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Panchang - 10-08-2023

 🚩🔱🕉️🔯📿🔥🌞🚩🔱
  *🌞*श्री गणेशाय नमः*🌞*
   *🌞*श्री मोर मुकुट बंशीवाले    नगर सेठ की जय हो, नागौर(राज.)*

jyotish


       
     🧾 *_आज का पंचाग_* 🧾
           *🔥नागौर, India🔥*.              *⛅दिनांक - 10 अगस्त 2023*
          ✴️ *वार     गूरुवार.⛅*

          *✴️नागौर, India🔸*
 *✴️दशमी, कृष्ण पक्ष, अधिक श्रावण*
 *✴️तिथि - दशमी 11 अगस्त प्रातः 29:05:43 तक तत्पश्चात एकादशी*
*✴️नक्षत्र - रोहिणी 11 अगस्त प्रातः     27:59:49 तक* *तत्पश्चात मृगशिरा*
 *✴️योग    ध्रुव    योग - ध्रुव दोपहर     27:59:49 तक तत्पश्चात व्याघात*
 *✴️ करण    वणिज    16:33:59*
 *✴️ करण    विष्टि भद्र    29:05:43*
 *✴️वार    गुरूवार*
 *✴️  माह (अमावस्यांत)    अधिक श्रावण*
  *✴️माह (पूर्णिमांत)    अधिक श्रावण*
  *✴️चन्द्र राशि       वृषभ*
  *✴️सूर्य राशि       कर्क*
  *✴️रितु    वर्षा*
  *✴️आयन    दक्षिणायण*
  *✴️संवत्सर    शोभकृत*
  *✴️संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
  *✴️विक्रम संवत    2080 विक्रम संवत*
  *✴️ गुजराती संवत    2079 विक्रम संवत*
  *✴️शक संवत    1945 शक संवत*
  *✴️सौर प्रविष्टे*    *25श्रावण*
 *✴️नागौर, India*
  *✴️सूर्योदय*    *06:04:38*
  *✴️सूर्यास्त      19:15:57*
  *✴️दिन काल    13:11:18*    
  *✴️रात्री काल    *10:49:11*
  *✴️चंद्रास्त    14:51:31*    
  *✴️चंद्रोदय    25:17:36*

             *✴️सूर्योदय✴️*
*लग्न      कर्क 22°59' , 112°59'*
*सूर्य नक्षत्र    आश्लेषा    **चन्द्र नक्षत्र    रोहिणी*
 
     *✴️पद, चरण✴️*
*1 ओ    रोहिणी    08:47:34*
*2 वा    रोहिणी*    *15:09:39*
*3 वी    रोहिणी*    *21:33:46*
*4 वु    रोहिणी    *27:59:49*

        *✴️ लग्न सूर्योदय✴️*
     *कर्क    22°59' , 112°59'*
                 
                 *✴️मुहूर्त✴️*
 *✴️ राहु काल- हर जगह का अलग है - दोपहर 14:19 से 15:58 तक*
 *✴️ यम घंटा    06:05 - 07:44    अशुभ*
 *✴️ गुली काल    09:22 - 11:01*
 *✴️ अभिजित    12:14 - 13:07    शुभ*
 *✴️ दूर मुहूर्त    10:28 - 11:21    अशुभ*
 *✴️ दूर मुहूर्त    15:45 - 16:38    अशुभ*
 *✴️ वर्ज्यम    19:26 - 21:08    अशुभ*

*🔸दिशा शूल - दक्षिण दिशा में*

*🔸ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:46 से 05:30 तक*

*🔸निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:23 से 01:07 तक*

*⛅व्रत पर्व विवरण -*
*⛅विशेष - दशमी को कलम्बी शाक खाना त्याज्य है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*

*🔹सुख-शांति व बरकत के उपाय🔹*

*🔸 तुलसी को रोज जल चढ़ायें तथा गाय के घी का दीपक जलायें ।*

*🔸सुबह बिल्वपत्र पर सफेद चंदन का तिलक लगाकर संकल्प करके शिवलिंग पर अर्पित करें तथा हृदयपूर्वक प्रार्थना करें ।*

        *🔸पृथ्वी पर न रखें।।*🔸
  *🔸  इन 21वस्तुओं को सीधे पृथ्वी पर रखना वर्जित होता है। ये वस्तुयें पृथ्वी की ऊर्जा को अव्यवस्थित करती हैं और उस स्थान को अशुभ बनाती हैं*।

*🔸ये वस्तुयें हैं -*🔸
*(1) मोती*
*(2) शुक्ति (सीपी)*
*(3) शालग्राम*
*(4) शिवलिंग*
*(5) देवी मूर्ति*
*(6) शंख*
*(7) दीपक*
*(8) यन्त्र*
*(9) माणिक्य*
*(10) हीरा*
*(11) यज्ञसूत्र* *(यज्ञोपवीत)*
*(12)  पुष्प (फूल)*
*(13) पुष्पमाला*
*(14) जपमाला*
*(15) पुस्तक*
*(16) तुलसीदल*
*(17) कर्पूर*
*(18) स्वर्ण*
*(19) गोरोचन*
*(20)  चंदन*
*(21) शालिग्राम का स्नान कराया अमृत जल ।*

*🔸 इन सभी वस्तुओं को किसी आधार पर रख तभी उस पर इनको स्थापित कर पूजित किया जाता है। पृथ्वी पर अक्षत, आसन, काष्ठ या पात्र रख कर इनको उस पर रखते हैं-*

