सूर्य आराधना का पर्व मकर संक्रांति इस बार रविवार को "संक्रांति में करने योग्य कार्य"
रमल ज्योतिषाचार्य दिनेश शर्मा ने बताया कि *मकर संक्रांति पर्व का पुण्य काल15 जनवरी को* धर्म शास्त्रोंके अनुसार इस बार मकर संक्रान्ति पर्व का पुण्य काल 14 जनवरी की बजाय 15 जनवरी को अरुणोदय वेला में होगा धर्म शास्त्रों अनुसार अगर रात्रि में संक्रांति लगती है तो अगले दिन अरुणोदय वेला में इसका पुण्य काल माना जाता है। इस बार सूर्य 14 जनवरी को रात्रि 8 बजकर 43.55 मिनिट पर मकर राशि में प्रवेश करेंगे इसलिए पुण्यकाल 15 जनवरी रविवार को किया जायेगा।
भगवान श्री सूर्यनारायण इस वर्ष 14 जनवरी शनिवार, पौष कृष्ण सप्तमी को रात्रि में 8:43.55 बजे मकर राशि में प्रवेश कर रहे हैं।इसलिए संक्रांति का पुण्यकाल दान करनें का दिन 15 जनवरी रविवार के दिन सूर्योदय समय सुबह 7:27.30 बजे से माना गया है। इस हेतू इस दिन ही दान करके पुण्य कर सकेंगे।
*संक्रांति के वाहनादि फल इस प्रकार है*----------
इस बार संक्रांति का वाहन बाघ है, उपवाहन घोड़ा है, पीले वस्त्र पहने हुए हैं, सर्प जाति की हैं, हाथों में गदा धारण किये हुए हैं,भाल में केसर का तिलक लगाया है, सुवासित रहनें के लिए हाथों में जूही का पुष्प लियें हुए हैं, अलंकार में मोती के आभूषण धारण किये हुए हैं, दूधपाक का भक्षण कर रहीं हैं, उनका वार नाम राक्षसी और नक्षत्र नाम मंदाकिनी हैं, दक्षिण दिशा से आ रही हैं और उत्तर दिशा की ओर जा रही है, उनका मुख पश्चिम दिशा की ओर हैं एवं उनकी दृष्टि इशान कोण में हैं, जिससे भारत देश के दक्षिण दिशा एवं इशान कोण में रहनें वाले लोगों को सुख की प्राप्ति होंगी, 30 मुहूर्त होने से इस वर्ष बारिश भी मध्यम मात्रा में होंगी।
संक्रांति के साथ संबंधित वस्तुओं और व्यक्तिओ को तकलिफ हो सकतीं हैं शेर - अश्व जाति के प्राणीओं को रोग हो सकता हैं और शायद इनमें से कुछ जाति लुप्तप्राय अवस्था में आ सकतीं हैं, हल्दी, सुवर्ण, पीले वस्त्र, चने की दाल आदि वस्तुएं महंगी होंगी, दूध और दूध से बननेवाली चीज़ वस्तुएं-चांदी वगैरह महंगी होगी, कुमार या कुमारी अवस्था वालों को अपना विशेष रूप से ध्यान रखना होगा। *"संक्रांति में करने योग्य कार्य" ॥*
संक्रांति जो वस्तुएं धारण करे हुए हैं उन वस्तुओं का केवल कर्मकांड करनेवाले ब्राह्मण को दान करें।
*इस दिन ये करे उपाय*
संक्रांति के दिन सफेद तिल के तेल को अपने शरीर पर लगाकर एवं तिल मिश्रित जल से स्नान करना चाहिए, तिल मिश्रित जल पीने के लिए भी उपयोग करें, तिल - गुड-हरे चने-गन्ना-तांबे के बर्तन-नयें पीले वस्त्रों-सुवर्ण -सप्त धान्य-भूमि का दान-गौ दान करें,गाय को हरा चारा खिलाये,तिल और गाय के दूध में पके हुए चावल के साथ गाय का घी मिलाकर भगवान सूर्य देव का हवन करें ।भगवान सूर्यनारायण को इस दिन जल मिश्रित दूध का अर्घ्य प्रदान करें।