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पंचांग - 03-09-2023

*✴️🚩🔱🕉️🔯📿🌞🔯🕉️🔱🚩💫 💫 💫 💫 💫 💫 💫
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     *🌞*श्री गणेशाय नमः*🌞*
*🌞श्री मोर मुकुट बंशीवाले नगर सेठ की जय 🌞*
   *✴️रविवार सूर्य देवता की पूजा का वार है। जीवन में सुख-समृद्धि, धन-संपत्ति और शत्रुओं से सुरक्षा के लिए रविवार का व्रत सर्वश्रेष्ठ है। रविवार का व्रत करने व कथा सुनने से मनुष्य की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं।* *मान-सम्मान, धन-यश तथा उत्तम सम्मान मिलता है
jyotish



*⛅दिनांक - 03 सितम्बर2023*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*✹    नागौर राजस्थान (भारत)*
*✹तिथि    चतुर्थी*    *18:23:43 तक*
*तक तत्पश्चात पंचमी*
*✹नक्षत्र    रेवती    10:37:17 तक तत्पश्चात अश्विनी*
*✹योग    वृद्वि    27:10:19तक तत्पश्चात वृद्धि*
*✹करण    बव    07:31:15*
*✹करण    बालव    18:23:43*
*✹करण    कौलव    29:26:54*
*✹वार    रविवार*
*✹माह (अमावस्यांत)    श्रावण*
*✹माह (पूर्णिमांत)    भाद्रपद*
*✹चन्द्र राशि    मीन से10:37:17*
*✹चन्द्र राशि    मेष     से10:37:17*
*✹सूर्य राशि       सिंह*
*✹रितु    शरद*
*✹आयन    दक्षिणायण*
*✹संवत्सर    शोभकृत*
*✹संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*✹विक्रम संवत    2080*
*✹गुजराती संवत    2079*
*✹शक संवत    1945*
*✹सौर प्रविष्टे*
*18,भाद्रपद*   
*✹    नागौर, राजस्थान (भारत)*
*✹सूर्योदय    06:16:01*
*✹सूर्यास्त    18:52:31*
*✹दिन काल    12:36:30*
*✹    रात्री काल    11:23:56*
*✹चंद्रास्त    09:32:55*   
*✹चंद्रोदय    21:12:28*
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          *✹सूर्योदय✹*
 *लग्न      सिंह 16°6' , 136°6'*
*✹सूर्य नक्षत्र    पूर्व फाल्गुनी*   
*✹चन्द्र नक्षत्र    रेवती*
     *✹ पद, चरण✹*
*4 ची    रेवती    10:37:17*
*1 चु    अश्विनी    16:15:18*
*2 चे    अश्विनी    21:55:57*
*3 चो    अश्विनी    27:39:19*
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*✹    नागौर, राजस्थान (भारत)*
*✹दिन काल*    *12:36:30*
*✹रात्री काल    11:23:56*
      *✹लग्न सूर्योदय✹*
  *सिंह    16°6' , 136°6'*
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            *✴️ मुहूर्त✴️*
*✴️⛅राहु काल हर जगह का अलग है - शाम 17:18 से 18:53 तक*
*✴️यम घंटा    12:34 - 14:09    अशुभ*
*✴️गुली काल    15:43 - 17:18*
*✴️अभिजित    12:09 - 12:59    शुभ*
*✴️दूर मुहूर्त    17:12 - 18:02    अशुभ*
*✴️वर्ज्यम    29:34 31:07अशुभ*
*✴️गंड मूल    अहोरात्र    अशुभ*
*✴️पंचक    06:16 - 10:37    अशुभ"*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:37 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:16 से 01:02 तक*

*✴️चोघडिया, दिन✴️*
*उद्वेग    06:16 - 07:51    अशुभ*
*चर    07:51 - 09:25    शुभ*
*लाभ    09:25 - 10:59    शुभ*
*अमृत    10:59 - 12:34    शुभ*
*काल    12:34 - 14:09    अशुभ*
*शुभ    14:09 - 15:43    शुभ*
*रोग    15:43 - 17:18    अशुभ*
*उद्वेग    17:18 - 18:53    अशुभ*

