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श्री राधा कृष्ण की विशेष पूजा होती है फुलेरा दूज पर

 वैवाहिक जीवन व प्रेम संबंधों को बेहतर बनाने के लिए मनाते हैं फुलेरा दूज

रमन ज्योतिषाचार्य दिनेश प्रेम शर्मा
रमन ज्योतिषाचार्य दिनेश प्रेम शर्मा

 

फुलैरा दूज मुख्य रूप से वसंत ऋतु से जुड़ा त्योहार है। वैवाहिक जीवन और प्रेम संबंधों को अच्छा बनाने के लिए इसे मनाया जाता है। यह तिथि अबूझ मुहूर्त भी मानी जाती है और इस दिन कोई भी शुभ कार्य कर सकते हैं। इस दिन मुख्य रूप से श्री राधा-कृष्ण की पूजा की जाती है।

रमन ज्योतिषाचार्य दिनेश प्रेम शर्मा ने बताया हिंदू पंचांग के अनुसार, फाल्गुन शुक्ल द्वितीया तिथि 21 फरवरी को सुबह 09 बजकर 04.15 मिनट से शुरू होगी और 22 फरवरी को सुबह 05 बजकर 57.14 मिनट पर समापन होगा। 21 फरवरी को फुलेरा दूज के दिन 5 शुभ योग भी बन रहे हैं। इस दिन पांच शुभ योग बन रहे हैं। फुलेरा दूज पर पूरे दिन अबूझ मुहूर्त होता है। आइए जानते हैं इस दिन बनने वाले 5 शुभ योग कौन से हैं।

शिव योग: प्रात:काल से सुबह 06 बजकर 57 मिनट तक।
सिद्ध योग: सुबह 06 बजकर 54.51 मिनट से 22 फरवरी 03 बजकर 06.37 मिनट तक।
साध्य योग: 22 फरवरी, 03 बजकर 08 मिनट से पूरा दिन।
सर्वार्थ सिद्धि योग: 21 फरवरी, सुबह 06 बजकर 38 मिनट से 22 फरवरी 06 बजकर 54 मिनट तक।
त्रिपुष्कर योग: 21 फरवरी, 09 बजकर 04 मिनट से 22 फरवरी को 05 बजकर 57 मिनट तक।
फाल्गुन माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर फुलेरा दूज मनाई जाती है, इस दिन फूलों का उत्सव के रूप में भगवान कृष्णा जो विष्णु स्वरूपा है उन्होंने शुरू होता है और होली पर्व की शुरुआत भी हो जाती है। फुलेरा दूज पर राधा कृष्ण की पूजा की जाती है।



आज फुलैरा दूज है। उत्तरी भारत का यह त्यौहार जिसे रंगों का त्यौहार भी कहा जाता है जो कि विशेषकर मथुरा, वृंदावन में मनाया जाता है। फुलैरा दौज पर्व के साथ ही होली के रंगों की शुरुआत हो जाती है। इसे फाल्गुन मास का सबसे शुभ दिन माना जाता है।
होली आने की खुशी में मनाई जाती है फुलैरा दौज तथा इसे होली रखना भी कहा जाता है। यह पर्व होली आने की खुशी में मनाई जाता है। इसी वजह से फुलैरा दूज के बाद से ही हर दिन घर को फूलों और गुलाल से सजाया जाता है।
मुख्य रूप से इसका महत्व मथुरा, वृंदावन समेत उत्तर भारत में ज्यादा देखने को मिलता है।
 इस दिन भगवान श्रीकृष्ण और राधा की पूजा की जाती है। इस दिन सभी मंदिरों को तरह-तरह के रंग बिरंगे फूलों से सजाया जाता है और *फूलों की होली खेली जाती है।
फुलैरा दूज मनाने के लिए घरों में फूलों, अबीर या गुलाल की रंगोली बनाकर प्रभु भक्ति रस फाल्गुन रस के रूप में होता है। इस दिन घरों में भी भगवान कृष्ण और राधा जी की मूर्ति को फूलों से सजाया जाता है। फुलैरा दूज पर पूजा करते समय भगवान श्रीकृष्ण को मीठे पकवान का भोग भी लगाया जाता है। इसके बाद उस पकवान को भक्तों के बीच प्रसाद के रूप में बांटा जाता है।
यह एक पवित्र तथा *दोषमुक्त दिवस के रूप में पूजा जाता है, जैसे किसी भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए शुभ मुहूर्त के अनुसार दिन एवम समय का चुनाव किया जाता है वैसे ही इस फुलैरा दौज के पूरे दिन को शुभ माना जाता है। इस दिन किसी भी प्रकार के शुभ कार्य यानी विशेष कर अगर किसी वर या वधु के लिये मुहूर्त नहीं मिल रहा हो यानी विवाह महुर्त तो बिना जाने इस दिन सारे दोष समाप्ति मानकर विवाह आयोजन हो सकता है।देखा जाता। इस दिन के किसी भी समय में शुभ कार्य किया जा सकता है। विशेषकर यह दिन विवाह के लिए बहुत शुभ माना जाता है। इतना ही नहीं इस दिन सबसे ज्यादा विवाह भी होते हैं।

फुलेरा दूज के दिन के बाद से ही होली के उत्सव की शुरुआत हो जाती है । धार्मिक मान्यता है कि इस दिन से ही भगवान श्री कृष्ण होली की तैयारी करने लग जाते थे और आने वाले होती तक पूरे गोकुल को गुलाल से रंग देते थे। ज्योतिषशास्त्र की दृष्टि से इस दिन को शुद्ध तिथि के रूप में तथा दोष से मुक्त तिथि के रूप में माना जाता है।
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