*✴️🚩🔱🕉️🔯📿🌞🔯🕉️🔱🚩💫 💫 💫 💫 💫 💫 💫
🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️*✴️
🌞*श्री गणेशाय नमः*🌞
*🌞*श्री मोर मुकुट बंशीवाले नगर सेठ की जय ~🌞*
*⛅दिनांक - 02 सितम्बर 2023*
*⛅दिन - शनिवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - भाद्रपद (गुजरात महाराष्ट्र में श्रावण)*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - तृतीया रात्रि 20:48:43 तक तत्पश्चात चतुर्थी*
*⛅नक्षत्र - उत्तर भाद्रपद दोपहर 12:29:36 तक तत्पश्चात रेवती*
*⛅योग - शूल सुबह 09:20:38 तक तत्पश्चात गण्ड*
*⛅ योग गण्ड 29:59:24*
*⛅करण वणिज 10:15:14*
*⛅करण विष्टि भद्र 20:48:43*
*⛅वार शनिवार*
*⛅माह (अमावस्यांत) श्रावण*
*⛅माह (पूर्णिमांत) भाद्रपद*
*⛅चन्द्र राशि मीन*
*⛅सूर्य राशि सिंह*
*⛅रितु शरद*
*⛅आयन दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर) पिंगल*
*⛅विक्रम संवत 2080*
*⛅गुजराती संवत 2079*
*⛅शक संवत 1945*
*⛅राहु काल -हर जगह का अलग है - सुबह 09:25 से 10:59 तक*
*⛅सूर्योदय - 06:15:34*
*⛅सूर्यास्त - 18:53:37*
*⛅ दिन काल 12:38:02*
*⛅रात्री काल 11:22:24*
*⛅चंद्रास्त 08:28:09*
*⛅चंद्रोदय 20:37:25*
*⛅ लग्न सूर्योदय⛅*
*सिंह 15°8' , 135°8'*
*⛅ मुहूर्त⛅*
*⛅राहू काल 09:25 - 10:59 अशुभ*
*⛅यम घंटा 14:09 - 15:44 अशुभ*
*⛅गुली काल 06:16 - 07:50*
*⛅अभिजित 12:09 - 12:59 शुभ*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:51 से 05:36 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:17 से 01:02 तक*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
*काल 06:16 - 07:50 अशुभ*
*शुभ 07:50 - 09:25 शुभ*
*रोग 09:25 - 10:59 अशुभ*
*उद्वेग 10:59 - 12:35 अशुभ*
*चर 12:35 - 14:09 शुभ*
*लाभ 14:09 - 15:44 शुभ*
*अमृत 15:44 - 17:19 शुभ*
*काल 17:19 - 18:54 अशुभ*
*⛅चोघडिया, रात⛅*
*लाभ 18:54 - 20:19 शुभ*
*उद्वेग 20:19 - 21:44 अशुभ*
*शुभ 21:44 - 23:10 शुभ*
*अमृत 23:10 - 24:35 शुभ*
*चर 24:35 - 26:00 शुभ*
*रोग 26:00* - *27:25 अशुभ*
*काल 27:25 - 28:51 अशुभ*
*लाभ 28:51 - 30:16 शुभ*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*⛅व्रत पर्व विवरण - फूल काजली व्रत*
*⛅विशेष - तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🔹परीक्षा में सफलता के लिए🔹*
*👉 समय-नियोजन : कब क्या करना – इसका नियोजन करने से सब कार्य सुव्यवस्थित होते हैं । अत: हर विद्यार्थी को अपनी समय-सारणी बनानी ही चाहिए ।*
*👉 जप, त्राटक, सत्संग-श्रवण, ध्यान, पढ़ाई, खेल,भोजन, नींद आदि का समय निश्चित करके समय-सारणी बना लें ।*
*👉 रात को देर तक न जाग के सुबह जल्दी उठकर पढ़ें ।*
*👉 पाठ्यक्रम के अनुसार प्राथमिकता तय करें, जिससे सभी विषयों का अध्ययन हो सके । सुनियोजन सर्व सफलताओं की कुंजी है ।*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ *🔹🔮 *_02 सितम्बर 2023:को है कजरी तीज का व्रत जानें पूजा विधि, शुभ मुहूर्त, सामग्री और पूरी जानकारी_*
