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नाग पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त विधि व महत्व

 नाग पंचमी पूजा शुभ मुहूर्त विधि व महत्व


सावन में आने वाली नागपंचमी का विशेष महत्व है। हिंदू धर्म में सांप को भी देवता माना जाता है। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। सावन में वैसे दो नाग पंचमी की तिथि आती है। एक शुक्ल पक्ष और दूसरी कृष्ण पक्ष की ।  परंतु इस माह सावन अधिक मास होने से कुल चार पंचमी आई,शुक्ल पक्ष की नागपंचमी तिथि 21 अगस्त 2023 को है।

पंचमी, शुक्ल पक्ष, श्रावण
तिथि    पंचमी    पक्ष    शुक्ल संवत २०८० नक्षत्र    चित्रा,योग    शुभ     में योग बैठा है।
आइए जानते हैं नागपंचमी तिथि का महत्व, आइए जानते हैं नागपंचमी की तारीख और मुहूर्त कब से कब तक है।

नागपंचमी तिथि और मुहूर्त
शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का आरंभ रात में 12 बजकर 22 मिनट से होगा और 21 तारीख की मध्य रात्रि 1 बजकर 59.47 मिनट तक रहेगी।

नागपंचमी का सावन के महीने में विशेष महत्व है। नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। साथ ही इस दिन काल सर्प दोष से पीड़ित लोग भी पूजा पाठ करते हैं।
पूरे भारत में उज्जैन महाकाल मंदिर में ऊपर के परिसर में नाग चंदेश्वर मंदिर साल में सिर्फ श्रवण पंचमी में ही खुलता है बाकी टाइम में यह मंदिर बंद रहता है श्रवण पंचमी के दिन विशेष पूजा अभिषेक अर्चना इत्यादि होती है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता माने गए हैं। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा, व्रत रखने और कथा पढ़ने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, भय दूर होता है और परिवार की रक्षा होती है।
 
नाग देवता की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन रुद्राभिषेक कराने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है। -
 नाग पंचमी का त्योहार श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को मनाया जाता है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पंचमी तिथि के स्वामी नाग देवता माने गए हैं। नाग पंचमी के दिन नागों की पूजा, व्रत रखने और कथा पढ़ने से व्यक्ति को कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है, भय दूर होता है और परिवार की रक्षा होती है।

नागपंचमी पर्व भगवान शिव के प्रिय नाग देवता की पूजा के लिए समर्पित है। पूजन के लिए घर के दरवाजे के दोनों तरफ नाग की आठ आकृतियां बनाकर हल्दी, रोली, चावल, घी, कच्चा दूध, फूल एवं जल चढ़ाकर नाग देवता की पूजा करें। इस दिन एक दिन पूर्व बनाए गए भोजन का भोग लगाने का विधान है। इसके अलावा शिवालयों में भगवान शिव के गले की शोभा बढ़ाने वाले तांबे के नाग की भी पूजा की जाती है। पूजन के बाद नाग देवता की आरती करें और वहीं बैठ कर नागपंचमी की कथा पढ़ें। मान्यता है कि नागपंचमी पर सांपों को दूध चढ़ाने से अक्षय-पुण्य की प्राप्ति होती है। साथ ही नागदेवता की पूजा से घर में धन आगमन का स्रोत बढ़ता है। नाग देवता की पूजा के साथ भगवान शिव की पूजा करनी चाहिए। इस दिन रुद्राभिषेक कराने से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।  

   नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा की जाती है। जिन नाग की पूजा की जाती है उनके नाम वासुकि, अनंत, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक , कर्कट और शंख है।
चतुर्थी के दिन एक समय भोजन करना चाहिए। अगले दिन यानी पंचमी तिथि के दिन व्रत रखें। व्रत समापन के बाद पंचमी को रात का भोजन किया जा सकता है।
नागपंचमी के दिन पूजा के लिए पहले एक लकड़ी की चौकी लेकर मिट्टी से नाग देवता की प्रतिमा बनाएं।
इसके बाद नाग देवता पर हल्दी , सिंदूर, चावल और फूल चढ़ाएं और कच्चे दूध में घी, चीनी मिलाकर नाग देवता का अभिषेक करें।
पूजा समाप्त होने के बाद अंत में नाग देवता की कथा का पाठ करें और आरती करें।
साथ ही इस दिन किसी गरीब को दान जरूर दें।

