विश्व गौरेया दिवस पर पक्षी बचाने का संदेश
निकटवर्ती ग्राम सींगड़ के राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय में विश्व गौरेया दिवस पर रंगोली व चित्र प्रतियोगिता का आयोजन किया।
अध्यापक शिव नाथ सिद्ध ने अपने विचार रखते हुए बताया कि 2010 से विश्व गौरेया दिवस मनाया जा रहा है ताकि लोगों में जागरूकता फैले और यह पक्षी संकटापन्न स्थिति से बाहर आये।
वर्तमान में गौरेया चिड़िया की संख्या बहुत तेजी से घट रही है।
टावर रेडिएशन, कीटनाशक छिड़काव व इनके लिए आवास,भोजन की कमी के कारण यह प्रजाति खतरे में है।
इन सब कारणों से इनकी प्रजनन क्षमता घट रही है।
हमें पक्षियों को बचाने के लिए छायादार पेड़ों के साथ साथ फलदार और फूलों वाले पौधे भी लगाना चाहिए।
गौरेया चिड़िया एक सर्वाहारी प्राणी है। यह अनाज व फल खाने के साथ-साथ कीट पतंग भी खाती है।
ऐसे में हमें कीट पतंगों के लिए फूलों वाले पौधे व फलों के लिए फलदार पौधे लगाने चाहिए जिससे इनको खाने के लिए कुछ मिलता रहे।
हमें हरित घर में पक्षी घर लगाकर इनका संरक्षण करना है।
आज से 550 वर्ष गुरुदेव जसनाथजी ने पक्षियों के बचाने के लिए प्रसाद के रूप में चुग्गा लाने की परम्परा शुरू की जो आज पर्यावरण क्षेत्र में सटीक और अनुकरणीय है ताकि सभी लोग इनके संरक्षण में भूमिका निभा सके।
प्रधानाचार्य खेतसिंह सिसोदिया ने बच्चों को बताया कि हमें अपने साथ-साथ पक्षियों का भी ख्याल रखना है।इनके लिए चुग्गे-पानी की व्यवस्था करना हमारा कर्तव्य है। गौरेया की की घटती संख्या हमारे लिए चिंता का विषय है।
सभी बच्चों ने गौरेया चिड़िया का चित्र बनाकर इसकी विशेषताएं लिखी व रंगोली बनाकर पक्षी बचाने का संदेश दिया।