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*🌞*श्री गणेशाय नमः*🌞*
*🌞*श्री मोर मुकुट बंशीवाले नगर सेठ की जय हो, नागौर(राज.)*🌞
*🌞आज का पंचांग एवं राशिफल🌞*
दिनांक08.08.2023 वार मंगलवार 🌞
☀️-शिक्षा नौकरी आजीविका विवाह भागयोन्नति
प्रामाणिक जानकारी प्रभावी समाधान
जन्मकुंडली हस्तरेखा वास्तु अनुसार ☀️-
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___आज विशेष___
मानव जीवन के सांसारिक ऋण एवं उन से
मुक्ति के करने योग्य सरल उपाय
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☀️-दैनिक पंचांग विवरण☀️-
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☀️-आज दिनांक.08.08.2023 ☀️
☀️-कलियुग संवत्.......5125☀️
☀️-विक्रम संवत.... 2080☀️
☀️-शक संवत..........1945☀️
☀️-संवत्सर............. श्री पिंगल☀️
☀️ अयन......... दक्षिणायण ☀️
☀️गोल................... उत्तर ☀️
☀️ऋतु..................... वर्षा☀️
☀️मास............ द्वितीय श्रावण ☀️(पुरुषोत्तम मास)
☀️ पक्ष....................... कृष्ण ☀️
☀️तिथि..अष्टमी. रात्रि.27.51.36* ☀️तक / नवमी ☀️
☀️ नक्षत्र..भरणी. रात्रि. 25:31:04* तक / कृतिका ☀️
☀️चंद्र राशि......मेष.
संपूर्ण (अहोरात्र) ☀️
☀️योग.....गंड. अपरा. 16:39:51 तक / वृद्धि ☀️
☀️करण..बालव.
अपरा. 15:57:18☀️
☀️करण......
कौलव. रात्रि. 27:51:36* तक / तैत्तिल✴️
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*विभिन्न नगरों के सूर्योदय में समयांतर मिनट*
🌞श्री पंचांग के अनुसार🌞
दिल्ली -10 मिनट---------जोधपुर +6 मिनट
जयपुर -5 मिनट------अहमदाबाद +8 मिनट
कोटा - 5 मिनट-------------मुंबई +7 मिनट
लखनऊ - 25 मिनट------बीकानेर +5 मिनट
कोलकाता -54 मिनट--जैसलमेर +15 मिनट
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-सूर्योंदयास्त दिनमानादि-अन्य आवश्यक सूची-
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✴️ Nagaur, India✴️
सूर्योदय 06:03:37
सूर्यास्त 19:17:32
दिन काल 13:13:55
रात्री काल 10:46:35
✴️ लग्न सूर्योदय✴️
कर्क 21°4' , 111°4'
✴️मुहूर्त✴️
राहू काल 15:59 - 17:38 अशुभ
यम घंटा 09:22 - 11:01 अशुभ
गुली काल 12:41 - 14:20
अभिजित 12:14 - 13:07 शुभ
दूर मुहूर्त 08:42 - 09:35 अशुभ
दूर मुहूर्त 23:36 - 24:29* अशुभ
वर्ज्यम 10:52 - 12:29 अशुभ
पंचक...............नहीं है
शुभ हवन मुहूर्त(अग्निवास)............आज है
दिशाशूल.............. उत्तर दिशा
दोष परिहार.........गुड़ का सेवन कर यात्रा करें
🌄विशिष्ट काल-मुहूर्त-वेला परिचय🌄
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अभिजित् मुहुर्त - दिनार्द्ध से एक घटी पहले और एक घटी बाद का समय अभिजित मुहूर्त कहलाता है,पर बुधवार को यह शुभ नहीं होता.
ब्रह्म मुहूर्त - सूर्योदय से पहले का 1.30 घंटे का समय ब्रह्म मुहूर्त कहलाता है..