👉🏽 *_हरियाली तीज के बाद आने वाली सातुड़ी तीज सुहागिनों के लिए खास होती है. इस दिन विवाहित महिलाएं भगवान शिव और माता पार्वती के साथ चंद्रमा की भी पूजा करती हैं. इसे सातुड़ी तीज, कजरी तीज, कजली तीज, बूढ़ी तीज या बड़ी तीज के नाम से भी जाना जाता है. इस दिन सुहागिनें पति की लंबी आयु की कामना के लिए व्रत रखती हैं._*
☣️ *_भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को कजरी या सातुड़ी तीज का त्योहार मनाया जाता है. इस साल सातुड़ी तीज त्योहार 02 सितंबर को मनाया जाएगा. ज्योतिर्विदआचार्य श्री दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया कि, भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत 01 सितंबर 2023 को रात 11:50 मिनट पर हो रही है जोकि अगले दिन 02 सितंबर 2023 को रात 08:48.43 मिनट पर समाप्त होगी. उदया तिथि के अनुसार कजरी तीज 02 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. यह पर्व उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार और राजस्थान सहित कई राज्यों में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है._*
⚛️ *_कजरी तीज व्रत पूजा का शुभ मुहूर्त_*
*_पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि की शुरुआत उदया तिथि के अनुसार इस साल कजरी तीज 2 सितंबर 2023 को मनाई जाएगी. कजरी तीज 2023 पूजा मुहूर्त -कजरी तीज के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 7 बजकर 50 मिनट से सुबह 10 बजकर 59 मिनट तक है. वहीं रात को पूजा के लिए शुभ मुहूर्त 9 बजकर 45 मिनट से रात को 10 बजकर 10 मिनट तक है._*
📃 *_ पंचांग के अनुसार हर साल भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि यानी रक्षा बंधन के तीन दिन बाद कजरी तीज मनाई जाती है. हरियाली और हरितालिका तीज की तरह कजरी तीज भी अखंड सौभाग्य की प्राप्ति के लिए रखा जाता है. इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए दिनभर निर्जला व्रत रखती हैं और करवाचौथ की तरह रात्रि में चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद व्रत का पारण करती हैं. इस दिन शिवजी और माता पार्वती की पूजा की जाती है. मान्यता है कि सातुड़ी तीज के दिन विधि पूर्वक पूजा करने से भगवान शिव और माता पार्वती प्रसन्न होते हैं._*
*_रमल ज्योतिर्विदआचार्य श्री दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया कि हरियाली तीज, हरतालिका तीज की तरह सातुड़ी तीज भी सुहागन महिलाओं के लिए अहम पर्व है. वैवाहिक जीवन की सुख और समृद्धि के लिए यह व्रत किया जाता है. कहा जाता है कि, इस दिन जो कन्या या सुहागनें पूरे श्रद्धा से अगर शिव भगवान और माता पार्वती की पूजा करती है तो उन्हें अच्छा जीवनसाथी और सदा सौभाग्यवती होने का वरदान प्राप्त होता है. माना जाता है कि, इसी दिन मां पार्वती ने शिव जी को अपनी कठोर तपस्या के बाद प्राप्त किया था. कुंडली में चाहे कितनी भी बाधाएं क्यों न हो, इस दिन पूजा से सभी दोष नष्ट हो जाते हैं._*
🫵🏼 *_सातुड़ी तीज का महत्व_*
