सभापति बोथरा के निलंबन को लेकर सरकार की कार्रवाई पर उठे सवालिया निशान
क्षेत्रीय उपनिदेशक कलक्टर एवं निदेशालय को आयुक्त की ओर से गत 3 मार्च को भेज दी गई थी तथ्यात्मक रिपोर्ट, भेजी गई रिपोर्ट के स्वायत्त शासन विभाग के अतिरिक्त राज्य के अधिवक्ता की विधिक राय भी थी शामिल
नागौर नगर परिषद की सभापति मीतू बोथरा के निलंबन को लेकर स्वायत्त शासन विभाग की ओर से जारी आदेश पर सवालिया खड़े होने लगे है विभाग के निदेशक एवं विशिष्ट सचिव हदेश कुमार शर्मा कि ओर से जारी आदेश में सभापति के निलंबन को लेकर जिस जांच रिपोर्ट का उल्लेख किया गया है उसी पर सवाल उठने लगे हैं
आदेश में कहा गया है कि विधि विरुद्ध पट्टे जारी करने की जाँच क्षेत्रीय उपनिदेशक से कराने पर सभापति दोषी पाई गई
न्यायालय में संबंधित पट्टे का प्रकरण विचाराधीन होने के बाद भी पट्टा जारी करना विधि विरुद्ध बताया गया जबकि स्वायत्त शासन निदेशक के अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता ने अपनी राय में नगर परिषद की ओर से पट्टा जारी करना पूरी तरह से सही माना था सवाल यह भी उठता है कि राज्य सरकार को यह जांच रिपोर्ट कहां से मिल गई जिसमें सभापति मीतू बोथरा की ओर से जारी पट्टे पर स्थगनादेश था
इस पूरे प्रकरण में राज्य सरकार की निष्पक्षता संदिग्धता के दायरे में आ गई
इस संबंध में विधि विशेषज्ञों का कहना है कि जारी पट्टे को स्वायत्त शासन निदेशालय के अतिरिक्त राजकीय अधिवक्ता और से वैध मानने के बाद वह विधि विरुद्ध कैसे हो गया
जिस शिकायत को आधार बनाया गया संबंधित शिकायतकर्ता ने ही इस प्रकार की कोई भी शिकायत मुख्यमंत्री को भेज रहे थे स्पष्ट इनकार कर दिया है दस्तावेजों के अवलोकन से स्पष्ट है कि जिस भी शिकायत को आधार बनाया गया उस शिकायतकर्ता का कोई वजूद नहीं है ऐसे में यह शिकायत निलंबन की प्रक्रिया में कैसे प्रमाणित हो गई यह लोगों की समझ से परे है इस पूरे प्रकरण की रिपोर्ट आयुक्त ने क्षेत्रीय उपनिदेशक को गत 3 मार्च को भेज दी थी जिसमें पूरा तथ्य बताया गया था
सभापति कक्षा में ताला लगने के बाद से गुरुवार को नगर परिषद परिसर में सन्नाटा पसरा रहा सामान्य दिनों में गुलजार नजर आने वाला सभापति कक्ष के सामने का गलियारा सुना रहा पूरे परिसर में पार्षद भी नजर नहीं आए
इधर सभापति के निलंबन के बाद स्वायत्त शासन निदेशालय पार्षदों की सूची मंगाकर अवलोकन कर रहा है ताकि इस संबंध में उचित कदम उठाया जा सके पूरे प्रकरण को लेकर लोगों की निगाहें जयपुर पर लगी है वही निलंबित सभापति बोथरा का कहना है कि पूरे प्रकरण को तथ्यात्मक दस्तावेज कलेक्टर से लेकर निदेशालय तक को उपलब्ध कराए थे
नोटिस में जिस शिकायतकर्ता इस्लामुद्दीन पुत्र बशीर खां का हवाला दिया गया उसी की प्राप्त शिकायत में पिता का नाम अल्लाहबक्ष अंकित मिला इसकी ओर से मुख्यमंत्री को दी गई शिकायत में अंगूठा लगा था और प्राप्त शिकायत में इसके पूरे हस्ताक्षर थे दूसरे शिकायतकर्ता सरफराज के मोबाइल नंबर अलग-अलग अंकित है इस पर संपर्क किए जाने पर सरफराज इस प्रकार की कोई भी शिकायत करने से इंकार कर दिया यानी कि इस्लामुद्दीन व सरफराज को प्रकरण की जांच का आधार बनाने वाले निदेशालय के दोनों शिकायकर्ताओं के वजूद पर ही सवालिया निशान लग गया है