     *✴️चोघडिया, रात✴️*
*शुभ    18:53 - 20:18    शुभ*
*अमृत    20:18 - 21:44    शुभ*
*चर    21:44 - 23:09    शुभ*
*रोग    23:09 - 24:35    अशुभ*
*काल    24:35* - *25:59अशुभ*
*लाभ    25:59* - *27:25    शुभ*
*उद्वेग    27:25* - *28:51    अशुभ*
*शुभ    28:51* - *30:16    शुभ*
*⛅व्रत पर्व विवरण - संकष्ट चतुर्थी*
*⛅विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है। (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


*✴️चोघडिया, दिन✴️*
*उद्वेग    06:16 - 07:51    अशुभ*
*चर    07:51 - 09:25    शुभ*
*लाभ    09:25 - 10:59    शुभ*
*अमृत    10:59 - 12:34    शुभ*
*काल    12:34 - 14:09    अशुभ*
*शुभ    14:09 - 15:43    शुभ*
*रोग    15:43 l*
*🔸संकष्ट चतुर्थी - 03 सितम्बर 2023🔸*
*🔸क्या है संकष्ट चतुर्थी ?*

*🔹संकष्ट चतुर्थी का मतलब होता है संकट को हरने वाली चतुर्थी । संकष्ट संस्कृत भाषा से लिया गया एक शब्द है, जिसका अर्थ होता है ‘कठिन समय से मुक्ति पाना’।*

*🔹इस दिन व्यक्ति अपने दुःखों से छुटकारा पाने के लिए गणपति की अराधना करता है । पुराणों के अनुसार चतुर्थी के दिन गौरी पुत्र गणेश की पूजा करना बहुत फलदायी होता है । इस दिन लोग सूर्योदय के समय से लेकर चन्द्रमा उदय होने के समय तक उपवास रखते हैं । संकष्ट चतुर्थी को पूरे विधि-विधान से गणपति की पूजा-पाठ की जाती है ।*
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*शुक्र ग्रह 4 सितंबर से कर्क राशि में मार्गी हो जाएंगे।शुक्र अभी वक्री चाल से सिंह राशि में चल रहे हैं। भौतिक सुख और धन का संचालन करने वाले ग्रह शुक्र का मार्गी होना कई राशियों के लिए धनदायक माना जा रहा है। भाग्‍य लक्ष्‍मी इन राशियों के लोगों के जीवन को खुशियों से भर देंगी और इनकी संपत्ति में दिन-रात वृद्धि होगी। देखिए कौन सी हैं ये 5 राशियां।*

     *✴️शुक्र कर्क राशि में होंगे मार्गी, इन 5 राशियों के लिए खुलेंगे भाग्‍य लक्ष्‍मी के द्वार*
    
  *✴️ शुक्र 4 सितंबर को कर्क राशि में मार्गी होंगे। यानी कि शुक्र कर्क राशि में सीधी चाल से चलना आरंभ करेंगे। शुक्र की सीधी चाल को ज्‍योतिष में शुभ माना जाता है और कहते हैं मार्गी शुक्र सभी राशियों को रुपये-पैसे और प्रेम संबंधों के मामले में शुभ फल प्रदान करते हैं। इस बार शुक्र के मार्गी होने से किन राशियों को मिलेगा सबसे ज्‍यादा फायदा, आइए जानते हैं कौन सी होंगी ये लकी राशियां।*
     *✴️ वृष राशि पर शुक्र मार्गी का प्रभाव*
        *✴️वृष राशि पर शुक्र मार्गी का प्रभाव*

*वृष राशि वालों के लिए शुक्र का मार्गी होना करियर के लिहाज से बहुत ही शुभ फल देने वाला माना जा रहा है। आपको जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्‍त होगी। परिवार के लोगों के साथ आपके संबंध मधुर होंगे और आपको सबकी तरफ से मदद प्राप्‍त होगी। आप अपनी बातों से दूसरों का दिल जीतने में सफल होंगे। करियर में कोई अनुभवी आपकी मदद कर सकता है। ऑफिस में आपकी मेहनत और काम को देखते हुए कोई आपकी प्रशंसा करेगा या फि आपकी पदोन्‍नति भी हो सकती है। बिजनस में भी आपके लिए सफलता के द्वार खुलेंगे।*