*_ज्योतिर्विदआचार्य श्री दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया कि, सातुड़ी तीज के बारे में मान्यता है कि इसी दिन ही मां पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था. इसके लिए उन्हें काफी कठोर तपस्या करनी पड़ी थी. बताया जाता है कि इससे उन कन्याओं को अच्छे वर की प्राप्ति होती है, जिनकी शादी नहीं हुई है. पंचांग के छठे माह भादो के कृष्ण पक्ष की तीज को सातुड़ी तीज के रूप में मनाया जाता है. इस दिन शादीशुदा महिलाएं और कुंवारी लड़कियां व्रत करती हैं जोकि उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है. महिलाएं व्रत रखती है, श्रृंगार करती है और शाम के समय शिव मंदिर जाकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा अर्चना करती है._*
🐂 *_गाय की होती है पूजा_*
*_आचार्य ने बताया कि, इस दिन गेहूं, चना और चावल को सत्तू में मिलाकर पकवान बनाएं जाते है. व्रत शाम को सूरज ढलने के बाद खोला जाता है. इस दिन विशेषतौर पर गाय की पूजा की जाती है. आटे की रोटियां बनाकर उस पर गुड चना रखकर गाय को खिलाया जाता है और इसके बाद व्रत खोला जाता है._*
🌝 *_कजरी तीज पर चंद्रमा को अर्घ्य देने की विधि_*
*_कजरी तीज पर संध्या के समय नीमड़ी माता की पूजा के बाद करवा चौथ की तरह ही चंद्रमा को अर्घ देने की परंपरा है। इसके लिए चंद्र उदय के समय सबसे पहले चंद्रमा को जल के छींटे देकर रोली, मोली, अक्षत चढ़ाएं और फिर भोग अर्पित करें।_*
*_इसके बाद चांदी की अंगूठी लें और कुछ आखे (गेहूं के दाने) हाथ में लें और चंद्रमा को जल से अर्ध्य दें और अंत में एक ही जगह खड़े होकर चार बार घूमें और चंद्रमा को प्रणाम करें।_*
☝🏼 *_कजरी तीज का महत्व_*
*_हरियाली तीज, हरतालिका तीज व्रत की तरह ही कजरी तीज का व्रत भी सुहाग की रक्षा और वैवाहिक जीवन में सुख, समृद्धि बनाए रखने तथा अनेक प्रकार के शुभ फलों की प्राप्ति के लिए किया जाता हैं। तीज के त्यौंहार के दिन विवाहित स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिये तीज माता की पूजा करती हैं, जबकि पुरुष अच्छी “वर्षा, फसल और व्यापार” के लिये तीज माता की उपासना करते हैं। वहीं अविवाहित लड़कियां अच्छा वर प्राप्त करने के लिए यह व्रत करती हैं।_*
*_इस दिन महिलाएं निर्जला व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करती हैं, जिससे उनको अखंड सुहाग का आशीर्वाद प्राप्त होता है। कजरी तीज के दिन महिलाएं श्रृंगार करती हैं, नए कपड़े पहनती हैं और हाथों में मेंहदी रचाती हैं।_*
🤷🏻♀️ *_ऐसे करें पूजा_*
*_ज्योतिर्विदआचार्य श्री दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया कि, सबसे पहले नीमड़ी माता को जल और रोली के छींटे दें और चावल चढ़ाएं. नीमड़ी माता के पीछे दीवार पर मेहंदी, रोली और काजल की 13-13 बिंदिया अंगुली से लगाएं. मेंहदी, रोली की बिंदी अनामिका अंगुली से लगाएं और काजल की बिंदी तर्जनी अंगुली से लगानी चाहिए. नीमड़ी माता को मौली चढ़ाने के बाद मेहंदी, काजल और वस्त्र चढ़ाएं. दीवार पर लगी बिंदियों के सहारे लच्छा लगा दें. नीमड़ी माता को कोई फल और दक्षिणा चढ़ाएं और पूजा के कलश पर रोली से टीका लगाकर लच्छा बांधें. पूजा स्थल पर बने तालाब के किनारे पर रखे दीपक के उजाले में नींबू, ककड़ी, नीम की डाली, नाक की नथ, साड़ी का पल्ला आदि देखें. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य दें._*
