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पंचांग - 28-08-2023

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   *🌞*श्री गणेशाय नमः*🌞*
   *🌞*श्री मोर मुकुट बंशीवाले    नगर सेठ की जय ~🌞*

jyotish


*✴️~ सोमवार का पंचांग~✴️*
    *✴️दिनांक - 28 अगस्त 2023*
    *✴️दिन - सोमवार*
    *✴️विक्रम संवत् - 2080*
    *✴️शक संवत् - 1945*
    *✴️अयन - दक्षिणायन*
    *✴️ऋतु - शरद*
    *✴️मास - श्रावण*
    *✴️पक्ष - शुक्ल*
    *✴️नागौर राजस्थान(भारत)*
    *✴️ द्वादशी, शुक्ल पक्ष, श्रावण*
    *✴️तिथि - द्वादशी शाम 06:22.31 तक तत्पश्चात त्रयोदशी*
    *✴️पक्ष    शुक्ल*
    *✴️नक्षत्र    नक्षत्र - पूर्वाषाढ़ा प्रातः    26:42:07तक तत्पश्चात उत्तराषाढ़ा*
    *✴️योग    आयुष्मान     योग - आयुष्मान सुबह 09:54:45 तक तत्पश्चात सौभाग्य*
    *✴️योग    सौभाग्य    30:00:11*
    *✴️करण    बव    08:00:48*
    *✴️करण    बालव    18:22:11*
    *✴️करण    कौलव    28:37:18*
    *✴️वार     सोमवार*
    *✴️माह (अमावस्यांत)    श्रावण*
    *✴️माह (पूर्णिमांत)    श्रावण*
    *✴️चन्द्र राशि    धनु    till10:38:41*
    *✴️चन्द्र राशि मकर    from 10:38:41*
    *✴️सूर्य राशि       सिंह*
    *✴️रितु    शरद*
    *✴️आयन    दक्षिणायण*
    *✴️ संवत्सर    शोभकृत*
    *✴️संवत्सर (उत्तर)    पिंगल*
    *✴️विक्रम संवत    2080*
    *✴️गुजराती संवत    2079*
 *✴️शक संवत    1945 शक संवत*
    *✴️सौर प्रविष्टे    12, भाद्रपद    (# note below)*
    *✴️नागौर राजस्थान(भारत)*
    *✴️सूर्योदय    06:13:18*
    *✴️ सूर्यास्त    18:58:58*
    *✴️दिन काल    12:45:39*
    *✴️रात्री काल    11:14:47*
    *✴️चंद्रोदय    17:12:00*    
    *✴️चंद्रास्त    27:48:58*

         *✴️सूर्योदय    ✴️*
*लग्न      सिंह 10°18' , 130°18*'
*✴️सूर्य नक्षत्र    मघा*    
*✴️चन्द्र नक्षत्र उत्तराषाढा*
           *✴️पद, चरण    ✴️*
*1 भे    उत्तराषाढा    10:38:41*
*2 भो    उत्तराषाढा    16:01:25*
*3 जा    उत्तराषाढा    21:22:31*
*4 जी    उत्तराषाढा    26:42:07*

*✴️नागौर,राजस्थान(भारत)*
*✴️सूर्योदय    06:13:18*    
*✴️सूर्यास्त    18:58:58*
*✴️दिन काल    12:45:39*    
*✴️रात्री काल    11:14:47*
     *✴️लग्न सूर्योदय    ✴️*
  *सिंह    10°18' , 130°18'*
       
        *✴️ मुहूर्त    ✴️*
  *✴️राहू काल      07:49 - हर जगह का अलग है - अशुभ*
  *✴️यम घंटा    11:00 - 12:36    अशुभ*
  *✴️गुली काल    14:12 - 15:48*
  *✴️अभिजित    12:11 - 13:02    शुभ*
*⛅दूर मुहूर्त    13:02 - 13:53    अशुभ*
*⛅दूर मुहूर्त    15:35 - 16:26५    अशुभ*
*⛅वर्ज्यम    12:26 - 13:53    अशुभ*
*⛅दिशा शूल - पूर्व दिशा में*
*⛅ब्राह्ममुहूर्त - प्रातः 04:50 से 05:35 तक*
*⛅निशिता मुहूर्त - रात्रि 12:18 से 01:04 तक*
*⛅व्रत पर्व विवरण - सोमप्रदोष व्रत*
*⛅विशेष - द्वादशी को पूतिका (पोई) खाने से पुत्र का नाश होता है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)*


