दीक्षार्थी निशा का निकला वरघोड़ा, खोल भराई का कार्यक्रम सम्पन्न
नागौर, 13 फरवरी। शहर की न्यू कॉलोनी से दीक्षार्थी निशा कोठारी का धूमधाम से वरघोड़ा निकला। न्यू कॉलोनी में ज्ञानचंद सिंघवी परिवार की ओर से मुमुक्षी निशा कोठारी की खोल भराई की रस्म अदा की गई। इस अवसर पर गणपतराज मदनचंद ज्ञानचंद अर्जुन सिंघवी परिवार द्वारा खोल भराई की गई। इसके बाद समाज के लोगों ने भी खोल भराई की। इसके बाद वरघोड़ा सिंघवी परिवार के घर से गाजेबाजे के साथ रवाना हुआ जो नया दरवाजा होते हुए कांच के मंदिर पहुंचा। इस अवसर पर समाज की महिला, पुरूष, बच्चे मौजूद थे। वरघोड़ा में मदनचंद, ज्ञानचंद, अभय समदड़िया, अक्षय समदड़िया, श्रीपाल कोठारी, सुनील कोठारी, कमल कोठारी, सुरेश ललवानी, डीवाईएसपी रविन्द्र बोथरा, नवरत्न तोलावत, अर्जुन चौरड़िया, केवलचंद बच्छावत, देवेन्द्र सुराणा, सुरेश चौधरी आदि मौजूद थे। दीक्षा महोत्सव कार्यक्रम के तहत नागौर शहर में श्वेताम्बर जैन समाज वर्द्धमान स्थानकवासी जैन श्रावक संघ, साधुमार्गी श्रावक संघ व हुक्मगच्छीय साधुमार्गी जैन युवा संघ के धन में 13 फरवरी को कांच के मंदिर के सामने स्थित निशा के निवास स्थान पर नवकार महामंत्र का जाप होगा। 14 फरवरी को कुमकुम व हल्दी की रस्म कुशल भवन में आयोजित होगी। इसी प्रकार 15 फरवरी को गीत का कार्यक्रम होगा। 16 फरवरी को वर्षीदान कार्यक्रम होगा। इसी प्रकार 16 फरवरी को बेताला वस पर स्वामी वात्सल्य कार्यक्रम होगा। 17 फरवरी को विदाई कार्यक्रम आयोजित होगा। विजय नगर में निशा का दीक्षा कार्यक्रम होगा। दीक्षा से पहले नागौर शहर में समाज की ओर से विभिन्न कार्यक्रम आयोजित होंगे गौरतलब है कि निशा कोठारी ने करीब पांच वर्ष पहले रायपुर में एलएलबी की। पढ़ाई के दौरान प्रवचन सुनकर वैराग्य जीवन अपनाने का रास्ता चुना था। आरजेएस की तैयारी कर रही 27 वर्षीय निशा ने संत कौशल मुनी की प्रेरणा से जीवन की राह बदली है। निशा अब सांसारिक मोह माया का त्याग कर संयम के पथ पर चलेगी। पढ़ाई में हमेशा अव्वल रहने वाली निशा ने प्रवचन सुनकर संयम का पथ चुना है। निशा के पिता कमल कोठारी, बहन ललिता,भाई लोकेश, भाभी अंतिमा व भतीजी युक्ति परिवार के साथ रहते हैं। नागौर में खोल भराई कार्यक्रम के दौरान परिवारजनों के साथ समाज की महिला, पुरूष व युवतियों ने उत्साह से भाग लिया । इससे पूर्व निशा ने कहा कि मनुष्य जन्म केवल भगवान को पाने और मोक्ष के लिए मिला है। भगवान को पाने के लिए इस सांसारिक सुख का कोई महत्व नहीं है। हमारी जैन धर्म भी हमें यही सिखाता है कि भौतिक सुख सुविधा को त्याग करके ही भगवान को पा सकते है। यह सिर्फ साधन है एक प्लेटफार्म की तरह जिससे भगवान की स्तुति कर सकते है।