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15 मार्च 2023 बुधवार को सुबह 6:46 से शाम तक रहेगा शीतला अष्टमी का पूजन

  15 मार्च 2023 बुधवार को सुबह 6:46 से शाम तक रहेगा शीतला अष्टमी का पूजन

रमल ज्योतिषाचार्य दिनेश प्रेम शर्मा


15 मार्च 2023 चैत्र शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि संवत 2079 वार बुधवार को सिद्धि योग में मनाई जाएगी।
इस त्यौहार को मनाने के पीछे का कारण है कि जनता रोग मुक्त रहे यानी बीमारियां नजदीक ही नहीं आवे शीतला अष्टमी का पूजन 15 मार्च 2023 बुधवार को सुबह 6:46 से शाम तक रहेगा।
    इस त्यौहार का सदैव पूर्व काल से रोग मुक्ति के रूप में मनाया जाता है। जो कि 1 दिन पूर्व घरों में पकवान मिठाइयां दही एवं नाना प्रकार के पकवानों से व्यंजन बनाकर माता को भोग प्रसाद के रूप में तैयारी करते हैं। एवं दूसरे दिन सुबह से शाम तक उस प्रसाद के रूप में उसका आनंद लेते हैं। उस दिन गरम खाना नहीं खाते यानी आग का प्रयोग भोजन या तैयारी में नहीं होता एक कारण वैज्ञानिक कारण पर्यावरण को शुद्ध करने के रूप में भी माना जाता है। यहां से मौसम का बदलाव भी देखा जाता है यानी बसंत ऋतु से गर्मी की ओर मौसम चलता है। माताजी का पूजन करने से रोगियों दुष्प्रभावों से मुक्ति मिलती है मां की आराधना करने से आरोग्यता का वरदान मिलता है गंभीर रोग नहीं होते मां शीतला शीतलता प्रदान करने  प्रदान करने वाली शक्ति है।
स्कंद पुराणों के अनुसार  शीतला माता गधे की सवारी करती हैं, उनके हाथों में कलश, झाड़ू, सूप (सूपड़ा) रहते हैं और वे नीम के पत्तों की माला धारण किए रहती हैं. मान्यता है कि शीतला अष्टमी पर महिला माता का व्रत रखती है और उनका श्रद्धापूर्वक पूजन करती हैं, उनके  परिवार और बच्चे निरोगी रहते हैं। देवी शीतला की पूजा से बुखार, खसरा, चेचक, आंखों के रोग आदि समस्याओं का नाश होता है।
हालांकि भारत सरकार द्वारा चेचक और काफी बीमारियों का उन्मूलन के टीके बन कर लगा भी चुके है। पर पुराने काल से यह प्रथा रही थी।
 शीतला अष्टमी के दिन मातारानी को सप्तमी को बने बासे भोजन का भोग लगाकर लोगों को ये संदेश दिया जाता है कि इस दिन के बाद पूरे ग्रीष्म काल में अब ताजे भोजन को ही ग्रहण करना चाहिए।
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