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प्रदोष काल - सूर्यास्त के पहले 45 मिनट और
बाद का 45 मिनट प्रदोष माना जाता ता है...
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गौधूलक काल-सूर्यास्त से 12 मिनट पहले और 12 मिनट बाद का समय गौधूलिक कहलाता है
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🌄✴️भद्रा वास शुभाशुभ विचार✴️🌄
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भद्रा मेष, वृष, मिथुन, वृश्चिक के चंद्रमा में स्वर्ग में व कन्या, तुला, धनु, मकर के चंद्रमा में पाताल लोक में और कुंभ, मीन, कर्क, सिंह के चंद्रमा में मृत्युलोक में मानी जाती है यहां स्वर्ग और पाताल लोक की भद्रा शुभ मानी जाती हैं और मृत्युलोक की भद्रा काल में शुभ कार्य वर्जित होते हैं इसी तरह भद्रा फल विचार करे
✴️सूर्योदय कालीन ग्रह एवं लग्न स्पष्ट✴️
_ग्रह.......राशि--अंश--कला--नक्षत्र चरणाक्षर_
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चौघड़िया (दिन-रात)**केवल शुभ कारक
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✴️🌄दिन का चौघड़िया🌄✴️
रोग 06:04 - 07:43 अशुभ
उद्वेग 07:43 - 09:22 अशुभ
चर 09:22 - 11:01 शुभ
लाभ 11:01 - 12:41 शुभ
अमृत 12:41 - 14:20 शुभ
काल 14:20 - 15:59 अशुभ
शुभ 15:59 - 17:38 शुभ
रोग 17:38 - 19:18 अशुभ
✴️🌄रात्रि का चौघड़िया🌄✴️
काल 19:18 - 20:38 अशुभ
लाभ 20:38 - 21:59 शुभ
उद्वेग 21:59 - 23:20 अशुभ
शुभ 23:20 - 24:41* शुभ
अमृत 24:41* - 26:02* शुभ
चर 26:02* - 27:22* शुभ
रोग 27:22* - 28:43* अशुभ
काल 28:43* - 30:04* अशुभ
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(विशेष - ज्योतिष शास्त्र में एक शुभ योग और एक अशुभ योग जब भी साथ साथ आते हैं तो शुभ योग की स्वीकार्यता मानी गई है )
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🌞🕉️शुभ शिववास की तिथियां🕉️🌞
शुक्ल पक्ष-2-----5-----6---- 9-------12----13.
कृष्ण पक्ष-1---4----5----8---11----12----30.
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दिन नक्षत्र एवं चरणाक्षर संबंधी संपूर्ण विवरण
जानकारी विशेष -यदि किसी बालक का जन्म गंड मूल(रेवती, अश्विनी, अश्लेषा, मघा, ज्येष्ठा और मूल) नक्षत्रों में होता है तो नक्षत्र शांति की आवश्यकता मानी गयी है,करवाना चाहिये..
आज जन्मे बालकों का नक्षत्र के चरण अनुसार राशिगत् नामाक्षर.