👉🏽 *_सातुड़ी तीज व्रत के नियम_*
*_ज्योतिर्विदआचार्य श्री दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया कि, यह व्रत सामान्यत: निर्जला रहकर किया जाता है. हालांकि गर्भवती स्त्री फलाहार कर सकती हैं. यदि चांद उदय होते नहीं दिख पाए तो रात्रि में लगभग 11:30 बजे आसमान की ओर अर्घ्य देकर व्रत खोला जा सकता है. उद्यापन के बाद संपूर्ण उपवास संभव नहीं हो तो फलाहार किया जा सकता है._*
🗣️ *_सातुड़ी तीज की व्रत कथा_*
*_सातुड़ी तीज की पौराणिक कथा के अनुसार, एक गांव में गरीब ब्राह्मण का परिवार रहता था. ब्राह्मण की पत्नी ने भाद्रपद महीने में आने वाली कजली या सातुड़ी तीज का व्रत रखा और ब्राह्मण से कहा, हे स्वामी आज मेरा तीज व्रत है, कहीं से मेरे लिए चने का सत्तू ले आइए. लेकिन ब्राह्मण ने परेशान होकर कहा कि, मैं सत्तू कहां से लेकर आऊं भाग्यवान. इस पर ब्राहमण की पत्नी ने कहा कि मुझे किसी भी कीमत पर चने का सत्तू चाहिए. इतना सुनकर ब्राह्मण रात के समय घर से निकल पड़ा वह सीधे साहूकार की दुकान में गया और चने की दाल, घी, शक्कर आदि मिलाकर सवा किलो सत्तू बना लिया. इतना करने के बाद ब्राह्मण अपनी पोटली बांधकर जाने लगा._*
*_तभी खटपट की आवाज सुनकर साहूकार के नौकर जाग गए और वह चोर-चोर आवाज लगाने लगे. ब्राह्मण को उन्होंने पकड़ लिया साहूकार भी वहां पहुंच गया. ब्राह्मण ने कहा कि, मैं बहुत गरीब हूं और मेरी पत्नी ने आज तीज का व्रत रखा है. इसलिए मैंने यहां से सिर्फ सवा किलो का सत्तू बनाकर लिया है. ब्राह्मण की तलाशी ली गई तो सत्तू के अलावा कुछ भी नहीं निकला. उधर चांद निकल आया था और ब्राह्मण की पत्नी इंतजार कर रही थी._*
*_साहूकार ने कहा कि, आज से तुम्हारी पत्नी को मैं अपनी धर्म बहन मानूंगा. उसने ब्राह्मण को सत्तू के साथ ही गहने, मेहंदी, लच्छा और रुपये देकर अच्छे से विदा किया. सभी ने मिलकर कजली माता की पूजा की. इसलिए कहा जाता है कि, जिस तरह ब्राह्मण के दिन फिरे वैसे सबके दिन फिरे._*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
*🌹 शनिवार के दिन विशेष प्रयोग 🌹*
*🌹 शनिवार के दिन पीपल के वृक्ष का दोनों हाथों से स्पर्श करते हुए 'ॐ नमः शिवाय' मंत्र का 108 बार जप करने से दुःख, कठिनाई एवं ग्रहदोषों का प्रभाव शांत हो जाता है । (ब्रह्म पुराण)*
*🌹 हर शनिवार को पीपल की जड़ में जल चढ़ाने और दीपक जलाने से अनेक प्रकार के कष्टों का निवारण होता है । (पद्म पुराण)*
*🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹*
*🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।*
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
○▬▬▬▬▬ஜ۩۞۩ஜ
🕉️📿🔥🌞🚩🔱🚩🔥🌞🔯🔮
*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
🌞🙏🍀🌻🌹🌸💐🍁🙏