद्रपद*
*⛅तिथि - पंचमी शाम 16:41:22 तक तत्पश्चात षष्ठी*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी सुबह 09:25:28 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - ध्रुव रात्रि 24:57:23 तक तत्पश्चात व्याघात*
*⛅करण तैतुल 16:41:22*
*⛅करण गर 28:07:32*
*⛅वार सोमवार*
*⛅माह (अमावस्यांत) श्रावण*
*⛅माह (पूर्णिमांत) भाद्रपद*
*⛅चन्द्र राशि मेष*
*⛅सूर्य राशि सिंह*
*⛅रितु शरद*
*⛅आयन दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर) पिंगल*
*⛅विक्रम संवत 2080*
*⛅गुजराती संवत 2079*
*⛅शक संवत 1945*
*⛅सौर प्रविष्टे19,भाद्रपद **
*⛅नागौर राजस्थान (भारत)*
*⛅सूर्योदय 06:16:28*
*⛅सूर्यास्त 18:51:25*
*⛅दिन काल 12:34:57*
*⛅रात्री काल 11:25:29*
*⛅चंद्रास्त 10:36:54*
*⛅चंद्रोदय 21:49:18(ऊब छठ के चंद्र दर्शन का समय है।)*
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*⛅ सूर्योदय⛅*
*लग्न सिंह 17°4' , 137°4'*
*सूर्य नक्षत्र पूर्व फाल्गुनी*
*चन्द्र नक्षत्र अश्विनी*
*⛅पद, चरण⛅*
*4 ला अश्विनी 09:25:28*
*1 ली भरणी 15:14:27*
*2 लू भरणी 21:06:21*
*3 ले भरणी 27:01:08*
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*⛅स्थानीय समय नागौर, राजस्थान (भारत)के अनुसार*
*⛅दिन काल 12:36:30*
*⛅रात्री काल 11:23:56*
*⛅लग्न सूर्योदय⛅*
*सिंह 16°6' , 136°6'*
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*⛅शुभाशुभ मुहूर्त विचार⛅*
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*⛅राहू काल 17:18 - 18:53 अशुभ*
*⛅यम घंटा 12:34 - 14:09 अशुभ*
*⛅गुली काल 15:43 - 17:18*
*⛅अभिजित 12:09 - 12:59 शुभ*
*⛅दूर मुहूर्त 17:12 - 18:02 अशुभ*
*⛅वर्ज्यम 29:34- 31:07अशुभ*
*⛅गंड मूल अहोरात्र अशुभ*
*⛅पंचक 06:16 - 10:37 अशुभ*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*यदि सोमवार के दिन पूर्व की दिशा में यात्रा करनी है तो दर्पण देखकर और शनिवार के दिन अदरक और उड़द की दाल खाकर यात्रा करें. इससे दिशाशूल का दोष भंग हो जाता है।*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 01:01 तक*
*⛅☸शुभअंक.................3*
*⛅🔯 शुभ रंग...........नीला*
*⛅व्रत पर्व विवरण - नाग पंचमी (राजस्थान), माधवदेव तिथि (असम)*
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*🌐☄चौघड़िया विचार☄🌐*
*🌻॥दिन का चौघड़िया॥🌻*
*अमृत 05:41 - 07:16 शुभ*
*काल 07:16 - 08:50 अशुभ*
*शुभ 08:50 - 10:25 शुभ*
*रोग 10:25 - 11:59 अशुभ*
*उद्वेग 11:59 - 13:33 अशुभ*
*चर 13:33 - 15:08 शुभ*
*लाभ 15:08 - 16:42 शुभ*
*अमृत 16:42 - 18:17 शुभ*
*🌻॥रात्रि का चौघड़िया॥🌻*
*चर 18:17 - 19:42 शुभ*
*रोग 19:42 - 21:08 अशुभ*
*काल 21:08 - 22:34 अशुभ*
*लाभ 22:34 - 23:59 शुभ*
*उद्वेग 23:59 - 25:25*अशुभ*
*शुभ 25:25* - *26:50 शुभ*
*अमृत 26:50* - *28:16शुभ*
*चर 28:16* - *29:42 शुभ*
*नोट-- दिन और रात्रि के चौघड़िया का आरंभ क्रमशः सूर्योदय और सूर्यास्त से होता है। प्रत्येक चौघड़िए की अवधि डेढ़ घंटा होती है।*
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*✴️ ऊब छठ का व्रत और पूजा विधि✴️*