🌞 पद, चरण🌞
1 ली भरणी 07:15:06
2 लू भरणी 13:17:47
3 ले भरणी 19:23:07
4 लो भरणी 25:31:04*
___राशि मेष- पाया स्वर्ण_ ________
__आज का दिन__
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व्रत विशेष................. नहीं है अन्य व्रत.................... नहीं है
आजकल विशेष..... पुरुषोत्तम अधिमास जारी
दिन विशेष.....................नहीं है
पंचक....................नहीं है विष्टि(भद्रा).......................नहीं है
खगोलीय..................नहीं है
सर्वा.सि.योग........ रात्रि. 1.32 से रात्रि पर्यंत
अमृत.सि.योग...............नहीं है
सिद्ध रवियोग...............नहीं है
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_अगले दिन की प्रतीकात्मक जानकारी__
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दिनांक..........09.08.2023
तिथि........... द्वितीय श्रावण कृष्णा 9 बुधवार
व्रत विशेष................... नहीं है अन्य व्रत........................ नहीं ह
___आज विशेष ___
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सांसारिक ऋण एवं उन से मुक्ति के उपाय
ऋण का अर्थ है ‘‘कर्ज’’ और कर्ज हर मनुष्य को चुकाना पड़ता है। इसका उल्लेख वेद-पुराणों में प्राप्त होता है। हिंदु धर्म-शास्त्रों के अनुसार मनुष्यों पर तीन ऋण माने गए हैं- देव ऋण, ऋषि ऋण एवं पितृ ऋण। इन तीनों में पितृ ऋण सबसे बड़ा ऋण माना गया है। इन ऋणों का प्रभाव जन्म-जन्मांतरों तक मनुष्य का साए की तरह पीछा करता है। वैसे तो परंपरागत ज्योतिष ने भी इन तथ्यों को अपनी जन्मकुंडली में समेटा है। लेकिन लाल किताब इस मामले में विशिष्ट स्थान रखती है।
इसके अनुसार पिता द्वारा लिया गया ऋण पुत्र को चुकाना पड़ता है। यहां तक कि आर्थिक-शारीरिक तथा मानसिक ऋण भी चुकाना पड़ता है। वैसे भी व्यक्ति को जीवन में तीन बातें कभी नहीं भूलनी चाहिए- कर्ज, फर्ज और मर्ज। जो मनुष्य इनको ध्यान में रखते हुए अपना कर्म करता है तो वह कभी असफल नहीं होता और जीवन धन्य हो जाता है। प्रायः यह देखा जाता है कि हमारा कोई दोष नहीं होता फिर भी हमें कष्ट उठाने पड़ते हैं।
ऐसा क्यों होता है?
पूर्वजों में से किसी ने अशुभ या पाप कर्म किए होते हैं जो पैतृक ऋण बन जाते हैं और उनको कुटुंब के किसी सदस्य को चुकाना होता है। इसीलिए वह कष्ट उठाता है। कभी-कभी हम पर बड़े बूढ़ों के पाप के कारण रहस्यमयी प्रभाव पड़ता है जो हमारे लिए अविश्वसनीय व आश्चर्य चकित करने वाला होता है। कहने का तात्पर्य यह है कि जुर्म कोई करे और सजा कोई पाए। पैतृक ऋण होने पर दंड भी कोई निकट संबंधी ही पाता है। पैतृक ऋणों का विचार जन्मकुंडली से किया जाता है.
ऋण का ज्ञान हो जाये तो उसका उपाय भी रक्त संबंधी को करना होता है। पैतृक ऋण दूसरा व्यक्ति नहीं उतार सकता है। रक्त संबंधियों में बहिन, बेटी तथा उनके बच्चे आते हैं जैसे-पोता-पोती, नाती-नातिन तथा भांजा-भांजी इत्यादि।