*मिथुन राशि पर शुक्र मार्गी का प्रभाव*
*मिथुन राशि पर शुक्र मार्गी का प्रभाव*

*मिथुन राशि के लोगों के जीवन में शुक्र के मार्गी होने से लाभ होगा। करियर के मामले में आपके लिए यह गोचर कुछ विशेष बदलाव वाला हो सकता है। इस बदलाव से आपको खास लाभ होगा। पैतृ‍क संपत्ति के मामले में लाभ होगा। मेहनत करने पर आपको लाभ होगा और आपकी महत्‍वाकांक्षाएं पूर्ण होंगी। अच्‍छे प्रदर्शन के लिए आपको बोनस और प्रोत्‍साहन मिल सकता है। नौकरी में आपको नए अवसर भी मिल सकते हैं और इनका चुनाव आपको* *सोचसमझकर करना चाहिए। विदेश में नौकरी पाने का प्रयास कर रहे लोगों के लिए यह लाभ का मौका साबित हो सकता है।*

*कन्‍या राशि पर शुक्र मार्गी का प्रभाव*

*कन्‍या राशि के लोगों के लिए शुक्र के मार्गी होने पर धन लाभ होने की उम्‍मीद है और आपको व्‍यवसाय में विशेष लाभ होगा। आपके कार्य की सराहना होगी और कारोबार में इस बीच आपका मुनाफा बढ़ जाएगा। बिजनस में आप कुछ नए आइडिया पर काम कर सकते हैं। भाग्‍य का पूरा साथ मिलेगा। कोई मजबूत निर्णय लेंगे जो कि सफल साबित होंगे। पार्टनरशिप में यदि आप बिजनस करते हैं तो आपके लिए कुछ नए अवसर आ सकते हैं और आप किसी नए बिजनस को टेकओवर कर सकते हैं। शुक्र के मार्गी होने से आपके जीवन में पैसे कमाने के भी कई मौके आएंगे। आपका खुद का बिजनस है तो आय बढ़ेगी।*

  *✴️तुला राशि पर शुक्र मार्गी का प्रभाव*

  *✴️तुला राशि वालों के लिए शुक्र का मार्गी होना धन संपत्तिदायक माना जा रहा है। कार्यक्षेत्र में आपको अपनी प्रतिभा दिखाने के कई अवसर प्राप्‍त होंगे। आपके धन और सम्‍मान में वृद्धि होगी। इसके साथ ही आप अपनी और परिवार की जरूरतों को अच्‍छे से पूरा कर पाएंगे। अगर आप आउटसोर्सिंग के किसी व्‍यवसाय से जुड़े तो इस बार आपको अच्‍छा मुनाफा प्राप्‍त होगा। इसके साथ ही आप विदेशी स्रोतों से भी धन अर्जित करने में सफल होंगे। आप पैसे कमाने और धन की बचत करने में सक्षम होंगे। लव लाइफ के मामले में आपके पार्टनर के साथ संबंध पहले से और बेहतर होंगे। आपका रिश्‍ता और मजबूत होगा।*

  *✴️धनु राशि पर शुक्र मार्गी का प्रभाव*

  *✴️शुक्र के मार्गी होने से धनु राशि वालों के जीवन में करियर से संबंधित चिंताएं दूर हो सकती हैं। आपको करियर में इस बार नए मौके प्राप्‍त होंगे। जिनका चयन आपको सोचविचारकर करना होगा। आपको अचानक से धन की प्राप्ति होगी। पैतृ‍क संपत्ति से होने वाली कमाई में इजाफा हो सकता है। करियर के संबंध में कोई सलाह लेने में आपको परिवार के लोगों की जरूरत पड़ सकती है। खर्च पर कंट्रोल करें, वरना आपका बजट बिगड़ सकता है।*
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*✴️बहुला चौथ 2023, व्रत पूजा विधि कथा✴️*

