सभापति मीतू बोथरा को गलत रूप से पट्टा जारी करने पर स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक हृदेश कुमार शर्मा ने मंगलवार को जारी किए निलंबन के आदेश
नगर परिषद नागौर की सभापति मीतू बोथरा को राज्य सरकार ने निलंबित कर दिया है। उन्हें सभापति व सदस्य दोनों पदों से निलंबित किया गया है। स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक हृदेश कुमार शर्मा ने मंगलवार को इस आशय के आदेश जारी किए। उन्हें गलत तरीके से पट्टे जारी करने के प्रकरण में जांच के बाद दोषी मानते हुए निलंबित किया गया है। उनके निलंबन की सूचना आते ही शहर में नए सभापति को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई।
मामला यह था
सभापति मीतू बोथरा पर आरोप है कि सभापति मीतू बोथरा ने धारा 69-ए के तहत दो पट़टे जारी किए। जिस जमीन पर पट्टे जारी किए उनकी अपील हाईकोर्ट में लंबित थी। इसके उपरांत भी सभापति मीतू बोथरा ने उच्च न्यायालय में अपील विचाराधीन होते हुए भी प्रश्नगत भूमि के अपने स्वयं के हस्ताक्षर व आयुक्त के हस्ताक्षर से पट्टे जारी कर दिए। इस तरह हाईकोर्ट में 2 प्रकरणों में मामले विचाराधीन होने के बाद भी सभापति ने दो अलग अलग व्यक्तियों को पट़टे जारी कर दिए। इस आशय की शिकायत मिलने पर अजमेर के उपनिदेशक क्षेत्रीय ने जांच की तो उसमें सभापति दोषी पाई गई।
जिला कलेक्टर के निर्देश पर नागौर एसडीएम ने भी पट्टा प्रकरणों की जांच की तो उन्हें दोषी माना। ये रिपोर्ट भी उपनिदेशक क्षेत्रीय कार्यालय अजमेर भेजी गई थी। उसमें भी स्पष्ट लिखा है कि पट्टे नियम विरूद्ध जारी किए गए हैं। उन्हे 12 मई 2023 को नोटिस जारी कर 3 दिन में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया मगर सभापति मीतू बोथरा ने व्यक्तिगत रूप से या डाक से स्पष्टीकरण तक नहीं भेजा। इस आधार पर प्रथम दृष्टया दोषी मानते हुए स्वायत्त शासन विभाग के निदेशक हृदेश कुमार शर्मा ने सभापति मीतू बोथरा को नगरपालिका अधिनियम 2009 की धारा 39(6) के तहत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए सदस्य एवं अध्यक्ष पद से तुरंत प्रभाव से निलंबित कर दिया।
मेरे खिलाफ एकतरफा कार्रवाई, कोर्ट में जाऊंगी: सभापति
उधर सभापति मीतू बोथरा ने बताया कि उनका निलंबन एकतरफा कार्रवाई है। उन्होंने बताया कि भले ही 12 मई को जयपुर से लेटर जारी हुआ होगा मगर मुझे 15 मई को सुबह 9 बजे हमारे आयुक्त ने इसकी सूचना दी। मैंने तत्काल नगर परिषद से नियमानुसार नकल मांगी और निदेशक महोदय को इस तथ्य से पत्र लिखकर अवगत भी करवा दिया तथा मैंने दस दिन का समय भी मांगा मगर ये कार्रवाई एकतरफा की गई है। पत्रावली मेरे पास लंबे प्रोसेस से होकर आई थी उस पर आयुक्त सहित संबंधित बाबूओं के भी हस्ताक्षर है मगर फिर भी केवल मुझे दोषी मानकर निलंबित किया गया है। ये लोकतंत्र की हत्या है इसमें गहरी राजनीति शामिल है। मुझे न्यायालय पर भरोसा है इसलिए मैं न्यायालय की शरण में जाऊंगी।