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पंचांग 20-08-2023

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   *🌞*श्री गणेशाय नमः*🌞*
   *🌞*श्री मोर मुकुट बंशीवाले    नगर सेठ की जय

jyotish

पंचांग ~🌞*

*⛅दिनांक - 20 अगस्त 2023*
*⛅दिन - रविवार*
*⛅विक्रम संवत् - 2080*
*⛅शक संवत् - 1945*
*⛅अयन - दक्षिणायन*
*⛅ऋतु - वर्षा*
*⛅मास - श्रावण*
*⛅पक्ष - शुक्ल*
*⛅तिथि - चतुर्थी रात्रि 12:21.24 तक तत्पश्चात पंचमी*
✏️ *_तिथि का स्वामी – चतुर्थी तिथि के स्वामी भगवान गणपति जी और पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता जी है।_*
*⛅नक्षत्र - हस्त 21 अगस्त  प्रातः 04:20.38 तक तत्पश्चात चित्रा*
🪐 *_नक्षत्र स्वामी - नक्षत्र स्वामी चंद्रमा तो राशि कन्या इसका स्वामी बुध है।_*
*⛅योग - साध्य रात्रि 09:56.56 तक तत्पश्चात शुभ*
*⛅करण    वणिज    11:22:36*
*⛅करण    विष्टि भद्र    24:21:24*
*⛅वार     रविवार*
*⛅माह (अमावस्यांत)    श्रावण*
*⛅माह (पूर्णिमांत)    श्रावण*
*⛅चन्द्र राशि       कन्या*
*⛅सूर्य राशि       सिंह*
*⛅रितु    वर्षा*
*⛅आयन    दक्षिणायण*
*⛅संवत्सर    शोभकृत*
*⛅संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
*⛅विक्रम संवत    2080*
*⛅गुजराती संवत    2079*
*⛅शक संवत    1945 शक संवत*
*⛅सौर प्रविष्टे    4, भाद्रपद    (# note below)*
*⛅ नागौर राजस्थान, India*
*⛅ दिन काल    12:57:27*    
*⛅ रात्री काल    11:03:01*
*⛅ चंद्रोदय    09:17:16*    
*⛅ चंद्रास्त    21:24:09*
      *⛅ सूर्योदय*
*⛅ लग्न      सिंह 2°35' , 122°35'*
*⛅  सूर्य नक्षत्र    मघा*
*⛅      चन्द्र नक्षत्र    हस्त*
*⛅  पद, चरण*
*1 पू    हस्त    08:26:41*
*2 ष    हस्त    15:05:58*
*3 ण    हस्त    21:44:00*
*4 ठ    हस्त    28:20:38*

 *⛅*दिन काल    12:57:27*
  *⛅*रात्री काल    11:03:01*
       *⛅*लग्न सूर्योदय*
  *⛅ *सिंह    2°35' , 122°35'*
              *⛅मुहूर्त⛅*
 *⛅यम घंटा    12:38 - 14:16    अशुभ*
 *⛅गुली काल    15:53 - 17:30*
 *⛅अभिजित    12:12 - 13:04    शुभ*
*⛅ राहु काल - शाम 17:30  से 19:07 तक*
*⛅ सूर्योदय - 06:09:36*
*⛅ सूर्यास्त - 19:07:03*
*⛅ दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
⚜️ *_दिशाशूल - रविवार को पूर्व दिशा का दिकशूल होता है । यात्रा, कार्यों में सफलता के लिए घर से पान या घी खाकर जाएँ ।_*
🚓 *_यात्रा शकुन-इलायची खाकर यात्रा प्रारंभ करें।_*