*भाद्रप्रद महीने में अनेकों त्यौहार आते है, जिनका पुजन हिन्दू समाज विधि विधान से करता है. सावन में ही एक त्यौहार आता है, बहुला चौथ या चतुर्थी. इसे गुजरात में बोल चौथ के नाम से जानते है, जबकि मध्यप्रदेश में इसे बहुला चौथ कहते है. चतुर्थी तिथि को वैसे गणेश जी का दिन माना जाता है, लेकिन ये चतुर्थी कृष्ण चतुर्थी के नाम से व्यख्यात है. यह त्यौहार मुख्यतः किसान लोगों के द्वारा किया जाता है, इस दिन वे अपने पशु, मुख्यरूप से गाय, बैल की पूजा करते है. किसानों के जीवन में इन पशुओं का भी मुख्य स्थान होता है, उनकी वजह से वे सफल खेती कर पाते है, तो गायों और बछड़ों के कल्याण के लिए ये दिन मनाया जाता है.*

*✴️बहुला चौथ व्रत पूजा विधि कथा✴️*

*कब मनाया जाता है बहुला चौथ/ बहुला चतुर्थी 2023 मुहूर्त*

*चतुर्थी शुरू2 सितंबर रात 20:48:43 से चतुर्थी ख़त्म3 सितंबर रात 18:23:43 तक*

*बहुला चौथ का महत्त्व*

*बहुला चौथ मुख्य रूप से गुजरात राज्य में कृषक समुदाय द्वारा मनाया जाता है। बहुला चौथ का त्यौहार भगवान कृष्ण के अनुयायी मुख्य रूप से मनाते है. इस दिन गाय, बछड़े की पूजा की जाती है, और कृष्ण जी के जीवन में गायों का बहुत महत्व था, वे खुद एक गाय चराने वाले थे, जो गौ की माता की तरह पूजते थे.*

*बहुला चौथ मनाने का तरीका*
*गुजरात में बोल चौथ के दिन व्रत रखा जाता है, किसान समुदाय में घर का हर एक सदस्य इस व्रत को रखता है, और पशुओं की सुरक्षा के लिए प्रार्थना करता है.  मध्यप्रदेश में बहुला चौथ थोडा अलग तरीके से मनाते है. इस दिन घर की औरतें ही व्रत रखती है, और संतान प्राप्ति और संकट से निदान के लिए प्रार्थना करती है. औरतें अपने बच्चों की सुरक्षा के लिए भी ये व्रत रखती है, साथ ही पुरे परिवार की समृद्धि के लिए प्रार्थना करती है.*

*किसान समुदाय के लोग इस दिन जल्दी उठ कर अपने पशुओं और उनके रहने के स्थान को अच्छे से साफ करते है. चावल का कुछ बनाकर पशुओं को खिलाया जाता है, और उनकी पूजा की जाती है, उस दिन पशुओं द्वारा कोई भी काम नहीं होता है.*

*बहुला चौथ पूजा विधि*

*इस दिन पूरा दिन का व्रत होता है, जो शाम को पूजा के बाद खोला जाता है.*

*इस दिन मिट्टी से गाय एवं बछड़ा बनाया जाता है, कुछ लोग सोने एवं चांदी के बनवाकर उसकी पूजा करते है.*

*शाम को सूर्यास्त के पश्चात् इन गाय, बछड़े की पूजा की जाती है, साथ ही गणेश एवं कृष्ण जी की पूजा की जाती है*.

*कुछ लोग ज्वार एवं बाजरा से बनी वस्तु भोग में चढ़ाते और बाद में उसे ही ग्रहण करते है*.

*पूजा के बाद बहुला चौथ की कथा को शांति से सुनना चाहिए*.

*गुजरात में इस दिन खाना, खुले आसमान के नीचे तैयार किया जाता है, और वही बैठकर सब खाते है*.

*मध्यप्रदेश में इस दिन उड़द दाल से बनने वाले बड़ा का सेवन किया जाता है, वहां उस दिन उड़द दाल से बना भोग ही औरतें ग्रहण करती है*.

*इस दिन दूध और उससे बनी चीजें जैसे चाय, काफी, दही, मिठाइयाँ खाना बिलकुल माना होता है*.

