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*🌞*श्री गणेशाय नमः*🌞*
*🌞*श्री मोर मुकुट बंशीवाले नगर सेठ की जय ~🌞*
*नारसिंहाय ॐ हां हीं हूं हौं हः सकलभीतप्रेतदमनाय स्वाहा। ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चमुख हनुमते टं टं टं टं टं सकल शत्रु सहंरणाय स्वाहा।*
*पंचांग*
⛅दिनांक - 29 अगस्त 2023*
*⛅दिन - मंगलवार*
*🌤️*नागौर, राजस्थान(भारत)*
*⛅तिथि - त्रयोदशी दोपहर 14:47:26 तक तत्पश्चात चतुर्दशी*
*⛅नक्षत्र - श्रवण रात्रि 23:48:57 तक तत्पश्चात धनिष्ठा*
*⛅योग - शोभन रात्रि 25:49:25 तक तत्पश्चात अतिगंड*
*🌤️ पक्ष शुक्ल*
🌤️ *अयन - दक्षिणायन*
🌤️ *ऋतु - शरद ॠतु*
*🌤️करण तैतुल 14:47:26*
*🌤️करण गर 24:53:54*
*🌤️वार मंगलवार*
*🌤️माह (अमावस्यांत) श्रावण*
*🌤️माह (पूर्णिमांत) श्रावण*
*🌤️चन्द्र राशि मकर*
*🌤️सूर्य राशि सिंह*
*🌤️रितु शरद*
*🌤️आयन दक्षिणायण*
*🌤️संवत्सर शोभकृत*
*🌤️संवत्सर (उत्तर) पिंगल*
*🌤️विक्रम संवत 2080*
*🌤️गुजराती संवत 2079*
*🌤️शक संवत 1945*
*🌤️सौर प्रविष्टे 13, भाद्रपद*
*🌤️नागौर, राजस्थान(भारत)*
*🌤️सूर्योदय 06:13:46*
*🌤️सूर्यास्त 18:57:55*
*🌤️दिन काल 12:44:09*
*🌤️रात्री काल 11:16:18*
*🌤️चंद्रोदय 18:02:47*
*🌤️चंद्रास्त 29:01:51*
*💥 सूर्योदय💥*
*🌤️लग्न सिंह 11°16' , 131°16'*
*🌤️सूर्य नक्षत्र मघा*
*🌤️चन्द्र नक्षत्र श्रवण*
*💥 पद, चरण💥*
*🌤️1 खी श्रवण 08:00:23*
*🌤️2 खू श्रवण 13:17:30*
*🌤️3 खे श्रवण 18:33:38*
*🌤️4 खो श्रवण 23:48:57*
*🌤️1 गा धनिष्ठा 29:03:39*
*🌤️ नागौर, राजस्थान(भारत)*
*🌤️दिन काल 12:44:09*
*🌤️रात्री काल 11:16:18*
*💥 लग्न सूर्योदय💥*
*🌤️ सिंह 11°16' , 131°16'*
*💥 मुहूर्त💥*
*🌤️राहू काल 15:47 - 17:22 अशुभ*
*🌤️यम घंटा 09:25 - 11:00 अशुभ*
*🌤️गुली काल 12:36 - 14:11*
*🌤️अभिजित 12:10 - 13:01 शुभ*
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*💥 चोघडिया, दिन💥*
*🌤️*रोग 06:14 - 07:49 अशुभ*
*🌤️*उद्वेग 07:49 - 09:25 अशुभ*
*🌤️*चर 09:25 - 11:00 शुभ*
*🌤️*लाभ 11:00 - 12:36 शुभ*
*🌤️*अमृत 12:36 - 14:11 शुभ*
*🌤️*काल 14:11 - 15:47 अशुभ*
*🌤️*शुभ 15:47 - 17:22 शुभ*
*🌤️*रोग 17:22 - 18:58 अशुभ*
*💥 चोघडिया, रात 💥*
*🌤️*काल 18:58 - 20:22 अशुभ*
*🌤️*लाभ 20:22 - 21:47 शुभ*
*🌤️*उद्वेग 21:47 - 23:12 अशुभ*
*🌤️*शुभ 23:12 - 24:36 शुभ*
*🌤️*अमृत 24:36 - 26:01 शुभ*
🌤️ *चर 26:01- 27:25 शुभ*
*🌤️*रोग 27:25-* *28:50 अशुभ*
*🌤️*काल 28:50* *- 30:14 अशुभ*
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*⛅दिशा शूल - उत्तर दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:03 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - ऋग्वेद उपाकर्म, मंगलागौरी व्रत*
*⛅विशेष - त्रयोदशी को बैगन खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*
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🌷 *रक्षाबंधन के पर्व पर दस प्रकार का स्नान*
🙏🏻 *श्रावण महिने में रक्षाबंधन की पूर्णिमा 30 अगस्त 2023 बुधवार वाले दिन वेदों में दस प्रकार का स्नान बताया गया है |*