🎆 *_ब्रह्म मुहूर्त : 04:25 ए एम से 05:09 ए एम_*
🌇 *_प्रातः सन्ध्या : 04:47 ए एम से 05:53 ए एम_*
🌟 *_अभिजित मुहूर्त : 11:58 ए एम से 12:50 पी एम_*
✡️ *_विजय मुहूर्त : 02:35 पी एम से 03:27 पी एम_*
🐃 *_गोधूलि मुहूर्त : 06:56 पी एम से 07:18 पी एम_*
🏙️ *_सायाह्न सन्ध्या : 06:56 पी एम से 08:02 पी एम_*
💧 *_अमृत काल : 09:43 पी एम से 11:29 पी एम_*
🗣️ *_निशिता मुहूर्त : 12:03 ए एम, अगस्त 21 से 12:47 ए एम, अगस्त 21_*
⭐ *_सर्वार्थ सिद्धि योग : 05:53 ए एम से 04:22 ए एम, अगस्त 21_*
💧 *_अमृत सिद्धि योग : 05:53 ए एम से 04:22 ए एम, अगस्त 21_*
❄️ *_रवि योग : 05:53 ए एम से 04:22 ए एम, अगस्त 21_*
*⛅ व्रत पर्व विवरण - विनायक चतुर्थी*
*⛅ विशेष - चतुर्थी को मूली खाने से धन का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹विनायक चतुर्थी - 20 अगस्त 2023🔹*

*आज दिन रविवार को शुद्ध श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि है। आज वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत है, इसे दूर्वा गणपति चतुर्थी भी कहते हैं। चन्द्र उदय रात्री 09:17:16 मिनट पर होगी। गणेश पूजन के उपरान्त चन्द्रमा को अर्घ्य देकर व्रत खोलना चाहिए। आज पश्चिम दिशा मेँ शुक्र देवता का बालत्व निवृति हो जाएगी।*
*रविवार का हस्त नक्षत्र अर्थात रवि+हस्त से सर्वार्थ अमृत सिद्धियोग है। आप सभी सनातनियों को वैनायकी श्रीगणेश चतुर्थी व्रत की हार्दिक शुभकामनायें।।_*

*🔸विनायक चतुर्थी के दिन भगवान गणेश जी की पूजा का विशेष महत्व है । गणेश जी की पूजा सुख, शांति और धन प्राप्ति के लिए की जाती है। भविष्य पुराण में भी कहा गया है । कि विनायक चतुर्थी का व्रत करने से हर तरह के कष्ट दूर होते हैं और धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष, विद्या, धन तथा आरोग्य की प्राप्ति होती है ।*

*_भगवान सूर्य जी का मंत्र : ऊँ घृणि सूर्याय नम: ।।_*

🌠 *_रविवार को की गई सूर्य पूजा से व्यक्ति को घर-परिवार और समाज में मान-सम्मान की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन उगते हुए सूर्य को देव को एक ताबें के लोटे में जल, चावल, लाल फूल और रोली डालकर अर्ध्य करें।_*
*_इस दिन आदित्य ह्रदय स्रोत्र का पाठ करें एवं यथा संभव मीठा भोजन करें। सूर्य को आत्मा का कारक माना गया है, सूर्य देव को जल देने से पितृ कृपा भी मिलती है।_*
*_रविवार के दिन भैरव जी के दर्शन, आराधना से समस्त भय और संकट दूर होते है, साहस एवं बल की प्राप्ति होती है। रविवार के दिन जी के दर्शन अवश्य करें ।_*
*_रविवार के दिन भैरव जी के मन्त्र ” ॐ काल भैरवाय नमः “ या ” ॐ श्री भैरवाय नमः “ की एक माला जाप करने से समस्त संकट, भय दूर होते है, रोगो, अकाल मृत्यु से बचाव होता है, मनवांछित लाभ मिलता है।_*

👉🏽 *_आज का मंत्र-ॐ घृणि: सूर्याय नम:।_*
🤷🏻‍♀️ *_आज का उपाय-विष्णु मंदिर में गुड़ चढ़ाएं।_*
🪵 *_वनस्पति तंत्र उपाय-बेल के वृक्ष में जल चढ़ाएं।_*
⚛️ *_पर्व एवं त्यौहार - सर्वार्थसिद्धि योग/अमृतयोग/भद्रा/ विनायक चतुर्थी/ दुर्वागणपती व्रत/ नाग चतुर्थी उपवास/ ॠक हिरण्यकेशी श्रावणी/ प्रधानमंत्री स्व: श्री राजीव गांधी जयन्ती, बॉलीवुड फिल्म अभिनेता रणदीप हुडा जन्म दिवस, संत लोंगोवाल स्मृति दिवस, अंतरराष्ट्रीय युवा दिवस, सोवियत संघ से स्वतंत्रता की बहाली का एस्टोनिया दिवस, इंफ़ोसिस कंपनी के संस्थापक एनआर नारायण मूर्ति जन्म दिवस, सद्भावना दिवस, भारतीय अक्षय ऊर्जा दिवस, विश्व मच्छर दिवस, विश्व जल सप्ताह (20 से 24 अगस्त)_*