पैतृक ऋण मनुष्यों पर नवग्रहों के आधार पर नौ प्रकार के ऋण माने गये हैं। यथा-स्वऋण, मातृ ऋण, पारिवारिक ऋण, कन्या/ बहन का ऋण, पितृ ऋण, स्त्री ऋण, निर्दयी ऋण, आजन्मकृत ऋण तथा ईश्वरीय ऋण। पितृ ऋण यह ऋण गुरु ग्रह के दूषित होने पर होता है।
जन्म कुंडली के द्वितीय, पंचम, नवम या बारहवें भाव (खाना नं. 2, 5, 9 या 12) में शुक्र बुध या राहु स्थित हो तो पितृऋण का भार जातक पर निश्चित रूप से पड़ता है। नवम भाव में गुरु के साथ शुक्र स्थित हो या चतुर्थ भाव में शनि और केतु हों तथा चंद्र दशम भाव में हो तो जातक निश्चित ही पितृ ऋण से पीड़ित होगा। उपाय जो ग्रह पितृ ऋण का हो चुका हो, उस ग्रह को उच्च का करने के उपाय ग्रह की अवधि से पूर्व करना चाहिए। जैसे- गुरु के लिए 16 वर्ष पूर्व, सूर्य के लिए 22 वर्ष पूर्व, चंद्र के लिए 24 वर्ष से पहले, मंगल के लिए 28 वर्ष पूर्व, बुध के लिए 34 वर्ष पूर्व, शुक्र हेतु 25 वर्ष तथा शनि के लिए 36 वर्ष से पहले ही उपाय कर लेना चाहिए।
अन्यथा वह अपनी अवधि पूर्ण करने के पश्चात जातक को अवश्य ही हानि पहुंचाएगा। दो ग्रहों के पितृऋण में एक समय में केवल एक ही उपाय करना चाहिए तत्पश्चात एक या दो हफ्ते छोड़कर ही दूसरा उपाय करना चाहिए। उदाहरणार्थ- जैसे जातक के पिता या दादा ने कुत्ते मारे या मरवाए तो जातक पर गुरु और केतु दोनों ग्रहों का पितृ ऋण होगाा। उपाय भी दोनों ग्रहों का करना होगा। जातक पितृ ऋण से पीड़ित है
तो अपने सभी रक्त संबंधियों से धन इकट्ठा करें और उस धन को धार्मिक स्थान पर दान करें या उस धार्मिक स्थल पर मरम्मत इत्यादि का कार्य करावें या जातक अपने घर से बाहर दरवाजे पर बाहर की तरफ जिधर नजर जाए तथा बाएं हाथ की तरफ दोनों दिशाओं मंे 16 कदम की दूरी के अंदर पीपल वृक्ष की स्थापना करें तो उसे इस पितृ ऋण से मुक्ति मिल जाती है। स्त्री ऋण शुक्र ग्रह के दूषित हो जाने पर ‘स्त्री ऋण’ (पत्नी ऋण) का भार पड़ता है। जन्म कुंडली में जब द्वितीय व सप्तम भाव (खानां नं. 2-7) में सूर्य, चंद्र या राहु स्थित हो तो ‘स्त्री ऋण’ उत्पन्न होता है।
पहचान: जातक द्वारा घर में पशु धन को नफरत से देखना तथा उसे घृणा से पालना ही स्त्रीऋण की पहचान या लक्षण होते हैं।
कारण: किसी भी लालच के कारण प्रसव के समय स्त्री को मारा-पीटा गया हो या हत्या की गई हो। यही स्त्रीऋण का मुख्य कारण होता है।
अनिष्ट प्रभाव: परिवार में पुरुषों की बीमारी पर जमा-पूंजी सब स्वाहा हो जाती है। बेटे एवं पोतों की अकस्मात मृत्यु हो जाती है। घर में चोरी या डाका पड़ता है। हर तरह से धन संपदा बर्बाद हो जाती है। घर में कोई मंगल कार्य हो तो रिश्तेदारों (नजदीकी) की मौत होती है। सुख में दुख, मांगलिक वेला में मौत, बेवजह बिना कारण कोई दे दे।
उपाय जातक अपने रक्त संबंधियों से धन जमा करें व उस धन से 100 स्वस्थ गायों को जो किसी भी प्रकार से अंगहीन न हो सपरिवार मिलकर उत्तम भोजन या उत्तम चारा खिलाए तो ‘‘स्त्री ऋण’’ से मुक्ति पा सकता है। निर्दयी का ऋण शनि ग्रह के दूषित हो जाने से यह ऋण होता है। जब जन्म पत्रिका में दशम या ग्यारहवें भाव में सूर्य, चंद्र या मंगल का प्रवेश हो जाता है तो वह शनि से पीड़ित होता है और यही दशा जातक को निर्दयी ऋण का दोषी बना देती है।