1⃣ *भस्म स्नान – उसके लिए यज्ञ की भस्म थोडीसी लेकर वो ललाट पर थोड़ी शरीर पर लगाकर स्नान किया जाता है | यज्ञ की भस्म अपने यहाँ तो है आश्रम में, पर समझो आप अपने घर पर किसी को बताना चाहें की यज्ञ की भस्म थोड़ी लगाकर श्रावणी पूर्णिमा को दसविद स्नान में पहले ये बताया है | तो वहाँ यज्ञ की भस्म कहाँ से आयेगी तो गौचंदन धूपबत्ती घरों में जलाते हैं साधक | शाम को गौचंदन धूपबत्ती जलाकर जप करें अपने इष्टमंत्र, गुरुमंत्र का तो वो जलते जलते उसकी भस्म तो बचेगी ना | तो जप भी एक यज्ञ है | तो गौचंदन की भस्म होगी यज्ञ की भस्म पवित्र मानी जाती है | वैसे गौचंदन है वो, देशी गाय के गोबर, जड़ीबूटी और देशी घी से बनती है | तो पहला भस्म स्नान बताया है |*
2⃣ *मृत्तिका स्नान*
3⃣ *गोमय स्नान – गोमय स्नान माना गौ गोबर उसमे थोडा गोझरण ये मिक्स हो उसका स्नान (उसका मतलब थोडा ले लिया और शरीर को लगा दिया ) क्यों वेद ने कहा इसलिए गौमाता के गोबर में (देशी गाय के) लक्ष्मी का वास माना गया है | गोमय वसते लक्ष्मी पवित्रा सर्व मंगला | स्नानार्थम सम संस्कृता देवी पापं हर्गो मय || तो हमारे भीतर भक्तिरूपी लक्ष्मी बढ़ती जाय, बढ़ती जाय जैसे गौ के गोबर में लक्ष्मी का वास वो हमने थोडा लगाकर स्नान किया, हमारे भीतर भक्तिरूपी संपदा बढती जाय | गीता में जो दैवी लक्षणों के २६ लक्षण बतायें हैं वो मेरे भीतर बढ़ते जायें | ये तीसरा गोमय स्नान |*
4⃣ *पंचगव्य स्नान – गौ का गोबर, गोमूत्र, गाय के दूध के दही, गाय का दूध और घी ये पंचगव्य | कई बार आपको पता है पंचगव्य पीते हैं | तो पंचगव्य स्नान थोड़ा सा ही बन जाये तो बहुत बढियाँ नहीं बने तो गौ का गोबरवाला तो है | माने पाँच तत्व से हमारा शरीर बना हुआ है वो स्वस्थ रहें, पुष्ट रहें, बलवान रहें ताकी सेवा और साधना करते रहे, भक्ति करते रहें |*
*👉🏻 शेष कल......*
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*रक्षाबंधन की कथा*
*सर्वप्रथम किसने बांधी राखी किस को और क्यों ??*
*लक्ष्मी जी ने सर्वप्रथम बलि को बांधी थी।*
*एक सौ १०० यज्ञ पूर्ण कर लेने पर दानवेन्द्र राजा बलि के मन में स्वर्ग का प्राप्ति की इच्छा बलवती हो गई तो इन्द्र का सिंहासन डोलने लगा।*
*इन्द्र आदि देवताओं ने भगवान विष्णु से रक्षा की प्रार्थना की। भगवान ने वामन अवतार लेकर ब्राह्मण का वेष धारण कर लिया और राजा बलि से भिक्षा मांगने पहुँच गए। उन्होंने बलि से तीन पग भूमि भिक्षा में मांग ली।*
*बलि के गु्रु शुक्रदेव ने ब्राह्मण रुप धारण किए हुए विष्णु को पहचान लिया और बलि को इस बारे में सावधान कर दिया किंतु दानवेन्द्र राजा बलि अपने वचन से न फिरे और तीन पग भूमि दान कर दी।*
*वामन रूप में भगवान ने एक पग में स्वर्ग और दूसरे पग में पृथ्वी को नाप लिया। तीसरा पैर कहाँ रखें? बलि के सामने संकट उत्पन्न हो गया। यदि वह अपना वचन नहीं निभाता तो अधर्म होता। आखिरकार उसने अपना सिर भगवान के आगे कर दिया और कहा तीसरा पग आप मेरे सिर पर रख दीजिए। वामन भगवान ने वैसा ही किया। पैर रखते ही वह रसातल लोक में पहुँच गया।*
*तब उसे भगवान ने पाताल लोक का राज्य रहने के लिये दें दिया*
