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*🔱॥ॐ श्री गणेशाय नमः॥🔱* *🚩मोर मुकुट बंशीवाले की जय* *🕉नमो नित्यं केशवाय च शम्भवे,हनुमते च दुर्गायै सरस्वत्यै नमोनमः।।*🕉🌸
*🌞~रविवार का पंचांग ~🌞*
*⛅दिनांक 01 अक्टूबर 2023*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - शरद*
*⛅मास - आश्विन*
*⛅पक्ष - कृष्ण*
*⛅तिथि - द्वितीया सुबह 09:41.11 तक तत्पश्चात तृतीया*
*⛅नक्षत्र - अश्विनी रात्रि 07:26.28 तक तत्पश्चात भरणी*
*⛅योग - व्याघात दोपहर 01:12.07 तक तत्पश्चात हर्षण*
*⛅राहु काल-हर जगह का अलग है - शाम 16:52 से 06:27 तक*
*⛅नागौर,राजस्थान (भारत)*
*⛅सूर्योदय 06:28:33*
*⛅सूर्यास्त 18:20:41*
*⛅दिन काल 11:52:07*
*⛅रात्री काल 12:08:20*
*⛅लग्न सूर्योदय*⛅
*⛅ कन्या 13°25' , 163°25'*
*⛅मुहूर्त⛅*
*⛅यम घंटा 12:25 - 13:54 अशुभ*
*⛅गुली काल 15:23 - 16:52*
*⛅अभिजित 12:01 - 12:48 शुभ*
*⛅दूर मुहूर्त 16:46 - 17:33 अशुभ*
*⛅वर्ज्यम 15:41*
*⛅सूर्योदय - 05:55*
*⛅सूर्यास्त - 05:45*
*⛅चोघडिया, दिन⛅*
*उद्वेग 06:29 - 07:58 अशुभ*
*चर 07:58 - 09:27 शुभ*
*लाभ 09:27 - 10:56 शुभ*
*अमृत 10:56 - 12:25 शुभ*
*काल 12:25 - 13:54 अशुभ*
*शुभ 13:54 - 15:23 शुभ*
*रोग 15:23 - 16:52 अशुभ*
*उद्वेग 16:52 - 18:21 अशुभ*
*⛅चोघडिया, रात⛅*
*शुभ 18:21 - 19:52 शुभ*
*अमृत 19:52 - 21:23 शुभ*
*चर 21:23 - 22:54 शुभ*
*रोग 22:54 - 24:25 अशुभ*
*काल 24:25 - 25:56 अशुभ*
*लाभ 25:56 - 27:27 शुभ*
*उद्वेग 27:27 - 28:58 अशुभ*
*शुभ 28:58- 30:29 शुभ*
*⛅दिशा शूल - पश्चिम दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:55 से 05:43 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:05 से 12:54 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - तृतीया का श्राद्ध*
*⛅विशेष - द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
*🌸महालय श्राद्ध🌸*
*🔸पितृपक्ष : 29 सितम्बर से 14 अक्टूबर 2023*
*🔸 01 अक्टूबर 2023, रविवार - तृतीया का श्राद्ध*
*🔹उत्तम अर्थ की प्राप्ति के अभिलाषी को तृतिया विहित है। यही तृतिया शत्रुओं का नाश करने वाली और पाप नाशिनी है ।*
*🌹श्राद्धकर्म व उसके पीछे के सूक्ष्म रहस्य -*
*🔹जिन पूर्वजों ने हमें अपना सर्वस्व देकर विदाई ली, उनकी सद्गति हो ऐसा सत्सुमिरन करने का अवसर यानी 'श्राद्ध पक्ष' ।*
*🔹श्राद्ध पक्ष का लम्बा पर्व मनुष्य को याद दिलाता है कि 'यहाँ चाहे जितनी विजय प्राप्त हो, प्रसिद्धि प्राप्त हो परंतु परदादा के दादा, दादा के दादा, उनके दादा चल बसे, अपने दादा भी चल बसे और अपने पिताजी भी गये या जाने की तैयारी में हैं तो हमें भी जाना है।'*
*🔹श्राद्ध हेतु आवश्यक बातें🔹*
*🔹जिनका श्राद्ध करना है, सुबह उनका मानसिक आवाहन करना चाहिए । और जिस ब्राह्मण को श्राद्ध का भोजन कराना है उसको एक दिन पहले न्योता दे आना चाहिए ताकि वह श्राद्ध के पूर्व दिन संयम से रहे, पति-पत्नी के विकारी व्यवहार से अपने को बचा ले । फिर श्राद्ध का भोजन खिलाते समय -*
*देवताभ्यः पितृभ्यश्च महायोगिभ्य एव च ।*
*नमः स्वधायै स्वाहायै नित्यमेव नमो नमः ॥*