*कहते है जो यह व्रत रखता है, उसे संकट से आजादी मिलती है, साथ ही उसे संतान की प्राप्ति होती है. इस व्रत से धन ऐश्वर्या मिलता है*.

*पूजा अर्चना के बाद, मिट्टी से बने गाय बछड़े के जोड़े को किसी नदी या तालाब में सिरा दिया जाता है*.

*बहुला चौथ की कथा*

*विष्णु जी जब कृष्ण रूप में धरती में आये थे, तब उनकी बाल लीलाएं सभी देवी देवता को भाती थी. गोपियों के साथ उनकी रास लीला हो या माखन चोरी कर खाना, इन सभी बातों से वे सबका मन मोह लेते थे. कृष्ण जी लीलाओं को देखने के लिए कामधेनु जाति की गाय ने बहुला के रूप में नन्द की गोशाला में प्रवेश किया. कृष्ण जी को यह गाय बहुत पसंद आई, वे हमेशा उसके साथ समय बिताते थे. बहुला का एक बछड़ा भी था, जब बहुला चरने के लिए जाती तब वो उसको बहुत याद करता था*.

*एक बार जब बहुला चरने के लिए जंगल गई, चरते चरते वो बहुत आगे निकल गई, और एक शेर के पास जा पहुंची. शेर उसे देख खुश हो गया और अपना शिकार बनाने की सोचने लगा. बहुला डर गई, और उसे अपने बछड़े का ही ख्याल आ रहा था. जैसे ही शेर उसकी ओर आगे बढ़ा, बहुला ने उससे बोला कि वो उसे अभी न खाए, घर में उसका बछड़ा भूखा है, उसे दूध पिलाकर वो वापस आ जाएगी, तब वो उसे अपना शिकार बना ले. शेर ये सुन हंसने लगा, और कहने लगा मैं कैसे तुम्हारी इस बात पर विश्वास कर लूँ. तब बहुला ने उसे विश्वास दिलाया और कसम खाई कि वो जरुर आएगी*.

*बहुला वापस गौशाला जाकर बछड़े को दूध पिलाती है, और बहुत प्यार कर, उसे वहां छोड़, वापस जंगल में शेर के पास आ जाती है. शेर उसे देख हैरान हो जाता है. दरअसल ये शेर के रूप में कृष्ण होते है, जो बहुला की परीक्षा लेने आते है. कृष्ण अपने वास्तविक रूप में आ जाते है, और बहुला को कहते है कि मैं तुमसे बहुत प्रसन्न हुआ, तुम परीक्षा में सफल रही. समस्त मानव जाति द्वारा सावन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी के दिन तुम्हारी पूजा अर्चना की जाएगी और समस्त जाति तुम्हे गौमाता कहकर संबोधित करेगी. कृष्ण जी ने कहा कि जो भी ये व्रत रखेगा उसे सुख, समृद्धि, धन, ऐश्वर्या व संतान की प्राप्ति होगी. भाद्रपद माह के महत्व के बारे में यहाँ पढ़ें*.

*बहुला चौथ का व्रत भाद्रपद महीने में आता है, इस समय मानसून रहता है, और हर जगह बहुत अधिक बारिश होती है. इस त्यौहार के द्वारा सभी पशुओं की सुरक्षा की प्राथना की जाती है, ताकि वे अधिक बारिश, बाढ़ में सुरक्षित रह सकें. कृषिप्रधान देश में अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने में मवेशियों का भी महत्वपूर्ण स्थान होता है*.

*कुछ साधारण से सवाल*

Q : *बहुला चौथ कब है?*

Ans : *3 सितंबर २०२३ रविवार*

Q : *बहुला चौथ कब मनाई जाती है?*

Ans : *भाद्रप्रद माह की कृष्ण पक्ष की चौथ को*

Q : *बहुला चौथ के दिन किसकी पूजा की जाती है?*

Ans : *गाय एवं बछड़े की*

Q : *बहुला चौथ के व्रत में क्या खाते हैं?*

Ans : *उड़द दाल से बने व्यंजन*

Q : *बहुला चौथ का त्यौहार कौन मनाता है?*

Ans : *भगवान कृष्ण के अनुयायी  एवं हिंदू धर्म वाले।*
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*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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