*तब उसने प्रभु से कहा की कोई बात नहीँ मैं रहने के लिये तैयार हूँ*
*पर मेरी भी एक शर्त होगी*
*भगवान अपने भक्तो की बात कभी टाल नहीँ सकते*
*उन्होने कहा ऐसे नहीँ प्रभु आप छलिया हो पहले मुझे वचन दें की जो मांगूँगा वो आप दोगे*
*नारायण ने कहा दूँगा दूँगा दूँगा*
*जब त्रिबाचा करा लिया तब बोले बलि*
*की मैं जब सोने जाऊँ तो जब उठूं तो जिधर भी नजर जाये उधर आपको ही देखूं*
*नारायण ने कहा इसने तो मुझे पहरेदार बना दिया हैं ये सबकुछ हार के भी जीत गया है*
*पर कर भी क्या सकते थे वचन जो दें चुके थे*
*ऐसे होते होते काफी समय बीत गया*
*उधर बैकुंठ में लक्ष्मी जी को चिंता होने लगी नारायण के बिना*
*उधर नारद जी का आना हुआ*
*लक्ष्मी जी ने कहा नारद जी आप तो तीनों लोकों में घूमते हैं क्या नारायण को कहीँ देखा आपने*
*तब नारद जी बोले की पाताल लोक में हैं राजा बलि की पहरेदार बने हुये हैं*
*तब लक्ष्मी जी ने कहा मुझे आप ही राह दिखाये की कैसे मिलेंगे*
*तब नारद ने कहा आप राजा बलि को भाई बना लो और रक्षा का वचन लो और पहले तिर्बाचा करा लेना दक्षिणा में जो मांगुगी वो देंगे*
*और दक्षिणा में अपने नारायण को माँग लेना*
*लक्ष्मी जी सुन्दर स्त्री के भेष में रोते हुये पहुँची*
*बलि ने कहा क्यों रो रहीं हैं आप*
*तब लक्ष्मी जी बोली की मेरा कोई भाई नहीँ हैं इसलिए मैं दुखी हूँ*
*तब बलि बोले की तुम मेरी धरम की बहिन बन जाओ*
*तब लक्ष्मी ने तिर्बाचा कराया*
*और लक्ष्मी जी ने राजा बलि को रक्षाबन्धन बांधकर अपना भाई बनाया और उपहार स्वरुप अपने पति भगवान विष्णु को अपने साथ ले आयीं। उस दिन श्रावण मास की पूर्णिमा तिथि थी यथा रक्षा-बंधन मनाया जाने लगा।*
*भविष्य पुराण के*
*अनुसार-*👌
*रक्षा विधान के समय निम्न लिखित मंत्रोच्चार किया गया था जिसका आज भी विधिवत पालन किया जाता है:*
*"येन बद्धोबली राजा दानवेन्द्रो महाबल: ।*
*दानवेन्द्रो मा चल मा चल।।"👌*
*इस मंत्र का भावार्थ है कि दानवों के महाबली राजा बलि जिससे बांधे गए थे, उसी से तुम्हें बांधता हूँ। हे रक्षे! (रक्षासूत्र) तुम चलायमान न हो, चलायमान न हो।*
*यह रक्षा विधान श्रवण मास की पूर्णिमा को प्रातः काल संपन्न किया गया यथा रक्षा-बंधन अस्तित्व में आया और श्रवण मास की पूर्णिमा को मनाया जाने लगा*
*रक्षा बन्धन अर्थात बह बन्धन जो हमें सुरक्षा प्रदान करे*
*सुरक्षा किस से*
*हमारे आंतरिक और बाहरी शत्रुओं से रोग ऋण से।*
*राखी का मान करे।*
*अपनी भाई बहन क प्रति प्रेम और सम्मान की भावना रखे।*
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*🌹रक्षाबन्धन : 30 अगस्त 2023🌹*
*🔹सर्व मंगलकारी वैदिक रक्षासूत्र🔹*
*🌹 भारतीय संस्कृति में ‘रक्षाबन्धन पर्व’ की बड़ी भारी महिमा है । इतिहास साक्षी है कि इसके द्वारा अनगिनत पुण्यात्मा लाभान्वित हुए हैं फिर चाहे वह वीर योद्धा अभिमन्यु हो या स्वयं देवराज इन्द्र हो । इस पर्व ने अपना एक क्रांतिकारी इतिहास रचा है ।*
*🔹वैदिक रक्षासूत्र🔹*