         *✴️चोघडिया, दिन✴️*
*अमृत    06:13 - 07:49    शुभ*
*काल    07:49 - 09:25    अशुभ*
*शुभ    09:25 - 11:00    शुभ*
*रोग    11:00 - 12:36    अशुभ*
*उद्वेग    12:36 - 14:12    अशुभ*
*चर    14:12 - 15:48    शुभ*
*लाभ    15:48 - 17:23    शुभ*
*अमृत    17:23 - 18:59    शुभ*

   *✴️चोघडिया, रात    ✴️*
*चर    18:59 - 20:23    शुभ*
*रोग    20:23 - 21:48    अशुभ*
*काल    21:48 - 23:12    अशुभ*
*लाभ    23:12 - 24:36    शुभ*
*उद्वेग    24:36 - 26:01    अशुभ*
*शुभ    26:01 - 27:25    शुभ*
*अमृत    27:25 - 28:49    शुभ*
*चर    28:49 - 30:14    शुभ*

*1.जन्म कुंडली के अनुसार पेट दर्द के लिए सबसे अधिक शनि ग्रह जिम्मेदार होता है। शनि एक ऐसा ग्रह है जो जातक की कुंडली में अशुभ होते ही, भिन्न-भिन्न प्रकार की परेशानियां देता है।यह ग्रह कुंडली के जिस भाव में जाकर बैठ जाए, और यदि जातक की लग्न राशि के अनुकूल ना हो, तो अशुभ फल देने लगता है। शनि का प्रभाव अधिक तेज नहीं होता, यह धीमी चाल वाला ग्रह है, किंतु इतनी-सी गति पर भी यह ग्रह व्यक्ति के सुख को निचोड़ लेता है।*

*2.शनि के अलावा सूर्य एवं चंद्र को बदहजमी का कारक माना जाता है। जब सूर्य या चंद्र पर शनि का प्रभाव होता है तो पेट दर्द की शिकायत रहती है। यदि लंबे समय तक शनि के साथ बना यह योग कुंडली में टिक जाए, तो यह बड़ी समस्या उत्पन्न करता है।*

*3.जन्म कुंडली के अनुसार चंद्र और बृहस्पति को लिवर का कारक माना जाता है। इन दो ग्रहों पर यदि शनि का प्रभाव होता है तो व्यक्ति को लिवर से जुड़ी बीमारियां हो सकती हैं।*

*4.जन्म कुंडली मे शुक्र के अशुभ फल से गुप्त रोग होते हैं,  यदि शुक्र और शनि मिल जाएं तो ये भी पेट संबंधी परेशानियों को जन्म देते हैं।*

*5.अगर बुध और शनि का मिलन हो जाए और इस पर यदि शनि का अशुभ प्रभाव बनने लगे तो, यह आंतों में परेशानी लाता है। बुध सूर्य के साथ मकर राशि के होते हैं तो मूत्र से संबंधित समस्याएं हो सकती हैं। ये परेशानियां बढ़ जाने पर किडनी तक पहुंच जाती हैं और किडनी में स्टोन या इन्फेक्शन जैसी दिक्कत बनाती हैं।*

 *6.कर्क, वृश्चिक, कुंभ नवांश में शनि चंद्र से युति करता है तो लिवर संबंधी रोग हो सकते हैं।*

*7.सप्तम भाव में शनि मंगल से युति करे और लग्रस्थ राहु बुध पर दृष्टि डालता है तो डायरिया हो सकता है।*

*8. मीन या मेष लग्र में शनि तृतीय स्थान में हो तो उदर में दर्द होता है। कुंभ लग्र में शनि चंद्र के साथ युति करे या षष्ठेश एवं चंद्र लग्रेश पर शनि का प्रभाव या पंचम स्थान में शनि की चंद्र से युति प्लीहा रोग कारक है।*

 *9.सिंह राशि में शनि चंद्र की युति या षष्ठम या द्वादश भाव में शनि मंगल से युति करता है या अष्टम भाव में शनि और लग्र में चंद्र हो और शनि पर पापग्रहों की दृष्टि हो तो पेट के रोग होते हैं।*