पहचान: घर का द्वार दक्षिण दिशा में हो या वह घर किसी बांझ या अनाथ से जमीन लेकर बनाया गया है। घर के मार्ग पर कुओं को ढंककर मकान बनाया हो। घर मालिक को नींद न आए अगर एक बार सो जाए तो जाग नहीं पाए। अचानक ऐसे घरों में अशुभ घटनाएं घटित होने लगती हैं।
कारण: किसी जीव की हत्या की हो या किसी की संपत्ति धोखे से हड़प ली हो। अनिष्ट प्रभाव: व्यावसायिक स्थल पर आग लगना और आग बुझाने का साधन न होना। घर का अचानक गिरना या आग का लगना। आग में जले हुए को अस्पताल पहुंचाने का प्रबंध न होना, घर बनवाने तक बारिश होना तथा बारिश का बंद न होना। जातक की करनी से स्वयं की संतान को व ससुराल वालों को बेवजह पुलिस परेशान करे। योग्य संतान नालायक हो जाए। घर के सदस्य चैन से न सो सकें। तत्पश्चात् अपंग हो जाना तथा एक-एक करके परिवार के सदस्यों की मृत्यु होना।
कोई तरकीब समझ न आए। उपाय जातक अपने रक्त संबंधियों से धन एकत्रित करे और धन से 100 मजदूरों को स्वादिष्ट व उत्तम भोजन कराए। 100 तालाबों से एक-एक मछली लाकर एक ही तालाब में डालकर उन्हें आटे की गोलियां बनाकर खिलावें तथा चकला और बेलन किसी धार्मिक स्थान पर दान दें तथा 43 दिन तक 50 ग्राम सुरमा जमीन में दबाएं तो इस ऋण से जातक को छुटकारा मिल जाता है। आजन्मकृत ऋण यह ऋण राहु के दूषित होने पर होता है।
दूसरों की संतान पर बुरी नजर रखना या मार देना। कुत्तों को गोली मारना, रिश्तेदारों पर बुरी नजर रखना या उनके वंशजों को समाप्त करने का षड्यंत्र रचना आदि। किसी दूसरे के पुत्र को पालना पड़े। कारण: लोभ के वशीभूत होकर दूसरों के कुल वंश का स्वयं या किसी दूसरे से उनका नाश करवाया हो। कबूतरों को या कुत्तों को मारा हो। लालच में किसी का धन हड़पा हो, बुरी नीयत का होना ही इस ऋण का मुख्य कारण है। अनिष्ट प्रभाव: यात्रा में धन का नाश हो। स्वयं की संतान का नाश हो। संतान न हो, तो गूंगी-बहरी व विकलांग हो।
पुत्र का न होना, हो तो आजन्म रोगी हो। जिन पर विश्वास करें वही धोखा दें। उपाय किसी विधवा की मदद करें। रक्त संबंधियों से पैसा जमा करें व उस पैसे से 100 कबूतरों को बाजरा या 100 कुत्तों को भोजन एक ही दिन में सपरिवार खिलावें। काले रंग का कुत्ता पालें व उसके कान छिदवाएं तो इस ईश्वरीय-दैवीय या कुदरती ऋण से मुक्ति पा सकते हैं। पैतृक ऋणों से संबंधित जातक राहु-12, केतु-6 या 2-8 भाव में कोई ताकतवर या मददगार ग्रह न हो तो पैतृक ऋणों की दशा मेंकेवल सांसारिक माया पर हो, उस ऋण को चुकाने का भार होगा लेकिन प्रभाव कम नहीं होगा। अतः पितृ ऋणों के उपायों को करने में उस रक्त से संबंधित लड़की, बहन, बहू, पोती, ध्वेता, पोता, दादा, परदादा आदि तथा बुआ, पुत्र, स्त्री, भांजा-भांजी सभी शामिल माने जाते हैं।
🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*