*🌹 रक्षासूत्र मात्र एक धागा नहीं बल्कि शुभ भावनाओं व शुभ संकल्पों का पुलिंदा है । यही सूत्र जब वैदिक रीति से बनाया जाता है और भगवन्नाम व भगवद् भाव सहित शुभ संकल्प करके बाँधा जाता है तो इसका सामर्थ्य असीम हो जाता है ।*
*🔸कैसे बनायें वैदिक राखी ?🔸*
*🌹 वैदिक राखी बनाने के लिए एक छोटा सा ऊनी, सूती या रेशमी पीले कपड़े का टुकड़ा लें । उसमें दूर्वा, अक्षत (साबुत चावल) केसर या हल्दी, शुद्ध चन्दन, सरसों के साबुत दाने-इन पाँच चीजों को मिलाकर कपड़े में बाँधकर सिलाई कर दें । फिर कलावे से जोड़कर राखी का आकार दें । सामर्थ्य हो तो उपरोक्त पाँच वस्तुओं के साथ स्वर्ण भी डाल सकते हैं ।*
*🔸वैदिक राखी का महत्त्व🔸*
*🌹 वैदिक राखी में डाली जाने वाली वस्तुएँ हमारे जीवन को उन्नति की ओर ले जाने वाले संकल्पों को पोषित करती हैं' ।*
*🌹दूर्वा : जैसे दूर्वा का एक अंकुर जमीन में लगाने पर वह हजारों की संख्या में फैल जाती है, वैसे ही ‘हमारे भाई या हितैषी के जीवन में भी सदगुण फैलते जायें, बढ़ते जायें…..’ इस भावना का द्योतक है दूर्वा । दूर्वा गणेश जी की प्रिय है अर्थात् हम जिनको राखी बाँध रहे हैं उनके जीवन में आने वाले विघ्नों का नाश हो जाय ।*
*🌹 अक्षत (साबुत चावल) : हमारी भक्ति और श्रद्धा भगवान के, गुरु के चरणों में अक्षत हो, अखण्ड और अटूटट हो, कभी क्षत-विक्षत न हों – यह अक्षत का संकेत है । अक्षत पूर्णता की भावना के प्रतीक हैं। जो कुछ अर्पित किया जाय, पूरी भावना के साथ किया जाय ।*
*🌹 केसर या हल्दी : केसर की प्रकृति तेज होती है अर्थात् हम जिनको यह रक्षासूत्र बाँध रहे हैं उनका जीवन तेजस्वी हो । उनका आध्यात्मिक तेज, भक्ति और ज्ञान का तेज बढ़ता जाय । केसर की जगह पर पिसी हल्दी का भी प्रयोग कर सकते हैं। हल्दी पवित्रता व शुभ का प्रतीक है। यह नजरदोष न नकारात्मक ऊर्जा को नष्ट करती है तथा उत्तम स्वास्थ्य व सम्पन्नता लाती है ।*
*🌹चंदन : चन्दन दूसरों को शीतलता और सुगंध देता है । यह इस भावना का द्योतक है कि जिनको हम राखी बाँध रहे हैं, उनके जीवन में सदैव शीतलता बनी रहे, कभी तनाव न हो । उनके द्वारा दूसरों को पवित्रता, सज्जनता व संयम आदि की सुगंध मिलती रहे । उनकी सेवा-सुवास दूर तक फैले ।*
*🌹 सरसों : सरसों तीक्ष्ण होती है । इसी प्रकार हम अपने दुर्गुणों का विनाश करने में, समाज द्रोहियों को सबक सिखाने में तीक्ष्ण बनें ।*
*🌹अतः यह वैदिक रक्षासूत्र वैदिक संकल्पों से परिपूर्ण होकर सर्व मंगलकारी है । यह रक्षासूत्र बाँधते समय यह श्लोक बोला जाता हैः*
*येन बद्धो बली राजा दानवेन्द्रो महाबलः।*
*तेन त्वां अभिबध्नामि1 रक्षे मा चल मा चल।।*
*🌹 इस मंत्रोच्चारण व शुभ संकल्प सहित वैदिक राखी बहन अपने भाई को, माँ अपने बेटे को, दादी अपने पोते को बाँध सकती है । यही नहीं, शिष्य भी यदि इस वैदिक राखी को अपने सदगुरु को प्रेमसहित अर्पण करता है तो उसकी सब अमंगलों से रक्षा होती है तथा गुरुभक्ति बढ़ती है ।*
*🌹 शिष्य गुरु को रक्षासूत्र बाँधते समय ‘अभिबध्नामि’ के स्थान पर ‘रक्षबध्नामि’ कहे ।*
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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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