विधिक जागरूकता के तहत रतन बहन राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में बालिकाओं को विधिक जानकारी दी
विधिक जागरूकता के तहत रतन बहन राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में बालिकाओं को विधिक जानकारी दी गई। विशिष्ट न्यायाधीश पोक्सो कोर्ट सतीशकुमार कौशिक द्वारा जानकारी देकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया गया।
इस अवसर पर उन्होंने कहा कि शिक्षा व विद्या में अंतर है। सामान्य रूप से जो कुछ हम सीखते हैं वह शिक्षा हो सकती है। लेकिन विद्या विवेक पर आधारित होती है। सीखने के पश्चात हमें हमारे लिए क्या करणीय है और क्या अकरणीय है इसका भान होना ही विद्या है।
उन्होंने कहा कि अपने जीवन में स्वविवेक, स्वाध्याय और अनुशासन का बहुत अधिक महत्व है। समाज जीवन में हमें अनेक प्रकार की बातें, जानकारी व मार्गदर्शन मिलता है लेकिन हमें अपने विवेक के अनुसार जो हमारे लिए परिवार, समाज व देश के लिए उपयुक्त हो उसी के आधार पर निर्णय करना चाहिए । साथ ही विद्यार्थियों को स्वाध्याय यानी अपने स्तर पर भी अध्ययन करना तथा जीवन में अनुशासन का पालन करना इस पर बल देना चाहिए। मुख्य वक्ता के रूप में उन्होंने बालिकाओं से आग्रह किया कि अपनी दिनचर्या में कोई भी बात मन में न रखकर सभी परिस्थितियों के संबंध में अपने माताजी को जानकारी अवश्य देनी चाहिए। बालिकाओं का मार्गदर्शन करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे जीवन में अपने माता-पिता का मार्गदर्शन ही सर्वश्रेष्ठ होता है क्योंकि अभिभावक बिना किसी नकारात्मक भाव हमारा मार्गदर्शन करते हैं जो हमारी भलाई के लिए ही होता है। उनकी सीख व आज्ञा हमेशा करणीय ही होती है।
इस अवसर पर संस्था प्रधान संगीता भाटी ने बालिकाओं को विद्यालय की गरिमा पेटिका के संबंध में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि बालिकाओं को अपने साथ घटित शालीनता से विपरीत किसी भी बात को इस पेेटिका के माध्यम से शाला परिवार को जानकारी देनी चाहिए। इसमें किसी भी प्रकार से यह आवश्यक नहीं है कि गरिमा पेटी में दी गई जानकारी या शिकायत में बालिका अपना नाम प्रकट करे। गोपनीयता रखकर भी सूचना दी जा सकती है। कार्यक्रम का संचालन व्याख्याता मंजू सिरोहीवाल तथा मंजू शर्मा द्वारा किया गया। कार्यक्रम में शाला परिवार के सभी स्टाफ द्वारा सहयोग किया गया ।