*10.शनि के अलावा कुंडली में राहु-केतु जैसे पापी ग्रहों का अशुभ होना भी पेट संबंधी रोग देता है। जन्म कुंडली के लग्न में राहु और सप्तम स्थान में केतु हो तो व्यक्ति को लिवर में इन्फेक्शन हो सकता है।*

*11.द्वितीय भाव में शनि होने पर डायरिया हो सकता है। इस रोग में पेट की गैस अनियंत्रित होने से भोजन बिना पचे ही शरीर से मल रूप में बाहर निकल जाता हैं।*

*12.अगर जातक की कुंडली कुंभ लग्न की है और प्रथम भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति हमेशा एसिडिटी, बदहजमी और पेट में तनाव से परेशान रहता है।*

*13.जन्म कुंडली के बारहवें भाव में सिंह राशि में केतु और शनि हो तो बवासीर की समस्या या गुदा रोग हो सकता है। सिंह एक मजबूत राशि है, इसलिए यह योग काफी तेजी से असर दिखाता है।*


*🔹चिंता भगाने की युक्ति🔹*

*🔸चिंता के कारण रात को नींद नहीं आती हो तो पुकारो : ‘हे हरि, हे गोविंद, हे माधव !’ १५ से २५ मिनट भगवान का नाम लो और २ – ४ मिनट हास्य-प्रयोग करों, ‘हरि ॐ.....ॐ.....ॐ..... मेरे ॐ..... प्यारे ॐ.... हा...हा...हा...’ प्रारब्ध तो पहले बना है, पीछे बना है शरीर ! संत तुलसीदासजी कहते हैं कि चिंता क्या करते हो ? भज लो श्रीरघुवीर .... हे गोविंद ! हे रघुवीर ! हे राम ! दुःख मन में आता है, चिंता चित्त में आती है; मैं तो निर्लेप नारायण, अमर आत्मा हूँ । मैं प्रभु का हूँ, प्रभु मेरे हैं । इससे चिंता भागेगी ।*

*🔸दूसरा, पूरा श्वास भरकर उसे अंदर रोके बीना पूरी तरह बाहर निकाल दें । श्वास भीतर भरते समय भावना करें कि हम निश्चिंतता, आनंद, शांति भीतर भर रहे हैं तथा मुँह से फूँक मारते हुये श्वास बाहर छोड़ते समय भावना करें कि हम चिंता, तनाव, हताशा, निराशा को बाहर निकाल रहे हैं । ऐसा २० – २५ बार करने से चिंता, तनाव एवं थकान दूर होकर तृप्ति का अनुभव होता है ।*

*🔹काहे को चिंता करना ? जो होगा देखा जायेगा । हम ईश्वर के, ईश्वर हमारे ! ईश्वर चेतनस्वरूप हैं, ज्ञानस्वरूप हैं, आनंदस्वरूप हैं और हमारे सुह्रद हैं । चिंता कुतिया आयी तो क्या कर लेगी ? गुरु का संग जीवात्मा को दु:खों से असंग कर देता है । चिंताओं से असंग कर देता है*।

*चिंता से चतुराई घटे, घटे रूप और ज्ञान ।*
*चिंता बड़ी अभागिनी, चिंता चिता समान ।।*

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🖌🚩 *_””जय श्री महाकाल महाराज की””_* 🚩
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*यह पंचांग नागौर (राजस्थान)के सूर्योदय के अनुसार है।*
*अस्वीकरण(Disclaimer)पंचांग, धर्म, ज्योतिष,राशि रत्न,वास्तु आदि विषयों पर यहाँ प्रकाशित सामग्री केवल आपकी जानकारी के लिए हैं।ज्योतिष एक अत्यंत जटिल विषय है, यहां पूरी सतर्कता के उपरांत भी मानवीय त्रुटि संभव, अतः संबंधित कोई भी कार्य या प्रयोग करने से पहले अपने स्वविवेक के साथ किसी संबद्ध विशेषज्ञ से परामर्श अवश्य लेवें...*
*🌞*दिनेश "प्रेम" शर्मा रमल ज्योतिष आचार्य*🌞*
*संपर्क सूत्र:- मोबाइल.* *8387869068*
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