*🔹औषधीय गुणों से भरपूर व विविध रोगों में लाभदायी तोरई🔹*

*🔸तोरई पथ्यकर (स्वास्थ्य के लिए हितकर), औषधीय गुणों से युक्त व स्वादिष्ट सब्जी है । आयुर्वेद के अनुसार यह स्निग्ध, शीतल, भूखवर्धक, मल-मूत्र को साफ़ लाने में सहायक व कृमिनाशक होती है । यह पित्त-विकृति को दूर करती है फिर भी कफवर्धक नहीं है । उष्ण प्रकृतिवालों के लिए एवं पित्तजन्य व्याधियों तथा सुजाक, बवासीर, पेशाब में खून आना, बुखार एवं बुखार के बाद आयी हुई कमजोरी, कृमि, अरुचि, पीलिया आदि में यह विशेष पथ्यकर है । यह शरीर में तरावट लाती है तथा रोगों से बचाती है ।*

*🔸आधुनिक अनुसंधान के अनुसार तोरई में विटामिन ‘बी’ व  ‘सी’ एवं मैग्नेशियम, कैल्शियम, फॉस्फोरस , जिंक, लौह तत्त्व, रेशे, बीटा केरोटिन और थायमीन प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । तोरई शुक्रधातु की क्षीणता से दुर्बल हुए व्यक्ति, श्रमजीवी व बालकों को विशेष शक्ति प्रदान करनेवाली है । इसका सेवन कम-से कम मसाले डालकर सब्जी, सूप बना के अथवा दाल के साथ पका के हफ्ते में २-३ बार करना चाहिए ।*

*🔸इसमें जीवाणुरोधी गुण पायें जाते हैं । इसका आहार में समावेश करने से आमाशय-अल्सर से रक्षा होती है   यह हड्डियों को मजबूत करने में सहायक है ।*

*🔹तोरई के सेवन से होनेवाले लाभ🔹*

*🔸१) इसमें पाया जानेवाला बीटा केरोटिन नेत्रज्योति बढ़ाने में सहायक है ।*

*🔸२) यह रक्तशुद्धि करने तथा यकृत के स्वास्थ्य को सुधारने में भी फायदेमंद है ।*

*🔸३) तोरई में रेशे होने के कारण जिन लोगों को पाचनतंत्र के विकार रहते हों उनके लिए इसका सेवन अधिक लाभप्रद है । जिन्हें कब्ज की शिकायत रहती हो उन्हें शाम के भोजन में तोरई की रसदार सब्जी खानी चाहिए । पाचन में सुधार होने के कारण तोरई के सेवन से त्वचा में निखार आता है ।*

*🔸४) घी में जीरे का छौंक लगाकर धनिया डाल के बनायीं गयी तोरई की सब्जी खाने से नकसीर, रक्तपित्त, बवासीर तथा शरीर व पेशाब में होनेवाली जलन में लाभ होता है ।*

*🔸५)  तोरई शराब व नशे के दुष्प्रभाव को कम करने में मदद करती है ।*

*🔸६) इसमें वसा, कोलेस्ट्रॉल व कैलोरी कम होने के कारण यह वजन कम करने तथा ह्रदयरोग व मधुमेह में लाभदायी है ।*

*🔸७)  पेट के कीड़े नष्ट करने के लिए तोरई की सब्जी नियमित खायें अथवा तोरई को पानी में उबालकर सूप बनायें व उसमें नमक मिला के दिन में दो बार लें ।*
    
*🔹सावधानी : पेचिश, मंदाग्नि, बार-बार मल प्रवृत्ति की समस्या में तोरई का सेवन नही करना चाहिए । पुरानी सख्त तोरई नहीं खानी चाहिए ।*
                                                                       *📖

*🔹 रविवार विशेष🔹*

*🔹 रविवार के दिन स्त्री-सहवास तथा तिल का तेल खाना और लगाना निषिद्ध है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-38)*