*🔸मुक्तां शुक्तिं हरेरर्चां शिवलिंगं शिवां तथा* ।
*शंखं प्रदीपं यन्त्रं च माणिक्यं हीरकं तथा ।।*

*🔸यज्ञसूत्रं  च पुष्पं च  पुस्तकं तुलसीदलम्*  ।
*जपमालां पुष्पमालां कर्पूरं च  सुवर्णकम् ।।*

*🔸गोरोचनं  च चन्दनं  च  *शालग्रामजलं तथा* ।
*एतान् वोढुमशक्ताहं क्लिष्टा च भगवन् शृणु।।*

 *🔸     अतएव इन इक्कीस वस्तुओं को सजगता पूर्वक किसी न किसी वस्तु के ऊपर रखना चाहिए।*

*🔸प्रायः दीपक को लोग अक्षतपुंज पर रखते हैं*।

*🔸पुस्तक को मेज पर रखते हैं। शालिग्राम और देवी की मूर्ति को पीठिका पर रखते हैं।*

*🔸शंख को त्रिपादी पर रखते हैं। स्वर्ण को डिब्बी में रखते हैं।*

*🔸फूल, फूलमाला को पुष्पपात्र में तथा यज्ञोपवीत को किसी पत्र पर रखते हैं।*
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*🔹स्वास्थ्य – हितकारी सब्जी – तोरई ( गिल्की )🔹*

*🔸तोरई (गिल्की) स्वादिष्ट, पथ्यकर व औषधीय गुणों से युक्त सब्जी है । आयुर्वेद के अनुसार यह स्वाद में मीठी, स्निग्ध, ठंडी (शीत), पचने में थोड़ी भारी होती है । यह पित्त – विकृति को दूर करती है । उष्ण प्रकुतिवालों के लिए एवं पित्तजन्य व्याधियों तथा सूजाक (गनोरिया), बवासीर, रक्तमूत्र, रक्तपित्त, खाँसी, बुखार, कृमि आदि में विशेष पथ्यकर है ।*

*🔸तोरई में जस्ता (जिंक), लौह तत्त्व, मैग्नेशियम, थायमीन और रेशे (फाइबर) प्रचुर मात्रा में पाये जाते हैं । तोरई के बीजों का तेल कुष्ठ और त्वचा के विविध रोगों में लाभदायी है ।*

*🔹तोरई की सब्जी🔹*   
       
*🔸तोरई की सब्जी भोजन में रूचि उत्पन्न करती है । स्निग्ध व ठंडी होने के कारण तोरई शरीर में तरावट लाती है । इसकी सब्जी को सुपाच्य व अधिक स्वादिष्ट बनाने के लिए नींबू का रस और काली मिर्च का चूर्ण मिलाकर खाना चाहिए ।*

*🔹तोरई के लाभ🔹*

*👉 १] बालक व श्रमजीवियों को शक्ति देती है ।*

*👉 २] शुक्र धातु की क्षीणता से आनेवाली शारीरिक व मानसिक दुर्बलता व चिड़चिड़ापन दूर करने के लिए तोरई की सब्जी, सूप अथवा तोरई डालकर बनायी गयी दाल का एक हफ्ते तक सेवन करने से लाभ होता है ।*

*👉 ३] सुखी खाँसी में जब कफ न छूट रहा हो तब इसका सेवन करने से कफ निष्कासित होकर खाँसी में राहत मिलती है ।*

*👉 ४] मूत्र-विकार व पेशाब की जलन दूर होती है | मूत्र खुलकर आता है ।*

*👉 ५] बवासीर की तकलीफ में तोरई की सब्जी खाने तथा तोरई के ताजे पत्ते पीसकर मस्सों पर लगाने से लाभ होता है ।*

*👉 ६] वजन कम करने व मधुमेह में काफी फायदेमंद होती है । तोरई का रस पीलिया में हितकारी है ।*

*👉 ७] रक्त को शुद्ध करती है । मुँहासे, एक्जिमा, सोरायसिस और अन्य त्वचासंबंधी रोगों में पथ्य के रूप में फायदेमंद है ।*

*👉 ८] नेत्रज्योति बढ़ाती है । अम्लपित्त में खूब लाभदायी है ।*

*👉 ९] कब्ज की शिकायत में शाम के भोजन में इसका उपयोग करना हितकर है । इसके लिए  सब्जी रसदार बनानी चाहिए ।*

*👉 १०] बुखार में तोरई का सूप शक्ति व तरावट देता है ।*

*👉 ११] जिन्हें बार – बार कृमि हो जाते हों, वे हफ्ते में २ – ३ बार तोरई की सूखी सब्जी खायें ।*

*🔹सावधानी : वर्षा ऋतू में इसका प्रयोग कम मात्रा में करें । पेचिश, मंदाग्नि, बार – बार मलप्रवृत्ति की समस्या में इसका सेवन नहीं करना चाहिए ।*

*🔹कोई आपको शत्रु मान के परेशान करता हो तो ...🔹*
 
*🔸कोई आपको  शत्रु मान के परेशान करता हो तो प्रतिदिन प्रात:काल पीपल के नीचे वृक्ष के दक्षिण की ओर अरंडी के तेल का दीपक लगायें तथा थोड़ी देर गुरुमंत्र या भगवन्नाम जपें और उस व्यक्ति को भगवान सद्बुद्धि दें तथा मेरा, उसका-सबका मंगल हो ऐसी प्रार्थना करें । कुछ दिनों तक ऐसा करने से शत्रु शनै: शनै: दब जाते हैं व शत्रु पीड़ा धीरे-धीरे दूर हो जाती है ।*


🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
 


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