*पुराणों में कहीं तो सूर्य की पत्नी संज्ञा को, कहीं कार्तिकेय की पत्नी को षष्ठी देवी या छठी मैया माना गया है।*
*श्रीमद्भागवत महापुराण के अनुसार, प्रकृति के छठे अंश से प्रकट हुई सोलह मातृकाओं अर्थात माताओं में प्रसिद्ध षष्ठी देवी (छठी मैया) ब्रह्मा जी की मानस पुत्री हैं।*
*ऊब छठ का व्रत और पूजा विवाहित स्त्रियां पति की लंबी आयु के लिए तथा कुंआरी लड़कियां अच्छे पति कामना में करती है।*
*भाद्रपद महीने की कृष्ण पक्ष की छठ ( षष्टी तिथि ) ऊब छठ होती है।*
*ऊब छठ को चन्दन षष्टी चन्ना छठ और चाँद छठ के नाम से भी जाना जाता है।*
*उबछठ भाद्रपद मास(भादों) के कृष्ण पक्ष की षष्ठी को मनाते हैं । इस दिन उपवास करना चाहिये और ऊब छठ की कहानी सुननी चाहिए । सायंकाल नदी या कुंए पर स्नान करके चंदन घिसकर लगाना चाहिये । स्नान के पश्चात चंदन का ज्यादा महत्व इस दिन इस पूजा में बताया गया है। स्नान करने के पश्चात् बैठना नहीं चाहिये । स्नान के समय और स्नानके पश्चात् सूर्य भगवान को चन्दन और पुष्प से पूजा करके अर्ध्य देना चाहिये । सूर्यस्त्रोत बोलना चाहिये और भगवान सूर्य के बारह नाम बोलने चाहिये । तत्पश्चात् जब तक चन्द्रोदय न हो तब तक खड़े ही रहना चाहिये।*
*संध्या समय सभी मंदिरों में भगवान के दर्शन करते हैं । सभी सखी – सहेलिया मिलकर भगवान के भजन करती हैं और चन्द्रोदय के पश्चात् चन्द्रमा को अर्ध्य देकर चन्द्रमा की पूजा करते हैं । उसके बाद उपवास खोलते हैं अर्थात् भोजन करते हैं इस व्रत को ‘ चन्दन षष्ठी व्रत ‘ भी कहा जाता है।*
*ऊब छठ के दिन मंदिर में भगवान की पूजा की जाती है। चाँद निकलने पर चाँद को अर्ध्य दिया जाता है। उसके बाद ही व्रत खोला जाता है। सूर्यास्त के बाद से लेकर चाँद के उदय होने तक खड़े रहते है। इसीलिए इसको ऊब छठ कहते है।*
*ऊब छठ की पूजन सामग्री –*
*कुमकुम , चावल , चन्दन , सुपारी , पान , कपूर , फल , सिक्का , सफ़ेद फूल , अगरबत्ती , दीपक, आसन सहित।*
*ऊब छठ की पूजा विधि –*
*स्त्रियां इस दिन पूरे दिन उपवास रखती है।*
*शाम को स्नान करने के बाद बढ़िया वस्त्र शृंगार आदि करके इस त्यौहार को मानते हैं।*
*मंदिर जाती है। वहाँ भजन करती है।*
*चन्दन का टीका लगाती है।*
*कुछ लोग लक्ष्मी जी और और गणेश जी की पूजा करते है। कुछ अपने इष्ट की। पूजन करते है।*
*भगवान को कुमकुम और चन्दन से तिलक करके अक्षत अर्पित करते है।*
*सिक्का , फूल , फल , सुपारी, प्रसाद चढ़ाते है।*
*दीपक , अगरबत्ती जलाते है।*
*संकल्प कर पूजन की शुरुआत करते है।*
*फिर हाथ में चन्दन लेते है। कुछ लोग चन्दन मुँह में रखते है।*
*इसके बाद ऊब छट व्रत की कहानी सुनते है। छठ की कहानी के लिएऔर गणेशजी की कहानी सुनते है।*
*इसके बाद पानी भी नहीं पीते जब तक चाँद न दिख जाये। इसके अलावा बैठते नहीं है। खड़े रहते है ।*
*चाँद दिखने पर चाँद को अर्ध्य दिया जाता है। चाँद को जल के छींटे देकर कुमकुम , चन्दन , मोली , अक्षत चढ़ाएं। भोग अर्पित करें।*
*जल कलश से जल चढ़ायें। एक ही जगह खड़े होकर परिक्रमा करें।*
*अर्ध्य देने के बाद व्रत खोला जाता है।*
*लोग व्रत खोलते समय अपने रिवाज के अनुसार नमक वाला या बिना नमक का खाना खाते है।*
*ऊब छठ के व्रत की उद्यापन विधि* –