*🔹 रविवार के दिन मसूर की दाल, अदरक और लाल रंग का साग नहीं खाना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75.90)*

*🔹 रविवार के दिन काँसे के पात्र में भोजन नहीं करना चाहिए । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, श्रीकृष्ण खंडः 75)*

*🔹 रविवार सूर्यदेव का दिन है, इस दिन क्षौर (बाल काटना व दाढ़ी बनवाना) कराने से धन, बुद्धि और धर्म की क्षति होती है ।*

*🔹 रविवार को आँवले का सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹 स्कंद पुराण के अनुसार रविवार के दिन बिल्ववृक्ष का पूजन करना चाहिए । इससे ब्रह्महत्या आदि महापाप भी नष्ट हो जाते हैं ।*

*🔹 रविवार के दिन पीपल के पेड़ को स्पर्श करना निषेध है ।*

*🔹 रविवार के दिन तुलसी पत्ता तोड़ना वर्जित है ।*

✍🏼 *_विशेष – चतुर्थी तिथि को मूली एवं पञ्चमी तिथि को बिल्वफल त्याज्य बताया गया है। इस चतुर्थी तिथि में तिल का दान और भक्षण दोनों त्याज्य होता है। इसलिए चतुर्थी तिथि को मूली और तिल एवं पञ्चमी को बिल्वफल नहीं खाना न ही दान करना चाहिए। चतुर्थी तिथि एक खल और हानिप्रद तिथि मानी जाती है। इस चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं तथा यह चतुर्थी तिथि रिक्ता नाम से विख्यात मानी जाती है। यह चतुर्थी तिथि शुक्ल पक्ष में अशुभ तथा कृष्ण पक्ष में शुभफलदायिनी मानी गयी है।_*

         *_आचार्य श्री दिनेश प्रेम शर्मा रमल ज्योतिषी से जानिए कि घर में गमला रखने की सही दिशा क्या है। किस दिशा में गमला रखने से आपको लाभ मिलेगा। वास्तु शास्त्र में आज हम बात करेंगे ईशान कोण में मिट्टी के गमले रखने के फल के बारे में। हमने आपको बताया था कि ईशान कोण में, यानि उत्तर-पूर्व दिशा में। ईशान कोण, यानि उत्तर-पूर्व दिशा में मिट्टी के गमले लगाने से आपको जीवन में कभी अवरोध, यानि मुसीबतों का सामना नहीं करना पड़ेगा। अगर फिलहाल कोई परेशानी आपके या परिवार के सदस्यों के जीवन में चल रही है तो वो भी जल्द ही दूर हो जाएगी।_*
*_साथ ही इस दिशा में मिट्टी के गमले अपने हाथों से लगाने पर या खुद से उनकी देखभाल करने पर आपके हाथ हष्ट- पुष्ट रहते हैं। इससे आपके हाथों की मजबूती बरकरार रहती है। साथ ही अगर आपके परिवार में कोई छोटा बेटा है तो उसके जीवन में भी किसी प्रकार की परेशानी नहीं आएगी और आयेगी भी तो वो उन परेशानियों को सामने से हटाते हुए आगे बढ़ते जाएंगे।_*

🔰 *_जीवनोपयोगी कुंजियां_* ⚜️

*_शास्त्रों में बांस की लकड़ी को जलाना वर्जित है। किसी भी हवन अथवा पूजन विधि में बांस को नही जलाते हैं। भारतीय सनातन परंपराओं में बांस का जलाना निषिद्ध है। कहा जाता है की यदि बांस की लकड़ी को जलाया जाता है तो इससे वंश नष्ट हो जाता है और पितृ दोष लगता है।_*
*_बांस जलाने को अशुभ माना जाता है, कहा जाता है मुर्दे को जलाने के लिए बांस का प्रयोग किया जाता है, हिंदू धर्म में देसी घी का दीपक जलाया जाता है जो बहुत ही शुभ माना गया है, देसी घी का दीपक घर में अथवा मंदिर में जलाने से क्या लाभ होता है और बांस से निर्मित अगरबत्ती जलाने से होने वाली शुभ अशुभ बातों की चर्चा, "_*


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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
 

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