होलिका दहन शुभ मुहूर्त 2023:
7 मार्च सूर्योदय से पूर्व 5:11 से 6:57 बजे तक
भद्रा होने के कारण इस वर्ष सुबह सूर्योदय से पहले हाेगा होलिका दहन अाैर इसी दिन धुलंडी भी मनाई जाएगी।
भारतीय त्योहारों में होली का त्यौहार बड़ा त्यौहार है। दो दिवसीय होली के त्योहार में पहले दिन होली का दहन तथा दूसरे दिन रंग होली के रूप में मनाया जाता है।
-होलिका दहन शुभ मुहूर्त-
हालांकि 6 मार्च 2023 को शाम 4 बजकर 14 मिनट से भद्रा शुरू होने से जो कि 7 मार्च 2023 उगता सूर्य मंगलवार को रात्रि शेष 5 बजकर 11 मिनट तक भद्रा है। इसीलिए होलिका दहन नही हो सकता है। होली का दहन मुहूर्त सूर्योदय से पूर्व 5 बजकर 11 मिनट से 6 बजकर 57 मिनट तक होलिका दहन होगा। पश्चात् धुलंडी मनाई जाएगी। एक ही दिन में पूरे त्योहार का आनद ले सकेंगे।
स्वामी मोहन राम महाराज
फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी संवत 2079 सोमवार के दिन ही होलिका दहन होना है। पंचांग के अनुसार निर्णय सागर सरस्वती पंचांग त्रिकाल ज्योति पंचांग आर्यभट्ट पंचांग के अनुसार चतुर्दशी तिथि को ही होलिका दहन मान्य है, परंतु विशेषता भद्रा होने से दिन में यानी सांयकाल के समय निर्णय सागर पंचांग के अनुसार स्थानीय समय के अनुसार 4:17 सांयकाल से भद्रा प्रारंभ हो रही है, जो कि सुबह 5:14 तक रहेगी। प्राचीन बुजुर्गों के अनुसार व शास्त्रोक्त मत के अनुसार भद्रा के उपरांत ही होलिका दहन होगा।
रमल ज्योतिषाचार्य दिनेश प्रेम शर्मा
पंचांग के अनुसार होली का त्यौहार 6,7,मार्च 2023 को होगा, क्योंकि पूर्णिमा के दिन भद्रा का पृथ्वी पर होना त्यौहार में व्यवधान होना माना गया है। पंचांग के अनुसार, फाल्गुन पूर्णिमा को प्रदोष काल में होलिका दहन होता है और उसके अगले दिन यानि चैत्र कृष्ण प्रतिपदा को होली रंगों से होली खेली जाती है। मगर इस वर्ष मुहूर्त में भद्रा होने से त्योहार के लिए जन मानस में अनिर्णय की स्थिति होना वाजिब है। इसका निराकरण में व्रत परिचय ग्रंथ के अनुसार पूर्णिमा के दिन प्रातः सूर्य का जन्म व सांयकाल में चंद्रमा का जन्म हुआ था।
भद्र्याम द्वे न कर्तव्य श्रावणी फाल्गुनी तथा।
श्रावणी नृपतीम हंती ग्रामम दहती फाल्गुनी।।
उदाहरण शास्त्र सम्मत है। मुख्य चार बातों पर होता है, जिसमें पूर्णिमा तिथि का होना आवश्यक है, दिवा काल में होली दहन नहीं होता यानी दिन में, भद्रा में होली का मुहूर्त नहीं होता है तथा प्रतिपदा या चतुर्दशी तिथि नहीं होनी चाहिए। होली के दिन शहर में डांडिया नृत्य एवम बहने भाई की लंबी उम्र के लिए गोबर की माला पहनाती है।
पंडित गोविंद कुमार बहड़
भद्रायाम दीपिता होली राष्ट्र भंग करोती वे।
नगरश्य च नेवेस्टा तस्माताम परिवरज्यते।।
-यानि भद्राकाल में होली दहन से राष्ट्र भंग होता है व ग्राम दहन होना बताया गया है।
होली से 8 दिन पूर्व होलाष्टक चालू हो जाते हैं।
होलाष्टक 2023 प्रारंभ और समापन
उदयातिथि के आधार पर 27 फरवरी को फाल्गुन शुक्ल अष्टमी तिथि से होलाष्टक प्रारंभ हो जाएगा. इस दिन सुबह 06:49 से 01:35 तक भद्रा है. फाल्गुन पूर्णिमा की तिथि 06 मार्च को शाम 04:17 से 07 मार्च को शाम 06:09.20 तक है.