नाग पंचमी का महत्व
मान्यताओं के अनुसार, नागपंचमी के दिन नाग देवता की पूजा करने से व्यक्ति को नागों का भय नहीं रहता है। साथ ही जिन लोगों की कुंडली में कालसर्प दोष होता है उन्हें भी इस दिन पूजा करने से थोड़ी राहत मिलती है। अन्य मान्यताओं के अनुसार, सांप को दूध से नहलाने और दूध पिलाने से दैवीय कृपा प्राप्त होती है। इसके अलावा घर के दरवाजे पर सांप का चित्र बनाने की भी परंपरा है।
    
    इसके अलावा नाग देवता को सुमिरन करने से होगा लाभ
धार्मिक मान्यता के अनुसार नाग पंचमी के दिन नाग देवता की आराधना करने से भक्तों को उनका आशीर्वाद प्राप्त होता है और सर्प दोष से मुक्ति मिलती है। नाग पंचमी के दिन अनन्त, वासुकि, पद्म, महापद्म, तक्षक, कुलीक , कर्कट और शंख नामक अष्टनागों का ध्यान कर पूजा करें। इसके बाद नाग देवता से घर में सुख-शांति और सुरक्षा की प्रार्थना करें।


 

पौराणिक कथा
पौराणिक कथा के अनुसार,अर्जुन के पौत्र और राजा परीक्षित के पुत्र जन्मजेय ने सर्पों से बदला लेने और नाग वंश के विनाश के लिए एक नाग यज्ञ किया। क्यों कि उनके पिता राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नामक सर्प के काटने से हुई थी।नागों की रक्षा के लिए इस यज्ञ को ऋषि जरत्कारु के पुत्र आस्तिक मुनि ने रोका था।उन्होंने सावन की पंचमी वाले दिन ही नागों को यज्ञ में जलने से रक्षा की थी। और इनके जलते हुए शरीर पर दूध की धार डालकर इनको शीतलता प्रदान की थी। उसी समय नागों ने आस्तिक मुनि से कहा कि पंचमी को जो भी मेरी पूजा करेगा उसे कभी भी नागदंश का भय नहीं रहेगा। तभी से पंचमी तिथि के दिन नागों की पूजा की जाने लगी।जिस दिन इस यज्ञ को रोका गया,उस दिन श्रावण मास की शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि थी एवं तक्षक नाग व उसका शेष बचा वंश विनाश से बच गया।


_____नाग पंचमी विशेष _____


 अगर कुंडली में कालसर्प दोष है तो इस दोष दोष को दूर करने के 20 सबसे प्रभावी उपाय..

कालसर्प योग के करने योग्य सरल उपाय..

1) कालसर्प योग शांति के लिए नागपंचमी के दिन व्रत करें।

2 )काले नाग-नागिन का जोड़ा सपेरे से मुक्त करके जंगल में छोड़ें।

3 ) चांदी के नाग-नागिन के जोड़े को बहते हुए दरिया में बहाने से इस दोष का शमन होता है।

4 ) उज्जैन स्थित महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष पर स्थित नागचन्द्रेश्वर मंदिर (जो केवल नागपंचमी के दिन ही खुलता है) के दर्शन करें।

5 ) अष्टधातु या कांसे का बना नाग शिवलिंग पर चढ़ाने से भी इस दोष से मुक्ति मिलती है।

6 ) नागपंचमी के दिन रुद्राक्ष माला से शिव पंचाक्षर मंत्र
” ॐ नमः शिवाय ” का जप करने से भी इसकी शांति होती है।

7 ) यदि शुक्ल यजुर्वेद में वर्णित भद्री द्वारा नागपंचमी के दिन उज्जैन महाकालेश्वर की पूजा की जाए तो इस दोष का शमन होता है।