*आठ लड्डू या घेवर रखने चाहिये । नारियल लड्डु और एक प्याला भाई को दे देना चाहिये बाकी सात व्रत वाली लड़कियों के घर भेज देना चाहिये । शादी के बाद उद्यापन करें तो 13 लड्डू निकालने चाहिये । जिसमे एक साक्षी के रूप में होना चाहिये।*
*इस व्रत के उद्यापन के लिए पाव पाव भर के आठ लडडू बनाये जाते है। ये लडडू एक प्लेट में रखकर व्रत करने वाली आठ स्त्रियों को दिए जाते है। साथ में एक नारियल भी दिया जाता है।* *नारियल पर कुमकुम के छींटे दिए जाते है। एक प्लेट में लडडू और नारियल विनायक को दिया जाता है। ये प्लेट घर पर जाकर दे सकते है या उनको भोजन के लिए निमंत्रण देकर भोजन कराके भी दे सकते है। प्लेट देते समय पहले लड़की या महिला को तिलक करें। फिर प्लेट दें । नारियल भी दें सकते है।*
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*गणेश जी की कहानी*
*सभी प्रकार के व्रत में सुनी जाती है।*
*कोई भी व्रत करने पर उस व्रत की कहानी के अलावा ,गणेश जी की कहानी भी कही और सुनी जाती है। इससे व्रत का पूरा फल मिलता है।*
*व्रत की कहानी के साथ ही गणेश जी की कहानी जरूर सुननी, चाहिए।*
*गणेश जी की कहानी*
*एक बार गणेश जी एक लड़के का वेष धरकर नगर में घूमने निकले। उन्होंने अपने साथ में चुटकी भर चावल और चुल्लू भर दूध ले लिया। नगर में घूमते हुए जो मिलता , उसे खीर बनाने का आग्रह कर रहे थे।*
*बोलते – ” माई खीर बना दे ” लोग सुनकर हँसते।*
*बहुत समय तक घुमते रहे , मगर कोई भी खीर बनाने को तैयार नहीं हुआ। किसी ने ये भी समझाया की इतने से सामान से खीर नहीं बन सकती*
*पर गणेश जी को तो खीर बनवानी ही थी। अंत में एक गरीब बूढ़ी अम्मा ने उन्हें कहा बेटा चल मेरे साथ में तुझे खीर बनाकर खिलाऊंगी। गणेश जी उसके साथ चले गए।बूढ़ी अम्मा ने उनसे चावल और दूध लेकर एक बर्तन में उबलने चढ़ा दिए।दूध में ऐसा उफान आया कि बर्तन छोटा पड़ने लगा।*
*बूढ़ी अम्मा को बहुत आश्चर्य हुआ कुछ समझ नहीं आ रहा था।*
*अम्मा ने घर का सबसे बड़ा बर्तन रखा।वो भी पूरा भर गया। खीर बढ़ती जा रही थी। उसकी खुशबू भी चारों तरफ फैल रही थी।*
*खीर की मीठी मीठी खुशबू के कारण अम्मा की बहु के मुँह में पानी आ गया उसकी खीर खाने की तीव्र इच्छा होने लगी। उसने एक कटोरी में खीर निकली और दरवाजे के पीछे बैठ कर बोली –*
*” ले गणेश तू भी खा , मै भी खाऊं “ और खीर खा ली। बूढ़ी अम्मा ने बाहर बैठे गणेश जी को आवाज लगाई। बेटा तेरी खीर तैयार है। आकर खा ले।*
*गणेश जी बोले –*
*“अम्मा तेरी बहु ने भोग लगा दिया , मेरा पेट तो भर गया”*
*खीर तू गांव वालों को खिला दे।*
*बूढ़ी अम्मा ने गांव वालो को निमंत्रण देने गई। सब हंस रहे थे।*
*अम्मा के पास तो खुद के खाने के लिए तो कुछ है नहीं।*
*पता नहीं , गांव को कैसे खिलाएगी।पर फिर भी सब आये।*
*बूढ़ी अम्मा ने सबको पेट भर खीर खिलाई।ऐसी स्वादिष्ट खीर उन्होंने आज तक नहीं खाई थी।*
*सभी ने तृप्त होकर खीर खाई लेकिन फिर भी खीर ख़त्म नहीं हुई। भंडार भरा ही रहा।*
*हे गणेश जी महाराज , जैसे खीर का भगोना भरा रहा वैसे ही हमारे घर का भंडार भी सदा भरे रखना।*
*।।जय बोल श्री गजानंद महाराज की जय... खोमा,खोमा!!!*
