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चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरु*

चैत्र नवरात्रि 22 मार्च से शुरु*

110 साल बाद बन रहा शुभ संयोग*

*मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आ रही हैं*

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पंचांग के अनुसार इस साल मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आ रही हैं।  जिसे सुख-समृद्धि कारक कहा जाता है। ज्योतिष की मानें तो माता जी की सवारी वार पर निर्भर करती है।22 मार्च 2023 को बुधवार है, बुधवार पर मां का आगमन नौका पर होता है नाव के अलावा मां अंबे की डोली, सिंह, घोड़ा, हाथी भी वाहन है।वहीं इस साल 110 साल बाद शुभ योग बन रहा है। क्योंकि इस बार नवदुर्गा पूरे 9 दिन की रहेंगी। वहीं प्रतिपदा के दिन 5 राजयोग (नीचभंग, बुधादित्य, गजकेसरी, हंस और शश) बन रहे हैं।

पंंचांग के अनुसार इस साल चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च से हो रही है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। मान्यता है जो व्यक्ति व्रत रखकर मां दुर्गा की पूजा- अर्चना करता है, तो उसकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही आदिशक्ति की पूजा करने से नवग्रह भी शांत रहते हैं। इस बार मां दुर्गा नौका पर सवार होकर आ रही हैं, जिसे सुखद और शुभफलदायी रहेगा।

चैत्र नवरात्रि तिथि 2023
पंचांग के अनुसार प्रतिपदा तिथि की शुरुआत 21 मार्च रात को 10 बजकर 52.10 मिनट से होगी। साथ ही इसका अंत अगले दिन 22 मार्च को रात 8 बजकर 20.25 मिनट पर होगा। (स्थानीय समय के अनुसार)

 रमल ज्योतिषी दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया चैत्र नवरात्रि की घटस्थापना मुहूर्त, विधि और नियम.
चैत्र नवरात्रि घट स्थापना का शुभ मुहूर्त
चैत्र शुक्ल पक्ष 1 बुधवारी संवत 2080 नवरात्रि घटस्थापना का मुहूर्त सुबह 06 बजकर 44 मिनट से लेकर सुबह 09 बजकर 45 मिनट तक लाभ अमृत बेला दिवा 11 बजकर 15 मिनट से 12:00 तक शुभ बेला मैं घट स्थापना एवं पूजन श्रेष्ठ रहेगा निर्णय  सागर पंचांग के अनुसार इस समय कलश स्थापित कर सकते हैं।
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन घटस्थापना करने से 9 दिन की पूजा पुण्य फलदायी होती है.

*ऐसे करें मां के घट की स्थापना पूजन*

घटस्थापना देवी शक्ति का आवाहन है और इसे गलत समय पर करने से देवी शक्ति का प्रकोप हो सकता है. इस लिए शुभ मुहुर्त में ही कलश की स्थापना करनी चाहिए। इसलिए दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान कर लें। साथ ही साफ सुथरे कपड़े पहन लें। इसके बाद मंदिर की साफ- सफाई कर लें। फिर एक चौकी पर लाल वस्त्र बिछाएं और मां दुर्गा की तस्वीर या मूर्ति को स्थापित करें। साथ ही एक मिट्टी के पात्र में जौ बो दें। इस पात्र पर जल से भरा हुआ कलश स्थापित करें। साथ ही  कलश पर स्वास्तिक बनाकर इसपर कलावा बांधें। आपको बता दें कि कलश में ब्रह्रा, विष्णु और महेश तीनों का निवास माना जाता है। कलश आफ मिट्टी या चांदी का ले सकते हैं। घटस्थापना के दौरान नक्षत्र चित्रा और वैधृति योग में नहीं करना चाहिए। वहीं सबसे शुभ अभिजीत मुहूर्त में माना जाता है। परंतु बुधवार को अभिजीत मुहूर्त में कोई भी शुभ कार्य नहीं करना चाहिए।

कलश स्थापित करते समय इस मंत्र का करें जाप
ओम आ जिघ्र कलशं मह्या त्वा विशन्त्विन्दव:। पुनरूर्जा नि वर्तस्व सा नः सहस्रं धुक्ष्वोरुधारा पयस्वती पुनर्मा विशतादयिः।।

9 दिन तक चलने वाले चैत्र नवरात्रि का पर्व 22 मार्च 2023 यानी बुधवार चैत्र शुक्ल पक्ष संवत 2080 से शुरू हो रहा है. कहते हैं नौ दिन तक मां पृथ्वी पर अपने भक्तों के बीच निवास करती हैं. जो सच्चे मन से नवरात्रि में देवी के नौ स्वरूपों की आराधना करता है उसकी सभी मनोरथ पूर्ण होते हैं. चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त में घटस्थापना का विधान है. शुभ मुहूर्त में मां दुर्गा की पूजा-अर्चना से विशेष फल प्राप्त होता है. इस साल कलश स्थापना के लिए एक ही शुभ मुहूर्त है.

नवरात्रि में मां दुर्गा जी 9 दिन तक अपने भक्तों के बीच रहती हैं:- इस दौरान जो देवी जी की सच्चे मन से भक्ति करता है उसका बेड़ा पार हो जाता है मान्यता है कि जो साधक नियम का पालन करते हुए 9 दिन तक, नवचंडी पाठ, देवी जी के मंत्रों का जाप और 'ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै' रोजाना जाप करता है, उसे शत्रु और ग्रह बाधा की पीड़ा से मुक्ति मिलती है, कार्य बिना रुकावट पूरे होते हैं।

चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि शुरू - 21 मार्च 2023, रात 10.52.10
चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि समाप्त - 22 मार्च 2023, रात 08.20.25

*नवरात्रि में घटस्थापना का महत्व*
नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा-उपासना से जातक को हर मुश्किल से छुटकारा मिल जाता है. पुराणों में कलश या घट स्थापना को सुख-समृद्धि,वैभव,ऐश्वर्य और मंगल कामनाओं का प्रतीक माना गया है. मान्यता है कि कलश में सभी ग्रह,नक्षत्रों, तीर्थों, त्रिदेव, नदियों, 33 कोटि देवी-देवता का वास होता है. नवरात्रि के समय ब्रह्मांड में उपस्थित शक्तियों का घट में आह्वान करके उसे कार्यरत किया जाता है। इससे घर की सभी विपदादायक तरंगें नष्ट हो जाती हैं तथा घर में सुख-शांति तथा समृद्धि बनी रहती है.
रमल ज्योतिषी दिनेश प्रेम शर्मा नागौर (राजस्थान)

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