*( अग्नि पुराण : ११७.२२)*
*🔹यह श्लोक बोलकर देवताओं को, पितरों को, महायोगियों को तथा स्वधा और स्वाहा देवियों को नमस्कार किया जाता है और प्रार्थना की जाती है कि 'मेरे पिता को, माता को... (जिनका भी श्राद्ध करते हैं उनको) मेरे श्राद्ध का सत्त्व पहुँचे, वे सुखी व प्रसन्न रहें ।'*
*🔹श्राद्ध के निमित्त गीता के ७वें अध्याय का माहात्म्य पढ़कर पाठ कर लें और उसका पुण्य जिनका श्राद्ध करते हैं उनको अर्पण कर दें, इससे भी श्राद्धकर्म सुखदायी और साफल्यदायी होता है ।*
*🔹श्राद्ध करने से क्या लाभ होता है ?🔹*
*🔹आप श्राद्ध करते हैं तो (१) आपको भी पक्का होता है कि 'हम मरेंगे तब हमारा भी कोई श्राद्ध करेगा परंतु हम वास्तव स में नहीं मरते, हमारा शरीर छूटता शरीर के मरने के बाद भी हमारा अस्तित्व रहता है इसका आपको पुष्टीकरण होता है ।*
*(२) देवताओं, पितरों, योगियों और स्वधा-स्वाहा देवियों के लिए सद्भाव होता है ।*
*(३) भगवद्गीता का माहात्म्य पढ़ते हैं, जिससे पता चलता है कि पुत्रों द्वारा पिता के लिए किया हुआ सत्कर्म पिता की उन्नति करता है और पिता की शुभकामना से पुत्र-परिवार में अच्छी आत्माएँ आती हैं ।*
*🔹ब्रह्माजी ने सृष्टि करने के बाद देखा कि 'जीव को सुख-सुविधाएँ दीं फिर भी वह दुःखी है' तो उन्होंने यह विधान किया कि एक-दूसरे का पोषण करो । आप देवताओं-पितरों का पोषण करो, देवता पितर आपका पोषण करेंगे । आप सूर्य को अर्घ्य देते हैं, आपके अर्घ्य के सद्भाव से सूर्यदेव पुष्ट होते हैं और यह पुष्टि विरोधियों, असुरों के आगे सूर्य को विजेता बनाती है । जैसे रामजी को विजेता बनाने में बंदर, गिलहरी भी काम आये ऐसे ही सूर्य को अर्घ्य देते हैं तो सूर्य विजयपूर्वक अपना दैवी कार्य करते हैं, आप पर प्रसन्न होते हैं और अपनी तरफ से आपको भी पुष्ट करते हैं ।*
*देवान्भावयतानेन ते देवा भावयन्तु वः । परस्परं भावयन्तः श्रेयः परमवाप्स्यथ ॥*
*🔹'तुम इस यज्ञ (ईश्वरप्राप्ति के लिए किये जानेवाले कर्मों) के द्वारा देवताओं को तृप्त करो और (उनसे तृप्त हुए) वे देवगण तुम्हें तृप्त करें । इस प्रकार (निःस्वार्थ भाव से) एक-दूसरे को तृप्त या उन्नत करते हुए तुम परम कल्याण को प्राप्त हो जाओगे ।'* *(गीता : ३.११)*
*🔹देवताओं का हम पोषण करें तो वे सबल होते हैं और सबल देवता वर्षा करने, प्रेरणा देने, हमारी इन्द्रियों को पुष्ट करने में लगते हैं । इससे सबका मंगल होता है ।*
*🔹 रविवार विशेष🔹*
*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*
*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*
*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*
*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*
*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*
*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*
*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*
*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष, त्योहार की जानकारी शास्त्रों से ली गई है।राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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