8)  शिव के ही अंश बटुक भैरव की आराधना से भी इस दोष से बचाव हो सकता है।

9 ) घर की चौखट पर मांगलिक चिन्ह बनवाने विशेषकर चाँदी का स्वास्तिक जड़वाने से शुभता आती है, काल सर्पदोष में कमी आती है ।

10) पंचमी के दिन 11 नारियल बहते हुए पानी में प्रवाहित करने से काल सर्पदोष दूर होता है , यह उपाय श्रवण माह की पंचमी अर्थात नाग पंचमी को करना बहुत फलदायी होता है ।

11) किसी शुभ मुहूर्त में ओउम् नम: शिवाय’ की 21 माला जाप करने के उपरांत शिवलिंग का गाय के दूध से अभिषेक करें और शिव को प्रिय बेलपत्रा आदि श्रध्दापूर्वक अर्पित करें। साथ ही तांबे का बना सर्प शिवलिंग पर समर्पित करें।

12 ) श्रावण महीने के हर सोमवार का व्रत रखते हुए शिव का रुद्राभिषेक करें। शिवलिंग पर तांबे का सर्प विधिपूर्वक चढ़ायें।

13 ) श्रावण मास में 30 दिनों तक महादेव का अभिषेक करें।

14 ) श्रावण के प्रत्येक सोमवार को शिव मंदिर में दही से भगवान शंकर पर – हर हर महादेव’ कहते हुए अभिषेक करें।

15) श्रावण मास में रूद्र-अभिषेक कराए एवं महामृत्युंजय मंत्र की एक माला का जाप रोज करें।

16) नाग पंचमी एवं प्रत्येक माह के दोनों पक्षो की पंचमी के दिन “ॐ कुरुकुल्ये हुं फट् स्वाहा” मन्त्र का जाप अवश्य ही करें। इससे काल सर्प योग के दुष्प्रभाव में कमी होती है ।

17 )नाग पंचमी के दिन नागदेव की सुगंधित पुष्प व चंदन से ही पूजा करनी चाहिए क्योंकि नागदेव को सुगंध बहुत प्रिय है, इससे नाग देवता प्रसन्न होते है और काल सर्प दोष में कमी आती है।

18 ) जिस भी जातक पर काल सर्प दोष हो उसे कभी भी नाग की आकृति वाली अंगूठी को नहीं पहनना चाहिए

19 ) हर शुक्रवार को…रात को… अपने सिरहाने के पास कुछ जौ के दाने बर्तन में रख कर सो जाये और शनिवार को मन ही मन ” ॐ राहवे नमः …ॐ राहवे नमः ” कहके पक्षियों को वो जौ के दाने डाल दे कालसर्प योग से मुक्ति मिलती है।

20) सर्प सूक्त से उनकी आराधना करें।

         ।।श्री सर्प सूक्त।।
ब्रह्मलोकेषु ये सर्पा शेषनाग परोगमा:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।1।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: वासुकि प्रमुखाद्य:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।2।।
कद्रवेयश्च ये सर्पा: मातृभक्ति परायणा।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।3।।
इन्द्रलोकेषु ये सर्पा: तक्षका प्रमुखाद्य।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।4।।
सत्यलोकेषु ये सर्पा: वासुकिना च रक्षिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।5।।
मलये चैव ये सर्पा: कर्कोटक प्रमुखाद्य।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।6।।
पृथिव्यां चैव ये सर्पा: ये साकेत वासिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।7।।
सर्वग्रामेषु ये सर्पा: वसंतिषु संच्छिता।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।8।।
ग्रामे वा यदि वारण्ये ये सर्पप्रचरन्ति।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।9।।
समुद्रतीरे ये सर्पाये सर्पा जंलवासिन:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।10।।
रसातलेषु ये सर्पा: अनन्तादि महाबला:।
नमोस्तुतेभ्य: सर्पेभ्य: सुप्रीतो मम सर्वदा।।11

  दिनेश प्रेम शर्मा ज्योतिष आचार्य

  मो.-8387869068

 

 

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