*।।बोल श्री मोर मुकुट बंसीवाले की जय खोमा,खोमा।।*
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*ऊब छठ की* *कहानी(२) –*
*एक साहूकार था । उसकी एक पत्नि थी । साहूकार महीने की होई हुई ( दूर होई हुयी ) बिना नहाए धोए सब जगह हाथ लगाती थी व खाना बनाती थी , पानी भरती थी , सब काम कर लेती थी । कुछ दिन बाद उनके एक पुत्र हुआ । उसकी इन्होंने शादी की । शादी के कुछ दिनों बाद साहूकार और साहूकारनी की मृत्यु हो गई । मृत्यु के बाद साहूकार तो बैल बना और साहूकारनी कुतिया । वे दोनों अपने बेटे के घर पर ही पहुँच गये । बेटा बैल से खूब काम लेता था । दिन भर खेत में जोतता और कुएँ में से पानी निकलवाता कुतिया उसके घर की रखवाली थी।*
*जब उनको वहाँ एक साल हो गया तो उस लड़के के पिता का श्राद्ध आया । श्राद्ध के दिन खूब पकवान बनवाये गये । उनके खीर भी बनाई गई । खीर को ठंडा करने के लिए एक थाली में फैलाकर रख दिया गया । उसी समय एक चील उड़ती हुई आई जिसके मुंह में मरा हुआ सर्प था । वह सर्प उसके मुँह से छूट गया और खीर में गिर गया । यह बात बैठी हुई कुतिया देख रही थी । कुतिया सोचने लगी कि कोई इस खीर का खाएगा , तो वह मर जायेगा , अतः अब क्या करें ?*
*कुतिया यह सोच ही रही थी कि भीतर से लड़के की बहू उठकर आई । कुतिया ने उस खीर में मुंह दे दिया । जब लड़के की बहू ने देखा कि कुतिया ने उस खीर में मुँह दे दिया है तो वह डंडा लेकर कुतिया के पीछे भागी और उसकी पीठ में एक ऐसा डंडा मारा कि कुतिया की पीठ की हड्डी टूट गई । जब रात हुई तो कुतिया बैल के पास आई और बोली , ” आज तो तुम्हारा श्राद्ध था तुम्हें तो खूब भोजन मिला होगा । ” बैल बोला । ” मुझे तो आज कुछ भी नहीं मिला , दिन भर खेत में ही काम पर लगा रहा हूँ । “*
*कुतिया बोली , ” जो श्राद्ध की खीर बनाई थी , उसमें चील ने सर्प डाल दिया था । लोगों के मरने से बचाने के लिए मैंने खीर में मुँह दे दिया था । जिससे बहू ने मेरी पीठ पर ऐसा डंडा मारा कि मेरी हड्डी टूट गई , इससे बहुत दर्द हो रहा है और कुछ खाने को भी नहीं मिला । ” यह सब बात बहू ने सुन ली । उसने कुतिया व बैल की सब बातें अपने पति से कही तब लड़के ने ज्योतिषियों को बुलाकर पूछा , ” कि मेरे माता – पिता किस योनि में हैं ? ” तब ज्योतिषी ने कहा* , ” *तुम्हारे यहां जो बैल है वहीं तुम्हारे पिता हैं और जो तुम्हारे कुतिया है वह तुम्हारी माँ।*
*लड़का बोला , ” इनका उद्धार कैसे हो ? पंडितों ने कहा , “ तुम अपनी कुँवारी लड़की से उबछठ का व्रत भादवा बदी छठ को करवा दो । जब वो अर्घ्य देवे तब जहाँ से पानी गिरे वहाँ इन्हें खड़ा कर देना, इससे इनकी ये योनि छूट जायेगी । तेरी माँ को अपने कर्मों के कारण यह योनि मिली है। साहूकार के लड़के ने अपनी लड़की से व्रत करवाया । अरग का पानी बहकर छत की नाली से जहाँ गिरा वहाँ उन्हें खड़ा कर दिया । इससे उन दोनों को मोक्ष मिल गया । हे उबछट माता उन को मोक्ष दिया वैसा हमारा भी करना किन्तु जैसा दोष उन्हें लगा वैसा किसी के भी मत लगाना । ऊब छठ की कहानी कहने वाले , सुनने वाले सबका भला करना।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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